Freedom Fighters of India in hindi – भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी
भारत के वीर स्वतंत्रता सेनानी वाले इस लेख में Top 29 Popular Freedom Fighters of India का वर्णन किया गया है। देश की आजादी के लिए कितने वीर सपूत अपने घर वार छोड़ दिए। कितनों ने अपने सर्वस बलिदान कर दिया।
वे सभी भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी देश के अलग अलग क्षेत्र से थे। लेकिन उन सब मकसद एक था, भारत की आजादी।अंग्रेज सुरू में यहाँ व्यापार करने आए और धीरे-धीरे सम्पूर्ण भारत पर अपना अधिकार कर लिया।
उन्होंने जनता पर दमनकारी नीति से शासन करने लगे। उनके अत्याचारों और दमनकारी नीति के कारण जनता के मन में रोष पैदा हो गया। लोगों ने आजादी के आंदोलन शुरू कर दिया। आजादी के आंदोलन में न जाने कितनों ने गोलियों खाई,
कितनों को फांसी के तकते पर झूला दिया गया। लेकिन आजादी के दीवानों ने हार नहीं मानी। अंतोगत्वा उनका बलिदान रंग लाया और भारत 26 जनवरी 1947 को अंग्रेजों के दस्ता के चंगुल से मुक्त हो गया।
भारत के इतिहास में ऐसे अनगिनत स्वतंत्रता सेनानी का उल्लेख मिलता है। जो भारत की आजादी के लिए अपना सर्वस न्योछावर कर दिए। भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी में से कुछ तो गुमनामी के अंधेरे में खो गये और कुछ के बारे में ज्ञात है।
आइये एक बार फिर से भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी को याद करते हैं। जिन्होंने अंग्रेजों के अत्याचार का डटकर मुकाबला किया और अपने प्राणों तक को न्योछावर करने में कोई हिचकिचाहट तक नहीं की। यहाँ स्वतंत्रता सेनानियों की सूची में स्वतंत्रता सेनानियों के नाम और फोटो वर्णित है।
1. तात्या टोपे
(जन्म : सन 1814 ईस्वी, महाराष्ट्र में, मृत्यु : 8 अप्रैल 1859)
तात्या टोपे 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के महान नायक थे। वे वीरता और युद्ध कौशल के धनी थे। तात्या टोपे नाना साहब के प्रधान सेनापति थे।
उन्होंने अपने सेना का कुशल नेतृत्व करते हुए ग्वालियर और झांसी में रानी लक्ष्मी बाई के साथ मिलकर अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए।
उनकी वीरता और रन कुशलता का अंग्रेज भी लोहा मानते थे।लेकिन मानसिंह के विश्वासघात के कारण वे अंग्रेजों के गिरफ़त में आ गये। कहते हैं की अंग्रेजों ने इस महान स्वतंत्रता सेनानी को भारी भीड़ के सामने 18 अप्रैल 1959 को फांसी पर लटका दिया।
जीवन के अंतिम क्षण में भी वह तनिक भी विचलित नहीं हुए। वहाँ उमड़े हजारों की भीड़ अपने आँखों में आँसू लिए इस महान देशभक्त को विदाई दे रहे थे।
2. वीर कुंवर सिंह
(जन्म : 1777 (भोजपुर, बिहार) – मृत्यु : 26 अप्रैल 1858)
बिहार के भोजपुर जिले के जगदीशपुर गाँव में जन्मे बाबू वीरकुँवर सिंह 1857 के स्वतंत्रता संगम के महान स्वतंत्रता सेनानी थे।
एक कहावत है की अगर दिल में जज्बा हो तो, उम्र कोई मायने नहीं रखती है। बाबू वीर कुंवर सिंह ने 80 साल की उम्र में अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांतिकारियों का नेतृत्व किया था।
गुरिल्ला युद्ध की नीति के बल पर उन्होंने ब्रिटिश सैनिकों को चारों ओर से घेर कर कैप्टन ली ग्रैंड के नेतृत्व में अंग्रेजी सेना को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था।
कहते हैं की लड़ाई के दौरान नदी पार करते समय उनके हाथ में गोली लग गयी थी। तब उन्होंने अपने हाथ को तलवार से काटकर नदी में समर्पित कर दिया था। युद्ध में बुरी तरह घायल होने के वाद 26 अप्रैल 1858 को इन्होंने वीरगति को प्राप्त किया।
3. झांसी की रानी लक्ष्मी बाई
(जन्म : 19 नवंबर 1828,बनारस, उत्तरप्रदेश – मृत्यु : 20 जून 1858, ग्वालियर )
भारत के प्रथम सवधीनता संग्राम के प्रमुख सदस्यों में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई प्रमुख थी। Women Freedom fighters of India रानी लक्ष्मीबाई स्वाधीनता की दीपशिखा नहीं, धधकती हुई अंगार थी। जिनेक एक इशारे पर लाखों देशभक्त अपने प्राण न्योछवार करने को तैयार हो जाते थे।
अपने पति गंगाराव की आकस्मिक मृत्यु के वाद उन्होंने झांसी की कमान अपने हाथ में लिया। रानी ने अपने सेना का कुशल नेतृव करते हुए सर ह्यू रोज़ के नेतृत्व में ब्रिटिश सैनिकों का डटकर मुकाबला किया।
ग्वालियर में अंग्रेजों से युद्ध करते हुए इस महान वीरांगना ने अपने देश के लिए सर्वस बलिदान कर दिया। झांसी की रानी काव्य ग्रंथ में सुभद्रा कुमारी चौहान ने उनकी शौर्यगाथा का अद्भुत वर्णन किया है। “खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी”
4. मंगल पांडे – फ्रीडम फाइटर ऑफ इंडिया in hindi
(जन्म : 19 जुलाई 1827, बलिया, उत्तर प्रदेश – मृत्यु : 8 अप्रैल 1857)
मंगल पांडे ने 1857 के महान सिपाही विद्रोह के द्वारा आजादी की विगुल फूंका था। भारत के महान क्रांतिकारी मंगल पांडे का नाम भारत के सवधीनता संग्राम के अग्रणी सूची में शुमार है। मंगल पांडे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की बंगाल इंफेनट्री में सैनिक थे।
उन्होंने छावनी में ही अंग्रेजों पर गोली चलाते हुए भारतीय स्वतंरता संग्राम की शुरुआत कर दी। उनकी वीरता को देखकर देश के लोगों में क्रांति का नया जोश जाग उठा था। 18 अप्रैल 1857 को मंगल पांडे को अंग्रेजों ने फांसी पर लटका दिया।
भारत के स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे को आजादी की लड़ाई का प्रथम क्रांतिकारी माना जा सकता है। उन्होंने अपनी शहादत के द्वारा भारत में क्रांति के बीच बोये थे। उसके बाद से ही भारत में अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह की शुरुआत हुई।
5. महात्मा गांधी (freedom fighters of india in hindi language )
(जन्म : 2 अक्टूबर 1869, पोरवंदर, गुजरात – मृत्य : 30 जनवरी 1948)
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम स्वतंत्रता सेनानी के लिस्ट में सबसे ऊँचा है। वे भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी, बैरिस्टर और अहिंसात्मक आंदोलन का कर्णधार थे। अंततः वे भारत को अंग्रेजों के गुलामी की वेड़ी से मुक्त कराने में कामयाब रहे।
वे अहिंसा के पुजारी थे और उन्होंने इसे ही अपना हथियार बनाया। ब्रिटिश शासन के खिलाफ उन्होंने विभिन्न आंदोलनों का संचालन करते हुए कई बार वे जेल गये।
उन्होंने अंग्रेजों के नमक कानून को तोड़ने के लिए प्रसिद्ध नमक सत्याग्रह किया। इसके लिए उन्होंने दांडी मार्च किया।उन्होंने भारत को बिना खड्ग और बिना ढाल के आजादी दिलाने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाता है।
उन्हें भारत का राष्ट्रपिता कहा जाता है। उनके जन्म दिन 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है। गांधी जी के सम्पूर्ण जीवन परिचय के जानने के लिए क्लिक करें।
6. भगत सिंह – famous Indian freedom fighterS of india in hindi
(जन्म : 1907 लयालपुर(अव पाकिस्तान)– मृत्यु : 23 मार्च 1931)
भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह त्याग, बलिदान और साहस के प्रतिमूर्ति थे। अपनी अल्पायु में जीवन का बलिदान देकर, भगत सिंह ने स्वतंत्रता की मशाल की लौ को और प्रज्वलित कर दिया था।
1919 के जालियाँवाला बाग में हुए नरसंहार ने भगत सिंह के मन में अंग्रेजों के प्रति नफरत को गहरा कर दिया था। उन्होंने अन्य क्रांतिकारियों के साथ मिलकर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना की।
लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेने के लिए उन्होंने लाहौर में अंग्रेज अधिकारी की गोली मार कर हत्या की। भगत सिंह ने ब्रिटिश हुकूमत को भारत छोड़ने पर मुजबूर किया और केंद्रीय असेंबली में बम फेंका। 23 मार्च 1931 को उन्हें राजगुरु और सुखदेव के साथ फांसी पर लटका दिया गया।
महान क्रांतिकारी भगत सिंह हस्ते-हस्ते फांसी के फंदे को अपने गले से लगा लिया। वे क्रांतिकारी युवाओं के प्रेरणा स्रोत बन गये। भगत की सम्पूर्ण जीवनी के यहॉं क्लिक करें।
7. नेताजी सुभाष चंद्र बोस
(जन्म : 23 जनवरी 1897(कटक ओडिसा – मृत्यु :
नेताजी सभाष चंद्र बोस का नाम भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में बहुत ही आदर के साथ लिया जाता है। उनका कथन था “ इस संसार में कोई भी विचार बिना त्याग और बलिदान के अग्नि में तपे हुए नहीं पनपा है।”
भारत के स्वाधीनता संग्राम में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अहम भूमिका मानी जाती है। वे किसी भी स्थिति में अंग्रेजों से समझौता किए वगैर अपना रास्ता बनाया और अंग्रेजों से लड़ने के लिए आजाद हिन्द फौज की स्थापना की।
इनके सेना में महिलाओं का दस्ता भी था जिसका नाम झांसी रेजीमेंट रखा गया था। महान women freedom fighters of India कैप्टन लक्ष्मी सहगल इस दस्ते का नेतृत्व कर रही थी। आजाद हिन्द के गठन से अंग्रेजों के पसीने छूटने लगे थे।
नेताजी ने 1939 में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर एक नई पार्टी फारवर्ड ब्लाक की स्थापना की। उनका नारा था “तुम मुझे खून तो हम तुझे आजादी दूंगा।” स्वाधीनता संग्राम में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
8. चंद्रशेखर आज़ाद – indian freedom fighters in hindi
(जन्म : 23 जुलाई 1906 – मृत्यु : 27 फरवरी 1931)
भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आज़ाद का नाम सबसे बहादुर क्रांतिकारी में लिया जाता है। लाल लाजपत राय का बदला लेने के लिए उन्होंने भगत सिंह के साथ मिलकर लाहौर में अंग्रेज अधिकारी की गोली मारकर हत्या की थी।
चंद्रशेखर आज़ाद को हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के पुनर्गठन के लिए भी जाना जाता है। शुरुआत में वे गांधी जी से बहुत प्रभावित थे लेकिन असहयोग आंदोलन के बाद वे गरम दल में चले गये।
उनका कथन था “आज़ाद थे, आजाद हैं और आजाद ही रहेंगे।: इलहाबाद के कंपनी-बाग में किसी मुखवीर के कारण ब्रिटिश सैनिकों ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया। उनपर अंधा-धुन गोलियाँ चलने लगी। उन्होंने कई अंग्रेजों को मार डाला।
जब उनके पिस्टल में सिर्फ एक गोली बची तब उन्होंने खुद को मार लिया। इस प्रकार वे जीते जी अंग्रेज के चंगुल में नहीं आने के अपने वचन पर कायम रहे। उनकी कुर्बानी के 15 साल वाद देश आजाद हो गया। चंद्रशेखर आज़ाद की सम्पूर्ण जीवन परिचय जानने की लिए क्लिक करें।
9. बाल गंगाधर तिलक
(जन्म : 23 जुलाई 1856 – मृत्यु : 1 अगस्त 1920)
बाल गंगाधर तिलक का नाम प्रमुख भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी में सर्वोपरि है। उन्होंने देश की जनता से अंग्रेजों के विरुद्ध एक होने का आह्वान किया। उनका नारा था – “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और उसे हम लेकर रहेंगे”।
उन दिनों लाल-बाल -पाल अर्थात लाल लाजपतराय, बाल गंगाधर तिलक और विपिन चंद्र पाल तीनों नाम काफी प्रसिद्ध थे। लोग उनसे बहुत प्यार करते थे। लोगों के बीच में उनकी इतनी मान्यता थी की लोग उन्हें अपना आदर्श मानते थे। इसलिए उन्हें लोकमान्य तिलक कहा जाता था।
उस महान देशभक्त ने आजादी का मार्ग परास्त कर 1 अगस्त 1920 को अंतिम सांस ली। उनके मेहनत के कारण ही भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ। बाल गंगाधर तिलक की सम्पूर्ण जीवनी के लिए क्लिक करें।
10. सरदार वल्लभभाई पटेल
(जन्म : 31 अक्टूबर 1875 – मृत्यु : 15 दिसंबर 1950)
भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी सरदार वल्लभभाई पटेल बहुमुखी प्रतिभा और बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। वे महान स्वतंत्रता सेनानी और आधुनिक भारत के निर्माता माने जाते है।
वे एक प्रसिद्ध बैरिस्टर थे, लेकिन देश की स्वतंत्रता के लिए उन्होंने अपना पेशा छोड़ दिया। गांधी जी द्वारा विदेशी कपड़ों के बहिष्कार में उन्होंने भाग लिया और अपने कीमती विदेशी कपड़े की होली जलवाई।
आजादी के बाद वे देश के पहले गृह मंत्री बनाए गये। उन्होंने 562 देशी रियासतों को भारत में विलय बड़े ही कुशलता और सूझ-बुझ से साथ किया जो अपने आप में एक मिसाल है। उनके बहादुरी भरे कामों के लिए उन्हें ‘भारत का लौह पुरुष’ कहा जाता है।
बारडोली सत्याग्रह में अहम भूमिका के लिए बल्लभ भाई पटेल को सरदार के रूप में पहचान मिली। सरदार वल्लभभाई पटेल की जीवनी के लिए यहॉं क्लिक करें।
11. राम प्रसाद बिस्मिल
(जन्म : 11 जून 1897 – मृत्यु : 19 दिसंबर 1927)
राम प्रसाद बिस्मिल सवधीनता संग्राम के महान युवा क्रांतिकारियों में से एक थे। उन्होंने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिए। उन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति इतिहास के पन्नों में अमर हो गये।
राम प्रसाद बिस्मिल हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के प्रमुख वयक्ति थे। उन्होंने क्रांतिकारियों के लिए धन जुटाने के लिए अपने साथियों के साथ मिलकर काकोरी काण्ड को अंजाम दिया। अंग्रेजों न इन्हें गिरफ्तार कर लिया और इन पर मुकदमा चला।
अंतोगत्वा 19 दिसंबर 1927 को उन्हें में फांसी दे दी गयी। कहते हैं की फांसी के लिए ले जाते बक्त भी उनके चेहरे पर थोड़ा भी शिकन नहीं थी। गोरखपुर में लोगों ने उनके अर्थी पर फूल बरसाए और बड़े ही शान के साथ उन्हे अंतिम विदाई दी गयी। अमर शाहिद राम प्रसाद बिस्मिल के योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।
12. खुदीराम बोस
(जन्म: 3 दिसंबर 1889 – मृत्यु : 11 अगस्त 1908)
खुदीराम बोस की गिनती सबसे काम उम्र के युवा भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी में होती है। खुदीराम बोस का जन्म बंगाल के मिदनापुर जिले हुआ था। वे बंकिमचंद्र के वन्दे मातरम और आनंदमठ से बहुत ही प्रभावित थे।
उस दौरान लोग अंग्रेज जज किंग्स फोर्ड से तंग आ चुके थे। उन्होंने कई निर्दोष भारतीयों को कठोर सजा सुनायी। उन्होंने किंग्स फोर्ड को मारने के लिए अपने साथी प्रफुल्ल कुमार चाकी के साथ एक योजना बनायी। इसके लिए उन्होंने मुजफ्फरपुर बमकांड को अंजाम दिया।
उनके साथी प्रफुल्ल कुमार चाकी जीते जी अंग्रेजों के गिरफ़त में नहीं आना चाहते थे। इसीलिए उन्होंने खुद को पिस्टल से गोली मार कर शाहिद हो गये। दूसरी तरफ खुदीराम बोस को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया। उनकी गिरफ़्तारी की खबर चारों तरफ फैल गयी।
13. जवाहरलाल नेहरू
(जन्म : 14 नवंबर 1889 – मृत्यु : 27 मई 1964)
पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी थे। 1919 में किसान आंदोलन और 1921 में असहयोग आंदोलन में उन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया। इस संघर्ष के दौरान उन्हें कई वार जेल जाना पड़ा। वर्ष 1929 में वे भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के लाहौर अधिवेशन में अध्यक्ष चुने गये।
इसी अधिवेशन में उन्होंने पूर्ण स्वराज की मांग की। अंततः भारत आजाद हुआ और उन्हें भारत का प्रथम प्रधानमंत्री बनाया गया। नेहरू जी स्वतंरता संग्राम के अजेय सेनानी, प्रखर वक्ता, कुशल प्रशासक थे।
नेहरू जी बच्चों को बेहद प्यार करते थे। इसीलिए उन्हें ‘चाचा नेहरू’ कहा जाता है। 14 नवंबर को प्रति वर्ष उनके जन्म दिवस को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। जवाहरलाल नेहरू के सम्पूर्ण जीवन परिचय पढ़ने के लिए क्लिक करें।
14. लाला लाजपत राय
(जन्म : 28 जनवरी 1865 – मृत्यु : 17 नवंबर 1928)
लाला लाजपत राय को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे महत्वपूर्ण सदस्यों में से एक थे। लाजपत राय भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के गरम दल के नेता थे। उनका नाम Freedom fighters of India in Hindi के लिस्ट में सर्वोपरि है।
उस दौरान लाल बाल और पाल अर्थात लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और विपिन चंद्र पाल काफी प्रसिद्ध थे। इन्हें पंजाब केशरी के नाम से भी जाना जाता है। इन्होंने लक्ष्मी बीमा कंपनी और पंजाब नेशनल बेंक की भी स्थापना की।
उन्होंने भारत में साइमन कमीशन का विरोध किया। इस विरोध के दौरान वे इस जुलूस का नेतृत्व कर रहे थे। इस दौरान अंग्रेजों ने जबरदस्त लाठी चार्ज किया। उस लाठी चार्ज में वे बुरी तरह से जखमी होकर शहीद हो गये।
उनके मृत्यु से पूरे देशभर में अंग्रेजों के प्रति रोष व्याप्त हो गया। भगत सिंह और उनके साथियों ने लाहौर में अंग्रेज अधिकारी को मारकर उनकी हत्या का बदला लिया गया।
15. मौलाना अबुल कलाम आज़ाद
(जन्म: 11 नवंबर 1888 – मृत्यु: 22 फरवरी 1958)
मौलाना आज़ाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख सदस्य और भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने आजादी के कई आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया। अल हिलाल और अल-बलाग नामक उर्दू साप्ताहिक का प्रकाशन और सम्पादन भी उन्होंने किया।
इसके माध्यम से वे ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आग उगलते रहे। 1921 में उन्हें असहयोग आंदोलन के दौरान गिरफ्तार कर जल भज दिया गया। उन्होंने सन 1930 ईस्वी में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विशेष सत्र की अध्यक्षता की तथा 35 वर्ष की उम्र में कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गये।
सन 1945 में उन्हें दुबारा भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेसः के अध्यक्ष के रूप में चुना गया। आजादी के पश्चात सन 1947 में उन्हें भारत का शिक्षा मंत्री बनाया गया। वे इस पद पर लगातार 11 वर्ष तक रहे। अबुल कलाम आजाद की सम्पूर्ण जीवन परिचय जानने के लिए यहॉं क्लिक करें।
16. राम मनोहर लोहिया
(जन्म : 23 मार्च 1910 – मृत्यु : 12 अक्टूबर 1967)
भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी राम मनोहर लोहिया “कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी” के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। राम मनोहर लोहिया स्वतंत्रता आंदोलन के महान स्वतंत्रता सेनानी थे। भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया था।
1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जब गांधी जी को गिरफ्तार कर लिया गया। तब राम मनोहर लोहिया ने छुपकर इस आंदोलन का संचालन किया। बर्ष 1944 को लोहिया जी को गिरफ्तार का लाहौर के एक जेल में बंद कर दिया गया।
1947 में देश विभाजन से नाखुश होकर काँग्रेस से अलग हो गये। राम मनोहर लोहिया ने अपनी पुस्तक “गिल्टी मैन एण्ड इंडियाज पार्टीशन’ में अपने विचार खुलकर व्यक्त किए है। 30 सितंबर 1967 को दिल्ली के विलिंगडन अस्पताल में 57 वर्ष कई उम्र में उनका निधन हो गया।
बाद में दिल्ली के इस इस अस्पताल का नाम बदलकर राम मनोहर लोहिया रखा गया। राम मनोहर लोहिया की सम्पूर्ण जीवनी के लिए क्लिक करें।
17. जय प्रकाश नारायण
(जन्म : 11 अक्टूबर 1902 – मृत्यु : 8 अक्टूबर 1979)
जय प्रकाश नारायण साल 1929 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए। वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सेवक और राजनेता थे। वे गांधी जी के विचारों से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने सविनय अवज्ञा और भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया।
जिसके लिए उन्हें अंग्रेजों ने कई बार गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था। वे 1970 में श्रीमती इंदिरा गांधी के विरुद्ध विपक्ष का नेतृत्व किया। उन्होंने सम्पूर्ण क्रांति नामक आंदोलन के द्वारा इंदिरा गांधी के सरकार को हिला दिया था।
आजादी की लड़ाई से लेकर अपने जीवन के आखरी पल तक उन्होंने देश और देशबासियों को समर्पित कर दिया। जय प्रकाश नारायण की सम्पूर्ण जीवनी के लिए क्लिक करें।
18. खान अब्दुल गफ्फार खान
(जन्म : 6 फरवरी 1890 – मृत्यु : 20 जनवरी 1988)
खान अब्दुल गफ्फार खान उन भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी में से एक थे जिन्होंने भारत के विभाजन का विरोध किया था। खान अब्दुल गफ्फार खान को बच्चा खान के नाम से भी जाना जाता है।
उन्होंने गांधी जी के राह पर चलकर अहिंसा और एक धर्मनिरपेक्ष भारत देश की कल्पना की थी। उनके सिद्धांत महात्मा गांधी से मिलते थे। उन्होंने 1920 में खुदाई खिदमतगार नामक संगठन की स्थापना की थी।
भारत विभाजन के बाद उनका घर पाकिस्तान में चला गया और उन्हें पाकिस्तान में ही रहना पड़ा। अपने कार्य और निष्ठा के कारण ही उन्हे सीमांत गांधी और बादशाह खान के नाम से भी जाना जाता है।
उनका जन्म 1890 इसबी में पेशावर (अब पाकिस्तान) में हुआ था। भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया। 20 जनवरी 1988 को उनकी मृत्यु हो गयी और उनकी इच्छानुसार उन्हें अफगानिस्तान में दफनाया गया।
19. चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
(जन्म : 10 दिसंबर 1878 – मृत्यु : 25 दिसंबर 1972)
सी राजगोपालाचारी पेशे से वकील, लेखक और महान स्वतंत्रता सेनानी थे। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल बने। वे मद्रास के मुख्यमंत्री भी रहे। भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी चक्रवर्ती राजगोपालाचारी को राजाजी के नाम से भी जाना जाता है।
उन्हें भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया। भारत रत्न से सम्मानित होने वाले वे पहले वयक्ति में से थे। वे 1906 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गये। महात्मा गांधी के अनुसरण करने लगे और असहयोग आंदोलन में उन्होंने गांधी जी का पूर्ण सहयोग दिया।
लेकिन बाद में वे कांग्रेस से अलग होकर ‘स्वतंत्र पार्टी’ की स्थापन की। दक्षिण भारत में उन्होंने हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए अथक प्रयास किए। 28 दिसंबर 1972 को इस महापुरुष ने अंतिम सांस ली।
20. राजेन्द्र प्रसाद
(जन्म : 3 दिसंबर 1884 – मृत्यु : 28 फरवरी 1963 पटना)
महान Freedom fighters of India डॉ. राजेन्द्र प्रसाद भारत के स्वाधीनता आंदोलन में प्रमुख रूप से भाग लिया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष को भी उन्होंने सुशोभित किया।
भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का जन्म बिहार के जीरादेई नामक जगह में हुआ था। उनके पिता महादेव सहाय संस्कृत एवं फारसी के विद्वान थे।
उनके माता का नाम कमलेश्वरी देवी थी। वे हमारे देश के एकमात्र राष्ट्रपति हुए जिन्होंने लगातार दो कार्यकालों तक राष्ट्रपति के पद पर आसीन रहे। डा. राजेन्द्र प्रसाद जी की सम्पूर्ण जीवनी के लिए यहॉं क्लिक करें।
21. बिपिन चंद्र पाल
(जन्म : 7 नवंबर 1858 – मृत्यु: 20 मई 1932)
बिपिन चंद्र पाल भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी ( Freedom fighters of India in hindi) और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख सदस्यों में एक थे। उन्होंने स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया।
उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक और लाला लाजपत राय के साथ मिलकर कई क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया। उस दौरन लाल-बाल और पल की तिकड़ी बहुत ही प्रसिद्ध थी। बिपिन चंद्र पाल को क्रांतिकारी विचारों का जनक भी कहते है।
अपने क्रांति कारी विचारों के कारण ही उन्हे गरम दल का नेता कहा जाता था। 20 मई 1932 को उन्होंने अंतिम सांस ली। देश हित के लिए किए गये कार्य के लिए उन्हें सदा याद किया जाएगा।
22. सरदार उधम सिंह
(जन्म : 26 दिसंबर 1899 – मृत्यु : 31 जुलाई 1940)
सरदार उधम सिंह भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महान स्वतंत्रता सेनानी में से एक थे। सरदार उधम सिंह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप में भाग लिया था। सर माइकल ओ’डायर के आदेश पर जब 1919 में जलियावाला बाग में हजोरों निहत्थे लोगों गोलियों से भून डाला गया।
तब वे बहुत आहत हुए थे। 13 मार्च, 1940 को लंदन में उन्होंने सर माइकल ओ’डायर की सरे आम गोली मारकर हत्या कर दी इस प्रकार उन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला ले लिया।
उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और अंततः उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी। इस महान स्वतंत्रता सेनानी उधम सिंह को 31 जुलाई 1940 को फांसी दे दी गयी।
23. नाना साहब
(जन्म : 19 मई 1824 – मृत्यु : 1857)
महान Freedom fighters of India नाना साहब को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के सूत्रधार के रूप में जाना जाता है। उन्होंने1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों को कुशल नेतृत्व किया।
उन्होंने 15,000 भारतीय सैनिकों का नेतृत्व करते हुए कानपुर में अंग्रेजों के सेना को परास्त किए।
नाना साहिब को एक निपुण योद्धा और कुशल प्रशासक के रूप में भी जाना जाता है। आखिरी समय तक वे अंग्रेजों से लोहा लेते रहे। भारत भूमि पर स्वतंत्रता के बीज जो उन्होंने 1857 में बोए वे 15 अगस्त 1947 एक पेड़ में परिणत हो गया।
24. देशबंधु चितरंजन दास
(जन्म : 5 नवंबर 1869 – मृत्यु : 16 जून 1925)
चित्तरंजन दास एक महान स्वतंत्रता सेनानी और प्रसिद्ध वकील थे। उन्होंने स्वराज पार्टी का गठन किया। गांधी जी के असहयोग आंदोलन में वे सक्रिय रूप से भाग लिए।
चित्तरंजन दास को अरविन्द घोष को सफलतापूर्वक बचाने के लिए श्रेय प्राप्त है। देशबंधु के रूप में लोकप्रिय, चित्तरंजन दास 1923 में लाहौर में अखिल भारतीय ट्रैड यूनियन की अध्यक्षता की।
16 जून 1925 को बीमारी के कारण उनका देहांत हो गया। Freedom fighters of India चित्तरंजन दास के योगदान को सदा याद किया जाएगा। चित्तरंजन दास के सम्पूर्ण जीवन परिचय जानने के लिए क्लिक करें ।
25. विनायक दामोदर सावरकर
(जन्म: 28 मई 1883 – मृत्यु: 26 फरवरी 1966 )- freedom fighters of India in Hindi
विनायक दामोदर सावरकर भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के महान सेनानी थे। उन्हें प्रखर राष्ट्रवादी नेता रूप में जाना जाता है। उन्होंने 1857 के प्रथम सवधीनता संग्राम के ऊपर पुस्तक लिखकर ब्रिटिश शासन की होश उड़ा दिये थे।
अपनी पुस्तक ‘द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस-1857’ में उन्होंने 1857 के संग्राम को ब्रिटिश सरकार के खिलाफ भारत की आजादी की पहली लड़ाई कहा था। उन्हें कठोर कालापानी की सजा हुई।
विनायक दामोदर सावरकर 10 साल तक पोर्ट ब्लेयर की जेल में रहे। 26 फरवरी 1966 को उनकी मृत्यु हो गयी। भारत के महान स्वतंत्रता सेनानीविनायक दामोदर सावरकर की सम्पूर्ण जीवनी के लिए लिंक पर क्लिक करें।
26. दादाभाई नौरोजी
( जन्म : 04 सितंबर 1825 – मृत्यु : 30 जून 1917 )
स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी में दादाभाई नौरोजी की गिनती की जाती है। कांग्रेस के संस्थापक सदस्य में एक दादाभाई नौरोजी अहिंसा के पक्षधर थे। दादाभाई नौरोजी 1892 स 1895 तक ब्रिटेन में हाउस ऑफ कॉमन्स के सदस्य थे।
उनका जन्म 04 सितंबर 1825 को नवसारी में हुआ था। वे एक पारसी समाजसेवी, और राजनेता थे। दादाभाई नौरोजी को ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया के नाम से जाना जाता है।वे 3 बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे।
उन्होंने सबसे पहले भारत देश को स्वराज्य का नारा दिया। महान भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी दादाभाई नौरोजी के सम्पूर्ण जीवन परिचय जानने के लिए क्लिक करें।
27. पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त
(जन्म 10 सितम्बर 1887 – 07 मार्च 1961)
महान स्वतंत्रता सेनानी गोविन्द बल्लभ पन्त महान देशभक्त और वरिष्ठ राजनेता थे। आजादी के लड़ाई के दौरान लगभग 7 वर्षों तक उनका समय जेल में ही कटा ।
गोविन्द बल्लभ पन्त भारत के गृहमंत्री भी बने। गोविन्द बल्लभ पंत जी का जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा ज़िले के खूँट नामक गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री मनोरथ पंत और माता का नाम लक्ष्मी पुष्पा थी।
गोविन्द बल्लभ पन्त कानून के पढ़ाई के दौरान प्रथम आने पर गोल्ड मेडल मिला था। जब गांधी जी रोलेट एक्ट के विरोध में असहयोग आंदोलन किया तब उन्होंने वकालत छोड़ दी। जब देश आजाद हुआ वे उत्तर प्रदेश प्रथम मुख्य मन्त्री चुने गये।
सन 1957 में उन्हें भारतरत्न से सम्मानित किया गया। हिन्दी को राजभाषा के दर्जा के लिए उन्होंने अभूतपूर्व कार्य किया। पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त की सम्पूर्ण जीवन परिचय जानने के लिए क्लिक करें।
28. मदन लाल धींगरा
(जन्म : 18 सितंबर 1883 – मृत्यु : 17 अगस्त 1909 )
मदन लाल धींगरा एक महान क्रांतिकारी और देशभक्त थे। उनक जन्म पंजाव के अमृतसर में हुआ था। ब्रिटेन में पढ़ाई के दौरन वे दामोदर वीर सावरकर और कई महान देश भक्त के संपर्क में आये।
भारत में वे अंग्रेजों के रवैये से बहुत ही नाखुश थे। उन्होंने आजादी के स्वर को बुलंद करने के लिए इंगलेंड की धरती पर जाकर विलियम कर्जन वायली की हत्या की।
उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। 17 अगस्त 1909 को भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी मदन लाल धींगरा को अंग्रेजों ने फांसी दे दी।
29. बहादुरशाह जफर
(जन्म : 27 अक्टूबर 1775 – मृत्यु : 07 नवंबर 1863 )
भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में बहादुरशाह जफर के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। मुगल साम्राज्य के अंतिम सम्राट बहादुरशाह जफर ने भारत के आजादी के लिए अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया।
1857 में उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ क्रांतिकारियों का सफल नेतृत्व किया। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उनके सामने ही उनके पुत्र को मार डाला गया।
उन्हें रंगून की जेल में डाल दिया गया, जहॉं उनकी मृत्यु हो गयी। महान भारत के स्वतंत्रता सेनानी बहादुरशाह जफर के सम्पूर्ण जीवन परिचय जानने के लिए क्लिक करें।
उपसंहार – – Freedom Fighters Of India In Hindi
ह लेख उन सभी क्रांतिकारियों को समर्पित हैं जिन्होंने भारत बर्ष के लिए अपना सर्वस न्योछावर कर दिया। भारत की आजादी के लिए लाखों देशप्रेमी ने अपने सर्वस बलिदान कर दिया।
Freedom fighters of India in Hindi शीर्षक वाले इस इस लेख में भारत के सभी स्वतंत्रता सेनानी का वर्णन करना संभव नहीं है। अतः बाकी स्वतंत्रता सेनानी की चर्चा अगले लेख में किया जा सकेगा।
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