खजुराहो मंदिर का निर्माण किसने करवाया जानिये खजुराहो मंदिर का इतिहास – Khajuraho mandir history in Hindi

Khajuraho mandir history in Hindi
Khajuraho mandir history in Hindi

खजुराहो का मंदिर (Khajuraho Mandir ) भारत के मध्यप्रदेश राज्य के छतरपुर में स्थित अपनी अद्वितीय वास्तुकला के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यह मंदिर अपनी अनुपम मूर्तिकला के कारण पर्यटक का ध्यान बरबस अपनी ओर खिचता है।

जिसे देखने हजारों सैलानी देश और विदेश से छतरपुर आते हैं। छतरपुर मध्यप्रदेश जिले में अवस्थित एक छोटा सा कसवा है। खजुराहो में केबल एक मंदिर नहीं, बल्कि यहाँ हिन्दू तथा जैन समुदाय के दो दर्जन से अधिक मंदिरों का समूह है।

कहते हैं की पहले यहॉं 85 के करीव मंदिर थे। जो खजुराहो मंदिर (Khajuraho Mandir ) समूह के नाम से विख्यात है। नौवीं शताब्दी के दौरान शक्तिशाली चंदेल राजा यशोवर्धन के द्वारा इसका निर्माण कराया गया था।

यह मंदिर भारत में निर्मित किसी भी मंदिर की अपेक्षा भव्य और आकर्षक है। इस अद्भुत मंदिर को, इसकी अनुपम भव्यता के कारण विश्व विरासत की सूची में शामिल किया गया है,

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भारत के इस विश्व धरोहर हमें मध्यकालीन वास्तुकला, मूर्तिकला से अवगत कराता है। आइए जानते हैं भारत के मध्यप्रदेश में स्थित खजुराहो मंदिर के इतिहास के बारें में विस्तार से –

खजुराहो मंदिर का इतिहास के बारे में संक्षेप में –

खजुराहो मंदिरों की अद्भुत सुंदरता और अनुपम मूर्तिकला सालभर लाखों पर्यटकों को आकर्षित करती है। कहते हैं की भारत में ‘ताजमहल’ के बाद खजुराहो मंदिर दूसरा सबसे अधिक पर्यटक का आकर्षण के केंद्र है।

  • निर्माण काल – 9 वीं से 12 वीं शताब्दी के बीच
  • स्थान – छतरपुर, मध्यप्रदेश, भारत
  • आकर्षण का केंद्र – अपने अनुपम मूर्तिकला और चित्रकारी और मंदिर के लिए प्रसिद्ध

खजुराहो मंदिर का निर्माण किसने करवाया

खजुराहो मंदिर का निर्माण चंदेल राजा यशोवर्धन और चंद्रवर्मन ने करवाया था।

खजुराहो का मंदिर क्यों प्रसिद्ध है

खजुराहो पत्थरों से निर्मित अलंकृत मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यहां की इमारत और मंदिर की गिनती देश के सर्वोत्कृष्ठ मध्यकालीन स्मारक में होती है। दुनिया भर के लोग इस अप्रतिम सौंदर्य के प्रतीक को देखने खजुराहो आते रहते हैं।

खजुराहो मंदिर का इतिहास – Khajuraho mandir history in Hindi

खजुराहो मंदिर का इतिहास बहुत ही पुराना है। इसके नामांकरण के संबंध में कहा जाता है की एक समय, इसके प्रवेश द्वार पर दो सुनहरे खजूर के पेड़ मौजूद थे। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने इसे चीन-ची-टू कहा। गंडदेव के शिलालेख में इसे श्री खजूर वाहिका नाम दिया गया है।

वहीं अल्बरूनी ने इसे खजूराहा नाम दिया। चंद बर दाई ने अपनी रचनाओं में इसे ‘खजूरपुर’ के नाम से उल्लेख किया है। कलांतर में इसका नाम परिवर्तित होकर खजुराहो हो गया।

खजुराहो में विश्वविख्यात चंदेल वंश के द्वारा निर्मित कलात्मक सौन्दर्य से परिपूर्ण अद्भुत मंदिर है। यहॉं पर चंदेलों का शासन 9 वीं से 13 वीं शताब्दी तक रहा। ये मंदिर अपनी कलात्मक आकृति और कामोत्तेजक मूर्तिकला के कारण सैलानियों का लिए आकर्षण का केंद्र है।

खजुराहो में पहले पचासी के करीब मंदिर थे। जिसमें में से अब केवल पाचीस मंदिर के करीब बचे हुए हैं।

इस मंदिर का निर्माण कार्य चंदेल साम्राज्य के राजाओं के द्वारा 9 वीं से 2 वीं शताब्दी के मध्य किया गया था। खजुराहो के मंदिर के निर्माण में यशोवर्धन, धंग, चंद्रवर्मन, कृति बर्मन, मदन वर्मन, विधाधर आदि राजाओं का नाम प्रमुख है।

जैसा की हम जानते हैं की खजुराहो का मंदिर (Khajuraho Mandir ) अपनी आकर्षण के कारण पूरे दुनियाँ में प्रसिद्ध है। खुजराहो के ज्यादातर मंदिर को राजा यशोवर्मन और धंग के शासन काल में बनाए गए थे।

इनके द्वारा निर्मित मंदिर में भगवान शिव जी को समर्पित विश्वनाथ मंदिर अत्यंत ही प्रसिद्ध है। वहीं राजा धंग के शासनकाल में बना कंदरिया महादेव मंदिर की गिनती खजुराहों के प्रसिद्ध मंदिरों में की जाती है।

इस मंदिर परिसर में ब्राह्मण, शैव, शाक्त, वैष्णव और जैन समुदाय और मतों के मंदिर उपलबद्ध है। जैन समुदाय के मंदिर में पार्श्वनाथ और आदिनाथ के मंदिर मुख्य हैं।

इसके अलावा इस मंदिर परिसर में चौसठ योगिनी का मंदिर, चित्रगुप्त, ब्रह्मा, वराह, लक्ष्मण, माता जगत जननी जगदंबा, पार्वती और देवों के देव महादेव के मंदिर प्रमुख है।

हालांकि, इस मंदिर परिसर में निर्मित कामुक कलाकृतियां के सबंध में विद्दानों के अपने अलग-अलग राय हैं। कुछ लोगों ने इन मूर्तियों को धर्म के विरुद्ध मानते हुए इस क्षति पहुचाने की भी कोशिस की गयी।

कुछ मूर्ति नष्ट हो गयी और कुछ चोरी भी हो गयी। लेकिन अभी भी जो भी मूर्तियाँ हैं। उनमें से कुछ मूर्तियाँ इतनी सजीव सी लगती है की मानो वो अभी बोल पड़ेगी। इन मूर्तियों पर बने स्त्री और पुरुष के चेहरे पर आनंदमयी भाव देखते ही बनता है।

खजुराहो मंदिर बनावट और संरचना – Architecture Of Khajuraho mandir

Khajuraho Mandir India - खजुराहो का इतिहास
Khajuraho Mandir India – खजुराहो का इतिहास
Image by Javier Iborra from Pixabay

खजुराहों के बेहद आकर्षक मंदिर भारतीय स्थापत्य और वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है। खजुराहो के मंदिरों की अपनी-अपनी कला और नक्काशी है। मूर्तिकला की अलंकरण की प्रचुरता के दृष्टिकोण से यह मंदिर अद्वितीय है।

भारत के छतरपुर में स्थित प्रसिद्ध खजुराहो मंदिर (Khajuraho Mandir ) अपनी अतुलनीय कलाकृतियों के कारण विश्व भर में प्रसिद्ध है। इस मंदिर की दीवार पर बनी आकर्षक मूर्ति बरबस ही पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करती है।

खजुराहो मंदिर (Khajuraho Mandir ) के गर्भगृह, मंडप, अर्धमंडप, महामंडप सभी एक दूसरे से संगठित हैं और उन सभी के ऊपर शिखर है। इस मंदिर की बाहरी और भीतरी दीवारों पर नाना प्रकार के मूर्तियों से सुशोभित है।

ये मूर्तियाँ अपनी अलग-अलग मुद्राओं में सजीवता, कमनीयता और अद्भुत रचना के लिए प्रसिद्ध है। इन मूर्तियों में देवताओं, अप्सरा, नाग कन्याओं की मूर्ति की भरमार है।

इनमें से कुछ मूर्तियाँ अपने ब्राह्म स्वरूप में अश्लील दिखाई पड़ती है। जिसके संबंध में कुछ विद्वानों का मानना है की इस मूर्ति का संबंध कौल – कापालिक जैसे संप्रदाय से हो सकता है।

खजुराहों के विश्व प्रसिद्ध मंदिर के कमरें एक दूसरे से संबद्ध हैं। इन कमरों की कलाकृतियों का निर्माण इस प्रकार से किया गया है कि कमरों की खिड़की से  प्रवेश करने वाली सूर्य की किरण प्रत्येक कलाकृति पर पड़ सके।

खजुराहों के ऐतिहासिक मंदिरों में ग्रेनाइट और लाल बलुआ पत्थरों का प्रयोग किया गया है। जिस पर सुंदर और जीवंत नक्काशी की गई है। ग्रेनाइट से बने मंदिरों में महादेव मंदिर, ब्रह्रा मंदिर और चौंसठ योगिनी  प्रमुख हैं।

खजुराहों के इस भव्य मंदिरों का निर्माण ऊंचे और पक्के चबूतरों पर किया गया है। मंदिर की मुख्य प्रतिमा, मंदिर के गर्भ गृह में स्थित है। जिसकी खूबसूरती यहां आने वाले पर्यटक को मंत्रमुग्ध कर देती है।

ऐसा माना जाता है की कुछ मूर्तियाँ गुप्तकाल की हैं। इस मंदिर के दीवारों पर नारी-सौन्दर्य का अनुपम छटा विराजमान है। पर्यटक ऐसी अद्भुत और मंत्रमुग्ध कर देने वाली कलाकृति को अपलक निहारता रह जाता है। 

खजुराहो मंदिर का रहस्य

विश्व धरोहर के सूची में खजुराहो क मंदिर – Khajuraho in world heritage

माना जाता है की इन कलात्मक मूर्तियों के जरिए काम को अध्यात्म से जोड़ने का भी प्रयास किया गया है। यह कलात्मक मूर्तियों इतनी भव्य और आर्कषक है की इसके अद्भुत सौंदर्य को देखने दुनिया भर से पर्यटक यहां आते हैं।

खजुराहो मंदिर अपने अद्भुत वास्तुकला और अनुपम मूर्तिकला मंदिरों के लिए एक विश्व विख्यात है। इसकी भव्यता और विशिष्टता के कारण ही विश्व प्रसिद्ध संस्था यूनेस्को ने सन् 1986 ईस्वी में इसे विश्व धरोहर की सूची में सम्मिलित किया।

खजुराहो के मंदिरों का समूह का इतिहास – history of Khajuraho Mandir in Hindi

प्रत्येक मंदिर के तीन मुख्य भाग हैं जो प्रवेश द्वार (अर्धमंडप), असेंबली हॉल (मंडप) और गर्भगृह के नाम से जाने जाते हैं। भौगोलिक स्थिति के आधार पर खजुराहो के मंदिर को कई समूह में बांटकर देखा जा सकता है।

जिसमें पश्चिम समूह, दक्षिण समूह, दक्षिण पूर्व समूह और पूर्व समूह के मंदिर हैं। आइये जानते हैं अलग-अलग समूह के मंदिर के वारें में विस्तारपूर्वक :-

पश्चिम समूह के मंदिर

मंदिरों का पश्चिमी समूह, खजुराहो में मंदिरों का सबसे बड़ा और सुंदर समूह है। इसके पश्चिम समूह में चौंसठ योगिनी मंदिर, कन्दरिया महा देव मंदिर, देवी जगदंबा मंदिर, विश्वनाथ मंदिर, पार्वती मंदिर और चित्रगुप्त मंदिर आदि प्रमुख हैं।

कंदरिया महादेव मंदिर – Kandariya Mahadeva Temple

यह मंदिर पश्चिम समूह के मंदिर में सबसे विशाल मंदिर । यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर में लगभग 850 से ऊपर  मूर्तियां मौजूद हैं। कंदरिया महादेव मंदिर खजुराहों में बने मंदिरों में सबसे प्रसिद्ध माना जाता है।

लगभग 31 मीटर ऊंची यह मंदिर अपनी भव्यता और आकर्षण के कारण पर्यटक का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है। आज भी यहाँ के कई मंदिर में पूजा होती है।

देवी जगदंबा मंदिर – Devi Jagadambi Temple

कंदरिया महादेव से उत्तर की ओर स्थित यह मंदिर आकर्षक मूर्तियों के लिए प्रसिद्द है। जैसा नाम से ही प्रतीति होता है यह मंदिर जगत-जननी माँ जगदंबा का समर्पित है।

चौंसठ योगिनी मंदिर – Chausath Yogini Temple Khajuraho

ग्रेनाइट  के सुंदर पत्थरों से निर्मित खजुराहों यह 64 योगिनि मंदिर काली माता को समर्पित मंदिर है। इसकी गिनती भी सबसे प्राचीन मंदिर में की जाती है। कुछ विद्वानों के अनुसार इस मंदिर की मूर्ति तंत्र और मंत्र की छाया से प्रेरित लगती है।

कहते हैं की 10-12 वीं शताब्दी में भारत में तंत्र और मंत्र के नाम पर बहुत ज्यादा ही भ्रांति फैली हुई थी। इस दौरान अनेक पाखंडी तांत्रिक धर्म के नाम पर औरतों के साथ खिलबाड़ करते थे।

विश्वनाथ मंदिर – Vishwanath Temple Khajuraho

छतरपुर के खजुराहो में स्थित इस प्रसिद्ध मंदिर के गर्भ गृह में भगवान शंकर की आराधना के लिए शिवलिंग बना हुआ है। यह खजुराहो में स्थित मंदिरों में सर्वश्रेष्ठ हैं।

पार्वती मंदिर – Parvati Temple Khajuraho

खजुराहो मंदिर परिसर में माता पार्वती को समर्पित खूबसूरत मंदिर निर्मित है। इस मंदिर में पतित पावनी माँ गंगा की प्रतिमा उपलब्ध है।

चित्रगुप्त मंदिर – Chitra gupta temple

चित्रगुप्त मंदिर सूर्य भगवान को समर्पित मंदिर है। is मंदिर के गर्भगृह में, रथ पर सवार भगवान सूर्य की पाँच फीट ऊंची प्रतिमा लगी हुई है। जो हमेशा से सैलानियों का ध्यान आकर्षित करता है।

दक्षिण समूह के मंदिर

खजुराहो मंदिर के दक्षिण समूह के मंदिरों में चतुर्भुज, दूल्हादेव और जतकारी मंदिर आदि प्रसिद्ध हैं।  

दक्षिण पूर्व समूह

दक्षिण पूर्व समूह के मंदिरों में मुख्य रूप से जैन मंदिर आते हैं। कहते हैं की इनका निर्माण चंदेल राजाओं के मंत्रियों ने कराया था। पार्श्वनाथ मंदिर, आदिनाथ मंदिर, शांतिनाथ मंदिर, घंटाई मंदिर अति प्राचीन और श्रेष्ट हैं। इसके अलावा इस समूह के मंदिरों में वराह मंदिर, हनुमान, मंदिर, ब्रह्मा मंदिर, और वामन मंदिर प्रसिद्ध हैं।

पूर्वी समूह के मंदिर

खजुराहो के विष्णु मंदिर काफी प्रसिद्ध है। पूर्वी समूह के मंदिरों में से एक वामन मंदिर, भगवान विष्णु के दशावतार में से एक वामन अवतार को समर्पित है। इसके अलावा इस समूह में कुछ जैन मंदिर भी बने हैं।

खजुराहों के मंदिर कैसे पहुंचे – How to reach Khajuraho mandir in Hindi

भारत के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो मंदिर ऐतिहासिक स्थल होने के कारण काफी लोकप्रिय है। खजुराहो के सबसे नजदीक का रेलवे स्टेशन हरपालपुर करीव 100 किमी की दूरी पर है। इसके अलावा दूसरा रेलवे स्टेशन महोबा है।

महोबा की दूरी खजुराहो से करीब 60 किमी पड़ती है। महोबा, हरपालपुर और झांसी से खजुराहो जाने के लिए सीधी बस सेवा उपलब्ध है। इस प्रकार छतरपुर का यह मंदिर भारत के कोने-कोने से रेल, सड़क और हबाई मार्ग से जुड़ा हुआ है।

खजुराहो जाने का उपयुक्त समय – Khajuraho mandir Timings

खजुराहो (Khajuraho Mandir ) जाने के लिए मई जून के महीने को छोड़कर पूरे सालभर जाया जा सकता है। लेकिन सबसे उपयुक्त मौसम मार्च अप्रैल है।

यहाँ एक संग्राहलय भी मौजूद है जहॉं लाइट और साउंड शो के द्वारा इसके इतिहास और स्टोरी के वारें में बताया जाता है।

यहाँ मंदिर के प्रांगण में वसंत ऋतु के अवसर पर नृत्य और संगीत का रंगारंग कार्यक्रम भी अत्यंत आकर्षक होता है। इस दौरान इस अद्भुत और रंगारंग कार्यक्रम को देखने देश-विदेश से लोग यहाँ पहुचते हैं।

पर्यटक के ठहरने के लिए खजुराहो में आवासीय व्यवस्था उपलबद्ध है।

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खजुराहो मंदिर कितने वर्ष पुराना है?

खजुराहो मंदिर करीब 1000 वर्ष पुराना है। इस मंदिर का निर्माण चंदेल वंश के शासक द्वारा 950 से लिकर 1050 ईस्वी के बीच हुआ था।

Khajuraho temple wikipedia

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