भारत का आइंस्टीन – वैज्ञानिक नागार्जुन का जीवन परिचय
बच्चों, भारत का आइंस्टीन किसे कहा जाता है? उनका जन्म कहाँ और कब हुआ था। इस लेख में उनके जीवनी के बारे में विस्तार से जानेंगे। तो चलिये शुरू करते हैं।
भारत का आइंस्टीन ‘नागार्जुन’ को कहा जाता है। नागार्जुन महान रसायनशास्त्री, धातु विज्ञानी और औषधि निर्माण के प्रकांड विद्वान थे। कहते हैं की प्राचीन काल में जब आधुनिक विज्ञान के तरह यंत्र उपलब्ध नहीं थे।
उस दौर में भी नागार्जुन ने सीमित संसाधन के द्वारा अनेक प्रयोग किये। उन्हें पारे के यौगिक बनाने के क्षेत्र में निपुणता हासिल थी।
रसायनशास्त्र के क्षेत्र में अति विशेष ज्ञान होने के कारण नागार्जुन को भारत का आइंस्टीन कहा जाता है। उन्होंने रसायन, धातु विज्ञान और औषधि निर्माण के क्षेत्र में अनेकों प्रयोग कर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कि।
हमेशा कुछ नया करने की चाहत में नये-नये अनुसंधान में लगे रहते। उन्होंने अमृत और कृतिम सोना बनाने के लिए भी अनेकों अनुसंधान किये। ऐसी कविदंती प्रचलित है की नागार्जुन को दैवीय शक्ति प्राप्त थी।
उन्होंने मनुष्य के अमरत्व के लिए अमृत निर्माण हेतु भी लगातार अनुसंधान किए। इस कारण उन्हें धातु से सोना बनाने का ज्ञान प्राप्त था। रसायन विज्ञान से संबंधित उन्होंने एक पुस्तक ‘रसरत्नाकर’ की भी रचना की।
उनके अनुसार नहीं तो सोना के समान ही चमक और गुण-धर्म वाली दूसरी धातु विकसित की जा सकती है।
नागार्जुन का जन्म (birth of great scientist Nagarjuna)
प्राचीन भारतीय वैज्ञानिक, नागार्जुन का जन्म सन 931 ईस्वी में भारत के गुजरात राज्य के सोमनाथ के पास देहक नामक किले में में हुआ था। हालांकि विद्वानों के बीच उनके जन्म स्थान और जन्म वर्ष को लेकर मतांतर है।
कुछ विद्वानों के अनुसार उनका जन्म दूसरी शतावदी के आसपास माना जाता है।
महान वैज्ञानिक नागार्जुन का योगदान
नागार्जुन नित्य नए नए प्रयोग में लगे रहते। उन्होंने अपने खोज और ज्ञान को लिपि बद्ध किया। आज भी उनके द्वारा लिखित पुस्तक उतना ही प्रासंगिक माना जाता है जितना की उस जमाने में था। उनके द्वारा लिखित पुस्तक निम्नलिखित हैं।
रसरत्नाकर – रसायन में ‘रस’ का आशय ‘पारा’ से है। इस पुस्तक में पारे के यौगिक बनाने बारे में विसद वर्णन किया गया है। नागार्जुन की पुस्तक ‘रसरत्नाकर’ में सोना और चाँदी जैसी धातु को शुद्ध करने के तरीकों का भी वर्णन मिलता है।
साथ ही इस पुस्तक में वनस्पति से निर्मित एसिड में हीरा और मोती को गलाने की विधि दिया गया है। उन्होंने अपने अनुसंधान के द्वारा कई नए यंत्रों का भी विकास किया। उनके द्वारा द्रवण और उर्ध्वपातन के लिए विकसित उपकरण का वर्णन भी उनके किताब में मिलता है।
उत्तरतंत्र – नागार्जुन के पास औषधियाँ वनाने का भी दिव्य ज्ञान प्राप्त था। अपनी पुस्तक ‘उत्तरतंत्र’ में उन्होंने औषधियाँ के वारे में विस्तार से वर्णन किया है। उनकी किताबों में अनेकों औषधियाँ के निर्माण के तरीके दिये गए हैं।
आरोग्य मंजरी – उन्होंने इस पुस्तक में शरीर को निरोग रखने के तरीकों के वारे सविस्तर बताया है। उनकी पुस्तक ‘आरोग्य मंजरी’ शरीर विज्ञान के ऊपर लिखा गया है।
इस पुस्तक में ऐसे अनेकों तरीके का वर्णन है जो शरीर को आरोग्य रखने में मदद कर सकता है। इसके अलाबा इन्होंने ‘योगाष्टक’ और ‘योगस’र नामक पुस्तकों की भी रचना की। रसायन विज्ञान के क्षेत्र में नागार्जुन के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।
बच्चों भारत का आइंस्टीन किसे कहा जाता है/ भारत का आइंस्टीन कौन है/Bharat ka Einstein Kise Kahate Hain इन सारे सवालों का जवाव आपको मिल गया होगा।
हमें आशा है की आपको भारत का आइंस्टीन वैज्ञानिक नागार्जुन का जीवन परिचय शीर्षक वाला यह लेख पसंद आया होगा।
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