भारत का आइंस्टीन वैज्ञानिक नागार्जुन का जीवन परिचय

भारत का आइंस्टीन वैज्ञानिक नागार्जुन का जीवन परिचय

Facebook
WhatsApp
Telegram

इस लेख में भारत का आइंस्टीन किसे कहा जाता है? उनका जन्म कहाँ और कब हुआ, विस्तार से जानेंगे। भारत का आइंस्टीन ‘नागार्जुन’ को कहा जाता है। नागार्जुन महान रसायनशास्त्री, धातु विज्ञानी और औषधि निर्माण के प्रकांड विद्वान थे।

यहाँ एक बात बताना जरूरी है की नागार्जुन एक प्रसिद्ध साहित्यकार भी हैं। एक दूसरे नागार्जुन बौद्ध रसायनज्ञ और दर्शनशास्त्री थे जिनका जन्म आनद्रप्रदेश के नागार्जुनकोंडा में हुआ था। जिनके नाम पर नागार्जुन बांध बना हुआ है।

लेकिन इस लेख में भारत के प्रचीन रसायनशास्त्री, धातु विज्ञानी के चर्चा करेंगे। कहते हैं की प्राचीन काल में जब आधुनिक विज्ञान के तरह यंत्र उपलब्ध नहीं थे। उस दौर में भी नागार्जुन ने सीमित संसाधन के द्वारा अनेक  प्रयोग किये। उन्हें पारे के यौगिक बनाने के क्षेत्र में निपुणता हासिल थी।

भारत का आइंस्टीन वैज्ञानिक नागार्जुन का जीवन परिचय
भारत का आइंस्टीन वैज्ञानिक नागार्जुन का जीवन परिचय

कहते हैं की निरंतर वे नये-नये अनुसंधान में लगे रहते। उन्होंने अमृत और कृतिम सोना बनाने के लिए भी अनेकों अनुसंधान किये। उनका मानना था की सोना के समान चमक और गुण-धर्म वाली दूसरी धातु आसानी से विकसित की जा सकती है।

कविदंती यह भी है की उन्हें धातु से सोना बनाने का ज्ञान प्राप्त था। कहा जाता है की प्राचीन ऋषि नागार्जुन को दैवीय शक्ति प्राप्त थी। उन्होंने मनुष्य को अमर करने के लिए अमृत निर्माण हेतु भी लगातार अनुसंधान किए।

उन्होंने रसायन विज्ञान से संबंधित प्रसिद्ध पुस्तक ‘रसरत्नाकर‘ की रचना की। इस पुस्तक में सोना, चांदी और ताम्बे की कच्ची धातु निकालने तथा उसे शुद्ध करने की क्रिया का विसद वर्णन है।

साथ ही इसमें हीरे और मोती को गलाने के लिए वनस्पति तेजाबों का भी वर्णन है। कहा जाता है की वे अपने कार्य पूर्ण नहीं कर सके और अपने राज्य ढाँक का मात्र 10 साल तक अधिपति रहते हुए उनका अंत हो गया।

लेकिन इतने कम समय में भी उन्होंने दुनियाँ को जो कुछ दे गये वह अमूल्य है।  आईये महान वैज्ञानिक नागार्जुन का जीवन परिचय को थोड़ा और विस्तारपूर्वक जानते हैं।

READ  वैज्ञानिक अरविंद कृष्ण जोशी की जीवनी | Biography of Aravind Krishna Joshi in Hindi

वैज्ञानिक नागार्जुन का जीवन परिचय – Biography of scientist Nagarjuna in Hindi

नागार्जुन का जन्म

प्राचीन भारतीय वैज्ञानिक, नागार्जुन का जन्म सन 931 ईस्वी में भारत के गुजरात राज्य के सोमनाथ के पास देहक नामक किले में में हुआ था। हालांकि विद्वानों के बीच उनके जन्म स्थान और जन्म वर्ष को लेकर मतांतर है। कुछ विद्वानों के अनुसार उनका जन्म दूसरी शतावदी के आसपास माना जाता है।

कहा जाता है की वे 1055 के आसपास गुजरात सौराष्ट्र के पास ढाँक नामक राज्य के राजा थे। उन्हें अपने राजकाज से अधिक विज्ञान खासकर रसायन विज्ञान के प्रति गहरी रुचि थी।

इसके लिए उन्होंने प्रयोगशाला की स्थापना कर अनेकों रस वैज्ञानिक को आमंत्रित कर उनका सहयोग लिया। वे जंगलों और पहाड़ों पर जाकर अनेकों जड़ी बूटी लाकर अपने प्रयोगशाला में अनुसंधान करते रहते।

उन्हें पारा तथा लोहा के निष्कर्षण में महारत हासिल था। फलतः उनके पास लोहे को रासायनिक विधियों द्वारा सोने में बदलने का ज्ञान था।

परास और अमृत की खोज

नागार्जुन मनुष्य का कायाकल्प करने के लिए अमृत और परास का खोज करने के लिए जाना जाता है। उन्होंने लोगों को अमर करने के लिए अमृत पर भी घोर अनुसंधान किया। इस बात का जिक्र उनके प्रसिद्ध पुस्तक रसोद्वार तंत्र नामक ग्रंथ में मिलती है।

आज भी उनका ग्रंथ आयुर्वेद जगत में एक अद्वितीय ग्रंथ के रूप में माना जाता है। नागार्जुन मनुष्य को अमर बनाने वाले विभिन्न जड़ी बूटी पर अनुसंधान करने लगे। लेकिन इसके लिए किसी व्यक्ति पर इसका प्रयोग कर देखना खतरे से खाली नहीं था।

फलतः उन्होंने अपने शरीर पर ही इन जड़ी बूटियों का प्रयोग करना शुरू कर दिया। उन्होंने अपने शरीर का मोह किये बिना एक साधक की भांति भूख प्यास का चिंता किये बिना अपने प्रयोग में लगे रहते। उन्होंने अपने प्रयोग में सफलता मिलने लगी।

READ  भास्कराचार्य की जीवनी - Bhaskaracharya Biography in Hindi

उन्होंने जड़ी-बूटी और रस-रसायन का प्रयोग कर अपने शरीर को इस कदर बना लिया उनका शरीर हर तरह के परीक्षणों को झेलने में सक्षम हो गया।

कहा जाता है की उन्होंने अपने अंदर इतनी असीम सहन सकती मजबूत कर ली थी की किसी भी प्रकार के विष का उनपर प्रभाव नहीं पड़ता था। दिन प्रतिदिन अमृत प्राप्ति की अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते जा रहे थे।  

वैज्ञानिक नागार्जुन का जीवन परिचय और मृत्यु

धीरे-धीरे इस बात का पता उनके कुछ निकटतम लोगों को चला की नागार्जुन अपने लक्ष्य के करीब पहुचते जा रहे हैं। अगर उनका प्रयोग पूरा हो गया तो वे अमर हो जाएंगे। फिर राज्य की सिंहासन वे कभी खाली नहीं करेंगे।

फलतः उनके विरोधिओं द्वारा इस प्रकार का षडयंत्र कीया गया की उनका विनिष्ठ हो गया। हालांकि उनका अमृत बनाने का उनका स्वप्न अधूरा रह गया। लेकिन पारद विज्ञान और रस शास्त्र में उनके उत्कृष्ट योगदान ने चिकित्सा जगत में प्रगति का द्वार खोल दिया।

उनके प्रयास स्वरूप ही पारद जैसी धातु से भस्म बनाना सरल हुआ। जिसका प्रयोग आयुर्वेद चिकित्सा जगत में भी किया जाता है। उन्होंने रस रसायन और जड़ी बूटियों पर इतना काम कर दिया जिससे लोग अमर नहीं तो दिरधायु जरूर हो गए।  

वैज्ञानिक नागार्जुन का योगदान

नागार्जुन नित्य नए नए प्रयोग में लगे रहते। उन्होंने अपने खोज और ज्ञान को लिपि बद्ध किया। आज भी उनके द्वारा लिखित पुस्तक उतना ही प्रासंगिक माना जाता है जितना की उस जमाने में था। उनके द्वारा लिखित पुस्तक निम्नलिखित हैं।

रसरत्नाकर – रसायन में ‘रस’ का आशय ‘पारा’ से है। इस पुस्तक में पारे के यौगिक बनाने बारे में विसद वर्णन किया गया है। नागार्जुन की पुस्तक ‘रसरत्नाकर’ में सोना और चाँदी जैसी धातु को शुद्ध करने के तरीकों का भी वर्णन मिलता है।

READ  Narendra Karmakar in Hindi - नरेंद्र कृष्ण कर्मकार की जीवनी

साथ ही इस पुस्तक में वनस्पति से निर्मित एसिड में हीरा और मोती को गलाने की विधि दिया गया है। उन्होंने अपने अनुसंधान के द्वारा कई नए यंत्रों का भी विकास किया। उनके द्वारा द्रवण और उर्ध्वपातन के लिए विकसित उपकरण का वर्णन भी उनके किताब में मिलता है।

उत्तरतंत्र  – नागार्जुन के पास औषधियाँ वनाने का भी दिव्य ज्ञान प्राप्त था। अपनी पुस्तक ‘उत्तरतंत्र’ में उन्होंने औषधियाँ के वारे में विस्तार से वर्णन किया है। उनकी किताबों में अनेकों औषधियाँ के निर्माण के तरीके दिये गए हैं।

आरोग्य मंजरी – उन्होंने इस पुस्तक में शरीर को निरोग रखने के तरीकों के वारे सविस्तर बताया है। उनकी पुस्तक ‘आरोग्य मंजरी’ शरीर विज्ञान के ऊपर लिखा गया है।

इस पुस्तक में ऐसे अनेकों तरीके का वर्णन है जो शरीर को आरोग्य रखने में मदद कर सकता है। इसके अलाबा इन्होंने ‘योगाष्टक’ और ‘योगसर’ नामक पुस्तकों की भी रचना की।

F.A.Q

Q. भारत का आइंस्टीन किसे कहा जाता है?

Ans. महान वैज्ञानिक नागार्जुन को भारत का आइंस्टीन कहते हैं। वे एक महान प्राचीन रसायन शास्त्री और धातु वैज्ञानिक थे।

Q. नागार्जुन को भारत का आइंस्टीन क्यों कहा जाता है?

Ans. उन्होंने रसायन, धातु विज्ञान और औषधि निर्माण के क्षेत्र में अनेकों प्रयोग कर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की। रसायनशास्त्र के क्षेत्र में अति विशेष ज्ञान होने के कारण नागार्जुन को भारत काआइंस्टीन कहा जाता है।

नागार्जुन को भारत का क्या कहा जाता है?

नागार्जुन को भारत का आइंस्टीन कहा जाता है?

नागार्जुन ने क्या आविष्कार किया था?

नागार्जुन एक महान रसायनविद थे। कहा जाता है की उन्हें लोहे से सोना बनाने का ज्ञान प्राप्त था।

इन्हें भी पढ़ें –

गणित के जादूगर रामानुजन का जीवन परिचय

महान वैज्ञानिक सी वी रमन का जीवन परिचय

भारत का मिसाइल मेन अब्दुल कलाम के बारे में

महान खगोलशास्त्री मेधनाद साहा की जीवनी

Amit

Amit

मैं अमित कुमार, “Hindi info world” वेबसाइट के सह-संस्थापक और लेखक हूँ। मैं एक स्नातकोत्तर हूँ. मुझे बहुमूल्य जानकारी लिखना और साझा करना पसंद है। आपका हमारी वेबसाइट https://nikhilbharat.com पर स्वागत है।

Leave a Comment

Trending Posts