अवतार सिंह पेंटल (Autar Singh Paintal in Hindi ) का नाम महान भारतीय मानव शरीर वैज्ञानिक के रूप में प्रसिद्ध है। मानव शरीर विज्ञानी मानव शरीर के अंगों और उनके कामकाज का अध्ययन करते हैं।
अवतार सिंह पेंटल का तंत्रिका विज्ञान और श्वसन विज्ञान के क्षेत्र में इनका खोज अहम माना जाता है। उनके खोज का परिणामस्वरूप हृदय और फेफड़ों के रोगियों के रोग की पहचान और उसकी चिकित्सा में मदद मिली।
विज्ञान की दुनिया में उनका प्रमुख योगदान व्यक्तिगत संवेदी रिसेप्टर्स (individual sensory receptors) से अभिवाही आवेगों(afferent impulses) को रिकॉर्ड करने के लिए एकल-फाइबर तकनीक का विकास है।
अवतार सिंह पेंटाल ने शारीरिक विज्ञान से जुड़ी कई संवेदी रिसेप्टर्स की खोज की। चिकित्सा वैज्ञानिक के क्षेत्र में आज पूरे विश्व में इस भारतीय वैज्ञानिक की अलग पहचान है।
अवतार सिंह पेंटल की जीवनी (Biography of avatar Singh Pantal in Hindi)
प्रारम्भिक जीवन
भारत के इस महान चिकित्सा वैज्ञानिक अवतार सिंह पेंटाल का जन्म 24 सितंबर 1925 ईस्वी में मोगोक, म्यांमार (बर्मा) में हुआ था। अवतार सिंह पेंटाल के पिता एक प्रसिद्ध डॉक्टर थे। इस कारण शुरू से ही इन्हें अपने पिता को चिकित्सा करते हुए देखने का मौका मिला।
बचपन से ही वे एक मेधावी छात्र थे तथा शुरूआत से ही उनके अंदर चिकित्सा विज्ञान के प्रति गहरी रुचि पैदा हो गई। विज्ञान की पत्र-पत्रिकाओं और विज्ञान से जुड़ी लोकप्रिय पुस्तकों को पढ़ना उनका शौक था।
शिक्षा दीक्षा
अवतार सिंह पेंटाल साहब अपने प्रारम्भिक शिक्षा पूरा करने के बाद लखनऊ चले गये। लखनऊ के जॉर्ज मेडिकल कॉलेज से उन्होंने शरीर विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की।
उसके बाद वे उच्च शिक्षा के लिए सन 1950 में लंदन चले गये। लंदन में उन्होंने David Whitteridge के supervision मे एडिनबर्ग विश्वविद्यालय से PhD की डिग्री प्राप्त की।
परिवरिक जीवन
उनकी शादी आशिमा आनंद के साथ हुई। आशिमा आनंद-पेंटल भी एक वैज्ञानिक थी। बाद में उनकी दूसरी शादी आइरिस पेंटाल से हुई जिनसे उन्हें 3 बच्चे थे। उनकी एक बेटी प्रीति पेंटाल संगीत संगीतकार बनी।
कैरियर
लंदन से वापस भारत आने के बाद वे नई दिल्ली में स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) से जुड़ गये। तत्पश्चात सन 1964 में वे वल्लभाई पटेल छाती संस्थान (Vallabhai Patel Chest Institute) के निदेशक के पद पर आसीन हुए।
अवतार सिंह पेंटाल दिल्ली के यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज के पहले प्राचार्य भी बने। उन्होंने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के महानिदेशक के पद को भी सुशोभित किया।
सम्मान व पुरस्कार
अवतार सिंह पेंटाल पहले भारतीय फिजियोलॉजिस्ट हुए जिन्हें विश्व प्रसिद्ध लंदन के रॉयल सोसाइटी द्वारा अपना फेलो बनाया गया।
भारत सरकार ने अवतार सिंह पेंटाल को उनके अहम योगदान के लिए सन 1986 में भारत के दूसरे सबसे बड़े सिविल्यन अवॉर्ड पद्म विभूषण (Padma Vibhushan ) से सम्मानित किया।
अवतार सिंह पेंटाल की खोज व योगदान
जैसा की आप जानते हैं की व्यक्तिगत संवेदी रिसेप्टर्स से अभिवाही आवेगों को रिकॉर्ड करने के लिए एकल-फाइबर तकनीक का विकास अवतार सिंह पेंटाल ने किया था।
विज्ञान की दुनियां में उनका यह अहम योगदान माना जाता है। उन्होंने कई संवेदी रिसेप्टर्स जैसे एट्रियल बी रिसेप्टर्स, फुफ्फुसीय जे-रिसेप्टर्स, वेंट्रिकुलर दबाव रिसेप्टर्स, पेट खिंचाव रिसेप्टर्स और मांसपेशियों में दर्द रिसेप्टर्स की खोज की।
अवतार सिंह पेंटाल का योगदान
पीएचडी के दौरान उन्होंने त्वचा के विद्युत प्रतिरोध का अध्ययन करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का निर्माण किया। इस प्रकार अपनी तकनीकों का उपयोग कर उन्होंने साइकोटिक रोगियों की पहचान हेतु एक स्कोरिंग प्रणाली विकसित की।
उनकी यह प्रणाली आगे चलकर पेंटाल-इंडेक्स के रूप में प्रसिद्ध हुआ। उन्हें नई-नई चीजें पर खोज और अनुसंधान में बहुत मजा आता था। उन्होंने सन 1955 वे जे. रिसेप्ट्स का पता लगया और उसके कार्यप्रणाली के बारे में गहन अध्ययन किया।
उन्होंने जे. रिसेप्ट्स के अनुसंधान में पाया की साँस लेने की तकलीफ इन्हीं रिसेप्ट्स की वजह से होती है। तेज दौरने, पहाड़ों और सीढ़ी पर चढ़ते समय साँस का फूलना इसी रिसेप्ट्स के कारण होता है। इस बात का पता लगाने वाले वे दुनियाँ के पहले वैज्ञानिक थे।
मृत्यु
अवतार सिंह पेंटाल (Autar Singh Paintal ) ने 79 वर्षों तक विज्ञान की सेवा की। जीवन के अंतिम क्षण तक वे विज्ञान के सेवा और अनुसंधान में लगे रहे। अ
अवतार सिंह पेंटाल का निधन 21 दिसंबर 2004 ईस्वी में नई दिल्ली में हुआ। चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में पेंटाल साहब के योगदान को कभी भुलया नहीं जा सकता।
अवतार सिंह पेंटल कौन थे ?
अवतार सिंह पेंटल भारत के महान शरीर वैज्ञानिक थे।
पहला भारतीय चिकित्सा वैज्ञानिक जिन्हें लंदन के रॉयल सोसाइटी द्वारा फेलो चुना गया?
महान चिकित्सा वैज्ञानिक अवतार सिंह पेंटल
अवतार सिंह पेंटाल की देन
जे. रिसेप्ट्स का पता लगाने वाले वे दुनियाँ के पहले वैज्ञानिक थे। उन्होंने बताया की तेज दौरने, पहाड़ों और सीढ़ी पर चढ़ते समय साँस का फूलना इसी रिसेप्ट्स के कारण होता है।
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