Raksha Bandhan history In Hindi
भारत विश्व स्तर पर अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ भाई और बहन का रिश्ता मानवता का सबसे पवित्र रिश्ता माना जाता है।
रक्षा बंधन भाइयों और बहनों के बीच अत्यंत गहरी भावनाओं को दर्शाता है। रक्षा बंधन का त्योहार विशुद्ध रूप से एक hindu festival है जो भाइयों और बहनों के पवित्र रिश्ते के मजबूती को दर्शाता है।
समस्त भारत में भाई और बहनों के द्वारा रक्षा बंधन का त्योहार पूरे हर्ष और उत्साह के साथ मनाया जाता है। बहन-भाई को समर्पित यह त्योहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
इस दिन बहन अपने भाई के कलाई पर Rakhi बांधती है और बदले में भाई, बहनों को हर कठिनाइयों में साथ देने का प्रण लेता है। साथ ही बहनें भी भाइयों कि लंबी उम्र के लिए भगवान से दुआ करती हैं।
आईये हम Raksha Bandhan history In Hindi essay के द्वारा इसके बारें में विस्तार से जानते हैं
Table of Contents
राखी का इतिहास – Raksha Bandhan history In Hindi
इसके अंतर्गत आप जानेंगे रक्षा बंधन का मतलव क्या होता है। रक्षा बंधन क्यों मनाई जाती है, रक्षा बंधन का इतिहास और रक्षा बंधन से जुड़ी हुई कहानी के वारें में विस्तार से जान सकेंगे। तो चलिये सबसे पहले जानते हैं
रक्षा बंधन का मतलव क्या होता है – about Raksha bandhan in hindi
रक्षा बंधन शब्द का अर्थ है ‘सुरक्षा का बंधन’ अर्थात एक ऐसा बंधन जिसके द्वारा भाई अपनी बहन कि रक्षा का भार लेता है। Raksha bandhan भाइयों और बहनों के बीच प्यार और स्नेह के बंधन को मजबूत करने का उत्सव है।
इस् अवसर पर भाई पूरी ज़िंदगी अपनी बहन की रक्षा की ज़िम्मेदारी का प्रण लेता है। Rakhi के कच्चे धागे में इतना बल है की राखी की लाज रखने के लिए कई भाइयों ने अपनी जान की बाजी तक लगाने में देर नहीं की।
रक्षा बंधन क्यों मनाई जाती है।
एक सूत्र में बंधा हुआ है भाई-बहन का प्यार – रक्षा बंधन का त्योहार। भारत देश जहॉं रिश्ते भी उत्सव का शक्ल ले लेते हैं। रक्षा बंधन का त्योहार केवल रस्म और रिवाज का त्योहार नहीं है।
राखी एक ऐसा पवित्र धागा है जिस धागे के बंधन में भाई बहन का प्यार हमेशा-हमेशा के लिए एक सूत्र में बंधा रहता है। रक्षा बंधन का त्योहार भाई बहन के अटूट बंधन तथा एकजुटता का प्रतीक है।
इस् अवसर पर बहनें अपनी भाई के कलाई पर ‘राखी’ नामक प्यार के प्रतीक सुंदर धागे को बांधती है। इस् प्रकार हम कह सकते हैं की रक्षा बंधन, भाई बहन के बीच पवित्र प्यार और लगाव त्योहार है
पौराणिक समय में भी रक्षा बंधन के अवसर पर शिष्य अपने गुरु को राखी बांधते थे। इस अवसर पर पुरोहित द्वारा अपने यजमनों को भी राखी बांधने की पौराणिक प्रथा प्रचलित है।
प्राचीन समय में रक्षा बंधन के द्वारा ऋषि-मुनि संबद्ध देश के राजा को धार्मिक अनुष्ठान के लिए वचनबद्ध कराते थे। इस दौरान राजा, उन्हें रक्षा का वचन देकर बदले में आशीर्वाद प्राप्त करते थे।
रक्षा बंधन कैसे मनाते हैं – how to celebrate Raksha Bandhan In Hindi
आमतौर पर बहने इस् दिन तव तक उपवास रखती हैं जव तक वे अपनी भाई के कलाई पर राखी नहीं बांध देती। बहन इस दिन सवसे पहले नहा धोकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर तैयार हो जाती हैं।
उसके बाद पूजा कि थाली को तिलक, चावल के दाने, दीपक और मिठाई से सजाया जाता है। राखी बांधने से पहले बहन, भाई की आरती उतारती है। तत्पश्चात वह अपने भाई के माथे पर तिलक और रोली लगाती है।
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अंत में बहन, भाई के दायें हाथ के कलाई पर राखी बाँधती कर उन्हें मिठाई से मुह मीठा करती है। तत्पश्चात वह अपनी भाई के लंबी आयु और उनकी समृद्धि के लिए प्रार्थना करती है।
बदले में भाई भी, अपनी बहन के लिए ढेर सारी दुआएं माँगता है। वह अपनी बहन को हर मुश्किल कि घड़ी में रक्षा का वचन देता है। इसके साथ भाई अपनी बहन को प्यार और स्नेह के टोकन के रूप में कुछ उपहार भी प्रदान करता है।
रक्षा बंधन के त्योहार के कई नाम Raksha Bandhan history In Hindi
भारतबर्ष के विभिन्न राज्यों में रक्षा बंधन का त्योहार को अलग-अलग नामों से मनाते हैं। भारत के पश्चिमी भाग में, इसे नरील (नारियल) पूर्णिमा पूर्णिमा‘ के रूप में जाना जाता है।
दक्षिणी भारत में, इस त्यौहार को “अवनी अवित्तम या उपकर्मम” के नाम से जाना जाता है। भारत के उतर मध्य क्षेत्र में इस् त्योहार को राखी या ‘कजरी पूर्णिमा‘ के नाम से जाना जाता है।
कुछ स्थानों पर इसे श्रावणी उत्सव के नाम से भी जाना जाता है।
रक्षा बंधन से जुड़ी कुछ रोचक कहानी raksha bandhan story in hindi
Raksha bandhan history in hindi में हम आगे इससे जुड़ी कुछ एतिहासिक और पौराणिक कहानियाँ जानेंगे। जो धार्मिक और एतिहासिक दोनों दृष्टि से रक्षा बंधन के त्योहार को महत्वपूर्ण बनाता है।
एतिहासिक दृष्टि से रक्षा बंधन का त्योहार – historical importance of Raksha bandhan in hindi
रक्षा बंधन का त्योहार मनाने की परंपरा सदियों पुरानी है। मध्यकालीन भारत में युद्ध में जाते समय रानियों, राजा के माथे पर तिलक लगाकर और हाथ में रेशम कि डोर बाँध कर विदा करती थी।
वे रेशमी डोर इस विश्वास के साथ बांधती थी कि यह रेशमी डोर उन्हे हर संकट से रक्षा करेगा। यह रेशमी धागा उन्हें युद्ध में हौसला बढ़ायेगा और विजयश्री के साथ घर वापसी होगी।
हुमायूँ और कर्णावती की कहानी – Raksha bandhan story in Hindi
इतिहास में वर्णित रक्षा बंधन से जुड़ी हुमायूँ और कर्णावती की कहानी बहुत ही लोकप्रिय है। मुगल काल में राखी के धागे द्वारा भाई, बहन के बीच एक पवित्र रिश्ते का उदाहरण पेश किया गया था।
उस बक्त मेवाड़ के राजा संग्राम सिंह था और उनकी रानी का नाम कर्णावती थी। संग्राम सिंह की आकस्मिक मृत्यु के बाद उनके पुत्र कुमार विक्रमादित्य गद्दी पर बैठे।
उस समय विक्रमादित्य की उम्र बहुत ही कम थी, वहीं दूसरी तरफ मेवाड़ के सरदारों में आपसी कलह चरम पर थी। गुजरात के शासक बहादुरशाह इसी मौके के तलाश में थे।
सही मौका देखकर बहादुरशाह ने मेवाड़ पर चढ़ाई कर दिया। उस समय दिल्ली में मुगल सम्राट हुमायूँ का शासन था। आक्रमण से घबराकर वीरांगना, रानी कर्णावती ने मुग़ल शासक सम्राट हुमायूँ से मदद की गुहार लगाई।
उसने अपने दूत को राखी और पत्र के साथ मुगल म्राट हुमायूँ के पास दिल्ली भेजा। पत्र में उन्होंने मेवाड़ नरेश की मृत्यु और राज्य में आपसी फुट का जिक्र करते हुए सहायता की मांग की।
राजमाता कर्णावती का पत्र पाते ही, मुस्लिम होकर भी सम्राट हुमायूँ , हिन्दू बहन रानी कर्णावती की रक्षा का संकल्प लिया। उसने अपनी विशाल सैन्य वलों के साथ मेवाड़ पहुँच कर बहादुरशाह से युद्ध किया।
फलतः मेवाड़ की ओर से लड़ते हुए मुगल सम्राट हुमायूँ ने उनकी व उनके राज्य की रक्षा की। सम्राट हुमायूँ ने मुँह बोले भाई-बहन के पवित्र भावनात्मक रिश्ते का मिसाल देते हुए राखी की लाज रखा।
इस प्रकार रक्षा बंधन के साथ हमेशा के लिए हुमायूँ और कर्णावती का नाम जुड़ गया। हुमायूँ और कर्णावती कि कहानी इतिहास के पन्नों में सदा के लिए स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हो गई।
सिकंदर की पत्नी द्वारा राजा पोरस को राखी बांधना
about Raksha Bandhan history In Hindi language
प्राचीन भारत के इतिहास में विश्व विजेता सिकंदर और भारतबर्ष के राजा पोरस के मध्य युद्ध प्रसिद्ध है। कहते हैं की सिकंदर की पत्नी ने राजा पोरस को मुह-बोला भाई बनाते हुए उन्हें राखी बांधी थी।
इस प्रकार सिकंदर के पत्नी ने सिकंदर के प्राण की रक्षा के लिए पोरस से वचन लिया था।
रक्षा बंधन से जुड़ी धार्मिक कथा
Raksha bandhan story in hindi में आगे जानेंगे इस त्योहार से जुड़ी कुछ धार्मिक कथाओं के बारें में
रक्षा बंधन का त्योहार कि शुरुआत कब और किसने की इसका कोई लिखित प्रमाण उपलव्ध नहीं है। लेकिन पौराणिक कथाओं के माध्यम से लगता है की Raksha bandhan का त्योहार का प्रचलन अति प्राचीन है।
देवराज इन्द्र और रक्षा बंधन – Raksha Bandhan history In Hindi
भविष्यपुराण के अनुसार सतयुग में वृत्रासुर नामक एक असुर था। वृत्रासुर को यह वर प्राप्त था कि उसे किसी भी अस्त्र-शस्त्र से हराया नहीं जा सकता। एकबार देवताओं और वृत्रासुर के बीच भीषण संग्राम हुआ
जिसमें वृत्रासुर देवताओं पर हावी हो गए और देवगण पराजित होने लगे। तब गुरु वृहस्पति के निर्देशानुसार महर्षि दधीचि के शरीर का परित्याग करने के बाद उनके हड्डियों से इंद्र का अस्त्र वज्र बनाया गया।
साथ ही इन्द्र की पत्नी इंद्राणी ने युद्ध में जाते समय अपने पति के कलाई पर विजय एवं मंगल कामना हेतु तपोबल से अभिमंत्रित रक्षा-सूत्र बांधी। कहा जाता है की इस पवित्र धागे के प्रभाव से इन्द्र विजयी हुए।
उस दिन श्रावण पूर्णिमा का दिन था। तभी से श्रावण पूर्णिमा के दिन इस रक्षा बंधन का त्योहार मनाने की प्रथा चली आ रही है।
रक्षा बंधन से जुड़ी भगवान श्री कृष्ण एवं द्रौपदी की कथा
महाभारत काल में भी रक्षा बंधन के त्योहार की चर्चा मिलती है। कहते हैं की युधिष्ठिर ने एक बार भगवान श्रीकृष्ण से जब बाधाओं और सकंटों से उबड़ने के उपाय पूछा।
तव भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को रक्षा बंधन त्योहार मनाने की बात बताई। महाभारत के दूसरे कथा के अनुसार एक बार युद्ध के दौरान भगवान कृष्ण की उंगली में चोट आ गई थी।
उस समय कृष्ण की घायल उंगली से रक्तस्राव रोकने के लिए द्रौपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर पट्टी बाँध दिया था। उस बक्त भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को संकट की घड़ी में सहायता करने का वचन दिया।
इस वचन को भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी के चीर हरण के दौरान उसकी लाज बचाकर पूरा किया। इस प्रकार रक्षा बंधन का त्योहार इस बात का एहसास दिलाता है कि भावनाओं में असीम शक्ति होती है।
राखी से जुड़ी राजा बलि और भगवान विष्णु की कथा
रक्षा बंधन के उत्पत्ति से जुड़ी पौराणिक कथा में यह कथा सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। पौराणिक कथा के अनुसार राजा बलि बहुत ही दानी थे। वे भगवान विष्णु के परम भक्त थे।
कहते हैं की एक बार दानवों के राजा, बलि ने सौ अश्वमेध यज्ञ संपन कर स्वर्ग पर आधिपत्य करना चाहा। इससे घबराए हुए इन्द्र सहित सभी देवता भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उनसे प्रार्थना की।
तब राजा बलि की परीक्षा लेने के लिए भगवान विष्णु ने वामनावतार लिया। वामन अवतार लेकर उन्होंने राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांग की। जिसे राजा बलि सहर्ष स्वीकार कर लिया।
तब भगवान विष्णु ने अपना विशाल रूप प्रकट किया। उन्होंने एक पग में आकाश और दूसरे में पूरी पृथ्वी नाप लीया। तब तक राजा बलि समझ गये थे की ये वामन कोई साधारण नहीं है।
उन्हें पता चल गया की वामन रूप में और कोई नहीं खुद भगवान विष्णु उनकी परीक्षा ले रहे हैं। कहते हैं की राजा बलि ने भगवान के तीसरे पग को अपने माथे पर रखकर वचन पूरा किया।
इस प्रकार राजा बलि राज्य विहीन होकर पताल लोक चले गये। पाताल में भी बलि ने तपस्या से भगवान विष्णु को अपने सामने हमेशा प्रकट रहने का वचन ले लिया। भगवान विष्णु वैकुंठ घाम छोड़कर पाताल में रहने लगे।
भक्त वात्सल्य भगवान बलि की बात मानकर पाताल में बलि के सामने रहने लगे। इधर लक्ष्मी जी परेशान रहने लगी। उन्होंने इसका उपाय नारद जी से पूछा।
नारद जी के सलाह पर लक्ष्मीजी राजा बलि के पास गयी तथा राजा बलि के कलाई पर राखी बांध कर भाई बना लिया। इस प्रकार लक्ष्मी जी ने वली से रक्षा बंधन के उपहारस्वरूप भगवान विष्णु को वापस मांग लिया।
बलि तो दानी थे ही उन्होंने रक्षासूत्र धर्म का पालन करते हुए भगवान विष्णु को लक्ष्मी जी के हवाले कर दिया। चूंकि माता लक्ष्मी ने श्रावण मास की पूर्णिमा को मुंह बोले भाई बलि के हाथ में रक्षा सूत्र बांधा।
कहते हैं की तभी से रक्षा बंधन का त्योहार भाई बहन का प्रिय त्योहार बन गया।
भगवान गणेश और संतोषी माँ की कथा Raksha Bandhan history In Hindi
रक्षा बंधन के त्योहार मनाने के पीछे संतोषी माँ और भगवान गणेश की पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। भगवान गणेश के दो पुत्र थे जिसका नाम शुभ और लाभ था।
शुभ और लाभ दोनों निराश रहते थे। क्योंकि रक्षाबंधन के अवसर पर राखी बांधने के लिए उन्हें कोई बहन नहीं थी। दोनों भाई अपने पिता भगवान गणेश से बहन की जिद्द करते थे।
अंततः नारद जी बच्चे की इच्छा पूर्ति के लिए गणेश भगवान को मनाते हैं। भगवान गणेश अपनी पत्नियों रिद्धि और सिद्धि से उभरने वाली दिव्य ज्वालाओं द्वारा Santoshi maa नामक एक बेटी बनाई।
इस प्रकार शुभ एवं लाभ को श्रावणी पूर्णिमा के दिन बहन की प्राप्ति हुई। जो उनके कलाई पर राखी बांधी।
Raksha bandhan पर भाइयों द्वारा उपहार
रक्षा बंधन के दिन भाई, बहन को कुछ उपहार प्रदान कर उनके प्रति अपने गहरे प्रेम को दर्शाता है। इस दौरान बाजार में कई तरह कि उपहार उपलब्ध होती है। आप अपने बहन के लिए आकर्षक राखी , गिफ्ट चुन सकते हैं।
दुकानदार लोग रक्षा बंधन कि तैयारी कुछ दिन पहले शुरू कर देते हैं। इस अवसर पर विशेष रूप से तैयार व डिज़ाइन किए गए विभिन्न फैंसी राखियाँ से दुकानें भर जाती है।
रक्षा बंधन का त्योहार एक ऐसा उत्सव है जब भाई-बहन गुजरे हुए लमहें को ताजा करते हैं। जो भाई-बहन दूरियों के कारण रक्षा बंधन का त्योहार रक्षा बंधन का त्योहार नहीं मना पाते हैं।
वे अपनी भावनाओं को ई-मेल, ई कार्ड, राखी ग्रीटिंग कार्ड के माध्यम से आपस में व्यक्त करते हैं।आधुनिक दौर में विदेश में रहने वाले लोग, अपने बहन को online राखी का उपहार भी भेजते हैं।
इस् प्रकार वे बहनों द्वारा राखी बांधने की रस्म, उनके साथ साझा किए गए मधुर क्षणों और पवित्र संबंधों को याद करते हैं।
पुरोहितों द्वारा यजमानों को रक्षा सूत्र बांधना
Raksha Bandhan history In Hindi continue
कुछ स्थानों पर इस् दौरान विशेष पूजा कि प्रथा परचलित है। इस दिन, पुरोहित अपने यजमान को राखी बाँधते हैं। पुरोहितों द्वारा यजमानों को इस दिन रक्षासूत्र बांधे जाने की परंपरा वैदिक काल से प्रचलित है।
इस अवसर पर राखी बांधते समय पुरोहित निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हैं। ‘येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेनत्वामभिबघ्नामि रक्षे माचल-माचलः।।
‘अर्थात जिस प्रकार से दानवराज बलि को रक्षा-सूत्र में बांधा गया था। उसी प्रकार से मैं तुम्हें बांध रहा हूं। हे रक्षे! तुम गतिमान न हो, गतिमान न हो।
रक्षा बंधन के अवसर पर पुरोहित जब अपने यजमान को रक्षा-सूत्र बांधता है। तब इस मंत्र के द्वारा वह कहता है कि “जिस रक्षा-सूत्र के द्वारा राजा बलि बांधे गये थे,
उसी सूत्र में मैं तुम्हें बांध कर धर्म के मार्ग की ओर प्रतिबद्ध करता हूं, तथा रक्षा-सूत्र से आह्वान करता हूँ की हे रक्षा ! तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना।”
राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री के निवास पर Raksha bandhan ka tyohar
आजकल रक्षा बंधन का त्योहार हमारे देश भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री के निवास पर भी आयोजित होता है। इस् दौरान छोटे छोटे स्कूली बच्चे राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री के निवास जाकर उन्हें राखी बाँधते हैं।
Raksha bandhan के द्वारा सगे भाई बहन के अलावा, दूसरों के साथ भी भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं। ये भावनात्मक रिश्ते मजहब, जाति और देश की सीमाओं से परे होती हैं।
इस् दिन स्कूली बच्चे अपने नजदीक के सैनिक कैंप पर जाकर शरहद के वीर जवानों के कलाई पर rakhi बांधती है। तथा इस् अवसर पर लोग सरहद पर तैनात अपने वीर जवान भाइयों के पास डाक के माध्यम से भी राखी भेजते हैं।
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Raksha Bandhan date 2021 – रक्षा बंधन
जैसा की हम जानते हैं की रक्षा बंधन का त्योहारश्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। Raksha bandhan 2021 में 22 अगस्त रविवार के दिन मनाया जायेगा।
उपसंहार – CONCLUSION raksha bandhan history in hindi
राखी के कच्चे धागे भाई-बहन के प्यार के पवित्र बन्धन को असीम शक्ति प्रदान करते है। लेकिन आज के इस अर्थयुग में राखी के बंधन का पवित्र भावनात्मक मूल्य रुपयों और पैसों से आँका जाता है।
रक्षा बंधन पर भाई, बहन को राखी के बदले कुछ रुपये या उपहार देकर अपने दायित्व से मुक्त समझता है। लेकिन हमें रक्षा बंधन त्योहार के माध्यम से राखी में छुपी हुई मूल भावना को समझना पड़ेगा।
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