10 AVATARS OF LORD VISHNU IN HINDI – भगवान विष्णु के 10 अवतार की कथा

10 AVATARS OF LORD VISHNU IN HINDI LANGUAGE - दशावतार
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10 AVATARS OF LORD VISHNU IN HINDI – सनातन धर्म के अनुसार जगत के सृष्टि कर्ता ब्रह्माजी और जगत का संहार कर्ता शिव हैं। वहीं भगवान विष्णु को जगत का पालनकर्ता कहा गया है।

जब-जब इस धरती पर संकट आया और धर्म की हानी हुई। तब-तब भगवान विष्णु ने अवतार लेकर अपने भक्तों की रक्षा की। पुराणों के अनुसार अधर्म के विनाश और धर्म की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने प्रत्येक युग में अवतार लिया है।

उन्होंने नरसिंह अवतार लेकर भक्त प्रहलाद की रक्षा की। वहीं दुराचारी हिरण्यकश्यपु का वध कर जगत का कल्याण किया। उन्होंने जहाँ राजा बलि से देवताओं की रक्षा की वहीं वराह अवतार लेकर हिरण्याक्ष का वध किया।

उन्होंने राम बनकर जहाँ अत्याचारी रावण का संहार किया। वहीं कृष्ण बनकर कसं जैसे हठी का दमन कर धर्म की रक्षा की। उनका यह अवतार विष्णु के दशावतार के नाम से जाना जाता है।

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दशावतार के क्रम में जब-जब विष्णु भगवान ने इस धरा पर अवतार लिए, माता लक्ष्मी भी उनके साथ इस धरा पर अवतरित हुई। हिन्दू समुदाय के पवित्र ग्रंथ गीता के चौथे अध्याय के एक श्लोक से यह बात और भी सिद्ध हो जाती है। जिसमें भगवान श्री कृष्ण ने कहा है :-

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥

वैसे तो सतयुग से लेकर कलियुग तक भगवान विष्णु के 24 अवतार का वर्णन मिलता है। लेकिन भगवान विष्णु के 10 अवतार की चर्चा प्रमुखता से की जाती है। आइए इसमें भगवान विष्णु के 10 अवतार की कथा बारें में जानते हैं।

विष्णु के दस अवतार – 10 avatars of Vishnu in Hindi language 

1. मत्स्य अवतार – Matsya avatar story in Hindi

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10 AVATARS OF LORD VISHNU IN HINDI LANGUAGE

पुराणों में वर्णित तथ्यों के आधार पर जगत का पालनहार भगवान विष्णु ने सतयुग में सृष्टि का प्रलय से रक्षा हेतु मछली के रूप में अवतार लिया था। भगवान विष्णु के 10 अवतार में यह भगवान विष्णु का पहला अवतार माना जाता है।

जिसे मत्स्यावतार के नाम से वर्णन मिलता है। इससे संबंधी एक कहानी है की एक बार हयग्रीव नामक एक राक्षस ने वेदों को चुरा कर समुद्र की अतल गहराई में छुपा दिया था। जिसे ज्ञान लुप्त होने लगा, अन्याय और अत्याचार बढ़ने लगा।

तब भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लेकर हयग्रीव का वध किया और वेदों को ढूंढ निकाला।

इससे संबंधित दूसरी कथा मतस्य पुराण में राजा सत्यव्रत और भगवान विष्णु का उलेसख मिलता है। मत्स्यपुराण में वर्णित कथा के अनुसार प्रलय काल में भगवान विष्णु ने मछली का रूप धारण का राजा सत्यव्रत सहित सप्त ऋषियों, औषधिओं, प्राणियों और वेदों की रक्षा की थी।

कहते हैं की सतयुग में सत्यव्रत नामक के राजा हुए। राजा सत्यव्रत एक दिन नदी में स्नान कर भगवान भाषकर को जल चढ़ा रहे रहे थे। तभी उनकी हाथों में एक छोटी-सी मछली आ गई। उन्होंने उस मधली को वापस जल में डाल दिया।

लेकिन तभी मछली ने राजा से कहा। ही राजन आप मुझे जल में मत डालिए। नहीं तो कोई न कोई बड़ी मछलियां मुझे अपना भोजन बना लेगी। मधली की बात सुंदर राजा को दया आ गई।

उन्होंने अपने कमंडल में मछली को लेकर अपने राजमहल में ले आया। लेकिन मछली एक दिन में बहुत बड़ी हो गई। मछली ने राजा से कहा राजन मुझे इस छोटे से जगह में बहुत तकलीफ हो रही है।

तब राजा ने उसे अपने सरोवर में डाल दिया। लेकिन वहाँ भी मछली शीघ्र ही बड़ी हो गई। अव तक राजा को समझ में आ गया था कि यह कोई साधारण जीव नहीं है। तब उन्होंने उस मछली से प्रार्थना की और अपने असली स्वरूप में आने का आग्रह किया।

तब साक्षात भगवान विष्णु प्रकट हुए और राजा सत्यव्रत को दर्शन देते हुए कहा की यह मेरा मत्स्य अवतार है। आज से सात दिन बाद प्रलय आएगा। उस समय मेरी प्रेरणा से एक विशाल नाव आयेगी।

उन्होंने राजा से कहा कि प्रलय काल में तुम सप्त ऋषियों, औषधियों, बीजों व प्राणियों के सूक्ष्म शरीर को लेकर उस नाव में सवार हो जाना। इस प्रकार में प्रलय से रक्षा कर पार लगाऊँगा।

प्रलय के वक्त राजा ने ठीक वैसा ही किया। इसके साथ ही भगवान विष्णु ने राजा सत्यव्रत को तत्व ज्ञान से अवगत कराया। उनका उपदेश मतस्य पुराण में वर्णित है।

2. कच्छप अवतार या कूर्म अवतार – Kurma avatar story in Hindi

पुराणों में समुन्द्र मंथन की कथा मिलती है। कहते हैं की जब महर्षि दुर्वासा के श्राप से इन्द्र सहित सारे देवता श्री हीन हो गये थे। तव व ने समुन्द्र मंथन कर अमृत प्राप्ति का प्रस्ताव दिया। ताकि उसका पान कर देवता अमर हो जायें।

तब सारे  देवता और असुरों ने मिलकर मिलकर समुन्द्र मंथन किया। जिसमें मंदराचल पर्वत को मथनी और नागराज वासुकि को नेति बनाकर समुन्द्र मंथन किया गया था। लेकिन समुन्द्र मंथन में दिक्कत आ रही थी।

फलस्वरूप भगवान विष्णु ने दूसरे अवतार में कछुए के रूप में प्रकट हुए। कहते हैं की कच्छप अवतार लेकर श्री हरी ने मंदराचल पर्वत को अपनी पीठ पर धारण किया था। जिससे समुद्र मंथन में आसानी हुई।

समुन्द्र मंथन में हलाहल और अमृत सहित 14 रत्नों की प्राप्ति हुई। भगवान विष्णु के इस अवतार को कूर्म अथवा कच्छप अवतार के नाम से जाना जाता है।

3. वराह अवतार – Varaha avatar In Hindi

पुराणों के अनुसार हिरण्याक्ष और हिरण्यकाश्यप दोनो भाई थे। असुरहिरण्याक्ष ने भगवान ब्रह्मा की घोर तपस्या कर उन्हें प्रसन्न कर लिया। ब्रह्मा जी प्रसन्न होकर बोले मांगों क्या मांगते हो। हिरण्याक्ष ने उत्तर दिया भगवान मुझे वरदान दीजिए की युद्ध में हमें कोई न मार सके।

तव ब्रह्मा जी तथास्तु कहकर ब्रह्मलोक चले गये। उन्होंने इन्द्र को पराजित कर इन्द्र लोक पर अधिकार कर लिया। अपने को अजर, अमर और अविनाशी समझने लगा। वे देवताओं के शत्रु थे। पृथ्वी पर यज्ञ होते रहने से धरती का वाताबरण शुद्ध रहता था जिससे देवताओं को बल मिलता था।

एक दिन हिरण्याक्ष ने ब्रह्मांड से पृथ्वी चुराकर समुद्र के अंदर अर्थात रसातल में छिपा दिया था। इससे देवता लोग श्रीहीन होने लगे और भगवान बिष्णु के पास जाकर संकट से उबारने की विनती की। तब भगवान विष्णु ने दशावतर के तीसरे अवतार में ब्रह्मा जी के नासिका से बराह का रूप लेकर अवतरित हुए।

विष्णु भगवान ने बराह अवतार लेकर समुद्र के अतल गहराई में जाकर पृथ्वी को ढूढना शुरू किया। उन्होंने अपनी थूथनी की मदद से पृथ्वी को ढूढ निकाला और पृथ्वी को अपने दांतों पर धारण कर सागर से बाहर ले आए। असुर हिरण्याक्ष ने भगवान विष्णु का विरोध किया।

लंबे लड़ाई के पश्चात उन्होंने असुर हिरण्याक्ष का वध कर दिया। उन्होंने अपने खुरों से जल को स्तंभित कर पृथ्वी को दुबारा जल पर स्थापित किया। असुर हिरण्याक्ष के वध के बाद देवताओं ने फूल बरसाये।

4. नृसिंह अवतार या नरसिंह अवतार – Narsingha Avatar In Hindi

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10 AVATARS OF LORD VISHNU IN HINDI LANGUAGE – दशावतार

अपने भाई हिरण्याक्ष के मृत्यु के बाद उसका भाई हिरण्यकश्यप अत्यंत क्रोधित हो गया। उन्होंने इसका बदला भगवान विष्णु सहित सभी देवता से लेने का प्रण लिया। हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु को अपना परम शत्रु समझने लगे।

उन्होंने ब्रह्मा जी की तपस्या से देव, दानव, मानव और पशु-पक्षी सहित किसी भी प्राणी द्वारा मारे नहीं जाने का आशीर्वाद प्राप्त कर लिया। इसके साथ उन्होंने आशीर्वाद प्राप्ति किया की वह दिन, रात, सुवह,-शाम, अस्त्र-शस्त्र किसी भी चीज के द्वारा नहीं मारा जा सकेगा।

उनका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त निकला। हिरण्यकश्यप अपने पुत्र प्रह्लाद को हर तरह से भगवान विष्णु की भक्ति से रोकने की कोशिश की। सारी कोशिस नकाम होने के बाद उन्होंने अपने पुत्र को कई वार जान से मारने का प्रयास किया।

अंतोगत्वा भगवान विष्णु को अपने परम भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए दशावतार के इस क्रम में नरसिंह अवतार लिया। अपने नरसिंह स्वरूप में उन्होंने बड़े—बड़े नख के माध्यम से असुर राज हिरण्यकश्यप का वध किया था। इस प्रकार हिरण्यकश्यप अस्त्र-शस्त्र से नहीं बल्कि नाखूनों के द्वारा मार गया।

5. वामन अवतार – Vamana Avatar In Hindi

यह भगवान विष्णु के Dashavatar में पाँचवा अवतार कहलाता है। भगवात पुराण के अनुसारविष्णु भगवान ने राजाबलि से देवताओं की रक्षा के लिए वामन अवतार लिया था। कहते हैं की एक बार प्रह्लाद के पौत्र राजाबलि ने शक्ति अर्जन के लिए अनेकों यज्ञ किये थे।

यज्ञ से घबराकर देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। जिस कारण विष्णु भगवान को वामन अवतार लेना पड़ा। वामन रूपी ब्राह्मण का रूप धारण कर वे यज्ञ स्थल पर पहुच गये। उन्होंने राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांग की।

राजा वाली ने बहुत ही मामूली दान समझ दान देने का संकल्प ले लिया। यधपि उनके गुरु रोकने की चेष्टा की लेकिन तब तक राजा बलि संकल्प ले चुके थे। तब वामन रूपी भगवान विष्णु ने अपना विशाल स्वरूप करते हुये एक पग में धरती तथा दूसरे में स्वर्ग नाप लिया। तब तक राजा बाली समझ चुके थे।

उन्होंने तीसरे पग के लिए अपना सिर आगे कर दिया। इस प्रकार राजा बलि का मान मर्दन हो गया। भगवान विष्णु राजा बलि के दानशीलता से अति खुश हुए और उन्हें पाताललोक का स्वामी बना दिया। पाताल में बलि ने भगवान विष्णु को सदा अपने सम्मुख रहने का वचन ले लिया।

6. परशुराम अवतार – Parshuram Avatar In Hindi

प्रभु के Dashavatar में से एक परशुराम अवतार भी माना जाता है। परशुराम अवतार भगवान विष्णु का 6 वां अवतार कहा गया है। त्रेता युग में महिष्मती नगरी पर कार्तवीर्य अर्जुन नामक शक्तिशाली राजा राज्य करता था। राजा को 100 भुजायें थी जिस कारण वे सहस्त्रबाहु के नाम से जाने जाते थे।

उन्होंने तपस्या के बल पर ढेर सारी शक्ति को अर्जित कर लि। वह अत्यंत ही दुराचारी और अभिमानी हो गया। शक्ति के मद में चूर होकर वे अपने शक्ति का दुरुपयोग करने लगे।

हरिवंशपुराण के एक कथा के अनुसार, ऋषि आपव ने राजा सहस्त्रबाहु को क्रोध में आकार श्राप दिया था। उन्होंने सहस्त्रबाहु से कहा की एक दिन भगवान विष्णु अवतार लेकर तुम्हें और तुम्हारे समस्त क्षत्रिय वंश का सर्वनाश करेंगे।

इस प्रकार सहस्त्रबाहु के शक्ति के दुरुपयोग को रोकने और पाप को धरती से खत्म करने के लिए विष्णु भगवान ने परशुराम के रूप में अवतार लिया। भगवान विष्णु ने भार्गव कुल में महर्षि जमदग्रि के घर उनके पत्नी रेणुका के गर्भ से जन्म लिया।

भगवान परशुराम अपने पांचों भाई में सवसे छोटे थे। जब सहस्त्रबाहु के द्वारा उनके गाय को जबरन उठवा लिया। उनके पिता महर्षि जमदग्रि की हत्या कर दी गयी। फलतः परशुराम जी ने सहस्त्रबाहु के 100 हाथों को काट कर उनका वध कर दिया। उसके बाद वे एक-एक दुराचारी क्षत्रियों का सर्वनाश कर दिया।

7. रामावतार – RAMAVTAR IN HINDI

10 AVATARS OF LORD VISHNU IN HINDI LANGUAGE - दशावतार
10 AVATARS OF LORD VISHNU IN HINDI LANGUAGE – दशावतार

त्रेतायुग में भगवान विष्णु के रामावतर से हर हिन्दू समुदाय के लोग परिचित हैं।  भगवान विष्णु के दशावतार में भगवान राम का अवतार प्रसिद्ध है। भगवान राम का जन्म महाराज अयोध्या नरेश दशरथ के घर कौशल्या के गर्भ से हुया था। चार भाई में राम सवसे बड़े थे।

उन्होंने सीता स्वयंवर में शिव धनुष को तोड़कर सीता से विवाह किया। अपने पिता की आज्ञा मानकर उन्हें चौदह बर्ष का बनवास जाना पड़ा। बनवास के समय उनकी भार्या सीता  और अनुज लक्ष्मण हमेशा साथ थे। बनवास के दौरन उन्होंने कई असुरों का सर्वनाश किया।

बनवास के क्रम में जब अहंकारी रावण ने माता सीता का हरण कर लिया। तब भगवान राम ने वानर सेना की मदद से रामसेतु का निर्माण किया। इस दौरान उनके परम भक्त हनुमान जी ने उनका भरपूर साथ दिया। इस प्रकार भगवान राम वानर सेना की मदद से लंका पर चढ़ाई किये।

राम और रावण के बीच कई दिनों तक भयंकर युद्ध चला। अंत में भगवान राम ने पापी रावण का वध कर धरती को उसके अत्याचार से मुक्त कर धर्म की स्थापना की। भगवान राम हमेशा मर्यादा से बंधे रहे इस कारण वे मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। हिन्दू समुदाय के लोगों का भगवान राम के प्रति असीम आस्था है।

8. कृष्णा अवतार – Krishna avatar in Hindi

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10 AVATARS OF LORD VISHNU IN HINDI LANGUAGE – दशावतार

भारत वर्ष में शायद ही कोई आदमी होगा जो भगवान कृष्ण और राम के नाम से परिचित न हो। कहते हैं की भगवान राम 14 कलाओं से युक्त थे इसीलिए वे पुरुषों में उत्तम अर्थात पुरुषोतम कहलाये। जबकि श्री कृष्ण को16 कलाओं से पूर्ण माना गया है।

इसीलिए उन्हें देवों में उत्तम देवोत्तम की संज्ञा दी गयी है। भगवान विष्णु के सभी अवतारों में कृष्णा अवतार को श्रेष्ठ माना गया है। दशावतार में भगवान कृष्ण को God Vishnu का पूर्णावतार माना गया है।

माता देवकी और पिता वासुदेव के पुत्र के रूप में कंश के कारागार में उनका जन्म हुया था। भगवान विष्णु ने कृष्ण अवतार में बाल लीलाएं, कई असुरों का वध, महाभारत में अर्जुन को गीता का उपदेश, जरासंघ का वध इत्यादि कई कृत्य का अंजाम दिए।

भगवान श्री कृष्ण, विराट स्वरूप तथा बहु-आयामी व्यक्तित्व के धनी थे। इनके विराट स्वरूप की व्याख्या करना सूर्य को दीप दिखाने के समान है। भगवान श्री कृष्ण के जीवन में कर्म की हमेशा निरंतरता नजर आती है। उनके जीवन में कभी भी निशक्रियता नहीं दिखाई दिया।

जन्म के साथ ही उनका जीवन हमेशा सक्रिय रहा। जिसे इन उदाहरण से आसानी से समझा जा सकता है।  जन्म लेते ही जेल कर दरवाजा खुल जाना, अंधेरी रात में मूसलाधार बारिश के बीच पिता द्वारा गोकुल जाना।

वचपन में ही कई रकक्षों को वध करना, ऐसे कई उदाहरण हैं जो उन्हें अवतारी दिव्य पुरुष के रूप में सिद्ध करती हैं। इसीलिए दशावतार में भगवान श्री कृष्ण को सोलह कलाओं से युक्त पूर्ण अवतारी माना जाता है। 

उनके द्वारा की गयी वाल-लीला हो या कुरुक्षेत्र के मैदान में दिया हुआ गीता का उपदेश। हर दृष्टि से उन्होंने समाज को नया दृष्टिकोण दिया। भगवान श्री कृष्ण परम ज्ञानी थे, उन्होनें कुरुक्षेत्र में गीता के उपदेश के माध्यम से आत्मा और परमात्मा जैसे गूढ रहस्य पर से पर्दा उठाया।

9. बुद्ध अवतार – Buddha avatar in Hindi

हिन्दू धर्म ग्रंथों के आधार पर भगवान बुद्ध को भगवान विष्णु के दशावतार में 9 वां अवतार माना गया है। परंतु पुराणों में जिस भगवान बुद्ध की चर्चा की गयी है उनका जन्म गया के नजदीक कीकट में बताया जाता है।

पुराणों में वर्णित बुद्धावतार के कथा के अनुसार उनके पिता का नाम अजन बताया गया है। राज्य की कामना से जब असुरों ने भगवान इन्द्र से साम्राज्य स्थिर रहने का उपाय पूछा।

तब इन्द्रदेव ने उन्हें बताया कि सुस्थिर शासन के लिए यज्ञ एवं वेद विहित आचरण जरूरी है। कहते हैं की इस कारण असुर का वैदिक आचरण और यज्ञ की तरफ झुकाव होने लगा।

जिससे उनकी शक्ति में बढ़ोतरी होने लगी। असुरों की बढ़ती शक्ति से घबड़ाकर सभी देवगण  भगवान विष्णु के शरण में गये। इस कारण भगवान विष्णु ने देवताओं के हितों की रक्षा के लिए बुद्ध अवतार लिया। भगवान बुद्ध ने असुरों से कहा कि यज्ञ करना पाप है।

यज्ञ की ज्वाला में कितने ही जीव-जन्तु जलकर मर जाते हैं। भगवान बुद्ध के उपदेश से असुर प्रभावित होकर यज्ञ व वैदिक आचरण का अनुसरण करना छोड़ दिया। जिससे उनकी शक्ति क्षीण होने लगी। फलतः देवताओं ने असुरों पर चढ़ाई कर अपना राज्य वापस पाया।

10. कल्कि अवतार – story of Kalki avatar in Hindi

पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार कलयुग में भगवान विष्णु का कल्कि रूप में अवतार होगा। यह दशावतार का अंतिम अवतार होगा, भगवान विष्णु का कल्कि अवतार कलियुग के अंत में होगा।

भगवान राम को 14 कलाओं से युक्त, भगवान कृष्ण को 16 कलाओं से युक्त माना गया है। जबकि कलयुग में भगवान विष्णु का कल्कि रूप में अवतार 64 कलाओं से युक्त माना जाता है।

पुराणों में वर्णन मिलता है की दशावतार का अंतिम अवतार अर्थात कल्कि अवतार, शंभल नामक स्थान पर विष्णुयशा नामक तपस्वी ब्राह्मण के घर में होगा। वे देवदत्त नामक घोड़े पर सवार होकर जगत से समस्त पापियों का संहार कर धर्म का फिर से स्थापना कर सतयुग का आरंभ करेंगे।

उपसंहार

भगवान विष्णु ने दशावतार के विभिन स्वरूपों के माध्यम से हमेशा से जगत का कल्याण किया। विष्णु भगवान दशावतार के माध्यम से दुराचारियों का अंत कर जगत में धर्म की स्थापना की। उन्होंने जीवन-मरण और आत्मा परमात्मा जैसे रहस्य से अवगत कराया।

आपको 10 avatars of lord Vishnu in Hindi शीर्षक वाला यह लेख जरूर अच्छा लगा होगा।

इन्हें भी पढ़ें –

विष्णु के 10 अवतार कौन कौन से हैं?

भगवान विष्णु के दस अवतार के नाम हैं – मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम,
कृष्ण, वेंकटेश्वर और कल्कि अवतार ।

बाहरी कड़ियाँ :-

दशावतार – विकिपीडिया

last update – 13 Nov 22

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