जूनागढ़ का क़िला भारत के राजस्थान में बीकानेर में स्थित है। राजस्थान के बीकानेर शहर में स्थित इस दुर्ग को बीकानेर का किला भी कहा जाता है।
इस दुर्ग के निर्माण राती घाटी के चट्टान पर हुआ है । इस कारण इसे राती घाटी का किला भी कहते हैं। लाखों पर्यटक प्रतिवर्ष बीकानेर के किले देखने आते हैं।
जूनागढ़ दुर्ग का निर्माण चतुष्कोणीय या चतुर्भुजाकृति है। जूनागढ़ दुर्ग को जमीन का जेवर किला के नाम से भी जाना जाता है।
जूनागढ़ क़िले की स्थापना अकबर के सेनापति रहे राजा राय सिंह ने की थी। लेकिन इस किले का वर्तमान स्वरूप 1593 के आसपास महाराजा गंगा सिंह ने दिया।
लाल बलुए पत्थर और संगमरमर से बने इस किले के आकर्षक महल, छतरियों, खिड़कियाँ और किले की दीवारों पर खूबसूरत पेंटिंग इसे सबसे अनूठा बनाती है।
किले की सुरक्षा हेतु क़िले के चारों तरफ लंबी दीवार है। साथ ही इस किले में 35 से भी ज्यादा सुरक्षा चौकियाँ बनी हैं।
जूनागढ़ दुर्ग का निर्माण चतुष्कोणीय या चतुर्भुजाकृति है। जूनागढ़ दुर्ग को जमीन का जेवर किला के नाम से भी जाना जाता है।
कहा जाता है की दोलतपोल द्वार पर सती हुई राजपूत राजाओ की रानियों के हाथों की छाप है। जूनागढ़ क़िले के अंदर बने कई खुबसूरत महल दर्शनीय हैं।
इन महलों में अनूप महल, फूल महल व गजमन्दिर महल, बादल महल, चंद्र महल, कर्ण महल आदि प्रमुख हैं। अनूप महल में राजाओं का राजतिलक किया जाता था।
यहाँ इन महलों के अलावा यहाँ छन्न निवास, हर मंदिर, घंटाघर, सूरसिंह द्वारा निर्मित सूरसागर झील पर्यटक को आकर्षित करती है।
जूनागढ़ दुर्ग राजस्थान के दुर्गों में सर्वाधिक महलों वाला दुर्ग कहलाता है। जूनागढ़ दुर्ग राजस्थान का पहला दुर्ग है जहाँ सर्वप्रथम लिफट का प्रयोग हुआ।
दुश्मनों को गहरी खाई और मजबूत दीवार को पार कर किले को जितना संभव नहीं था। तभी तो राजस्थान का यह एकमात्र किला जिसपर कभी विदेशी आक्रमण नही हुआ।
वर्षों से यह किला अपने अपराजेय शक्ति के साथ स्वाभिमान से खड़ा है। कहते हैं की इस किले पर मुगलों द्वारा मात्र कुछ घंटों के लिए फतह का जिक्र मिलता है।
इस किले में बने हुए संग्रहलय पर्यटकों के आकर्षण के केंद्र हैं। यहाँ राजा महाराजा के दुर्लभ चित्र, हथियार, गहने और प्रथम विश्व युद्ध के प्लेन देखने योग्य है।
किले में स्थति तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं का मंदिर दर्शनीय है। जिसमें राजाओं द्वारा 700 से अधिक कांस्य प्रतिमा स्थापति हैं।