नाहरगढ़ किला गुलावी नगरी जयपुर के तीन प्रसिद्ध किलो में से एक है। इसे जयपुर के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल में गिना जाता है। 

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स्थापत्य कला का सुंदर नमूना नाहरगढ़ किले में सुदर्शन भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर दर्शनीय है। इस किले के निर्माण बाद इसका नाम सुदर्शनगढ़ रखा गया। 

बाद में इसका नाम बदलकार नहारसिंह भोमया के नाम पर नाहरगढ़ पड़ा। नहारसिंह भोमया का स्मारक इस किले में मौजदू है। 

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जयपुर शहर से करीब 15 किमी दूर उत्तर अरावली पहाड़ी की चोटी पर स्थित इस किले का निर्माण मराठों से आमेर की सुरक्षा हेतु बनवाया गया था। 

विशाल बूजों और खूबसूरत महलों वाले इस किले का निर्माण जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा सन 1734 मेंईस्वी किया गया था। 

किले के अंदर स्थित हवा मंदिर, महाराज माधों सिंह का अतिथि गृह, नौ नौ रानियों हेतु निर्मित नौ पासवान महल  देखने योग्य है। 

नाहरगढ़ किले परिसर में माधवेन्द्र महल के ठीक सामने एक बावड़ी है। इसकी खूबसूरती पर्यटक के खास आकर्षण के केंद्र है। 

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इस किले के पास स्थित राजस्थान राज्य का पहला जैविक उधान भी देखने योग्य है। शाम के समय यहाँ से सूर्यास्त का सुन्दर नजारा देखते बनता है। 

पर्यटन की दृष्टि से खूबसूरत इस दुर्ग में कई फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है। जिसमें हिन्दी फिल्म 'रंद दे बसंती' प्रमख है। 

किले के प्राचीर से जयपुर शहर का भव्य दृश्य दिखाई पड़ता है। खास कर रात में किले के प्राचीर से जयपुर शहर का बड़ा ही खूबसूरत नजारा दिखाई देता है। 

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पर्यटक के लिए यहां कैफेटेरिया और रेस्टोरेंट आदि की सुविधा उपलब्ध है। जहाँ राजस्थानी व्यंजन का आनंद लिया जा सकता है।  

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