About Ramzan Idd Festival In Hindi – रमजान (Ramjan )में रोजा क्यों रखते हैं ?
रमजान(Ramjan ) मुस्लिम समुदाय का सबसे वड़ा त्योहार माना जाता है। हमारे देश भारत में कई संस्कृतियों का संगम है। यहाँ कई धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं। सभी धर्मों की अपनी अलग अलग संस्कृतियों और मान्यताएं हैं।
भारत में हर समुदाय अपने अपने धर्म के अनुसार त्योहार मनाते हैं। लेकिन सभी त्योहारों के मनाने का मकसद प्रेम, सौहार्द, दया और खुशियाँ बांटना है। भले ही उन्हें व्यक्त करने का तरीका अलग हो सकता है।
मुस्लिम समुदाय में रमजान का अपना एक खास महत्व होता है। यह भारत सहित सभी इस्लामिक देशों में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। रमजान(Ramjan ) को इस्लाम में सबसे पावन माह माना जाता है।
रमजान(Ramjan ) के पूरे महीने में रोजा rozaरखा जाता है और रमजान की मुबारक (ramzan mubarak ) दी जाती है। कुरान सरीफ़ की पाठ की जाती है। भारत में भी रमजान बहुत ही उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है।
रमजान कब मनाते हैं? about ramzan in hindi
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार रमजान का त्योहार साल में एक बार मनाया जाता है। इस कैलेंडर के आधार पर 9वां महीना रमजान का पावन महिना होता है। चन्द्रमा के हिसाब से तिथियों की गणना के कारण यह परिवर्तन होता है।
इस्लाम में चांद का अत्यधिक महत्व माना गया है। इस्लामीक कैलेंडर में चांद के गति के अनुसार महीने निश्चित किया जाता है। इस कैलेंडर में महीने 29 या 30 दिन के होते हैं।
इस तरह रमजान प्रतिवर्ष 10 दिन पहले शुरू होता है। यदि इस वर्ष रमजान जनवरी मास 20 तारीख को है तो अगले वर्ष यह जनवरी 10 तारीख के लगभग आएगा।
रमजान कैसे मनाते हैं। about ramzan festival in hindi
रमजान का महिनाramzan ka mahina मुस्लिम संस्कृति का एक पावन महिना होता है। इस दौरान रोज रखने का चलन है। जिसके नियम अत्यंत ही कठोर होते हैं।
रमजान ramjan का महिना अपने कठोर नियमों के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। रमजान का महिना इस्लाम धर्म में उस महिना को कहा जाता है, जब मुसलमान दिन-भर रोजा (उपवास) रखते हैं।
इस रोजा के दौरान पूरे महिने केवल रात्रि में ही भोजन करते हैं। रमजान के दिनों में मुस्लिम समुदाय में विशेष ही उत्साह देखने को मिलती है। इस दौरन सभी आपस में प्रेम और सौहार्द से मिलते हैं।
सभी गीले-शिकवे भुलाकर एक साथ मिलकर रमजान का महीना मनाते हैं। साथ ही ramjan mubarak कहते हैं।
रमजान का इतिहास ramzan history in hindi
रमजान में रोजा अर्थात उपवास की परम्परा कब से शुरू हुई, इसके पीछे एक पौराणिक मान्यता है। आइये जानते हैं। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार रोजा की शुरुआत सन 2 हिजरी में अल्लाह के हुक्म से जरूरी किए गये थे।
ऐसी मान्यता है कि इसी दिन अल्लाह ने अपने फरिस्ते के द्वारा कुरान शरीफ से नवाजा था। इस कारण भी रमजान के महीने को अति पावन माना गया है। कहते हैं की तभी से इस त्योहार को मुस्लिम समुदाय के द्वारा पूरी सिद्दत के साथ मनाया जाता है।
कहते है कि इस्लाम धर्म के प्रवर्तक हजरत मुहम्मद साहब मक्का के पास एक गुफा के अंदर रहकर अल्लाह का इबादत करते थे। तभी आसमान से कोई फरिश्ता उनके पास प्रकट हुआ जो अल्लाह का पहला पैगाम हजरत मोहम्मद साहब को सुनाया।
उस गुफा के अंदर उन्होंने भूखे-प्यासे रहकर अल्लाह का इबादत किया। उसी समय से मुसलिम समुदाय के लोग हर साल रमजान के पाक महीने में पूरे दिन उपवास अर्थात रोजा रखते हैं।
तथा सूर्यास्त होने पर वे सभी इकट्ठा होकर रोजा तोड़ते हैं। रमजान के दौरान इन दिनों नियमित रूप से पाँच बार नमाज अदा की जाती है। कुरान का पाठ कर अल्लाह की इवादत किया जाता है।
इस दौरान खूब दान-पुण्य और उपकार का कार्य भी किये जाते हैं। कहते हैं की इन दिनों किया गया दान-पुण्य विशेष फलदायी होता है।
रमजान (ramjan ) से संबंधित दूसरी मान्यता
एक दूसरी मान्यता के अनुसार रमजान का अर्थ होता है चिलचिलाती धूप और गर्मी। अरब का रेगिस्तान वैसे ही गर्म प्रदेश है। उस दौरान लोग चिलचिलाती धूप में दिन भर घर में बंद रहते थे।
प्रचंड गर्मी के कारण सूर्यास्त तक घर से बाहर नहीं निकलते थे। पैगंबर मोहम्मद साहब ने इस खाली समय को अल्लाह की इबादत में लगाने को कहा। साथ ही इन दिनों दान करने, कुरान का पाठ करने, और छल कपट और बुराइयों से दूर रहने की शिक्षा प्रदान की।
रोजा की नियत (Roza Ki Niyat / Sahri Ki Niyat / Roza Rakhne Ki Niyat )
नियत का मतलब दिल के इरादे से है अर्थात दिल में कोई कार्य करने का ठोस इरादा करना ही नियत है। यद्यपि कहते हैं की इस्लाम में कोई भी कार्य करने के लिए कुछ नियम बनाये गए है।
कहा जाता है की ज़ुबान से जो इरादा किया है उसे दोहरा लेने से उसका सवाब अधिक मिलता है। इसे ही रोज़ा की नियत ( Roza Ki Niyat ) के नाम से जाना जाता है !
रमजान का महत्व importance of ramzan in hindi
रमजान (Ramzan ) लोगों में सौहार्द और अल्लाह के प्रति विश्वास की भावना को और प्रगाढ़ करने के लिए मनाया जाता है। इस दौरान बड़ी ही कड़ाई से सदाचार का पालन किया जाता है। लोग धार्मिक रीति से गलत कार्यों से दूर रहते हैं।
कहते हैं की रमजान के अवसर पर रोजा रखने से इंसान में सहनशीलता बढ़ती है। जिससे इंसान और अल्लाह के बीच का फासला कम होता है। अल्लाह के ऊपर विश्वास दृढ़ होने से इंसान के अंदर धर्म के प्रति भावना प्रगाढ़ होती है।
इसके साथ ही रमजान में आपसी भाई चारे और एकता की भावना भी प्रबल होती है। इस दौरान मुस्लिम समुदाय के हर बड़ा सदस्य पूरी शिद्दत के साथ रमजान में रोजा रखते हैं, जिसे अल्लाह की इबादत कहा जाता है।
रमजान के नियम
इसके दौरान सुबह सूरज निकलने के डेढ़-दो घंटे पहले जगना होता है। जगने के बाद सहरी करते हैं अर्थात कुछ खाकर रोजा की शुरूआत की जाती है। सहरी का समय (sehri time ) इस्लामिक कलेंडर के द्वारा निर्धारित होता है।
स्थान के अनुसार इसके समय में अंतर हो सकता है। जैसे दिल्ली का सहरी टाइम (sehri time in delhi ) दूसरे देश व शहर से थोड़ा अलग हो सकता है। तत्पश्चात दिनभर विना कुछ खाये-पिये रहते हैं।
ठीक शाम को सूर्यास्त के बाद रोजा खोला जाता है। जिसे इफ़्तारी के नाम से जानते हैं। यह क्रम हर दिन रमजान के पूरे महीने चलता है। रमजान के दौरन रोजा rozaरखने के साथ कई नियम को बहुत ही कड़ाई से पालन करना होता है।
इस दौरान नियमित रूप से नमाज पढ़ना, रोजा रखना, अल्लाह का नाम लेना शामिल है। रमजान के पूरे माह में गलत आदतों से दूर रहने, शराब या अन्य किसी नशे का सेवन सक्त वर्जित है।
इस दौरान गलत देखने, सुनने और बोलने से परहेज किया जाता है। इस दौरान लड़ाई झगड़ा और मारपीट करना गलत माना जाता है। कहते हैं की रमजान के पाक महीने में किसी की लड़ाई देखना भी गलत है।
रमजान के महिने में महिलाओं के प्रति अच्छी भावना बनाये रखा जाता है। रमजान के पवित्र महीने में पराई या अपनी पत्नी को भी वासनात्मक दृष्टिकोण से देखना अच्छा नहीं माना जाता है।
रमजान (Ramjan ) का महिना नेक रास्ते पर चलना सीखता है। इस दौरान दान का विशेष महत्व है। सभी को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान करना होता है। ईद के दिन खरीदारी भी जमकर की जाती हैं यह भी एक तरह का दान ही कहलाता है।
जाने किसे होती है रोज़े से छूट
रमजान (Ramzan ) में मुस्लिम समुदाय के हर एक व्यक्ति रोजा roza रखता है। लेकिन कुछ विशेष कारणों से कुछ लोग को रोजा rozaरखने से छूट है। आईये जानते हैं की किन-किन व्यक्ति को रोजा से छूट दी जाती है।
रमजान के दौरान 5 साल से छोटे बच्चे को रोजा रखने की मनाहिं होती है। उम्रदाज व्यक्ति को को भी रोजा से छूट दी जाती है।
अगर कोई बीमार हो गया हो तो रोजा खोल सकता है। शिशु को दूध पिलाने वाली माता अथवा गर्भवती महिला को रोजा roza के लिए मना होता है।
शारीरिक शुद्धिकरण ramzan ke fayde in hindi
रमजान के अवसर पर उपवास रखने से शारीरिक और मानसिक शुद्धिकरण होता है। इस अवसर पर खजूर का सेवन भी विशेष रूप से किया जाता है। जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक है।
रमजान में रोजा roza से मेटाबॉलिज्म बेहतर होकर शरीर से कोलेस्ट्रोल की मात्रा कम होती है। शरीर का वजन नियंत्रित रहता है जो मोटापा जैसी विमारी से बचाने में मदद करता है।
इस प्रकार रोजा धार्मिक दृष्टिकोण के साथ साथ शारीरिक दृष्टिकोण से भी बेहद ही महत्वपूर्ण होता है।
रमजान की समाप्ति और ईद – idd festival in hindi
रमजान (Ramjan ) का पवित्र महिना समाप्त होने पर जब शाम में ईद का चाँद दीख जाता है, तब उसके अगले दिन ईद का त्योहार पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। सभी लोग इस दिन गले मिलते हैं और रमजान मुबारक के साथ मिठाई बाँटी जाती है।
ईद के दिन इस्लाम धर्म के लोग मस्जिदों एवं ईदगाहों में स्वच्छ अथवा नए कपड़े पहनकर जाते हैं। सभी साथ मिलकर पंक्तिबद्धरूप में नमाज पढ़ते हैं। नमाज के बाद सभी एक-दूसरे से गले मिलते हैं।
मिठाई बाँटी जाती है और ईद की शुभ कामनाएँ देते हैं। इस दिन हर घर में सेवइयाँ बनती हैं। बच्चे इस दिन नये खिलौने और मिठाइयाँ पाकर फुले नहीं समाते हैं।
दोस्तों About Ramzan Idd Festival In Hindi शीर्षक वाला यह लेख आपको अच्छा लगा होगा। साथ ही Ramjan and roja के बारें में अपने सुझाव से जरूर अवगत करायें।
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