चित्तौड़गढ़ दुर्ग का इतिहास और किले की सम्पूर्ण जानकारी | history of chittorgarh fort in hindi | Chittorgarh fort history in Hindi

चित्तौड़गढ़ दुर्ग का इतिहास | Chittorgarh fort history in Hindi

चित्तौड़गढ़ दुर्ग का इतिहास और किले की सम्पूर्ण जानकारी | history of chittorgarh fort in hindi

Chittorgarh fort history in Hindiचित्तौड़गढ़ दुर्ग का इतिहास अत्यंत ही गौरवशाली रहा है। चित्तौड़गढ़ अपनी गौरवशाली इतिहास के कारण सदियों से पर्यटकों और लेखकों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है।

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चित्तौड़गढ़ किला राजपूत राजाओं के शूरवीरता के साथ-साथ उनकी रानियों की अदम्य साहस भरी कहानियों का गवाह है। इस किले का इतिहास बहुत ही पुराना है। इस किले का निर्माण मौर्य वंश के शासक के द्वारा माना जाता है।

भारत के राजस्थान राज्य के चित्तौड़गढ़ जिले के बेराच नदी के तट पर स्थित चित्तौड़गढ़ दुर्ग (किले) को राजस्थान का गौरव माना जाता है। चित्तौड़गढ़ किला भारत का सबसे बड़ा किला माना जाता है। इस प्रसिद्ध किले पर खिलजी से लेकर अकबर तक ने चढ़ाई की थी।

भारत के राजस्थान राज्य में भीलवाड़ा से दक्षिण में स्थित यह किला अपनी भव्यता और गौरवशाली इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। चित्तौड़ के नाम से मशहूर यह किला, मेवाड़ राज्य की राजधानी थी। चित्तौड़गढ़ का इतिहास रानी पद्मावती और महाराणा प्रताप से जुड़ा है।

चित्तौड़गढ़ दुर्ग का इतिहास | Chittorgarh fort history in Hindi
चित्तौड़गढ़ दुर्ग का इतिहास | Chittorgarh fort history in Hindi

यह ऐतिहासिक किला अनुपम महल, द्वार, मंदिर तथा दो प्रमुख स्मारक टॉवरों से सुसज्जित है। कहा जाता है की इसका निर्माण 7वीं शताब्दी में मौर्यवंश के राजाओं के द्वारा किया गया था। जैसा का हम जानते हैं की इस किले की गिनती भारत के सबसे बृहद किलों में होती है।

लगभग 600 एकड़ से भी अधिक भूमि पर फैला यह विशाल किला अपनी भव्यता के द्वारा चित्तौड़गढ़ के गौरवशाली इतिहास का प्रमाण है। इसकी भव्यता और गौरवशाली इतिहास को देखते हुए वर्ष 2013 में विश्व प्रसिद्ध संस्था यूनेस्को द्वारा इसे विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया।

अगर आप चित्तौड़गढ़ का इतिहास जानना चाहते हैं अथवा घूमने का मन बना रहें हैं तो इस लेख में वर्णित जानकारी आपको मदद कर सकती है। तो आईये जानते हैं चित्तौड़गढ़ दुर्ग का इतिहास (chittorgarh fort history in hindi) विस्तार से : –

चित्तौड़गढ़ का किला संक्षिप्त झलक – short Information about Chittorgarh fort in hindi

चित्तौड़गढ़ किले का निर्माण वर्ष – 7 वीं शताब्दी
किले की स्थिति स्थान – चित्तौड़गढ़ , राजस्थान , भारत
चित्तौड़गढ़ किले का निर्माण कर्ता – मौर्यवंशी शासक द्वारा
चित्तौड़गढ़ दुर्ग की प्रसिद्धि – अपनी भव्यता, रानी पद्मावती के जौहर
चित्तौड़गढ़ किले में स्थित प्रमुख महल – रानी पद्मावती महल
किले परिसर में स्थित प्रमुख मंदिर– मीरा बाई मंदिर,
चित्तौड़गढ़ दुर्ग के दर्शनीय स्थल– कीर्ति स्तम्भ, बिजय स्तम्भ
प्रमुख आक्रमणकारी – अलाउद्दीन खिलजी, अकबर आदि
विश्व विरासत में शामिल – वर्ष 2013 में

चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास – History Of Chittorgarh Fort In Hindi

इस किले के निर्माण वर्ष को लेकर इतिहासकारों में मतांतर है। सबसे पहले हम चित्तौड़गढ़ दुर्ग के पौराणिक इतिहास के बारें में प्रचलित बाते जानते हैं।

चित्तौड़गढ़ किला से जुड़ी पौराणिक इतिहास – chittorgarh history in hindi

चित्तौड़गढ़ किला के निर्माण के संबंध में कई बातें की जाती है। राजस्थान के एक पहाड़ी में स्थित चित्तौड़गढ़ का किला, भारत का सबसे वृहद किला में से एक है। इस किले का निर्माण के बारें में कहा जाता है की यह हजारों साल पुरानी है।

कहते हैं की इस इतिहासिक किले का निर्माण पहली बार कब और किसके द्वारा किया इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है। महाभारत काल में भी इस परिसर का जिक्र मिलता है। यहाँ स्थित प्रसिद्ध सरोबर भीमताल कुंड को महाभारत के भीम से जोड़ कर देखा जाता है।

कहते हैं की 5 भाई पांडवों में से एक महाबली भीम के अंदर हजारों हाथियों के बराबर शक्ति थी। एक बार उन्होंने इस स्थान पर अपनी मुट्ठी से जमीन पर जोड़दार प्रहार किया था। जिसके फलस्वरूप वहाँ एक जल सरोबर बन गया।

वही जल सरोबर आज भीमताल कुंड के नाम जाना जाता है। कविदंती यह भी यह की भीम ने ही इस किले का निर्माण कार्य शुरू किया था। आज भी किले परिसर में भीम के नाम पर भीमताल, भीमगोड़ी, समेत कई स्थान बने हुए हैं।

चित्तौड़गढ़ दुर्ग का इतिहास | Chittorgarh fort history in Hindi
चित्तौड़गढ़ दुर्ग का इतिहास | Chittorgarh fort history in Hindi

चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास– History Of Chittorgarh Fort In Hindi

चित्तौड़गढ़ किला का इतिहास (Chittorgarh Fort History) अत्यंत ही गौरवशाली और प्रसिद्ध रहा है। यह किला राजपूत राजाओं के शौर्य और साहस का प्रतीक है। चित्तौड़गढ़ किला क्षेत्रफल की दृष्टिकोण से भारत का सबसे विशालकाय किला है।

इतिहासकारों के अनुसार इस किले का निर्माण 7 वीं शताब्दी में मौर्यों वंश के शासक ने किया था। इस किले को मौर्य वंशीय शासक “चित्रांगदा मोरी” से जोड़ कर देखा जाता है। इतिहासकारों के अनुसार यह किला 834 वर्षों तक मेवाड़ की राजधानी रही है।

तत्पश्चात गुहिल राजवंश के संस्थापक बप्पा रावल ने मौर्य सम्राज्य के अंतिम शासक को हराकर करीब 8वीं शताब्दी में चित्तौड़गढ़ पर अपना अधिकार कर लिया। वहीं यह भी कहा जाता है की यह किला बप्पा रावल को 8 वीं शताब्दी के दौरान सोलंकी राजकुमारी के दहेज के रूप में प्राप्त हुआ था।

तत्पश्चात यह किला मालवा के राजा, मुंज के द्वारा अपना अधिकार में कर लिया गया। उसके कुछ वर्षों के बाद बाद यह किला गुजरात के ही शासक सिद्धराज जयसिंह के कब्जे में रहा।

12वीं सदी में चित्तौड़गढ़ का किला दुबारा राजपूतों के गुहिल राजवंश(या गहलोत) के सिसोदियों के अधीन हो गया था। जो बप्पा रावल के ही वंशज माने जाते हैं। इस प्रकार चित्तौड़गढ़ किला का समृद्ध इतिहास मौर्य, सोलंकी, खिलजी, मुगल, प्रतिहार, चौहान, परमार वंश के शासकों से जुड़ा रहा है।

चित्तौड़गढ़ का इतिहास और नामांकरण की जानकारी

जैसा की जानते हैं की इस किले का निर्माण 7 वीं शताब्दी में मौर्यों वंश के शासकों के द्वारा किया गया था। इस किले का नाम मौर्य शासक, चित्रांगदा मोरी के नाम पर चित्तौड़गढ़ पड़ा। इस बात का प्रमाण उस बक्त के मौर्यकालीन सिक्कों से भी पता चलता है।

चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर आक्रमण का इतिहास – History Of Chittorgarh Fort In Hindi

वैसे तो भारत की राजस्थान का शान कहे जाने वाले इस ऐतिहासिक किले पर कई बार आक्रमण हुए। यह किला न जाने कितने हमले और युद्द का साक्षी भी रहा। लेकिन हर वार राजपूत राजाओं ने अपनी अदम्य साहस और बलिदान से इस किले की रक्षा की।

इस दुर्ग पर 15वीं से 16 वी शताब्दी के दौरान तीन महत्वपूर्ण आक्रमण के द्वारा बुरी तरह लुटा गया था। आइये इस किले पर अधिकार के लिए तीनों महत्वपूर्ण लड़ाइयाँ के इतिहास के बारे में जानते हैं।

चित्तौड़गढ़ दुर्ग का इतिहास | Chittorgarh fort history in Hindi
चित्तौड़गढ़ दुर्ग का इतिहास | Chittorgarh fort history in Hindi

अल्लाउद्दीन खिलजी का आक्रमण

सन 1303 में दिल्ली के शासक अल्लाउद्दीन खिलजी चित्तौड़गढ़ किला (Chittorgarh Fort ) पर आक्रमण कर दिया। असल में इस आक्रमण के पीछे रानी पद्मावती की अनुपम सुंदरता थी। कहते हैं की रानी पद्मावती अत्यंत ही खूबसूरत थी। उनके खूबसूरती की चर्चा जगजाहिर थी।

रानी पद्मावती की खूबसूरती के बारें में जानकार अलाउद्धीन खिलजी उन्हें जबरन अपनाना चाहा। वह रानी पद्मावती को अपने साथ ले जाकर हरम बनाना चाहता था।  इस प्रकार रानी पद्मावती को पाने की चाहत में उन्होंने चित्तौड़ पर आक्रमण किया।

यदपि चित्तौड़ के सेना ने अलाउद्धीन खिलजी के विरुद्ध वीरता और साहस के साथ लड़ाई लड़ी लेकिन रानी पद्मावती के पति राजा राना रतन सिंह इस युद्ध में शहीद हो गये। हार के बाद भी रानी पद्मावती ने हिम्मत नहीं हारी।

उन्होंने दुश्मन के हरम बनने से बेहतर जान कुर्बान करने में अपनी शान समझी। उन्होंने अपनी मर्यादा, राजपूतों की यान बान और स्वाभिमान के खातिर अल्लाउद्दीन खिलजी के कब्जे में जाने से पहले ही आत्मदाह कर ली। इस प्रकार का आत्मदाह जौहर के नाम से जाना जाता है।

बदले में, खिलजी ने तीस हज़ार हिंदुओं को मार डाला। उसने अपने पुत्र खिज्र खान को शासन करने के लिए किला सौंपा और किले का नाम बदलकर ‘खिजराबाद’ रख दिया।

इस किले के अंदर विजय स्तंभ के पास जहॉं उन्होंने लगभग 16000 रानियों, दासियों व बच्चों के साथ सामूहिक आत्मदाह अर्थात”जौहर” किया था। हजारों पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह जगह इतिहास का सबसे पहला और चर्चित जौहर स्थली के रुप में प्रसिद्ध है।

सुल्तान बहादुर शाह का आक्रमण  – history of chittorgarh in HIndi

गुजरात के शासक सुल्तान बहादुर शाह ने सन 1535 में इस किले पर चढ़ाई किया। उन्होंने राजा बिक्रमजीत सिंह को पराजित कर इस किले को अपने कब्जे में ले लिया। इस दौरान 1537 में रानी कर्णावती ने अपने मर्यादा की रक्षा करते हुए जौहर किया था।

बादशाह अकबर द्वारा चढ़ाई

बादशाह अकबर ने 1567 इसबी में इस किले पर चढ़ाई कर महाराणा उदय सिंह द्वितीय को पराजित कर किले पर अधिकार कर लिया। अकबर से पराजित होने के बाद उदय सिंह ने इस किले को छोड़ दिया और उदयपुर शहर की स्थापना की।

सन 1616 ईसवी में मुगल सम्राट जहांगीर ने इस किले को मेवाड़ के महाराजा अमर सिंह को एक संधि के वाद वापस कर दिया। आज भी भारत के राजस्थान की शान इस विशाल किले का अवशेष राजपूत राजायों और रानियों के शौर्य की याद दिलाते  हैं।

चित्तौड़ पर जीतने भी आक्रमण हुए हर बार राजपूत राजायों और उनके सैनिको ने डटकर मुकाबला किया। उस दौरान देश के लिए राजपूत राजायों, सिपाही, रानियों ने दस्ता स्वीकर करने की जाये अपनी मर्यादा के लिए प्राणों की आहुति देना ठीक समझते थे।

इस प्रकार चित्तौड़  गढ़ का किला राजपूत राजाओं, सैनिकों और महिलाओं के अदम्य साहस, शौर्य और बलिदान का प्रतीक है।

चित्तौड़गढ़ के दुर्ग का इतिहास व किले की बनावट – Chittorgarh kila history in hindi

राजस्थान के चित्तौड़गढ़ किले (Chittorgarh Fort In Hindi) का निर्माण 7 वीं शताब्दी में मौर्य साम्राज्य के शासक द्वारा करवाया गया था। भारत का सबसे बड़ा इतिहासिक किला चित्तौड़गढ़ किले के नाम से जाना जाता है।

अरावली पहाड़ी पर 180 मीटर की ऊंचाई पर फैली यह किला बेरच नदी के बाएं तट पर स्थित है। यह किला नदी द्वारा बहाई गई घाटी के मैदानों के ऊपर लगभग 700 एकड़ से भी अधिक जगह पर फैला है।

राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में बेराच नदी के तट पर स्थित यह दुर्ग न सिर्फ राजस्थान का गौरव है। बल्कि इसकी गिनती भारत के सबसे बड़े और आर्कषक किलों में की जाती है।

History Of Chittorgarh Fort In Hindi - चित्तौड़गढ़ का किला
History Of Chittorgarh Fort In Hindi – चित्तौड़गढ़ का किला

किला के प्रांगण में 65 ऐतिहासिक निर्मित संरचनाएं हैं, जिनमें 4 प्रसिद्ध महल, 19 मुख्य मंदिर, 2 स्मारक और 20 कार्यात्मक जल-निकाय सम्मिलित हैं। राजपूत राजायों के शौर्य का प्रतीक इस विशाल किले के अंदर कई ऐतिहासिक स्तंभ, मंदिर और द्धार बेहद आकर्षक हैं।

इस किले में टोटल सात द्वार हैं। चित्तौड़गढ़ के किले तक पहुंचने के लिए  कई प्रवेश द्धार को पार करना पड़ता है। इन प्रवेश द्वारा में राम पोल, हनुमान पोल, लक्ष्मण पोल, गणपती पोल, भैरों पोल और सूर्य पोल के नाम प्रमुख हैं। सूर्य पोल इस किले का मुख्य प्रवेश द्वार कहलाता है।

चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास और दर्शनीय स्थल – chittorgarh tourist places in hindi

चित्तौड़गढ़ किले के इस विशाल प्रांगण में कई मंदिर, जलाशयों और विजय स्तंभों के अलावा कई अत्यंत ही सुंदर महल पर्यटक को अपनी तरफ खिचते हैं। इसके प्रमुख मंदिर, स्तंभों और महल का वर्णन इस प्रकार है।

चित्तौड़गढ़ दुर्ग से जुड़ी प्रमुख स्तम्भ का इतिहास

इस किले के अंदर बने दो टावर, कीर्ति स्तम्भ और विजय स्तम्भ प्रमुख हैं। जहॉं कीर्ति स्तम्भ की उचाई लगभग 24 मीटर और विजय स्तम्भ की उचाई लगभग 37 मीटर की है। यह स्तम्भ किले के आर्कषण में चार चाँद लगा रहे हैं। आईए इस स्तम्भ के बारें में संक्षेप में जानते हैं।

विजय स्तम्भ – VIJAY STAMBHA in hindi

History Of Chittorgarh Fort In Hindi - चित्तौड़गढ़ का किला
History Of Chittorgarh Fort In Hindi – चित्तौड़गढ़ का किला

विजय स्तम्भ या जया स्तम्भ, को चित्तौड़ का प्रतीक कहा गया है। इसे 1458 और 1468 के बीच राणा कुंभा ने मालवा के सुल्तान महमूद शाह खलजी पर अपनी जीत की यादगार में बनाया गया था। इसके निर्माण में दस वर्षों का समय लगा।

विजय स्तंभ की सबसे ऊपरी मंजिल पर जाने के लिए घुमावदार सीढि़यों द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। ऊपरी मंजिल से चित्तौड़गढ़ शहर का नजारा दृष्टिगोचर होता है।

कृति स्तम्भ – KIRTI STAMBHA in hindi

कीर्ति स्तम्भ एक 22 मीटर ऊँची मीनार है।  करीब 4.6 मी के आधार पर बनी यह स्तम्भ बाहर की तरफ से जैन मूर्तियों से सजी हुई है। यह स्तम्भ एक जैन व्यापारी जीजाजी राठौड़ द्वारा निर्मित है। जो प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित है।

इस भव्य और आकर्षक मीनार के अंदर कई जैन तीर्थकरों की मूर्तियां स्थापित हैं। इस प्रकार कीर्ति स्तंभ ऐतिहासिक और धार्मिक दोनो दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।

चित्तौड़गढ़ के प्रसिद्ध महल का इतिहास

इस भव्य किले के अंदर बने महल में राणा कुंभा का महल, झीना रानी महल, रानी पद्धमिनी महल और फतेह प्रकाश महल प्रमुख हैं। जो इस किले की आर्कषण और गौरवशाली अतीत का साक्षी है।

वर्तमान में फतेह प्रकाश महल में उस समय में उपयोग में आने वाली अस्त्र-शस्त्र सहित कई वस्तुओं रखी हुई है। आइये इस किले की सवसे प्रसिद्ध महल को संक्षेप में जानते हैं

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History Of Chittorgarh Fort In Hindi - चित्तौड़गढ़ का किला
रानी पद्मिनी का महल

पद्मिनी का महल किले के दक्षिण भाग में स्थित बेहद ही सुंदर महल है। इस महल के चारों तरफ पानी की खाई है। इस कारण यह जल महल की शैली अवधारणा के साथ सभी महलों से बेहद आकर्षक है।

इसी महल में जहाँ अलाउद्दीन खिलजी को रानी पद्मिनी की दर्पण छवि को देखने की अनुमति मिली थी। रानी पद्मिनी जो अपने अनुपम सौन्दर्य के लिए प्रसिद्ध थी। कहते हैं की रानी पद्मिनी की सुंदरता की इस झलक ने उन्हें मोहित कर लिया।

इस प्रकार खिलजी ने रानी को पाने की हसरत से चित्तौड़ को नष्ट करने का मन बना लिया। भयंकर युद्ध हुआ और महाराणा रतन सिंह मारे गए। तत्पश्चात रानी पद्मिनी ने अपनी मर्यादा की रक्षा के लिए जौहर किया।

राणा कुंभा महल 

राजपूतों राजाओं के अदम्य साहस का प्रतीक चित्तौड़गढ़ के किले के अंदर स्थित राणा कुंभा महल प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है।

इस महल को चित्तौड़गढ़  दुर्ग का सबसे पुराने महल भी माना गया है। राजा उदय सिंह का जन्म इसी महल में हुआ था जिन्होंने आगे चलकर उदयपुर नगर को बसाने का काम किया था।

किले परिसर में स्थित प्रमुख मंदिर

इस इतिहासिक किले के परिसर में अनेकों मंदिर बने हुए है। जिसमें मीरा बाई मंदिर, श्रृंगार चौरी मंदिर, नीलकंठ महादेव मंदिर, कलिका मंदिर, जैन मंदिर, गणेश मंदिर, कुंभ श्याम मंदिर आदि प्रमुख हैं।

प्रमुख जल-निकाय

कहा जाता था की कभी चित्तौड़गढ़ किला (Chittorgarh Fort ) में 84 जल निकायों थे लेकिन अब केवल 22 दृष्टिगोचर हैं। यह जल-निकाय चार साल तक 50,000 की सैनिकों को पीने का पानी की आपूर्ति करने में सक्षम था।

ये जल निकाय तालाबों, कुओं और कुंडों के रूप में था। जल-निकाय के प्रमुख कुंडों में शानदार गौमुख कुंड भी इस किले के प्रमुख आर्कषणों में से एक है।

अगर आप google पर history of chittorgarh in hindi , chittorgarh kila history in hindi खोज रहें हैं तो यह जानकारी लाभदायक हो सकती है। आपको चित्तौड़गढ़ दुर्ग का इतिहास (Chittorgarh fort history in Hindi) से जुड़ी जानकारी जरूर अच्छी लगी होगी अपने कमेंट्स से अवगत करायें।

इन्हें भी पढ़ें –

चित्तौड़गढ़ का किला किसका प्रतीक है?

चित्तौड़गढ़ का किला राजपूत राजाओं के आन बान और शान का प्रतीक है। साथ है यह किला उन राजाओं के रानियों के द्वारा जौहर के लिए भी जाना जाता है।

चित्तौड़गढ़ भारत के किस राज्य में है?

चित्तौड़गढ़ भारत के राजस्थान राज्य में है।

बाहरी कड़ियाँ (External linsk)

चित्तौड़गढ़ दुर्ग – विकिपीडिया

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