कुंभलगढ़ किला का इतिहास और जानकारी | History of Kumbhalgarh fort in Hindi

History of Kumbhalgarh fort in Hindi – कुम्भलगढ़ दुर्ग राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित एक एतिहासिक किला है। यह किला मेवाड़ के महान शासकों के गौरवपूर्ण इतिहास का जीता-जागता प्रमाण है।

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राजस्थान के चित्तौड़गढ़ किले के बाद ‘कुंभलगढ़ किले‘ की गिनती राज्य के दूसरे सबसे बड़े किले में की जाती है। इस किले की लोकप्रियता और गौरवशाली इतिहास के कारण यूनेस्को ने इसे 2013 में विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल किया।

कुंभलगढ़ किला का इतिहास से पता चलता है की यह किला महान प्रतापी शासक महाराणा प्रताप की जन्म का साक्षी है। इसके अलावा यह किला राजा उदय सिंह का राज्याभिषेक और महाराणा कुंभा की हत्या का भी गवाह भी रहा है।

यहीं पर माता पन्नाधाय ने राजवंश के उतराधिकारी राणा उदय सिंह के जान बचाने हेतु अपने बेटे का बलिदान कर महान त्याग का परिचय दिया था। आइये इस लेख मे कुंभलगढ़ किले का इतिहास (Kumbhalgarh Fort) के बारें में थोड़ा विस्तार से जानते हैं।

कुम्भलगढ़ दुर्ग का इतिहास और संक्षिप्त परिचय – Kumbhalgarh fort details

निर्माणकर्ता (Kumbhalgarh fort made by)–  महाराणा कुम्भा ने
निर्माण वर्ष – 1443 से 1458 तक
कुंभलगढ़ की दीवार– 36 कि.मी. लंबी
कुंभलगढ़ दुर्ग की ऊंचाई– करीब 3500 फिट
जिला  – राजसमंद
राज्य  – राजस्थान ( भारत )

कुंभलगढ़ किले का इतिहास – Kumbhalgarh fort History in Hindi

भारत के राज्य राजस्थान को किलों और महलों का राज्य कहा जाय तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। भारत के इस राज्य में अनगनित संख्या में किले और महल हैं। इन्हीं किलो में कुम्भलगढ़ का किला का भी जिक्र आता है।

राजस्थान के राजसमंद जिले में करीब 30 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला यह किला मेवाड़ के गौरवशाली इतिहास तथा शौय का सदियों से साक्षी रहा हैं।

मेवाड़ के महाप्रतापी शासक महाराणा कुम्भा ने इस किले का निर्माण करवाया था। उन्हीं के नाम पर इस किले को कुम्भलगढ़ कहते हैं.

महाराणा प्रताप ने हल्दीघाटी की लड़ाई से पूर्व इसी किले में रहकर युद्ध की तैयारियां की थी। साथ ही महाराणा प्रताप ने हल्दीघाटी की लड़ाई के समाप्ति के बाद इसी किले में रहे थे।

प्राचीन कुम्भलगढ़ फोर्ट का इतिहास – History of Kumbhalgarh fort in Hindi

इस किले के सम्बन्ध में कोई प्राचीन ऐतिहासिक दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन कुंभलगढ़ दुर्ग का इतिहास से पता चलता है की सम्राट अशोक के पुत्र द्वारा इस प्राचीन दुर्ग का निर्माण करवाया गया था।

बाद में कई आक्रमणों के चलते जब यह दुर्ग विध्वस्त हुआ। तब उन्ही प्राचीन दुर्ग के अवशेषों पर 1448 में राणा कुंभा ने कुंभलगढ़ किले का निर्माण किया। महाराणा कुम्भा ने  अपनी पत्नी कुंभल देवी की याद में इस किले को बनवाया था।

यह किला कई युद्धों और मेवाड़ के गौरवशाली इतिहास का साक्षी है। प्रसिद्ध इतिहासकार कर्नल टाड ने इस दुर्ग की तुलना “एस्टुकन”से की है।

Kumbhalgarh fort History in Hindi

कुंभलगढ़ दुर्ग के उपनाम – Kumbhalgarh ka kila in Hindi

राजस्थान का यह एटिहासिक कुम्भलगढ़ का किला करीब 36 किलोमीटर लंबी और ऊँची दीवार से घिरा है। कहा जाता है की यह चीन की महान दीवार के बाद दुनियाँ का दूसरा सबसे लंबा दीवार है।

ऊंचे और मजबूत दीवार इस किले को अभेद बनाती है। इस कारण से इस किले को अजेयगढ़ किले जैसे उपनाम से भी जाना जाता था।

कुम्भलगढ़ किले की रोचक जानकारी – Interesting facts about Kumbhalgarh fort

  • किले की ऊंची और मजबूत दीवार इसे अभेद बनाती थी। इस किले में प्रवेश द्वार के अलावा कहीं से भी घुसना संभव नहीं था।
  • यह किला महाराणा प्रताप के जन्मस्थल के रूप में भी जाना जाता है।
  • कहते हैं की महाराणा प्रताप ने हल्दीघाटी की लड़ाई से पूर्व इसी किले में रहकर युद्ध की तैयारियां की थी।
  • महाराणा प्रताप ने हल्दीघाटी की लड़ाई के समाप्ति के बाद इसी किले में रहे थे।
  • इस किले के अंदर कई मंदिर और महल दर्शनीय हैं, जिसमें कुम्भस्वामी का मंदिर,  झाली रानी का महल और बादल महल प्रसिद्ध हैं।
  • कुंभलगढ़ दुर्ग के निर्माण में करीब 15 साल का समय लगा था।
  • क्षेत्रफल की दृष्टिकोण से चित्तौड़ गढ़ किले के बाद राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा किला है।
  • कुंभलगढ़ किले के आसपास करीब 300 से अधिक जैन और हिन्दू मंदिर हैं।

कुंभलगढ़ दुर्ग की विशेषताएं

कुंभलगढ़ किले की दीवार चीन की दीवार के बाद दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार कहलाती है। अरावली पहाड़ी पर स्थति कुंभलगढ़ दुर्ग की ऊंचाई जमीन से करीब 3500 फिट है।

कुंभलगढ़ दुर्ग का शिल्पी ने इस किले को इस प्रकार डिजाइन किया था की किले को दीवार को भेद माना नामुमकिन था। यह कुंभलगढ़ दुर्ग की विशेषता कही जा सकती है। इस कारण से यह किला अजयगढ़ किले के नाम से पुकारा जाता है।

इस इतिहासिक दुर्ग परिसर के अंदर भी एक और गढ़ है जिसे “कटारगढ़” कहा जाता है। यह गढ़ सात विशाल द्वारों व मजबूत दीवारों से सुरक्षित है। इस गढ़ के शीर्ष भाग में स्थित बादल महल तथा कुम्भा महल दर्शनीय है।

कुम्भलगढ़ किले की जानकारी – Kumbhalgarh fort information in Hindi

कुंभलगढ़ का इतिहास हमें इसके गौरवशाली अतीत से परिचय करवाता है। झीलों के शहर उदयपुर से करीब 80 किमी दूर कुंभलगढ़ राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित है। कुंभलगढ़ का किला राणा कुंभा ने बनवाया था।

इसकी अभेद दीवार के कारण दुश्मन द्वारा इसे जीत पाना संभव नहीं था। कुम्भलगढ़ का युद्ध की बात की जाय तो महान प्रतापी राजा महाराणा प्रताप ने 1576 में हल्दी घाटी के युद्ध के पहले और बाद में भी यहीं रुके थे।

कुंभलगढ़ के दर्शनीय स्थल में कई मंदिर और महल पर्यटक को आकर्षित करता है।

किले के इतिहास से जुड़े कहानी

कहते हैं की जब महाराणा कुंभा जब इस किले की दीवार का निर्माण कर रहे थे तब उन्हें बार-बार निर्माण में बाधा आ रही थी। तब उन्होंने किसी संत से संपर्क किया। संत ने उन्हें इसके उपाय में स्वैच्छिक मानव बलि की बात कही।

कहा जाता है की जब कोई नहीं मिला तब उसे संत ने ही स्वेच्छा से अपना बलिदान दिया। संत ने उन्हे कहा की जब में पहाड़ी पर चढ़ना शुरू करूंगा तुम मेरा अनुसरण करोगे।

जिस स्थान पर पहली बार में रुकूँगा उस स्थान पर किले का मुख्य द्वारा बनवाना। उसके बाद आगे चलकर जहां में दूसरी बार रुकूँगा वहाँ मेरे सिर काट कर उस स्थान पर मंदिर बनवा देना।

आज भी किले के प्रवेश द्वार ‘हनुमान पोल’ के पास उनकी स्मृति में मंदिर निर्मित है।

कुम्भलगढ़ किले पर हुए आक्रमण का इतिहास

वैसे तो यह किला अभेद माना जाता है। इस किले का मजबूत दीवार हमेशा से ही दुश्मनों के आँखों की किरकिरी रही। यधपी इस किले पर कई आक्रमण हुए लेकिन हमेशा निराशा ही हाथ लगी। इस किले को आसानी से जीतने में कोई कामयाब नहीं हो सका।

इस किले के इतिहास से पता चलता है की इस किले पर अलाउद्दीन खिलजी और गुजरात के शासक अहमद शाह ने चढ़ाई की थी लेकिन निराश होकर लौटना पड़ा था।

उसके बाद इस किले पर महमूद खिलजी ने कई बार आक्रमण किया परंतु वह भी इस किले को जीतने में नाकामयाब रहा। कालांतर पर इस किले पर अकबर, राजा मान सिंह और मारवाड़ के शासकों ने भी आक्रमण किया लेकिन सफल नहीं हो सके।

हालांकि कहा जाता है की यह किले कुछ दिनों तक अकबर के सेनापति शाहबाज खान के अलावा मराठों के भी कब्जे में रहा।

जानकारी की बातें (F.A.Q)

कुंभलगढ़ दुर्ग किस पहाड़ी पर बना हुआ है ?

कुंभलगढ़ किला की गिनती राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध किलों में होती है। यह दुर्ग झीलों की नगरी उदयपुर से कुछ दूरी पर अरावली की पहाड़ी पर बना हुआ है

कुंभलगढ़ किले को मेवाड़ के किस राजा का जन्म स्थान माना जाता है?

कुंभलगढ़ किले को मेवाड़ के महान प्रतापी राज्य महाराणा प्रताप का जन्म स्थान माना जाता है। उन्होंने 1576 ईस्वी में मुगलों की सेना के साथ प्रसिद्ध हल्दी घाटी का युद्ध लड़ा था।

कुंभलगढ़ की दीवार कितनी लंबी है ?

राजस्थान के प्रसिद्ध किला कुंभलगढ़ की दीवार की लंबाई करीब 36 किमी है। कहीं कहीं पर इसके दीवार की मोटाई 15 से 25 फिट तक है।

कुंभलगढ़ दुर्ग का निर्माण किसने करवाया ?

समुन्द्र तल से करीब 3500 फिट अरावली पहाड़ी पर स्थित इस किले का निर्माण 1458 ईस्वी में राणा कुंभा ने करवाया। 

प्रश्न – कुंभलगढ़ किले का प्रमुख वास्तुकार कौन था

उत्तर – कुंभलगढ़ दुर्ग का वास्तुकार मण्डन था। यह इतिहासिक किला राजस्थान के राजसमंद जिले के  कुंभलगढ़ में स्थित है।

प्रश्न – कुंभलगढ़ दुर्ग कौन सी पहाड़ी पर स्थित है?

उत्तर – कुंभलगढ़ दुर्ग अरावली की पहाड़ी पर स्थित है।

प्रश्न – उदयपुर से कुंभलगढ़ कितना किलोमीटर है?

उत्तर – उदयपुर से कुंभलगढ़ करीब 85 किलोमीटर है।

प्रश्न – कुंभलगढ़ किला कहां स्थित है?

उत्तर – कुंभलगढ़ किला उदयपुर से लगभग 80 किमी दूर राजसमंद जिले में स्थित है।

प्रश्न – कुंभलगढ़ का राजा कौन था?

उत्तर – कुंभलगढ़ का राजा राणा कुंभा था। कहा जाता है की उन्होंने अपने शासन करीब 32 किले का निर्माण करवाया। इन्ही के द्वारा निर्मित किले में कुंभलगढ़ का नाम आता है।

प्रश्न – कुंभलगढ़ किले का निर्माण कब हुआ?

उत्तर – कुंभलगढ़ किले को राजा राणा कुंभा ने बनवाया था। इस किले का निर्माण 1458 ईस्वी में पूरा हुआ था। राजा राणा कुंभा ने इस किले को वनवाने की शुरुआत 1445 ईस्वी में किया था। जो करीब 15 साल बाद पूरा हुआ।

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बाहरी कड़ियाँ (External links)

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