राकेश शर्मा भारत के पहले अंतरिक्ष थे। उन्होंने 3 अप्रैल 1984 को अंतरिक्ष में कदम रखने वाले पहले भारतीय व्यक्ति हैं। उन्होंने अंतरिक्ष स्टेशन सैल्यूट 7 पर करीब एक हफ्ते व्यतीत किए। इस प्रकार भारत का नाम अंतरिक्ष में भेजने वाला विश्व का 14वां देश बन गया।
अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का जीवन परिचय : Rakesh Sharma ka jivan parichay in Hindi
विज्ञान के क्षेत्र में भले ही अंतरिक्ष यात्रा को मानव जाति के लिए एक क्रांतिकारी कदम माना जाता है, लेकिन अंतरिक्ष यात्रा किसी भी अंतरिक्ष विज्ञानी के लिए एक सपना होता है। यह यात्रा हम सभी के लिए किसी रोमांच से कम नहीं है।
अंतरिक्ष में जाने वाले भारत के पहले व्यक्ति स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा थे। भारतीय वायुसेना के अधिकारी स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष यात्रा के द्वारा एक इतिहास रच डाला।
जब उन्होंने 2 अप्रैल, 1984 को दो अन्य सोवियत अंतरिक्ष यात्रियों के साथ अंतरिक्ष यान सोयुज टी-11 में सवार होकर अंतरिक्ष की यात्रा पर निकले। यह दिन भारत के लिए के लिए एक ऐतिहासिक दिन था।
अपने अंतरिक्ष यात्रा में राकेश शर्मा सोवियत रूस द्वारा स्थापित अंतरिक्ष केंद्र सोलुज-7 पर उतरे जहाँ उन्होंने करीब 8 दिनों बिताए।
Wishing the first #Indian in space – Wg.Cdr.(R) Rakesh Sharma ji a very Happy Birthday. Here's the man inspiring the #youth of #India 🇮🇳 pic.twitter.com/UOW8gJnCfo
— Vijay Goel (मोदी का परिवार) (@VijayGoelBJP) January 13, 2017
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इस प्रकार राकेश शर्मा अंतरिक्ष जाने वाले भारत के पहले और दुनिया के 128वें व्यक्ति बन गए। भारत के राकेश शर्मा द्वारा अंतरिक्ष में कदम रखने हर भारतीय के लिए गर्व से काम नहीं है।
अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा की जीवनी संक्षेप में : Rakesh Sharma ki jivani
पूरा नाम | – राकेश शर्मा |
जन्मतिथि | – 13 जनवरी 1949 |
जन्मस्थान | -पटियाला, पंजाब |
पिता का नाम | -देवेन्द्रनाथ शर्मा, |
माता का नाम | – त्रिपता शर्मा |
पत्नी | – मधु शर्मा |
बच्चे | – कपिल और कृतिका। |
पूर्व छात्र | – राष्ट्रीय रक्षा अकादमी |
व्यवसाय | – IAF फाइटर पायलट |
नागरिकता | – भारतीय |
राकेश शर्मा जीवनी: जन्म, आयु और माता-पिता
राकेश शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1949 को भारत में पंजाव राज्य के पटियाला में एक गौड़ ब्राह्मण परिवार में हुआ था। राकेश शर्मा के माता जी का नाम तृप्ता शर्मा और पिता का नाम देवेन्द्र शर्मा था।
कहा जाता है की राकेश के जन्म के तुरंत बाद उनके माता-पिता वर्तमान तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद शहर में रहने लगे। बचपन से ही राकेश शर्मा को गोल्फ, बागवानी, योग, पढ़ना और सैर करने में अधिक रुचि थी।
शिक्षा-दीक्षा:
आरंभिक शिक्षा के लिए उनका नामांकन हैदराबाद के सेंट जॉर्ज ग्रामर स्कूल में हुआ। अपनी प्रारम्भिक पढ़ाई पूरी करने के बाद आगे स्नातक की पढाई के लिए राकेश शर्मा का हैदराबाद स्थित उस्मानिया विश्वविद्यालय में दाखिला मिला। जहाँ से उन्होंने स्नातक की पढाई शुरू की।
इस क्रम में उनका वर्ष 1966 में राष्ट्रीय सुरक्षा अकादमी (NDA) में उनका चयन हो गया। फलतः वे अपने ट्रेनिंग पूरा करने के लिए पुणे के खड़कवासला लिए चले गए। 35वीं राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में अपना ट्रेनिंग पूरा कर भारतीय वायुसेना को अपना कैरियर चुना।
राकेश शर्मा का कैरियर (Rakesh Sharma career)
एनडीए में ट्रैनिंग के बाद राकेश शर्मा को वर्ष 1970 में भारतीय वायुसेना में एक परीक्षण पायलट के रूप में शामिल हुए। पायलट के रूप में भारतीय वायु सेना में शामिल होने के बाद उन्हें कई प्रकार के लड़ाकू विमानों को उड़ाने का अवसर मिला।
बर्ष 1971 के भारत पाकिस्तान लड़ाई के समय भी उन्होंने मिग-21 सहित कई लड़ाकू जेट विमान से उड़ान भरी। बर्ष 1984 में वायु सेना के स्क्वाड्रन लीडर रैंक पर पदोनती हुई।
बर्ष 1982 में इंडियन एयर फोर्स और सोवियत संघ के इंटरकोस्मोस अंतरिक्ष कार्यक्रम के संयुक्त कार्यक्रम के तहद अंतरिक्ष यात्रा के लिए उनके नाम पर विचार होने लगा।
अंतरिक्ष यात्री के रूप में चयन:
राकेश शर्मा को 20 सितंबर 1982 को भारत और सोवियत संघ के बीच एक संयुक्त पहल के तहद एक अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए मुख्य सूची में उनका नाम शामिल किया गया। उनके स्टैंडबाय के रूप में विंग कमांडर रवीश मल्होत्रा को रखा गया था।
इसके लिए उन्हें रूस के मॉस्को में स्थित यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में करीब 2 वर्ष कठिन प्रशिक्षण दिया गया। यहाँ तक की 72 घंटों तक एक बंद कमरे में रखकर भी उन्हें परखा गया था। अंतोगत्वा उनका अंतरिक्ष यात्रा के लिए फाइनल लिस्ट में शामिल किया गया।
राकेश शर्मा का अंतरिक्ष का सफर:
राकेश शर्मा 3 अप्रैल 1984 को अंतरिक्ष जाने के लिए सोवियत रॉकेट सोयुज टी-11 पर सवार हुए। इस यात्रा में राकेश शर्मा सहित कुल तीन लोग थे, जिसमें अंतरिक्ष यान कमांडर यूरी मालिशेव और फ्लाइट इंजीनियर गेनाडी स्ट्रेकालोव शामिल थे।
उनके अंतरिक्ष शटल सोयुज टी-11 को 3 अप्रैल 1984 को रूस के बैकोनूर कॉस्मोड्रोम से लॉन्च किया गया था। धीरे धीरे उनका स्पेस शटल अंतरिक्ष की तरफ बढ़ना शुरू हो गया। अंत में उनका अंतरिक्ष शटल सफलतापूर्वक अंतरिक्ष स्टेशन सैल्युट 7 पर पहुच गया।
अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय:
इस प्रकार राकेश शर्मा सोवियत रॉकेट सोयुज टी-11 पर सवार होकर अंतरिक्ष जाने वाले पहले भारतीय बन गए। अंतरिक्ष स्टेशन सैल्युट 7 ऑर्बिटल स्टेशन पर राकेश शर्मा ने 7 दिन, 21 घंटे और 40 मिनट बिताए। इस दौरान उन्होंने करीब 43 वैज्ञानिक और तकनीकी अध्ययन और प्रयोग किया।
इस तरह राकेश शर्मा द्वारा अंतरिक्ष में कदम रखने के साथ ही भारत अंतरिक्ष पहुचने वाला दुनियाँ का 14वां देश के लिस्ट में शामिल हो गया। अंतरिक्ष में उन्होंने शून्य गुरुत्वाकर्षण योग का अभ्यास भी वहाँ किया तथा अंतरिक्ष से भारत की तस्वीरें भी खिचीं।
इस दौरान राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष से भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी से भी बात की थी। जब राकेश शर्मा से पूछा गया कि अंतरिक्ष से हमारा भारत कैसा दिखाई पड़ता है। तब उन्होंने कहा था, सारे जहां से अच्छा।
अंतरिक्ष यात्रा के दौरान अपने साथ क्या-क्या ले गए:
अंतरिक्ष में ले जाने के लिए राकेश शर्मा को डिफेंस फूड रिसर्च लैब, मैसूर कि तरफ से सूजी का हलवा, आलू छोले और शाकाहारी पुलाव दिया गया था।
कहा जाता है की इसके अलावा राकेश शर्मा तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी, राष्ट्रपति ज्ञानी ज़ैल सिंह, रक्षा मंत्री वेंकटरमन के चित्र तथा महात्मा गांधी की समाधि राजघाट की मिट्टी भी अंतरिक्ष में साथ ले गए थे।
राकेश शर्मा: पत्नी और बच्चे
राकेश शर्मा की शादी कर्नल पी एन शर्मा की पुत्री मधु शर्मा के साथ हुआ। उन्हें दो बच्चे हैं जिनके नाम कपिल और कृतिका है।
राकेश शर्मा: पुरस्कार एवं सम्मान
अंतरिक्ष से लौटने पर राकेश शर्मा को कई सम्मान व पुरस्कार प्राप्त हुए।
- स्वतंत्रता पदक की 25वीं वर्षगांठ
- 9 ईयर लॉन्ग सेवा पदक
- सैनिक सेवा पदक
- संग्राम पदक
- विदेश सेवा सेवा पदक
- हीरो ऑफ द सोवियत यूनियन
- अशोक चक्र
हीरो ऑफ द सोवियत यूनियन का सम्मान पाने वाले वह एकमात्र भारतीय हैं।
सेवानिवृत्ति
बर्ष 1987 में भारतीय वायुसेना से विंग कमांडर के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद वे एचएएल (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) से जुड़ गए। जहाँ पर उन्होंने 1992 तक HAL के नासिक डिवीजन में मुख्य परीक्षण पायलट के रूप में अपनी सेवा दी। बाद में वे तमिलनाडु के कुन्नूर में जाकर बस गए।
राकेश शर्मा: वर्तमान जीवन
वर्तमान में राकेश शर्मा अपनी पत्नी मधु के साथ तमिलनाडु के कुन्नूर में रह रहे हैं। राकेश शर्मा एक सफल अंतरिक्ष यात्री ही नहीं बल्कि लोकप्रिय प्रेरक वक्ता और लेखक भी हैं। अंतरिक्ष में अपने अनुभवों के बारे में राकेश शर्मा ने कई किताबें लिखकर साझा किया है।
वह भारत के गगनयान कार्यक्रम में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य भी हैं। इसके साथ ही वे इसरो की राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य के रूप में भी भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़े हैं।
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F.A.Q
राकेश शर्मा का जन्म कब हुआ
13 जनवरी, 1949, पटियाला , पंजाब
राकेश शर्मा के अंतरिक्ष यान का नाम
अंतरिक्षयान –सोयुज टी-11
क्या राकेश शर्मा जिंदा है
हाँ, वर्तमान में भारत के प्रथम अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा अपने परिवार के साथ तमिलनाडु के कुन्नूर में रह रहे हैं।
राकेश शर्मा अंतरिक्ष में कब गए थे
3 अप्रैल 1984 को