राजस्थान की सम्पूर्ण जानकारी – information about rajasthan in hindi
राजस्थान के बारे में – introduction of rajasthan in hindi
राजस्थान (State of India) भारत का प्रसिद्ध एतिहासिक प्रदेश रहा है। भारत की राजवाराओं की भूमि राजस्थान कई शासकों के शासन का प्रत्यक्ष साक्षी रहा है। राजस्थान की घरती राजा-महाराजाओं और रनवानकुरों की धरती कहलाती है।
राजस्थान, जिसका अर्थ है “राजाओं का निवास“, जिसे पहले राजपूताना कहा जाता था अर्थात “राजपूतों का देश” ।प्राचीनकाल में इस प्रदेश को वाल्मीकि द्वारा ‘मरुकान्तार‘ ने नाम से उल्लेख मिलता है।
यह राज्य सदियाँ से राजपूत राजाओं की भूमि रही है। इस कारण कुछ लोग राजस्थान का पुराना नाम ‘राजपूताना’ कहते हैं। इतिहासकारों के अनुसार सबसे पहले जॉर्ज थॉमस द्वारा सन 1800 ईस्वी में ‘राजपूताना‘ शब्द का प्रयोग किया गया था।
इस प्रदेश की धरती कई युद्धों और शासकों के शासन के उठा-पटक का साक्षी है। यहाँ के रनबाकुरों ने जहां अपनी धरती के लिए अंत तक बहादुरी से लड़ाई की। वहीं उनकी रानियों ने भी जौहर कर अपने असीम साहस और बलिदान का परिचय दिया।
आजादी से पहले, इसमें लगभग दो दर्जन से अधिक देशी रियासतें थी। 1947 के बाद सभी रियासतों का भारत में विलय किया कर इस परदेश का नाम राजस्थान रखा गया।
पर्यटन की दृष्टि से यह प्रदेश भारतवर्ष में अहम स्थान रखता है। भारत के इस अनुपम प्रदेश में जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, उदयपुर, जैसलमेर जैसे कई ऐतिहासिक नगर मौजूद हैं।
यहाँ के सुंदर व भव्य हवेलियाँ, पुराने किले और अन्य विरासत की चीजें अनुपम व दर्शनीय हैं। इन्हें देखने प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में पर्यटक राजस्थान आते हैं। आइए इस लेख में Rajasthan information हिंदी में विस्तार से जानते हैं।
राजस्थान के बारे में जानकारी (Information about Rajasthan in Hindi )
rajasthan | ke baren me |
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राज्य का नाम | राजस्थान (Rajasthan) |
राजस्थान की राजधानी | जयपुर |
स्थापना दिवस | 30 मार्च 1949 |
राजस्थान का क्षेत्रफल | 342239 वर्ग किलोमीटर |
राजस्थान का राजकीय पशु | चिंकारा और ऊंट |
राजस्थान की राजकीय पक्षी | इंडियन बस्टर्ड |
राजस्थान की राजकीय फूल | रोहिरा |
राजस्थान की राजकीय वृक्ष | खेजरी |
राजस्थान के प्रथम राज्यपाल | गुरूमुख निहाल सिंह |
राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री | हीरालाल शास्त्री |
राजस्थान में कुल जिले की संख्या | 33 |
राज्य में लोकसभा की कुल सीटें | 25 |
राज्य में राज्यसभा की कुल सीटें | 10 |
विधानसभा की कुल सीटें | 200 |
राजस्थान का इतिहास और संस्कृति – Rajasthan history and culture in Hindi
इस प्रदेश की इतिहास और संस्कृति सदियों से ही समृद्ध रही है। पहले हम राजस्थान के इतिहास के बारे में जानते हैं उसके बाद हम उसकी संस्कृति की चर्चा करेंगे।
प्राचीन राजस्थान का इतिहास – history of rajasthan in hindi
राजस्थान का इतिहास अति प्राचीन माना जाता है। इतिहासकारों के अनुसार इस प्रदेश का इतिहास करीब 5000 वर्ष पुराना माना जाता है। यहाँ सुविधा के दृष्टि से राजस्थान का इतिहास तीन भागों में विभक्त कर चर्चा की गई है।
राजस्थान का प्राचीन, मध्य कालीन और आधुनिक इतिहास। राजस्थान का प्राचीन इतिहास की बात करें तो यह प्रदेश कई शासकों के साम्राज्य का हिस्सा रहा है। कभी पुराने समय में यह मौर्य साम्राज्य के द्वारा शासित था। राजस्थान वीर राजपूत योद्धाओं की धरती मानी जाती है।
इस धरती पर कई महान रणबांकुरों न जन्म लिया। भारत में इस प्रदेश पर कई राजपूत राजाओं अनेकों वर्ष तक राज्य किया। इन राजपूत राजाओं का राजस्थान के इतिहास में अहम योगदान है।
मध्यकालीन राजस्थान के इतिहास पर नजर डालें तो उस बक्त मेबाड़ राजस्थान का सबसे शक्तिशाली राज्य था। बाद में यह क्षेत्र मुगलों के अधीन हो गया। राजपूतों के आन बान और शान और अद्भुत वीरता के कायल मुगल सम्राट अकबर भी थे।
यह अकबर की बुद्धिमानी कही जा सकती है की उन्होंने राजपूतों को साथ लेकर चले। उन्होंने राजपूतों को अपने सेनानायक बनाकर अपने अति विस्तार साम्राज्य को संभाले रखा।
लेकिन औरंगजेब की नदानी कही जा सकती है की उन्होंने जीवन पर इन योधायों से लड़ते रहे। शायद यही कारण रहा की औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य का पतन होने लगा। मुग़ल साम्राज्य के पतन के बाद वहाँ मराठा साम्राज्य का अधिकार हो गया।
राजपूत राजाओ के बारें में एक बात कही जाती है की वे कभी एक जुट होकर नहीं रहे। जब वे किसी बाहरी दुश्मन से नहीं लड़ रहे होते थे। तब वे आपस में ही छुट-पुट युद्धों में व्यस्त रहकर अपनी शक्ति को क्षीण करते रहते थे।
इसी कारण से बाहरी आक्रमण के समय उन्हें हार का मुंह देखना पड़ता था। लेकिन राजपूत योद्धा की वीरता की कोई सानी नहीं थी। ये बिकट परिस्थिति में भी नहीं घबराते थे। जब वे देखते थे की हार निश्चित है।
तब वे केसरिया बाना पहनकर युद्ध में शहीद होने के लिए निकल पड़ते थे। इन राजपूत राजाओं के रानियाँ और बच्चे भी कम वीर नहीं थे। अपने पराजय को निकट जान वे लोग चिता में जल कर जौहर करने में पीछे नहीं थे।
चितौड़गढ के इतिहास से इस बात कई प्रमाण मिलते हैं। कलांतर में कई राजाओ के शासन के बाद यह प्रदेश ब्रिटिश शासन के अधीन हो गया।
Google web stories – राजस्थान के किले और महल
राजस्थान का एकीकरण – Rajasthan ka ekikaran
राजस्थान का एकीकरण सात चरणों में सम्पन्न हुआ था। यद्यपि इस राज्य की स्थापना की घोषणा तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल ने 14 जनवरी 1949 को कर दी थी। लेकिन यहाँ के गणमान्य व्यक्ति ने राजस्थान की स्थापना शुभ मुहूर्त देखकर करने का निश्चय किया।
इसके लिए राजस्थान की स्थापना दिवस एक सम्मत से 30 मार्च, 1949 को निश्चित किया गया। इस दौरान कई गणमान्य व्यक्ति ने भाग लिया। इस राज्य का वर्तमान स्वरूप सात चरणों में पूरा हुआ था।
15 अगस्त 1947 में भारत के आजाद होने के बावजूद भी राजस्थान कई छोटी – छोटी रियासतों में विभक्त था। राजस्थान के एकीकरण के पहले चरण में चार रियासतों अलवर, भरतपुर, धौलपुर और करौली को एकत्र किया गया।
दूसरे चरण में कोटा, बूंदी, झालावाड़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, किशनगढ़, टोंक और मेवाड़ क्षेत्र वाले शाहपुरा इस प्रदेश का हिस्सा बना। एकीकरण के तीसरे चरण में उदयपुर रियासत को राजस्थान में मिलाया गया।
इस प्रकार बाद के चरणों में जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर, सिरोही, आबू और देलवाड़ा रियासत राजस्थान का हिस्सा बना। इस प्रकार भारत के मानचित्र में राजस्थान का वर्तमान स्वरूप सामने आया।
राजस्थान राज्य का गठन – all about rajasthan in hindi
तत्कालीन गृह मंत्री के कुशल सूझबूझ से राजस्थान के सभी रियासत का भारत में विलय हुआ। आजादी के बाद राज्य के एकीकरण हुआ। तब 30 मार्च 1949 में प्रमुख रियासत के विलय के बाद इस प्रदेश का नाम संयुक्त राजस्थान रखा गया था।
इसी कारण से राजस्थान का स्थापना दिवस 30 मार्च को प्रतिवर्ष मनाया जाता है। बाद में अन्य सभी रियासतों के एकीकरण के बाद सर्व सम्मति से इस राज्य का नाम राजस्थान रखा गया।
जब 1956 में राज्यों का पुनर्गठन हुआ तब 1 नबम्वर 1956 को राजस्थान राज्य का वर्तमान स्वरूप सामने आया।
राजस्थान की राजधानी (Capital Of Rajasthan In Hindi)
आजादी के बाद 1 नबम्वर 1956 की राजस्थान राज्य की स्थापना हुई। राजस्थान के गठन के बाद इसकी राजधानी जयपुर बनायी गई। जयपुर भारत का गुलाबी शहर कहलाता है।
इतिहासकारों के अनुसार इस शहर की स्थापना का श्रेय महाराजा जयसिंह को जाता है।
गुलाबी शहर (पिंक सिटी) जयपुर को राजस्थान का पेरिस भी कहा जाता है। यहॉ के प्रसिद्ध शहर में जयपुर, जोधपुर, अजमेर, अलवर, भरतपुर, माउंट आबू जैसलमेर, कोटा, चित्तोड़गढ़, बीकानेर के नाम शामिल हैं।
राजस्थान का नक्शा – Rajasthan Images
राजस्थान के जिले
राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टी से भारत का पहला राज्य है। यहाँ के प्रमुख जिले में अजमेर, अलवार, बाड़मेर, बँसवारा, बरन, बीकानेर, भीलवाड़ा, भरतपुर, बूँदी, चित्तौडग़ढ़, चूरू, दौसा, डूंगरपुर, ढोलपुर, हनुमानगढ़, जालौर, जयपुर,
जैसलमेर, झलवार, जोधपुर, झुनझुनु, करौली, कोटा, प्रतापगढ़, पाली, नागौर, सवाई माधोपुर, राजसमंद, सिरोही, सीकर, टोंक, श्रीगंगानगर, उदयपुर आदि का नाम आता है।
राजस्थान के जैसलमेर जिले का क्षेत्रफल सबसे अधिक है। जनसंख्या की दृष्टि से जयपुर राज्य का सबसे बड़ा जिला है।
राजस्थान का भूगोल
राजस्थान का क्षेत्रफल 342,239 वर्ग किलोमीटर है जो अफ्रीक महादेश के कांगो देश के बराबर है। राजस्थान भौगोलिक स्थिति की दृष्टि से भारत का सबसे शुष्क प्रदेश है। राजस्थान के पश्चिम भाग में थार का रेगिस्तान पड़ता है।
उत्तर-पश्चिमी भारत में स्थित राजस्थान एक इतिहासक प्रदेश है। भौगोलिक दृष्टि से यह 23 डिग्री उत्तरी अंक्षाश से 30 डिग्री उत्तरी अंक्षाश एवं 69 डिग्री पूर्वी देशान्तर से 78 डिग्री पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है।
राजस्थान की चौहदी की बात की जाय इसकी सीमा भारत के पाँच राज्यों मध्यप्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा से घिरा है।
साथ ही राजस्थान की सीमा भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान से भी लगती है। इस प्रकार राजस्थान सामरिक दृष्टि से भी भारत का सबसे महत्वपूर्ण राज्य है।
राजस्थान की जलवायु
भारत के राज्य राजस्थान की जलवायु यहाँ के भौगोलिक परिदृश के कारण प्रभावित है। समुद्र से दूरी, अक्षांशीय स्थिति, समुद्र ताल से ऊंचाई, अरावली पर्वतमाला की स्थिति, वनस्पति की कम उपलब्धता राज्य की जलवायु को प्रभावित करती है।
लेकिन एक बात खास है की राजस्थान की जलवायु में विविधता पायी जाती है। इसे इस बात से आसानी से समझा जा सकता है। पश्चिम राजस्थान का हिस्सा अत्यंत ही सूखा, रेगीस्तानी और वीरान है।
क्योंकि अरावली के पश्चिम में न्यून वर्षा, दैनिक एवं वार्षिक तापान्तर में उच्च भिन्नता , निम्न आर्द्रता तथा तीव्र हवाओं युक्त शुष्क जलवायु पायी जाती है। विश्व प्रसिद्ध थार का रेगिस्तान इसी प्रदेश में है।
वहीं इसके उत्तर-पूर्व से लेकर उत्तर-पश्चिम तक हरेभरे मैदान और पहाड़ी इलाका है। क्योंकि अरावली के दूसरी तरफ पूर्व में जलवायु अर्धशुष्क एवं उप-आर्द्रता लिये हुए है।
राजस्थान की प्रमुख नदियों में व्यास, चंबल, बनास, कालीसिंध, माहि, घग्गर, पारबती और लुनी नदियाँ के नाम प्रमुख हैं।
राजस्थान के लोगो की प्रमुख वेशभूषा – (Dress/Costme in Rajasthan State Peoples)
राजस्थान की वेशभूषा अन्य भारतीय राज्य से थोड़ा अलग है। राजस्थान की परंपरागत पहनावा रंगबिरंगी है। राजस्थान के traditional dress में पुरुष धोती कुर्ता पहनते हैं तथा माथे पर रंगीन पगड़ी धारण करते हैं।
उनके द्वारा पहनी जाने वाली पगड़ी और उनकी बड़ी-बड़ी मूछे वीरता का परिचायक है। यहाँ के पुराने लोग अपने कानों में कुंडल भी धारण करते थे। लेकिन वर्तमान में यह सब परंपरा कम होते जा रहा है।
राजस्थान की महिलायें घागरा, चोली पहनती हैं तथा सर को ढकने के लिए ओढ़नी का इस्तेमाल करती हैं। इन परिधानों के अलाबा वहाँ की महिलायें साड़ी पहनना पसंद करती हैं।
राजस्थान का पहनावा के परिदृश्य में यहाँ के बंजारा समुदाय की महिलायें की बात की जाय तो वे विभिन्न परंपरागत आभूषण घारण करती है। उनके द्वारा सर से पैर तक पहने जाने वाली राजस्थानी आभूषण एक अलग पहचान रखती है।
इन आभूषणों में कानबाली, नथनी, बाजुबंध, माँग टिका, नेकलेस, पायल, बिछुवा, चूड़ियाँ इत्यादि शमिल हैं। बर्तमान में आधुनिक पहनावे का भी चलन बढ़ गया है। नए लोग शर्ट पेंट धारण करना ज्यादा पसंद करते हैं।
राजस्थान की भाषा (Language Of Rajasthan In Hindi)
राजस्थान की भाषा एवं बोलियां( rajasthani language ) की बात की जाय तो यहाँ की राजभाषा हिन्दी है। यहाँ के लोग मुख्य रूप से हिंदी, राजस्थानी और मारवाड़ी भाषा बोलते हैं।
इन भाषा के अलावा राजस्थान में हरियाणवी, पंजाबी, उर्दु, सिन्धी, गुजराती और अंग्रेजी भाषा भी प्रचलन है।
राजस्थान के मुख्य पर्यटक स्थल – (tourist places in rajasthan in hindi
भारत के प्रांत राजस्थान में कई पर्यटक स्थल हैं। जो राजपूतानी आन बान और शान का प्रतीक है। राजस्थान के एतिहासिक किले, भव्य इमारतें राजपुतानी वीरता की महान गाथा की धरोहर है।
राजस्थान के इस विरासत को देखने प्रति वर्ष लाखों लोग यहाँ आते हैं। आईये जानते हैं राजस्थान के पर्यटन स्थल के बारें में :-
- सवाई माधोपुर (Sawai Madhopur)-इतिहासिक किले के लिए प्रसिद्ध
- पुष्कर (Pushkar) – हिन्दू समुदाय का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल व पशु मेला के लिए विख्यात
- अजमेर (Ajmer) – सलीम अली चिसती की दरगाह और किले के लिए प्रसिद्ध
- चित्तौड़गढ़ (Chittorgarh) – किले और महलों के लिए प्रसिद्ध
- उदयपुर (Udaipur)– झीलों की नगरी उदयपुर, किलों और महलों के लिए प्रसिद्ध
- बीकानेर (Bikaner) – इतिहासिक नगर, जूनागढ़ के किले और महलों के लिए प्रसिद्ध।
- माउंट आबू (Mount Abu) – राज्य का एक मात्र हिल स्टेशन
- जोधपुर (Jodhpur) – राजा राजवारों की नगरी अपने किले और महलों के लिए प्रसिद्ध
- जैसलमेर (Jaisalmer) – किले और राज महलों के लिए जाना जाता है।
- जयपुर (Jaipur) – गुलाबी शहर के नाम से प्रसिद्ध, हवा महल के लिए विख्यात
यहाँ के अन्य दर्शनीय स्थलों में सरिस्का बाघ अभयारण्य अलवर, भरतपुर का पक्षी अभयारण्य, नाथद्वारा (NathDwara), जंतर मंतर, रणथम्भौर नेशनल पार्क और नाहरगढ़ का किला प्रसिद्ध है।
राजस्थान के प्रसिद्ध भोजन
राजस्थान के प्रसिद्ध व्यंजन में दाल-बाटी चूरमा का नाम अग्रणी है। दाल-बाटी चूरमा का नाम राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध पारंपरिक व्यंजनों में सम्मिलित है।
इसके अलावा राजस्थान में घेवर, गट्टे की खिचड़ी, कचोड़ी, मिर्ची बड़ा, लाल व सफेद मॉस, शाही गट्टे और केर संगरी आदि प्रसिद्ध हैं। राजस्थान के लोग अपने पारंपरिक भोजन के अलावा रोटी, चावल और घी, दूध खाना ज्यादा पसंद करते हैं।
राजस्थान की कला व संस्कृति – rajasthan culture in hindi
राजस्थान की कला और संस्कृति की कोई मुकबला नहीं है। यहाँ के लोग कढ़ाई और प्रिंटिंग में माहिर हैं। राजस्थान का हस्तशिल्प वस्तुए की पूरे भारत में मांग है। राजस्थान कपड़ों पर प्रिंटिंग के लिए बहुत प्रसिद्ध है।
राजस्थान की संस्कृति और रहन सहन की झलक यहाँ मनाये जाने वाले त्योहारों में साफ देखी जा सकती है।
राजस्थान के मुख्य त्यौहार
यहाँ के मुख्य त्योहार में गणगौर, तीज, दीपावली, होली और जन्माष्टमी, मुहरम और क्रिसमस सम्मिलित हैं। इनके अलावा पुष्कर मेला के दौरान भी राजस्थान की संस्कृति की झलक दिखती है।
राजस्थान में हर साल ठंड के मौसम में रेगिस्तान महोत्सव का आयोजन किया जाता है। रेगिस्तान महोत्सव को देखने देश विदेश से लोग राजस्थान आते हैं।
राजस्थान के लोगों की आजीविका का साधन
यहाँ के लोगों के आजीविका का प्रमुख साधन खेती है। राजस्थान की प्रमुख फसल में गेहूं, मक्का, जौ, चावल, बाजरा, जवार, दलहन और तेलहन सम्मिलित हैं।
राजस्थान की 19 रियासतों के नाम
भारत की आजादी के समय भी यह प्रदेश कई रियासत में बंटा था। सरदार पटेल में इन सभी रियासत का विलय किया। राजस्थान की रियासतों के नाम इस प्रकार हैं। 1. अलवर, 2. भरतपुर, 3. धौलपुर, 4. करौली, 5. कोटा, 6. बूंदी,
7. झालावाड़, 8. बांसवाड़ा, 9. डूंगरपुर, 10. प्रतापगढ़, 11. किशनगढ़, 12. टोंक 13. सिरोही, 14. उदयपुर , 15. जयपुर 16. जोधपुर 17. बीकानेर 18. जैसलमेर 19. आबू और देलवाड़ा रियासत ।
राजस्थान राज्य के बारे में रोचक तथ्य (Interesting Facts About Rajasthan In Hindi)
- माउंट आबू, राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन कहलाता है
- राजस्थान की सबसे लंबी नदी लूनी है।
- लूनी” राजस्थान में बहने वाली भारत की एकमात्र लवणीय नदी है।
- घुमर (Ghoomar) नृत्य राजस्थान का सबसे लोकप्रिय नृत्य है।
- राजस्थान में मानव बस्ती होने का इतिहास एक लाख वर्ष पुरानी मानी जाती है।
- राजस्थान किलों, मंदिरों और महलों के लिए प्रसिद्ध है।
- भारत का सबसे बड़ा थार मरुस्थल राजस्थान में ही स्थित है।
- राजस्थान की प्रथम महिला राज्यपाल प्रतिभा सिंह पाटिल है।
- राजस्थान की प्रथम महिला मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सिंधिया है।
- राजस्थान का प्रवेश द्वार भरतपुर को कहा जाता है।
राजस्थान में कुल कितनी रियासतें थी?
भारत के प्रसिद्ध राज्य राजस्थान में लगभग 19 रियासतें थी। जिसका आजादी के बाद भारत में विलय हुआ।
राजस्थान क्यों प्रसिद्ध है?
राजा राजवारों की धरती राजस्थान अपनी राजपुतानी आनबान और शान के लिए प्रसिद्ध है।
राजस्थान राज्य कब बना?
राजस्थान राज्य का गठन 01 नवंबर 1956 को हुआ था।
राजस्थान के प्रथम मुख्य मंत्री कौन थे?
राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री के नाम हीरालाल शास्त्री था।