अरुणाचल प्रदेश की जानकारी – Information about Arunachal Pradesh in Hindi
अरुणाचल प्रदेश(State of India) हिमालय की गोद में वसा भारत का 24 वाँ राज्य है। इस प्रदेश के विभिन्न स्थलों के पुरातात्विक अवशेषों इसकी समृद्ध सांस्कृति को प्रदर्शित करता है।
अरुणाचल प्रदेश का मतलब होता है उगते हुए सूर्य का पर्वत। यह संस्कृत के अरुण + अचल से बना है। जहाँ अरुण का अर्थ सूर्य और अचल का अर्थ जो चलायमान नहीं हो अर्थात पर्वत।
अरुणाचल प्रदेश पहले नेफ़ा के नाम से प्रसिद्ध था और संयुक्त असम का एक भाग था। अरुणाचल प्रदेश का अधिकांश हिस्सा पहाड़ी और घाटी है। यहाँ कहीं ऊंची पहाड़ी है तो कहीं गहरी घाटियों से भरा है।
हिमालय से नीचे दक्षिण असम की तरफ मैदानी भाग आता है। यहाँ पाये जाने वाली विविध प्रकार की जीव-जंतु और वनस्पति इस प्रदेश को और भी खास बनाती है। सामरिक दृष्टि से अरुणाचल प्रदेश भारत का एक अहम राज्य है।
भारत के इस राज्य पर चीन की हमेशा पैनी दृष्टि रही है। वह भारत और चीन सीमा को निर्धारित करने वाले मेकमोहन रेखा को पूरी तरह समर्थन नहीं करता है। वह भारत के राज्य अरुणाचल प्रदेश के कुछ भागों पर दावा जताता आ रहा है।
इसे अरुणाचल प्रदेश की विशेषता कही जा सकती है की यह प्रदेश भारत का आर्किड स्वर्ग कहलाता है। क्योंकि यहाँ करीब 500 से भी अधिक प्रजाति के आर्किड पाए जाते हैं। इनमें से कुछ दुर्लभ और विलुप्तप्राय प्रजाति के आर्किड भी शामिल हैं।
अरुणाचल प्रदेश संक्षिप्त झलक – Brief inforamation about Arunachal pradesh in Hindi
राज्य का नाम | अरुणाचल प्रदेश |
अरुणाचल प्रदेश की राजधानी | इटानगर |
स्थापना दिवस | 20 फरवरी 1987 |
अरुणाचल प्रदेश का क्षेत्रफल | 83,743 वर्ग किमी |
अरुणाचल प्रदेश का राजकीय पशु(State Animal) | मिथुन (गायल) |
अरुणाचल प्रदेश का राजकीय पक्षी(State Bird) | ग्रेट इंडियन हॉर्नबिल |
अरुणाचल प्रदेश का राजकीय फूल (State flower) | रेटुसा |
अरुणाचल प्रदेश का राजकीय वृक्ष(State Tree) | होलॉग(Hollong) |
अरुणाचल प्रदेश के प्रथम राज्यपाल | भीष्म नारायण सिंह |
अरुणाचल प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री | प्रेम खांडू थुंगन |
अरुणाचल प्रदेश में कुल जिले की संख्या | 18 |
अरुणाचल प्रदेश में लोकसभा की कुल सीटें | 02 |
अरुणाचल प्रदेश में राज्यसभा की कुल सीटें | 01 |
अरुणाचल प्रदेश में विधानसभा की कुल सीटें | 60 |
अरुणाचल प्रदेश की मुख्य भाषा | अंग्रेजी, असमी |
अरुणाचल प्रदेश का इतिहास
लोग अरुणाचल प्रदेश को भारत के पूर्व में स्थित होने के कारण उगते हुए सूर्य का प्रदेश भी कहते हैं। पुराणों और महाभारत में इस प्रदेश का वर्णन मिलता है। पहले हम इसके पौराणिक फिर अरुणाचल प्रदेश के वर्तमान इतिहास के बारें में चर्चा करेंगे।
अरुणाचल प्रदेश अपने अंदर कई पौराणिक और धार्मिक विरासत को सँजोये हुए है। पुराणों और महाभारत में भी इस प्रदेश का उल्लेख किया गया है। पुराणों में अरुणाचल प्रदेश को प्रभु पर्वत नाम से वर्णन मिलता है।
इस भूमि की संबंध परशुराम से रहा है। जिन्होंने अपने माता के वध के बाद अपने पापों का प्रायश्चित के लिए इसी स्थल को चुना था। साथ ही अरुणाचल प्रदेश ऋषि व्यास जी की आराधना स्थली रही है।
यह कभी राजा भीष्मक का राज्य हुआ करता था। भगवान कृष्ण ने इसी प्रदेश की राजकुमारी रूक्मिणि से विवाह संबंध स्थापित किया था।
अरुणाचल प्रदेश का आधुनिक इतिहास
अरुणाचल प्रदेश ब्रिटिश काल में संयुक्त असम का हिस्सा था। आजादी के बाद राज्यों के पुनर्गठन के बाद असम से मेघालय, मिजोरम, नगलेंड, और अरुणाचल प्रदेश एक अलग राज्य बना।
अरुणाचल प्रदेश के प्राचीन इतिहास का कोई लिखित प्रमाण नहीं मिलता। लेकिन अरुणाचल प्रदेश के आधुनिक इतिहास का प्रमाण 1826 के बाद का मिलता है। सन 1826 के बाद यह एक संधि के तहद यह ब्रिटीस शासन के अधीन हो गया।
भारत के पूर्वोत्तर का यह राज्य कभी नेफ़ा (नार्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी) अर्थात पूर्वोत्तर सीमांत एजेंसी के नाम से जाना जाता था। आजादी के बाद तक यह प्रदेश संयुक्त असम का एक हिस्सा था।
लेकिन सन 1962 में भारत चीन युद्ध के बाद सामरिक दृष्टि कोण से महत्वपूर्ण नेफ़ा को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। और इसका नाम नेफ़ा से बदलकर अरुणाचल प्रदेश रखा गया। इस प्रकार 20 फरवरी 1987 अरुणाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला।
अरुणाचल प्रदेश की राजधानी
अरुणाचल प्रदेश भारतीय संघ के 24वाँ राज्य के रूप में 1987 में आस्तित्व में आया। इस प्रदेश का असम से पृथक होने के बाद जब पूर्ण राज्य का दर्जा मिला। तब अरुणाचल प्रदेश की राजधानी इटानगर बनाया गया।
ईंट किले के नाम पर ही इस शहर का नाम ईंटनगर पड़ा। इतिहासिक और पर्यटन के दृष्टि से अरुणाचल के राजधानी ईंटनगर बहुत ही मनोरम स्थल है।
अरुणाचल प्रदेश के जिले
भारत के इस पहाड़ी प्रदेश में कुल 18 जिले हैं। यहाँ लोकसभा के 2 संसद और विधान सभा के 60 सदस्य चुने जाते हैं। अरुणाचल प्रदेश के जिले का नाम : – पूर्वी कामेंग, अंजाव, चांगलांग, दिबांग घाटी, पूर्वी सियांग, कुरग कुमै, लोहित,
लोगंडिगं, तिरप, लोअर दिबांग घाटी, ऊपरी सुबनसिरी, लोअर सुबानसिरी, पापुम पारे, तवांग, ऊपरी सियांग, पश्चिम सियांग, वेस्ट कामेंग और नमसई।
अरुणाचल प्रदेश की संस्कृति
अरुणाचल प्रदेश में हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई और बौद्ध के साथ दोन्यीपालो धर्म के लोग रहते हैं। यहाँ भारतीय, तिब्बती और बर्मी संस्कृति का मिलाजुला रूप भी देखने को मिलता है.। भारत के इस पूर्वोत्तर राज्य में 26 तरह की जनजातियाँ रहती हैं।
इनमें से अधिकतर समुदाय जातीगत रूप से समान हैं तथा उनका मूल एक हैं लेकिन एक-दूसरे से भौगोलिक रूप से पृथक होने के वजह से इनकी भाषा, वेशभूषा, रीति रिवाज में कुछ भिन्नता नजर आती है।
यहाँ के जनजाति का प्रमुख त्योहार मेपिन, लोसर, तथा सोलुंग है। यहाँ खास उत्सव पर पशु बलि भी दी जाती है। इसके साथ ही यहाँ दुर्गापूजा, होली, बुद्ध पूर्णिका, ईद और क्रिसमस बड़े धूम-धाम से मनाये जाते हैं।
असम का भूगोल
गगनचुंबी हिमालय की तराई में वसा अरुणाचल प्रदेश का अधिकांश भाग पहाड़ी और अर्द्ध-पहाड़ी है। अरुणाचल प्रदेश में मिश्मी पहाड़ियाँ राज्य के बीच में स्थित एक पहाड़ी शृंख्ला है। इस पहाड़ी की अधिकतम ऊँचाई 1567 मीटर के करीब है।
अरुणाचल प्रदेश का क्षेत्रफल 83,743 वर्ग किमी है। इस राज्य में बहने वाली ‘कामेंग’, ‘सिआंग’, ‘सुबनसिरी’, ‘तिरप’ और ‘लोहित’ आदि नदियाँ इसे अलग-अलग घाटियों में विभक्त करती हैं।
विस्तृत भूभाग में फैला अरुणाचल प्रदेश सामरिक दृष्टि से भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है। इस राज्य की चौहद्दी के बाद करें तो इसके पश्चिम में भूटान, उत्तर में तिब्बत व चीन और पूर्व में म्यांमार देशों की अन्तरराष्ट्रीय सीमाएँ लगती हैं। अरुणाचल प्रदेश की सीमा दक्षिण में असम से मिलती है।
अरुणाचल प्रदेश मे बहने वाली मुख्य नदी का नाम ब्रह्मपुत्र है। ब्रह्मपुत्र नदी को इस प्रदेश में सियांग के नाम से पुकारा जाता है। इनकी मुख्य सहायक नदियां में तीरप, लोहित, सुबनसीरी और भरेली प्रमुख हैं।
अरुणाचल प्रदेश की वेशभूषा
अरुणाचल प्रदेश के पारंपरिक वेशभूषा में स्कर्ट, रैप और शॉल सम्मिलित है। अरुणाचल प्रदेश के लोगों की पारंपरिक वेशभूषा अन्य राज्यों से अलग है जो इन्हें खास बनाती है।
यहाँ निवास करने वाले अलग-अलग जनजातियाँ डिफेरेंट टाइप के परिधान धारण करते हैं। यहाँ की महिलाएं पेटीकोट या स्कर्ट के साथ कढ़ाई वाली, पूरी बाजू की बिना आस्तीन का क़मीज़ पहनती हैं।
साथ ही वे जैकेट भी धारण करती हैं। वहीं कुछ जनजाति की महिलाएं कमर पर एक कपड़े धारण करती हैं। जिसे मुशैक्सी के नाम से जाना जाता है
अरुणाचल प्रदेश का रहन-सहन
अरुणाचल प्रदेश की सबसे प्रमख जनजातियों में, गालो, अपतानी, न्याशी, बोरी, बोकार और तांगसा का नाम आता है। इनके रहन सहन में कुछ-कुछ असमानता पायी जाती है। अरुणाचल प्रदेश में लोग अपना घर बांस के खंभे पर बनाते हैं
कुछ जनजातियों में दूसरे जनजाति के साथ विवाह वर्जित है। अरुणाचल प्रदेश के लोगों के आजीविका का मुख्य साधन खेती हैं। यह प्रदेश झूम खेती के लिए प्रसिद्ध हैं। यहाँ चावल के साथ दलहनी और तेलहनी फसल की भी खेती होती है।
अरुणाचल प्रदेश का मुख्य भोजन इन हिंदी
अरुणाचल का भोजन असम से मिलता जुलता है। यहाँ धान की पैदावार बहुत होती है। फलतः अरुणाचल प्रदेश का मुख्य भोजन चावल है।
यहाँ के मूल निवासी चावल को बांस के ड्रम के अंदर डालकर एक विशेष प्रकार से पकाकर भी खाते हैं। इस प्रकार चावल पकाने से कहते हैं की उसके अंदर एक विशेष प्रकार की स्वाद आ जाती है।
अरुणाचल प्रदेश का साहित्य इन हिंदी
वैसे तो अरुणाचल प्रदेश का उल्लेख इतिहासिक साहित्य में नहीं मिलता। इसके बारें में जो भी इतिहासिक जानकारी मिलती हैं। वह अंग्रेजों के आधिपत्य के बाद का हैं। लेकिन वहाँ बौद्ध धर्म के सबूत मिल हैं।
हिन्दू धर्म ग्रंथों में इस प्रदेश का जिक्र मिलता है। इसके बारें में महाभारत, और पुराण में भी वर्णन मिलता हैं। यह वेद व्यास की साधना स्थली रही है।
अरुणाचल प्रदेश की मुख्य भाषा
भारत के इस अनुपम राज्य अरुणाचल प्रदेश की मुख्य भाषा असमिया और हिन्दी है। लेकिन अरुणाचल प्रदेश की राजभाषा अंग्रेजी हैं। यहाँ संस्कृत भाषा को वैकल्पिक भाषा के रूप में रखा गया है।
इस प्रदेश में हिन्दी भाषा को बढ़वा देने में भारतीय सेना का अहम योगदान माना जाता है। इसके अलावा यहाँ की जनजातियों की कुछ क्षेत्रीय भाषा भी है।
अरुणाचल प्रदेश में मुख्य क्षेत्रीय भाषा में अपतानी, अदी, हिल मिरी, मोनपा, शेरदुकपेन, मिजी, अका आदि जनजातीय भाषा बोली जाती है।
अरुणाचल प्रदेश कैसे जाये
अरुणाचल प्रदेश भारत के हरेक भू-भाग से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। आप रेल मार्ग से गुवाहाटी होते हुए तेजपुर पहुँच सकते हैं। तेजपुर से टैक्सी के द्वारा अरुणाचल प्रदेश आसानी से पहुंचा जा सकता है।
अरुणाचल प्रदेश पर चीन का दावा गलत
तिब्बत को चीन ने जबरन कब्जा कर लिया है तथा भारत के अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों पर दावा करता रहा है। उनका मानना है की अरुणाचल प्रदेश का कुछ हिस्सा जो भारत के पास है वह दक्षिण तिब्बत का हिस्सा है।
जबकि भारत और चीन बॉर्डर पर खिची गई मेकमोहन रेखा के अनुसार अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न्य अंग हैं। सामरिक दृष्टिकोण से भी अरुणाचल प्रदेश भारत के लिए अहम स्थान रखता हैं।
अरुणाचल प्रदेश का दर्शनीय स्थल
वैसे तो प्रकृति ने अरुणाचल प्रदेश में अपना भरपूर प्यार लुटाया है। यहाँ की पहाड़ियों और घाटियों की मनोरम सुंदरता तो हर जगह देखने योग्य है ही। लेकिन यहाँ के कुछ पर्यटन स्थल बेहद ही खास हैं।
अरुणाचल प्रदेश के भ्रमण पर आये सैलानी को इन स्थानों का भ्रमण जरूर करना चाहिए। अरुणाचल प्रदेश के प्रमुख दर्शनीय स्थल में तवांग, परशुराम कुंड, बोद्ध मंदिर, भीष्कनगर का किला, ईटानगर नाम आते हैं।
आईए अरुणाचल परदेश के कुछ प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल के बारें में जानते हैं।
मालिनीथान– यह स्थान अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी सियांग जिला मुख्यालय के पास स्थित है। यहां के लोग मुख्य रूप से हिंदी, असमिया बोलते हैं। यहा 15वीं शतब्दी के दौरान निर्मित मंदिर के भग्नावशेष को देखा जा सकता हैं।
कहते हैं की इस स्थल पर भगवान श्रीकृष्ण तथा रुक्मिणी जी भी पधारे थे। पर्यटक यहाँ वर्षों पुराना राजमहल और आकाशी गंगा जल प्रपात के दर्शन का लुफ़त उठा सकते हैं। ईटानगर से बस द्वारा मालिनीथान आसानी से पहुंचा जा सकता है।
परशुराम कुण्ड– यह हिन्दू समुदाय के लिए एक पवित्र तीर्थ माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार परशुराम जी ने मातृहत्या के घोर पाप से मुक्ती हेतु इसी कुण्ड में स्नान किया।
माघी पूर्णिमा के अवसर पर इस कुंड के पास भारी भीड़ जमा होती है। दूर-दूर से लोग इस पवित्र कुंड में डुबकी लगाने आते हैं। पर्यटक तिनसुखिया अथवा न्यू बोगाईगांव से टैक्सी द्वारा यहाँ पहुचते हैं। यहां रात्री विश्राम के धर्मशाला, गैस्ट हाउस और होटल व लॉज उपलब्ध हैं।
विजय नगर– अरुणाचल प्रदेश का यह स्थल बौद्ध धर्म के स्तूप व बौद्ध विहार के लिए प्रसिद्ध है।
ईटानगर– अरुणाचल प्रदेश की राजधानी है ईटानगर। यहीं पर राज्य सरकार का मुख्यालय स्थित है। यह स्थल अपने अंदर कई ऐतिहासिक व सांस्कृतिक विरासत को संजोए हुए है।
यहाँ राजभवन, बौद्ध गुफा, सचिवालय, सुपर मार्किट, चिड़ियाघर, इम्पोरियम, पोलो पार्क, बॉटनिकल गार्डन आदि दर्शनीय है। शहर में ठहरने के लिए उत्तम होटल की व्यवस्था है।
जोरो– इस स्थान पर शिकारी स्वभाव के ‘आपतानी’ नामक जनजातियाँ पायी जाती है। यह जनजाति देखने में बहुत ही सुंदर होते हैं। ‘जोरो’ में ही अरुणाचल प्रदेश के सुबनसीरी जिले का मुख्यालय भी है।
जोरो में जनजातीय भाषा के अलावा हिंदी असमिया व इंगलिश भाषाएं भी बोली जाती हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (F.A.Q)
अरुणाचल प्रदेश असम से कब अलग हुआ?
आजादी के बाद तक यह प्रदेश संयुक्त असम का हिस्सा था। लेकिन 1962 और 1965 भारत चीन युद्ध के बाद यह केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। सन 1987 में यह पूर्ण राज्य बना।
अरुणाचल प्रदेश का मुख्य खेल कौन सा है?
अरुणाचल प्रदेश का राजकीय खेल ‘होल तासो दुकानाराम’ कहलाता है।
अरुणाचल प्रदेश में कुल कितने जिले हैं?
अरुणाचल प्रदेश में कुल 18 जिले हैं। जो 60 विधानसभा सीट में बंटा हुआ है।
अरुणाचल प्रदेश में क्या पहनते हैं?
अरुणाचल प्रदेश के पारंपरिक वेशभूषा में मुख्य रूप से स्कर्ट, रैप और शॉल शामिल है। अरुणाचल प्रदेश के लोगों की पारंपरिक वेशभूषा दूसरे राज्यों से भिन्न है।
अरुणाचल प्रदेश की सीमा कितने राज्यों से मिलती है?
अरुणाचल प्रदेश की सीमा चीन, म्यांमार, तिब्बत के साथ भारत के असम राज्य से मिलती है।
इन्हें भी पढ़ें –