मिजोरम राज्य की सम्पूर्ण जानकारी – Information about Mizoram in Hindi
मिजोरम (State of India) प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण भारत का मनोरम राज्य है। केरल के साथ मिजोरम देश का पूर्ण साक्षर राज्य है। मिजोरम पहले असम राज्य का एक हिस्सा था। 20 फरवरी 1987 को असम से अलग एक पृथग राज्य बना।
समुन्द्र तल से करीव 1000 फिट की ऊंचाई पर स्थित मिजोरम की सुंदरता बड़ा ही अनुपम है। हरियाली से परिपूर्ण मैदान, सुंदर पहाड़ियों और घाटियों देखने में बड़ा ही मनोरम लगता है।
ताजी हवा, शांति और प्रकृति के मनमोहक दृश्य को देखकर मानो ऐसा लगता है की मिजोरम को प्रकृति ने फुर्सत के क्षणों में बनाया हो। प्रकृति प्रेमी पर्यटक के लिए मिजोरम किसी स्वर्ग से कम नहीं है।
इस राज्य का अधिकांश भाग पहाड़ों और जंगलों से आच्छादित है। सालों भर यहाँ का मौसम बड़ा ही खुसनुमा रहता है। यहाँ सभी धर्मों के लोग रहते हैं लेकिन ईसाई धर्म के मानने वालों की संख्या अधिक है।
मिजोरम के लोग संगीत प्रिय के साथ युद्धकौशल में बड़े ही बहादुर और निपूर्ण होते हैं। इतिहासकारों का मानना है की यहाँ के लोगों के पूर्वज बर्मा से आकार बसे थे। आईए इस लेख में मिजोरम की सम्पूर्ण जानकारी संक्षेप में जानते हैं।
मिजोरम राज्य के बारे में पूरी जानकारी – Mizoram State Information In Hindi
राज्य का नाम | मिजोरम (अंग्रेजी-Mizoram) |
मिजोरम की राजधानी(mijoram ki rajdhani | आइजोल |
मिजोरम स्थापना दिवस | 20 फरवरी 1987 |
मिजोरम का क्षेत्रफल | 21081 वर्ग किलोमीटर |
मिजोरम की भाषा | मिज़ो, अंग्रेजी |
मिजोरम की जनसंख्या | 10.09 लाख (2011) |
मिजोरम की साक्षरता दर | 91.03% |
मिजोरम के राजकीय पशु (State Animal) | पहाड़ी गिब्बन |
मिजोरम के राजकीय फूल ( Mizoram state flower) ) | रेड वनाडा (Renanthera imschootiana ) |
मिजोरम के राजकीय पक्षी (State Bird) | मादा तितर |
मिजोरम के राजकीय पेड (State Tree) | आयरन वुड |
मिजोरम के पहले राज्यपाल | हितेश्वर सैकिया |
मिजोरम के पहले मुख्यमंत्री | सीएच छंगा |
मिजोरम में कुल जिले की संख्या | 08 |
मिजोरम में लोकसभा की कुल सीट | 01 |
मिजोरम में राजसभा की कुल सीट | 01 |
मिजोरम में विधान सभा की कुल सीट | 40 |
मिजोरम का इतिहास – Mizoram History In Hindi
मिजोरम का इतिहास पुराना है। मिज़ो यहाँ के मूल निवासी को कहा जाता है। मिजोरम का आशय है मिज़ो लोगों की भूमि। माना जाता है की प्राचीन समय में मिज़ो जनजाति के पूर्वज चीन से बर्मा के रास्ते भारत के इस भू-भाग में आ बसे।
मिजोरम के मूल निवासी चकमा, लाखेर, पार्वाय कहलाते हैं। अंग्रेजों के शासन काल में इसका कुछ भू-भाग बंगाल और कुछ असम के अधीन हुआ करता था।
बाद में इन दोनों भू-भाग में रहने भले मिजो क्षेत्र का एकीकरण कर असम का लूशाई हिल्स नामक जिला बनाया गया।
मिजोरम का इतिहास और अंग्रेजों का प्रभाव
अंग्रेजों के अधीन में आने के बाद ईसाई मिशनरियों का इस क्षेत्र पर बहुत अधिक असर पड़ा। मिजोरम के 90% लोग ईसाई धर्म के मानने वाले हैं। कहा जाता है की पहले मिजोरम के जनजाति कई अंधविश्वासों के शिकार थे।
ब्रिटिश शासन के दौरान ईसाई मिशनरी के लोग यहां आकर लोगों को शिक्षित करना शुरू किया। शिक्षा के विकास से मिज़ो के जीवन शैली में अहम परिवर्तन आया। मिजोरम की साक्षरता दर केरल के बाद दूसरे नंबर पर है।
इस राज्य की गिनती भारत के सबसे साक्षर राज्य में होती है। मिजोरम के लोग बड़े ही नेक दिल इंसान होते हैं। यहाँ के लोग बोलचाल में मिजो का ही प्रयोग करते हैं जो रोमन लिपि में लिखी जाती है।
मिजोरम का आधुनिक इतिहास – history of mizoram in hindi
मिजोरम का आधुनिक इतिहास भारत के आजादी के बाद शुरू होता है। आजादी के कई दशक बाद तक मिजोरम असम राज्य का हिस्सा रहा। मिजोरम का इतिहास सन 1960 के बाद अचानक पलटा खाया।
जब असम में असमी भाषा बिधेयक को लागू करने की मांग जोड़ों पर थी। चूँकि मिजोरम के लोग अपनी अलग भाषा और सांस्कृतिक पहचान रखते थे। इस कारण वे अपने ऊपर थोपे जाने वाले असमी भाषा बिधेयक से असहमत थे।
इस प्रकार सरकार का विरोध करने के लिए मिज़ो फ्रन्ट नामक एक दल तैयार हुआ। धीरे-धीरे इस दल को सभी गैर असमी भाषी मिज़ो लोगों का समर्थन हासिल हो गया।
एक तरफ जहाँ 20 साल पहले सरदार बल्लभ भाई पटेल नें भारत के छोटे-छोटे देशी रियासत का भारत में विलय किया था। वहीं मिज़ो फ्रंट संगठन अलग भाषा और सांस्कृतिक पहचान के कारण अलग देश की मांग करने लगे।
मिज़ो फ्रंट संगठन ने अपना आंदोलन तेज कर दिया। पाकिस्तान और चीन से अंदरूनी समर्थन मिलने के कारण धीरे-धीरे यह संगठन उग्र होता चला गया। चीन और पाकिस्तान से इन्हें हथियार मुहैया होने लगा।
धीरे-धीरे इस संगठन का हौसला बुलंद होता चला गया। आगे जाकर मिज़ो फ्रंट संगठन के सदस्य ने इसे उग्रवादी संगठन का रूप दे दिया। मिज़ो फ्रन्ट के सदस्यों ने अपने नेता लालडेंगा के नेतृत्व में एक स्वतंत्र देश की घोषणा कर दी।
आइजोल सहित पूरे मिजोरम में गैर मिजो के खिलाफ हिंसा भड़क उठी। उनके मकान और दुकान को आग के हवाले कर दिया गया। हालात को बेकाबू होते देख सरकार को सेना की मदद लेनी पड़ी।
इस प्रकार सरकार की सख्त कारवाई के बाद विद्रोहियों ने हथियार डाल दिये। सरकार और मिज़ो विद्रोही के बीच एक सहमति बनी जो मिजो समझौता के नाम से जाना जाता है।
मिज़ो समझौता (Mizo Accord) १९८६ में भारत सरकार और मिज़ो नैश्नल फ़्रन्ट मध्य हुआ था। इस समझौते के बाद मिजोरम के विद्रोहियों ने सरेंडर करते हुए समाज के मुख्यधारा में शामिल होने की इच्छा जताई।
साथ ही मिजोरम को एक पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान किया गया। इस प्रकार इस राज्य का गठन का रास्ता साफ हुआ।
मिजोरम राज्य का गठन
इस प्रकार 21 जनवरी 1972 को यह असम से पृथक एक केंद्र शासित राज्य बनाया गया। सन 1986 तक मिजोरम एक केंद्र शासित प्रदेश रहा। मिजो समझौता के बाद 1987 में मिजोरम राज्य का गठन हुआ।
इस प्रकार 20 फ़रवरी 1987 को मिजोरम भारत के 23वा राज्य के रूप में सामने आया। राज्य के गठन के बाद मिजोरम की राजधानी आइज़ोल बनाई गई।
मिजोरम की राजधानी – कैपिटल ऑफ मिजोरम इन हिंदी
मिजोरम की राजधानी आइजोल की गिनती राज्य के सबसे सुंदर शहर में होती है। आइजोल (Aizawl) मिजोरम के सबसे प्रमुख शहर है। इसकी प्राकृतिक सुंदरता पर्यटक को बार-बार यहाँ आने को मजबूर करती है। समुद्र तल से करीव 3500 मीटर से भी अधिक ऊंचाई पर स्थित आइजोल की प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनता है।
इस प्रदेश की प्राकृतिक सुन्दरता असल में कश्मीर की याद दिलाती है। यहाँ आने वाले पर्यटकों, आइजोल के पास मैकडोन्लाड पहाड़ी पर स्थित संग्रहालय देखना नहीं भूलते।
इस संग्रहालय में मिजोरम की ऐतिहासिक कृतियाँ, वस्त्र-आभूषण, सांस्कृतिक व कलात्मक वस्तुएं देखने को मिलती हैं। आइजोल में पर्यटक राज्य का राजभवन, विधानसभा, चिड़ियाघर और शहीद स्थल का भी दर्शन प्राप्त कर सकते हैं।
मिजोरम के जिले
मिजोरम में कुल आठ जिले हैं। जिनके नाम हैं : –
- आइजोल,
- कॉलसीब,
- चमफाई,
- ममित,
- लुंगलेई,
- लॉंगतलाई,
- साइहा, सेरछिप।
मिजोरम का भूगोल – mizoram information in hindi
मिजोरम करीब 21081 वर्ग किलोमीटर में फैला भारत का पहाड़ी राज्य है। यहाँ की प्राकृतिक छटायें अन्यत्र देखने को नहीं मिलती। यह क्षेत्र पहाड़ों, वनस्पतियों और नेचुरल सुंदता से परिपूर्ण है।
म्यांमार तथा बांग्लादेश के सीमा से सटे होने के कारण भारत का राज्य मिजोरम सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। मिजोरम के सीमा से भारत के दो राज्य जुड़े हुए हैं साथ ही इस राज्य की सीमा दो देशों के सीमा को भी छूती है।
मिजोरम की चौहद्दी की बात करें तो इसके पूर्व में म्यांमार, पश्चिम में बांगलादेश और त्रिपुरा, उत्तर में असम और दक्षिण में फिर से म्यांमार स्थित है। यहाँ के अधिकांश भू-भाग पर कृषि कार्य किया जाता है।
मिजोरम की प्रमुख नदियाँ (Rivers in Mizoram) में त्लांग, सोनाई, सेरलुई, बराक आदि हैं। यहाँ के प्रमुख शहर में आइजोल, लुंगलेई, कोलासिब, चम्फाई, सेरछिप आदि नाम नाम लिए जाते हैं।
मिजोरम का प्रसिद्ध उद्यान में मुरलेन राष्ट्रीय उद्यान का नाम आता है। भारत और म्यांमार की सीमा के पास स्थित यह उद्यान मिजोरम का सर्वोत्तम राष्ट्रिय पार्क है।
मिजोरम में सबसे ऊंची चोटी फौंगपुई है, जिसके ऊंचाई तक़रीबन 2,157 मी॰ (7,077 फीट) मानी जाती है।
मिजोरम की जलवायु
मिजोरम की जलवायु के बात किया जाय तो यहाँ का मौसम सालोंभर सुहावन रहता है। गर्मी के दिनों में जहाँ दिल्ली जैसे शहरों का तापमान आसमान छूता है। वहीं उस बक्त मिजोरम का तापमान 29-30 डिग्री के आसपास होता है।
सर्दी के मौसम में भी यहाँ का न्यूनतम तापमान 10 डिग्री से नीचे नहीं जाता है। बर्षा के मौसम अर्थात मई से अगस्त की बीच यहाँ बहुत बारिश होती है। यही कारण है की मिजोरम की जलवायु धान की खेती के उपयुक्त है।
मिजोरम की भाषा क्या है?
मिजोरम के लोग मिज़ो भाषा बोलते हैं। यहाँ के 70% से अधिक लोगों के द्वारा मिज़ो भाषा का प्रयोग किया जाता है। इसके अलाबा यहाँ के लोगों के द्वारा चकमा, मारा, लाई, कुकी, त्रिपुरी तथा पाड़ते भाषा का भी प्रयोग किया जाता है।
मिजोरम की कला और संस्कृति की पूरी जानकारी
मिजोरम की संस्कृति – Culture Of Mizoram In Hindi
मिजोरम की संस्कृति को अगर नजदीक से देखना हो तो वहाँ के गाँव में चले जाइए। बिभिन्न अवसरों पर यहाँ के लोगों के पारंपरिक पोशाकों, रहन-सहन से यहाँ की संस्कृति का अवलोकन किया जा सकता है।
इतिहासकारों के अनुसार ‘मिज़ो समुदाय के लोग मंगोल से चलकर बर्मा होते हुए इस क्षेत्र में निवास करने लगे। इस कारण यहाँ के लोगों में चीनी और बर्मी संस्कृति का भी मिश्रण देखने को मिलता है।
हालांकि ब्रिटिश शासन के दौरान इस प्रदेश में पाश्चात्य संस्कृति का खासा असर रहा। लकीं मिज़ोरम वासी अपनी पुरानी संस्कृति को भी नहीं भूले हैं। यहाँ के लोग बांस और बेंत के सुंदर कलात्मक समान बनाने में बड़े ही कुशल होते हैं।
मिजोरम का त्योहार
मिजोरम के त्योहार में Mim Kut , ‘थालफवांग’ कूट और ‘चपचार कूट’( Chapchar Kut ) का नाम प्रमुख है। मिजोरम के लोगों की मुख्य आजीविका का साधन खेती है। यहाँ के लोग मूल रूप से किसान हैं। यहाँ के पहाड़ी क्षेत्र झूम की खेती के लिए प्रसिद्ध है।
मिजोरम का अधिकतर त्योहार कृषि पर आधारित है। मिजोरम में ईसाई, हिन्दू, बौद्ध व अन्य धर्मों के लोग भी रहते हैं। लेकिन यहाँ ईसाई धर्म को मानने वालों की संख्या ज्यादा है।
इस कारण यहाँ क्रिसमस का त्योहार अधिक धूम-धाम से मनाया जाता है। साथ ही अन्य धर्मों के लोग भी अपने-अपने त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं।
मिजोरम का रहन सहन – mizoram ka rahan sahan
मिजोरम के लोगों की रहन सहन की बात करे तो यहाँ के अधिकांश जनजाति लोग बांस के बने घरों में रहते हैं। लोग पहाड़ी ढलानों पर बांस और लकड़ी से बने घरों में निवास करते हैं।
मिजोरम को विभिन्न शिल्पों में उत्कृष्ट शिल्पकारों तथा कुशल कारीगरों की धरती मानी जाती है। बांस तथा बेंत से संबंधित शिल्प इस राज्य के लोगों के आय का सबसे बड़ा साधन है। यहाँ के लोग बांस और बेंत से सोफ़े, कुर्सी और टोकरी बनाने में बड़े ही माहिर होते हैं।
साथ ही मिजोरम के लोगों का रहन सहन खेती पर निर्भर करती है। यहाँ की अधिकांश आबादी का मुख्य कार्य खेती है। मिजोरम के लोग बगबानी के खूब शौकीन होते हैं। यहाँ के लोग फल और फूलों के खेती के लिए भी जाने जाते हैं।
यहाँ उत्पादित होने वाले फूल में गुलाब सहित कई मौसमी फूल शामिल हैं। यहाँ उत्पादित होने वाली फल की बात करें तो यह अनानास, संतरा, केला, अंगूर की खूब पैदावार होती है। इसके अलावा मिजोरम में मशालों और जड़ी-बूटी की खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है।
famous food of mizoram in hindi – मिजोरम का खान पान
मिजोरम का मुख्य भोजन (famous food of mizoram) की बात की जाय तो यहाँ धान की बहुत अधिक खेती होती है। इस कारण मिजोरम का खाना बंगाल और असम के लोगों से मिलता जुलता है। यहाँ के लोगों के भोजन में चावल की प्रधानता दिखाई पड़ती है।
मिजोरम का खाना में यहाँ के लोगों का भात के साथ मांस और मछली खाना अधिक पसंद है। मिजोरम के कुछ मुख्य परंपरिक खान पान में बांस की मुलायम कोपलों की सब्जी, बाई, मिजो विक्सा, कोठ पीठा आदि नाम आते हैं।
यहाँ के लोग अपने स्वादिष्ट व्यंजन में सरसों तेल की प्राथमिकता देते हैं। किसी खास प्रयोजन में यहाँ के लोगों के द्वारा केले के पत्तियों पर खाना परोस कर खाने की परंपरा भी प्रचलित है।
मिजोरम का पहनावा या वेशभूषा
मिजोरम की वेशभूषा अथवा पहनावा देश के अन्य राज्यों से थोड़ा अलग है। मिजोरम के पारंपरिक परिधान में ‘पुआन’ का नाम आता है। ‘पुआन’ मिजोरम की महिलाओं की एक सुंदर पहनावा है।
साथ ही मिजोरम में महिलाओं के वस्त्र को पुंछी ड्रेस भी कहते हैं। मिजोरम के लोगों की पारंपरिक वेशभूषा को मिजोरम राज्य संग्रहालय में भी प्रदर्शन के लिए लगाया गया है। लोगों की पहनावा या वेशभूषा यहाँ की प्राचीन संस्कृति को दर्शाती है। यहाँ के पुरुष वर्ग लाल और सफेद रंग के साधारण कपड़े धारण करते हैं।
मिजोरम का लोक नृत्य
मिज़ोरम के लोग नृत्य और संगीत के बहुत प्रिय होते हैं। अब मिजोरम का मुख्य नृत्य क्या है उसके बारें में जानते हैं। मिजोरम के लोकनृत्य में ‘चलाओ’ नामक लोकनृत्य सबसे अधिक प्रसिद्ध है।
साथ ही मिजोरम का लोक नृत्य में चैलम, खल्लम, थंगलाम, चावंग्लाइज़ोन, छेइहलम, थंगलाम, ज़ंगालम और चेरव(Cheraw ) प्रमुख है। चेराव को बांस नृत्य के नाम से भी जाना जाता है।
मिजोरम में कई जनजातियों पायी जाती है जिसमें लुशाई, पोई, पवाई, राल्ते, पांग, म्हार, कुकी आदि प्रमुख हैं। इसकी राजधानी आइज़ोल को यहाँ का प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र माना जाता है।
मिज़ोरम की जनजातियों विभिन्न उत्सवों के दौरन पारंपरिक नृत्य के द्वारा अपनी संस्कृति को दर्शाती हैं।
मिजोरम पर्यटन
पर्यटन के दृष्टिकोण से भी मिजोरम भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है। इस राज्य में पर्यटन उधोग की अपार संभावना दिखाई देती हैं। यहाँ के पर्यटक स्थल (Mizoram Tourist Places) के विकास के लिए सरकार कई कदम उठा रही है।
यहाँ के खूबसूरत पर्यटन स्थल के मुख्य नाम इस प्रकार हैं:-
चमफाई(Champai), – भारत म्यांमार सीमा पर स्थित मिजोरम का इस स्थल पर्यटक को खूब आकर्षित करता है।
तामदिल – मिजोरम के इस नेचुरल खूबसूरत झील को देखने हजारों पर्यटक आते रहते हैं।
वानतांग जलप्रपात (Vantawng water falls in Hindi) – इस जलप्रपात की गिनती मिजोरम के सबसे ऊंची जल प्रपात में होती है। ऊंचाई से गिरते इस जलप्रपात की धारा पर्यटक को रोमांचित कर देती है।
इसके अलावा मिजोरम के पर्यटन स्थल में सेरछिप (Serchhip), लुंगलेई (Lunglei) शहर, कोलासिब (Kolasib), रेइक आइजोल (Reik Aizawl) आदि प्रसिद्ध हैं।
मिजोरम में कौन सी भाषा बोली जाती है
मिजोरम में मिजो भाषा बोली जाती है। इसके अलावा इस राज्य में चकमा, मारा, लाई, कुकी और त्रिपुरी भाषा भी बोली जाती है।
मिजोरम में कौन सी पहाड़ी है?
मिजोरम में लुशाई नामक पहाड़ियाँ है। इस पहाड़ी को मिज़ो पहाड़ियाँ के नाम से भी जाना जाता है। यह पटकाई की पहाड़ियों एक उपशृंखला है।
मिजोरम में उगाई जाने वाली प्रमुख फसल कौन सी है ?
मिजोरम की प्रमुख फसल में चावल, तिलहन, मक्का, कपास के नाम आते हैं। यहाँ के लोग रेशम उत्पादन के लिए भी जाने जाते हैं।
मिजोरम की राजधानी क्या है?
भारत के राज्य मिजोरम की राजधानी आइजोल है।
क्षेत्रफल की दृष्टि से मिजोरम की सबसे बड़ी झील कौन है ?
क्षेत्रफल की दृष्टि से मिजोरम की सबसे बड़ी झील का नाम पाला झील है।
प्रश्न – मिजोरम में किस पार्टी की सरकार है?
उत्तर – 40 सीटों वाली मिजोरम विधानसभा में 26 पर मिज़ो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने जीत दर्ज कर अपनी सरकार बनाई है।
- मिज़ोरम – विकिपीडिया (Mizoram wikipedia in hindi)
- Mizoram Gov. Portal
- Mizoram | Population, Map, Culture, Capital, & Government
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