सवाई जयसिंह का इतिहास, जीवन परिचय व उपलब्धियां | Sawai jai Singh biography in Hindi

सवाई जयसिंह का इतिहास, जीवन परिचय व उपलब्धियां | Sawai jai Singh biography in Hindi
सवाई जयसिंह का इतिहास, जीवन परिचय व उपलब्धियां | Sawai jai Singh biography in Hindi

सवाई जयसिंह का इतिहास और उनके जीवन परिचय से पता चलता है की वे कुशल शासक होने के अलावा एक प्रसिद्ध ज्योतिषी और खगोलशास्त्री भी थे। गुलावी नगरी जयपुर की स्थापना का श्रेय उन्ही को जाता है।

सवाई जयसिंह का इतिहास, जीवन परिचय व उपलब्धियां | Sawai jai Singh biography in Hindi
सवाई जयसिंह का इतिहास, जीवन परिचय व उपलब्धियां | Sawai jai Singh biography in Hindi

सवाई जयसिंह का जीवन परिचय – Sawai jai Singh biography in Hindi

परारंभिक जीवन, जन्म व शिक्षा

खगोल विद्या का ज्ञान उन्होंने पंडित जगन्नाथ से ही पाया था। राजा जयसिंह की संगीत और कला में बहुत रुचि थी। वे एक बहुत ही कूटनीतिज्ञ और कुशल शासक था।

सवाई जयसिंह द्वितीय अठारहवीं सदी में वर्तमान राजस्थान प्रान्त में स्थित आमेर के कछवाहा वंश के सबसे प्रतापी राजा हुए।

प्रसिद्ध कवि श्रीकृष्ण भट्ट कविकलानिधि ने  ‘ईश्वर विलास नामक महाकाव्य की रचना की है। जिसमें सवाई जयसिंह द्वारा ‘अश्वमेध यज्ञ’ करवाने का ‘आँखों देखा हाल’ का वर्णन किया गया है।

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सवाई जयसिंह के पिता का नाममहाराजा विष्णुसिंह 
सवाई जयसिंह की उपलब्धियांजंतर मंतर का निर्माण

सवाई जयसिंह का इतिहास – Sawai jai Singh history in Hindi

महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय भारत के राजस्थान स्थित आमेर के शासक थे। जय सिंह द्वितीय का पूरा नाम सवाई जयसिंह द्वितीय था। कहा जाता है की मुगल सम्राट औरंजेब ने उन्हें सवाई की उपाधि प्रदान की थी।

जय सिंह द्वितीय की बचपन से ही गणित, वास्तुकला और खगोल विज्ञान के प्रति गहरी रुचि थी। उन्होंने कई वैधशाला का निर्माण कराया। सवाई जयसिंह की वेधशाला में दिल्ली, वाराणसी, जयपुर, उज्जैन मथुरा के वेधशाला का नाम आता है।

अपने पिता की आकस्मिक निधन के बाद मात्र 11 साल में उम्र में उन्होंने अपने राज्य की गद्दी पर बैठे। आइए इस लेख में सवाई जयसिंह का इतिहास, जीवन परिचय व उपलब्धियां के बारे में संक्षेप में जानते हैं।

सवाई जयसिंह का शासनकाल

सवाई जयसिंह का शासनकाल सन 1701 से 1743 तक माना जाता है। महाराजा जय सिंह का असली नाम विजय सिंह था। लेकिन औरंगजेब ने इनका नाम विजय सिंह से बदल कर जय सिंह रखा और आमेर का उतराधिकारी कबूल किया।

जय सिंह द्वितीय का जन्म 3 नबम्बर 1668 ई. आमेर में हुआ। इनकी माता का नाम रानी इन्द्रकँवर और पिता आमरे के राजा बिशन सिंह थे। ये अपने भाई में सबसे बड़े थे। पंडित जगन्नाथ को इनका गुरू व सलाहकार माना जाता है।

अम्बर (आमेर) के राजा के आकस्मिक निधन के बाद जय सिंह द्वितीय मात्र 11 वर्ष की आयु में राजा बने। सन 1701 जब इन्होंने मराठों से विशालगढ़ के किले पर कब्जा कर लिया तब औरंजेब ने इन्हें सवाई की उपाधि प्रदान की।  

वे दिल्ली के शासक सम्राट मोहम्मद शाह के दरवार में भी पेश हुए। जय सिंह द्वितीय ने 1734 में सम्राट मोहम्मद शाह के सम्मान में फारसी भाषा में ‘जिज़ मोहम्मद शाही’ नामक एक पुस्तक लिखवाई।

औरंगजेव की मृत्यु के बाद भी दिल्ली सम्राट के नजदीकी बने रहे। उनके प्रयास के फलस्वरूप ही नए सम्राट ने हिंदुओं पर लगाए गए जजिया कर को खत्म कर दिया था।

सवाई जयसिंह की वेधशाला

सवाई जयसिंह वेधशाला के निर्माण के लिए भी जाने जाते हैं। सवाई जयसिंह द्वारा निर्मित वेधशाला में दिल्ली और जयपुर स्थित वेधशाला को अभी भी देखा जा सकता है। इसके अलावा उन्होंने भारत में कई स्थानों पर जंतर मंतर नामक वेधशाला का निर्माण कराया।

जंतर मन्तर का निर्माण

जय सिंह द्वितीय को स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना जंतर मन्तर के निर्माण के लिए जाना जाता है। वे सिर्फ राजा ही नहीं बल्कि एक महान खगोलविद व शिल्पकार भी थे।

उन्होंने दिल्ली, जयपुर और भी कई शहरों में जंतर मन्तर का निर्माण किया। जंतर मन्तर भारतीय स्थापत्य कला का सुंदर नमूना है। इन्होंने सबसे पहले सन 1924 में दिल्ली में जंतर मन्तर का निर्माण कराया।

जय सिंह द्वितीय की जीवनी | JAI SINGH II BIOGRAPHY IN HINDI
जय सिंह द्वितीय द्वारा निर्मित स्थापत्य कला का नमूना

जन्तर-मन्तर में पत्थरों को जोड़कर बड़े-बड़े यंत्र बनवाये। कहा जाता है की जंतर मन्तर का खाका उन्होंने खुद ही तैयार किया था। संसद मार्ग से जब कनाट प्लेस की ओर जाया जाता है। तब वहाँ से कुछ ही दूरी पर जंतर मन्तर स्थित है।

सवाई जयसिंह की इस वेधशाला में गुलाबी आभा लिए अनेक विचित्र निर्माण स्थित है। जंतर मन्तर वास्तब में कई मायनों में अद्भुत है।  इसे अपने समय का नयाब नमूना कहा जा सकता है।

जंतर मन्तर में सम्राट यंत्र अर्थात सूर्य घड़ी, सौर मंडल में स्थित बड़े पिंडों की दूरी नापने के लिए राम-यंत्र तथा सौर मंडल के पिंडों की स्थिति पता लगाने के लिए जय प्रकाश यंत्र लगे हैं।

सवाई जय सिंह द्वितीय ने खगोलशास्त्र से संबंधित अनेकों ग्रन्थ पुर्तगाल, अरब तथा दूसरे देश से मंगवायी। उन्होंने इन ग्रंथों का संस्कृत में अनुवाद करवाया। साथ ही उन्होंने यूरोप से एक बड़ी दूरबीन भी मंगवाई।

सवाई जयसिंह की उपलब्धियां

जयपुर दुनियाँ में पिंकसिटी (Pink City) के नाम से प्रसिद्ध है। इस शहर की स्थापना आज से करीब 300 साल पहले 18 नवंबर 1727 को हुई थी। गुलाबी नगरी जयपुर की स्थापना पूर्व महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय (Maharaja Sawai Jai Singh II) द्वारा की गई थी.

जय सिंह द्वितीय (sawai raja jai singh) का स्थापत्य कला मे गहरी रुचि थी। क्योंकि वे एक कुछ राजा के साथ एक अच्छे खगोलशास्त्री और वास्तुशास्त्री भी थे। उन्होंने 1727 में गुलाबी नगर जयपुर को बसाया और अपनी राजधानी बनायी।

अपनी अनुपम वास्तुकला के लिये विश्व प्रसिद्ध जयपुर को ‘जैपर’ के नाम से भी जाना जाता है। जयपुर शहर का निर्माण उन्होंने ब्रह्मांड के नौ मंडलों के अनुरूप नौ आयताकार क्षेत्रों को मिलकर किया।

ग्रिड प्रणाली के आधार पर निर्मित इस शहर में व्यवसायों के अनुरूप अलग क्षेत्र आवंटित किए गए थे। इस शहर में चौड़ी सड़कें, चौड़ी गालियां, सुंदर और अनुपम इमारतें, सड़कों पर छायादार पेड़ सब व्यवस्थित तरीके से किया गया।

शहर में पानी की आपूर्ति के लिए कुएँ और जल निकासी के लिए नाले की व्यवस्था की गई थी। इस प्रकार उस बक्त जयपुर नगर स्थापत्य कला का एक  अनुपम उदाहरण था।  

जयसिंह राजा की मृत्यु

सवाई जयसिंह द्वितीय का निधन 21 सितंबर 1743 का जयपुर में हुआ। सवाई जयसिंह द्वितीय को 27 रानियाँ थी। इनमें से 3 रानी इनके साथ ही सती हो गई।

आज भी जयपुर में सवाई जय सिंह का स्मारक इसकी गबाही दे रही है। 1743 में सवाई जयसिंह की मृत्यु के बाद जयपुर की गद्दी पर उनके बड़े बेटे ईश्वरी सिंह आसीन हुआ था।

सम्मान व पुरस्कार

उनके सम्मान में जयपुर का भूतपूर्व राजघराना द्वारा हर साल खगोलशास्त्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए ‘सवाई जयसिंह सम्मान’ प्रदान किया जाता है।

भारत सरकार द्वारा सवाई जय सिंह के निर्माण जंतर-मंतर को एशियाई खेलों के ‘प्रतीक-चिन्ह’ के रूप में अपनाकर डाक टिकट जारी किया।

सवाई जयसिंह के वेटे ने अपने पिता की स्मृति में जयपुर में ब्रह्मपुरी के गैटोर में एक अत्यंत  सुन्दर स्मारक का निर्माण कराया।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (F.A.Q)

  1. सवाई जय सिंह क्या थे?

    सवाई जयसिंह द्वितीय एक कुशल शासक, प्रसिद्ध ज्योतिषी और खगोलशास्त्री थे। जयपुर की स्थापना उन्होंने ही किया था।

  2. सवाई जय सिंह का जंतर-मन्तर से क्या संबंध है?

    राजा सवाई जय सिंह एक प्रसिद्ध खगोलविद थे। उन्होंने दिल्ली और जयपुर सहित देश के पाँच शहरों में जंतर-मन्तर का निर्माण कराया था।

  3. सवाई जयसिंह का जन्म कब हुआ था?

    सवाई जय सिंह द्वितीय का जन्म 3 नबम्बर 1668 ई. आमेर वर्तमान राजस्थान में हुआ था।

  4. सवाई जयसिंह की मृत्यु कब हुई

    सवाई जयसिंह द्वितीय की मृत्यु 21 सितंबर 1743 का जयपुर में हुआ।

  5. जयपुर के राजा जयसिंह ने क्या क्या निर्माण करवाया?

    जयपुर के राजा जयसिंह ने दिल्ली, जयपुर, मथुरा, वाराणसी, उज्जैन में वैधशाला का निर्माण करवाया। उनका वैधशाला आज भी दिल्ली और जयपुर में जंतर मन्तर के नाम से  प्रसिद्ध है।

  6. जय सिंह को सवाई की उपाधि किसने दी

    कहा जाता है की जय सिंह को सवाई की उपाधि मुगल शासक औरंगजेव के द्वारा मिली थी।

  7. सवाई जयसिंह को राजराजेश्वर की उपाधि किसने दी

    बादशाह मुहम्मद शाह ने सवाई जयसिंह को राजराजेश्वर की उपाधि प्रदान की थी।

आपको जय सिंह द्वितीय की जीवनी (JAI SINGH II BIOGRAPHY IN HINDI) के बारें में संकलित जानकारी जरूर अच्छी लगी होगी,


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