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खुशवन्त सिंह भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, इतिहासकार और राजनीतिक विश्लेषक माने जाते थे। उन्होंने बेबाक पत्रकार, स्तंभकार और और उपन्यासकार के रूप में अंतरराष्ट्रीय पहचान बनायी। अपने जीवन काल में उन्होंने भारत सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों को सुशोभित किया।
वे राज्य सभा के मनोनीत सदस्य भी रहे। वे कई प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन किया। वे ‘योजना’, नेशनल हेराल्ड, हिन्दुस्तान टाइम्स और ‘दि इलेस्ट्रेटेड विकली के संपादक रहे। इन्होंने कई उपन्यास की रचना भी की जिसमें ‘डेल्ही’, ‘ट्रेन टू पाकिस्तान’, ‘दि कंपनी ऑफ़ वूमन’ आदि प्रमुख हैं।
उनके द्वारा लिखित ‘सिक्खों का इतिहास’ इनकी प्रसिद्ध ऐतिहासिक कृति मानी जाती है। उनके योगदान को देखते हुए उन्हें कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुस्कारों प्राप्त हुए। भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री, पद्म विभूषण जैसे सम्मानों से अलंकृत किया।
आईये खुशवंत सिंह जीवन परिचय शीर्षक वाले इस लेख में उनके जीवनी के वारें में विस्तार से जानते हैं।
Table of Contents
- खुशवंत सिंह की जीवनी – Khushwant Singh biography in short
- खुशवंत सिंह जीवन परिचय – khushwant singh ki biography
- शिक्षा दीक्षा
- पारिवारिक जीवन – khushwant singh wife, daughter
- निधन – khushwant singh death
- पुरस्कार और उपलब्धियां
- खुशवंत सिंह की रचनाएँ
- खुशवंत सिंह के उपन्यास
- खुशवंत सिंह की कहानियां – khushwant singh ki kahaniya in hindi
- खुशवंत सिंह की आत्मकथा
- खुशवंत सिंह उद्धरण – khushwant singh quotes in hindi
खुशवंत सिंह की जीवनी – Khushwant Singh biography in short
पूरा नाम | – खुशवंत सिंह |
जन्म तिथि | – 2 फरवरी 1915 |
जन्म स्थान | पंजाब के हदली नामक स्थान |
पिता का नाम(father name) – | शोभा सिंह |
माता का नाम – | लेडी वर्याम कौर |
प्रसिद्धि | – पत्रकार और उपन्यासकार |
निधन | – 20 मार्च 2014 |
सम्मान व पुरस्कार | – पद्म भूषण, पद्म वीभूषण |
खुशवंत सिंह जीवन परिचय – khushwant singh ki biography
जन्म
अंग्रेजी साहित्य के प्रसिद्ध लेखक खुशवंत सिंह का जन्म 2 फरवरी 1915 में पंजाब के हदली नामक स्थान पर हुआ। यह स्थान अब पाकिस्तान का हिस्सा है। खुशवंत सिंह के पिता का नाम शोभा सिंह था। उनका परिवार सुखी सम्पन्न था। उनके पिता बिल्डर थे। खुशवंत सिंह की माता का नाम लेडी वर्याम कौर था।
शिक्षा दीक्षा
उनकी आरंभिक शिक्षा दिल्ली में हुई थी। उन्होंने दिल्ली मॉर्डन स्कूल से मैट्रिकुलेशन और सेंट स्टीफेंस से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की। उसके बाद उनका नामांकन लाहौर के सरकारी कालेज में हुआ। जहाँ से उन्होंने स्नातक की डिग्री हासिल की।
स्नातक के बाद वे उच्च शिक्षा हेतु इंगलेंड चले गए। लंदन के किंग्स कॉलेज से उन्होंने कानून की पढ़ाई पूरी की। लंदन से कानून की डिग्री लेकर भारत वापस आये और कोर्ट में वकालत करने लगे।
पारिवारिक जीवन – khushwant singh wife, daughter
खुशवंत सिंह की पत्नी का नाम कवल मलिक है। उनके पुत्र का नाम राहुल सिंह और पुत्री का नाम माला है। गौरतलब है की फिल्म जगत की अपने समय की प्रसिद्ध अभिनेत्री अमृता सिंह के वे चाचा हैं। अभिनेत्री अमृता सिंह उनके भाई दलजीत सिंह की बेटी है।
कैरियर
वे भारत के प्रसिद्ध उपन्यासकार, संपादक और पत्रकार थे। उन्होंने एक पत्रकार और संपादक के रूप में असीम ख्याति अर्जित की। बाद में आकाशवाणी से भी जुड़े रहे। उन्होंने आकाशवाणी में एक प्रतिष्ठित पत्रकार के रूप में अपने कैरीयर की शरुआत की। वे भारत सरकार के पत्र ‘योजना’ के संस्थापक और संपादक रहे। इसके अलावा उन्होंने मुंबई से प्रकाशित अंग्रेज़ी साप्ताहिक ‘इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ़ इंडिया’ और ‘न्यू डेल्ही’ का सम्पादन किया। साथ ही वे अंग्रेज़ी के प्रमुख दैनिक ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ का सम्पादन किया। दैनिक समाचार पत्रों में छपने वाले उनके लिखे कॉलम खूब पसंद किए जाते थे। वे नेशनल हेराल्ड ( नई दिल्ली) के एडिटर-इन-चीफ भी रहे।
योगदान
उन्होंने भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में कई महत्वपूर्ण पदों पर भी काम किया। 1980 के दौरान वे राज्य सभा सांसद के रूप में भी चुने गए। साहित्य के क्षेत्र में भी खुशवन्त सिंह का योगदान अतुलनीय रहा है। उनके व्यंग्य रचना लोगों द्वारा खूब पसंद किया जाता था। उनकी गिनती भारत के प्रीमियम इतिहासकारों और उपन्यासकारों में होती है। वे अपने समय के एक प्रसिद्ध राजनीतिक टीकाकार, स्तंभकार, असाधारण पर्यवेक्षक और सामाजिक आलोचक थे।
साहित्यक परिचय
खुशवन्त सिंह के पत्रकार के साथ-साथ एक अच्छे रचनाकर भी थे। उनका सबसे प्रसिद्ध कृति ‘सिक्खों का इतिहास’ है। जिसका दो खंडों में प्रकाशन हुआ। इसके साथ ही उन्होंने कई प्रसिद्ध उपन्यास की रचना की जिसमें ‘डेल्ही’, ‘ट्रेन टू पाकिस्तान’, ‘दि कंपनी ऑफ़ वूमन’ आदि नाम शामिल हैं। इस प्रकार उन्होंने वर्तमान संदर्भों और प्राकृतिक वातावरण को ध्यान में रखते हुए 100 से अधिक किताबें लिखी। अपने जीवन काल में उन्होंने कई प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन किया। उनका सबसे पहला उपन्यास 1956 में प्रकाशित ‘ट्रेन टू पाकिस्तान’ थे।
निधन – khushwant singh death
अपने सारी उम्र साहित्य और देश सेवा में समर्पित प्रसिद्ध लेखक व पत्रकार खुशवंत सिंह जी का 20 मार्च 2014 को निधन हो गया। उनकी 99 वर्ष की उम्र में हृदय गति रुकने से दिल्ली के अपने आवास में मृत्यु हो गई।
पुरस्कार और उपलब्धियां
साहित्य जगत और देश के लिए उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें कई देशी और विदेशी पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्होंने सरकार द्वारा प्रदत पुरस्कार को केंद्र सरकार द्वारा अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में कारवाई के विरोध में लौटा दिया था।
- वर्ष 1974 – पद्म भूषण भारत सरकार
- वर्ष 2000 – आनेस्ट मैन आफ द ईयर अवार्ड
- वर्ष 2006 – पंजाब रतन अवार्ड से सम्मानित
- वर्ष 2007 – पद्म विभूषण भारत सरकार
- वर्ष 2010 -साहित्य अकादमी फेलोशिप पुरस्कार,
- वर्ष 2012 – अखिल भारतीय अल्पसंख्यक फोरम वार्षिक फैलोशिप का अवार्ड,
- वर्ष 2013 – टाटा लिटरेचर लाइव पुरस्कार
- वर्ष 2014 – किंग्स कॉलेज, लंदन फैलोशिप।
खुशवंत सिंह की रचनाएँ
खुशवंत सिंह की पुस्तकें की बात की जाय तो इसमे उनके द्वारा लिखित उपन्यास, कहानी आत्मकथा आदि शामिल हैं।
खुशवंत सिंह के उपन्यास
- ‘डेल्ही’
- ‘ट्रेन टु पाकिस्तान’
- ‘दि कंपनी ऑफ़ वूमन’
खुशवंत सिंह की कहानियां – khushwant singh ki kahaniya in hindi
उनके प्रसिद्ध कहानी संग्रह में प्रमुख नाम हैं –
- दस प्रतिनिधि कहानियाँ
- विष्णु का प्रतीक
- कर्म, रेप
- दादी माँ
- नास्तिक
- काली चमेली
- ब्रह्म-वाक्य
- साहब की बीवी
- रसिया
- ऐतिहासिक
- मेरा भारत
- साक्षात्कार
- मेरे साक्षात्कार
खुशवंत सिंह की आत्मकथा
- सच,
- प्यार और थोड़ी सी शरारत।
खुशवंत सिंह उद्धरण – khushwant singh quotes in hindi
- नैतिकता पैसे का मामला होता है। गरीब लोग नैतिकता नहीं रख सकते हैं। इस कारण उनके पास धर्म है।
- जब दुनिया खुद को रात के दलदल में लिपटी रहती है, तो मन का दर्पण आकाश की तरह होता है जिसमें मन के विचार सितारों की तरह टिमटिमाते हैं।
- मेरा कोई दोस्त नहीं है। क्योंकि दोस्ती को आगे बढ़ाने के लिए बैठ कर गॉसिप करनी होती है। तथा मेरा पास इस चीज़ के लिए समय नहीं है।
- स्वतंत्रता उन शिक्षित लोगों के लिए है जिन्होंने इसके लिए संघर्ष किया। हम अंग्रेजों के गुलाम थे, अब हम शिक्षित भारतीयों-या पाकिस्तानियों के गुलाम रहेंगे।
- पुरुषों में ढेर सारे दोष होते हैं, लेकिन औरतों में सिर्फ दो, वो सभी कुछ जो वो कहती हैं, और जो वो करती हैं।
खुशवंत सिंह का अंतिम उपन्यास कौन सा है?
उनका अंतिम उपन्यास द सनसेट क्लब का विमोचन नई दिल्ली में किया गया।
खुशवंत सिंह के 1956 का कौन सा उपन्यास भारत के विभाजन का वर्णन करता है?
इनके द्वारा लिखे गए उपन्यास ‘ट्रेन टू पाकिस्तान’ में भारत के विभाजन का वर्णन है. खुशवंत सिंह को उनके इस प्रसिद्ध उपन्यास के लिए 1956 में ग्रोव प्रेस अवार्ड से सम्मानित किया गया।
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