रामवृक्ष बेनीपुरी का जीवन परिचय – रचनाएँ व भाषा शैली – Biography of Ramvriksha Benipuri in Hindi

रामवृक्ष बेनीपुरी का जीवन परिचय – रचनाएँ व भाषा शैली – Biography of Ramvriksha Benipuri in Hindi

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रामबृक्ष बेनीपुरी कौन है

रामबृक्ष बेनीपुरी हिन्दी साहित्य के प्रख्यात लेखक, संपादक और स्वतंरता सेनानी थे। उनके अंदर विशिष्ट शैलीकार का गुण मौजूद था जो उनकी रचनाओं से साफ दृष्टिगोचर होता है। विभिन्न शैली का सुंदर प्रयोग उनकी रचना की विशेषता है।

इस कारण बेनीपुर जी को ‘कलम का जादूगर’  भी कहा गया है। रामवृक्ष बेनीपुरी का जीवन परिचय के गहन अध्ययन से पता चलता है की उनमें वे अच्छे निबंधकार के साथ-साथ पत्रकारिता में भी बड़े निपुण थे।

उन्होंने अपने जीवन काल में कई प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन किया जिसमें तरुण भारत, जनवाणी, किसान मित्र आदि प्रसिद्ध हैं। उन्होंने गद्य की विविध विधाओं को स्पर्श करते हुए अनेकों निबंध, नाटक, कहानी, यात्रावृतांत की रचना की।

उनकी प्रमुख गद्य रचना में पतितों के देश में, चिता के फूल, अंबपाली, माटी की मूरत, पैरों में पंख बाँधकर, जंजीरें और दीवारें आदि नाम शामिल हैं। उनके सभी रचनाओं का ‘बेनीपुरी ग्रंथावली’ के नाम से आठ भागों में प्रकाशित हो चुका है।

वे गांधीजी से अत्यंत प्रभावित होकर आजादी की लड़ाई में सक्रिय रूप से भाग लिया। फलतः जीवन के कई वर्ष  उन्हें जेल में व्यतीत करने पड़ा। आजादी के बाद भी उन्होंने पद, नाम और शोहरत से दूर भारत के उत्थान के लिए सदा तत्पर रहे।

रामबृक्ष बेनीपुरीका निधन सन् 1968 में हुआ। आइये इस लेख में रामवृक्ष बेनीपुरी का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं के बारें में विस्तार से समझते हैं।

रामवृक्ष बेनीपुरी का जीवन परिचय - Biography of Ramvriksha Benipuri in Hindi
रामवृक्ष बेनीपुरी का जीवन परिचय – Biography of Ramvriksha Benipuri in Hindi

रामवृक्ष बेनीपुरी का जीवन परिचय – Biography of Ramvriksha Benipuri in Hindi

पूरा नाम–  रामवृक्ष बेनीपुरी
जन्म तिथि – 23 दिसम्बर, 1899
जन्म स्थान – मुज़फ़्फ़रपुर, बिहार
पिता का नाम श्री फूलवंत सिंह
माता का नाम – ज्ञात नहीं
पत्नी का नाम – ज्ञात नहीं
बच्चे का नाम – प्रभा बेनीपुरी
राष्ट्रीयता – भारतीय
मृत्यु तिथि – 7 सितम्बर, 1968, मुजफ्फरपुर, बिहार
कर्म-क्षेत्र: साहित्य सृजन, स्वतंत्रता सेनानी, राजनीति

रामवृक्ष बेनीपुरी का जीवन परिचय हिंदी में – Biography of Ramvriksha Benipuri in Hindi

प्रसिद्ध कवि रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म सन् 1899 ई. में बिहार राज्य के मुजफ्फ्फरपुर जिले में वेनीपुर नामक ग्राम में हुआ था। रामवृक्ष बेनीपुरी की माता का नाम ज्ञात नहीं है।

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इनके पिता का नाम श्री फूलवंत सिंह था जो पेशे से एक साधारण किसान थे। बचपन में ही रामवृक्ष बेनीपुरी जी के सर से माता-पिता का साया उठ गया। इस कारण बेनीपुरी जी का आरंभिक जीवन के कुछ वर्ष अभावों से भरा संघर्षपूर्ण रहा।

कहते हैं इनका पालन पोषण इनकी मौसी के द्वारा हुआ। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा अपने ही गाँव के स्कूल बेनीपुर में हुआ उसके बाद वे अपने ननिहाल में पढ़ने लगे। हालांकि आजादी की लड़ाई में कम उम्र में ही कूद पड़ने से उनकी उच्च स्कूली शिक्षा पूरी नहीं हो सकी।

लेकिन अपने लेखनी से उन्होंने साबित कर दिखाया की अच्छा साहित्य रचना के लिए केवल स्कूली शिक्षा ही अनिवार्य नहीं हो सकता। हालंकी बाद में उन्होंने स्वाध्याय के वल पर ‘विशारद’ परीक्षा उत्तीर्ण की।

स्वतंरता की लड़ाई में सक्रिय योगदान

अपने मेट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद 1920 ई. में महात्मा गांधी जी द्वारा चलाए जा रहे असहयोग आन्‍दोलन में शामिल हो गए। क्योंकि वे आजादी के पक्षधर और गांधी जी से बहुत ही प्रभावित थे।

साथ ही बेनीपुर जी पत्र-प‍ात्रिकाओं में अपनी लेखनी से देशवासियों में देशभक्ति की जवाला को तेज करने लगे। फलतः वे अंग्रेजों के नजर में या गए और उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

आजादी की लड़ाई के दौरान उन्हें कई वर्षों तक जेल में रहना पड़ा। जेल में रहकर भी साहित्य साधन में वे हमेशा लगे रहते थे। आजादी के 10 साल बाद बेनीपुरी जी सन 1957 में विधान सभा के सदस्य चुने गए।

रामवृक्ष बेनीपुरी का साहित्यिक परिचय

बचपन से बेनीपुर जी में लिखने पढ़ने का बड़ा ही शौक था। वे मात्र 15 वर्ष की अवस्था से लिखना प्रारंभ कर दिये थे। उन्होंने एक प्रतिभाशाली पत्रकार के रूप में अपने आप को प्रतिष्ठित किया और तरुण भारत, जनता, जनवाणी, किसान मित्र, बालक, युवक, नयी धारा और योगी का सम्पादन किया।

उन्होंने सिर्फ एक संपादक ही नहीं बल्कि गद्य की विविध विधाओं में उनकी अच्छी पकड़ थी। अपनी दमदार लेखनी के माध्यम से उन्होंने व्यापक प्रतिष्ठा प्राप्त की। उनकी रचनाये आठ खंडों में प्रकाशित हुई। जिसमें उपन्यास, कहानी, नाटक, रेखाचित्र, वृतांत और संस्मरण शामिल हैं।

बेनीपुर जी का साहित्य में स्थान

इन्होंने अपने साहित्य सफर की शुरुआत पत्रकारिता से की थी। बहुत ही कम उम्र से उनकी रचं प्रकाशित होने लगी थी। बेनीपुरी जी का गद्य की विविध विधाओं को अपनी लेखनी द्वारा हिन्दी साहित्य में उतकृष स्थान प्राप्त किया।

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इन्होंने अपनी रचनाएँ कहानी, उपन्यास, नाटक, रेखाचित्र, संस्मरण, जीवनी, यात्रा वृतांत, निबंध आदि द्वारा अपने प्रतिभा को बखूबी सिद्ध किया। रामवृक्ष बेनीपुरी हिन्दी साहित्य में ‘शुक्लोत्तर युग’ के प्रसिद्ध साहित्यकार थे।  

रामवृक्ष बेनीपुरी की रचनाएँ – Rambriksh Benipuri books

बेनीपुरी जी की प्रमुख कृतियाँ निम्न हैं : –

  • कहानी संग्रह  – माटी के मूरत, चिता के फूल,
  • उपन्यास – पतितों के देश में,
  • रेखाचित्र – माटी की मूरतें, लाल तारा,
  • यात्रावृतांत – पैरों में पंख बांधकर, उड़ते चलें,
  • संस्मरण – जंजीरें और दीवारें, मील के पत्थर,
  • रामवृक्ष बेनीपुरी के निबंध – गेहूँ और गुलाब, मशाल, बन्दे वाणी विनायक,
  • आलोचना – विद्यापति पदावली, बिहारी सतसई की सुबोध टीका,
  • जीवनी – महाराणा प्रताप, कार्ल मार्क्स, जयप्रकाश नारायण,
  • सम्पादन – तरुण भारती, हिमालय, कर्मवीर, किसान मित्र, योगी, नई धारा, आदि।
  • नाटक – अम्बपाली, सीता की मां, रामराज्य, संधमित्रा, अमर ज्योति, शकुंतला, गाँव के देवता, नया समाज आदि।

रामवृक्ष बेनीपुरी के साहित्य की प्रमुख विशेषताएं

बेनीपुर जी की रचनाओं में स्वाधीनता की चेतना और इतिहास की युगानुरूप व्याख्या साफ दर्शित होती है। उन्होंने अपनी रचनाओं द्वारा विशिष्ट शैलीकार होने के परिचय दिया। तभी तो उन्हें ‘कलम का जादूगर’  से संबोधित किया गया।

खड़ी बोली में बड़े ही सुबोध और सरलता से कम शब्दों में अधिक बातें का भाव दर्शाना रामवृक्ष बेनीपुरी द्वारा रचित साहित्य की प्रमुख विशेषताएं कही जा सकती है।

रामवृक्ष बेनीपुरी की भाषा शैली

रामवृक्ष बेनीपुरी ने अपनी रचनाओं में भाषा शैली को सरल और सुबोध रखा है। उनकी रचना की भाषा शैली विविधतापूर्ण है। उनकी रचनाओं में आलोचनात्मक, व्यंग्यात्मक, प्रतीकात्मक, वर्णनात्मक, और भावात्मक शैलियों की प्रमुखता है।

बेनीपुरी जी ने खड़ी बोली में अपनी रचनाओं में शब्दों के चयन भावानुकूल और व्यावहारिक तरीके से किया है। रामवृक्ष बेनीपुरी ने अपनी रचना में संस्कृत के तत्सम शब्दो के साथ अंग्रेजी एवं उर्दू के शब्दों का भी खूब प्रयोग किया है।

इसके अलावा इनकी रचना भाव, प्रसंग और विषय के अनुरूप देशज तथा विदेशज शब्दों का भी प्रयोग देखने को मिलता है। साथ ही उन्होंने अपनी रचना में सरलता और सजीवता के साथ मुहावरों का भी प्रयोग किया है।

बिभिन्न पत्र पत्रिकाओं का प्रकाशन

जैसा का ज्ञात होता है की बेनीपुर जी बहुत ही कम उम्र से ही अपनी साहित्यिक रचना का सफर शुरू कर दिया था। मात्र 15 वर्ष की उम्र से उनकी रचनाएँ बिभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होने लगीं थी।

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उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में भी अपने प्रतिभा का लोहा मनवाया। अपने जीवन काल में बेनीपुरी जी कई प्रसिद्ध दैनिक, साप्ताहिक एवं मासिक पत्र-पत्रिकाओं के संपादक रहे।  

उनके द्वारा संपादित पत्रिका में तरुण भारत, जनता, जनवाणी, नयी धारा, किसान मित्र, बालक, युवक और योगी प्रमुख हैं।

रामवृक्ष बेनीपुरी की कविताएं – Rambriksh Benipuri poems in Hindi

रामवृक्ष बेनीपुरी की कविता के बारें में भी गूगल पर सर्च किया जाता है। लेकिन उनकी काव्य रचना का कहीं जिक्र नहीं मिलता। रामवृक्ष बेनीपुरी एक सफल संपादक, सच्चे देशप्रेमी और निर्भीक लेखक थे।

उन्होंने अपनी लेखनी द्वारा हिन्दी साहित्य के हर आयाम को स्पर्श किया। उन्होंने सम्पादन से लेकर निबंध, कहानी, उपन्यास, नाटक, रेखाचित्र, संस्मरण, जीवनी, यात्रा वृतांत में अपनी प्रतिभा की अमिट छाप छोड़ी।

सम्मान व पुरस्कार – Rambriksh Benipuri in Hindi

बेनीपुरी जी जिस सम्मान के हकदार थे शायद उनसे वे वंचित रहे। भारत सरकार के डाक विभाग द्वारा उनके सम्मान में 1999 में डाक टिकट जारी किया।

उनके सम्मान में बिहार सरकार अखिल भारतीय रामवृक्ष बेनीपुरी पुरस्कार प्रदान करती है। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान दिया जाता है।  

रामवृक्ष बेनीपुरी का निधन

भारत के महान विचारक, चिन्तक, स्वतंरता सेनानी, लेखक, पत्रकार तथा संपादक रामवृक्ष बेनीपुरी जी जीवन भर साहित्य सृजन में लगे रहे। रामवृक्ष बेनीपुरी जी का निधन 7 सितंबर 1968 को मुजफ्फरपुर बिहार में हो गया।

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रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म कब और कहां हुआ ?

प्रसिद्ध लेखक रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्‍म सन् 1899 ई. में बिहार राज्य के मुजफ्फ्फरपुर जिले के वेनीपुर नामक ग्राम में हुआ था।

गेहूं और गुलाब किस विधा की रचना है?

गेहूं और गुलाब, माटी की मूर्ति रामवृक्ष बेनीपुरी की अमर रचना है। गेहूं और गुलाब एक निबंध विधा किस्म की रचना है।

माटी की मूरत के लेखक कौन है?

माटी के मूरत के लेखक रामवृक्ष बेनीपुर हैं। सन 1946 में प्रकाशित रामवृक्ष बेनीपुरी के यह रचना एक रेखाचित्र-संकलन है।

प्रश्न – रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म कहाँ हुआ था

उत्तर – प्रसिद्ध लेखक रामवृक्ष बेनीपुर का जन्म बिहार राज्य के वर्तमान मुजफ्फ्फरपुर जिले के वेनीपुर गाँव में हुआ था। इसी कारण से उनका नाम रामवृक्ष ‘बेनीपुर’ पड़ा।

प्रश्न – रामवृक्ष बेनीपुरी की मृत्यु कब हुई

उत्तर – भारत के प्रख्यात लेखक, पत्रकार, रामवृक्ष बेनीपुरी की मृत्यु 7 सितम्बर, 1968 को हुई।

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रामवृक्ष बेनीपुरी का जीवन परिचय कैसे लिखें (Ramvriksh Benipuri ka jeevan parichay )

Amit

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मैं अमित कुमार, “Hindi info world” वेबसाइट के सह-संस्थापक और लेखक हूँ। मैं एक स्नातकोत्तर हूँ. मुझे बहुमूल्य जानकारी लिखना और साझा करना पसंद है। आपका हमारी वेबसाइट https://nikhilbharat.com पर स्वागत है।

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