माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय व रचनायें | Makhanlal Chaturvedi ka jivan parichay Hindi

माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय - Makhanlal Chaturvedi ka jivan parichay

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माखनलाल चतुर्वेदी भारत के प्रख्यात कवि, लेखक,पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी थे। लोग उन्हें पंडित जी के नाम से भी जानते थे। हिन्दी भाषा के एक अनूठे रचनाकार की सूची में माखनलाल चतुर्वेदी का नाम शामिल है।

उन्होंने अपनी रचनाओं के द्वारा हिन्दी जगत में एक अमिट छाप छोड़ी। सरल भाषा और ओजपूर्ण भावनाओं से ओतपोत उनकी रचनाएँ अत्यंत लोकप्रिय हुईं। उनकी रचना में देश प्रेम के साथ साथ प्रकृति प्रेम भी साफ दिखाई पड़ती है।

साहित्यक रचना के अलावा उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में भी अपना नाम कमाया। उन्होंने आजादी की लड़ाई में बढ़ चढ़ कर भाग लिया। प्रभा और कर्मवीर जैसे जानेमाने पत्रों के संपादन करते हुए उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ देश को जगाने का काम किया।

उनके द्वारा रचित रचनाए गुलाम भारत के युवाओं में जोश भरने और उन्हें जागृत करने का काम किया। गांधी जी द्वारा चलाए जा रहे असहयोग आंदोलन में उन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया।

इस कारण उन्हें अंग्रेजों के कोपभाजन का शिकार होना पड़ा। इस दौरान वे कई बार जेल भी गए। उनमें एक सच्चे देश प्रेमी की सारे गुण कूट-कूट भरे थे।

उनकी रचना पुष्प की अभिलाषा और ‘अमर राष्ट्र’ ने देशवासी को झकझोर कर जगाने में बहुत सहायक सिद्ध हुई। साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के कारण वे साहित्य एकेडमी का पुरस्कार जीतने वाले पहले व्यक्ति बने।

आइये इस लेख मे माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय हिंदी में विस्तर से जानते हैं।

माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय - Makhanlal Chaturvedi ka jivan parichay
माखनलाल चतुर्वेदी

माखनलाल चतुर्वेदी : संक्षिप्त जीवनी – Makhan lal Chaturvedi Biography in Hindi

पूरा नाम माखनलाल चतुर्वेदी
माखनलाल चतुर्वेदी का उपनामपंडित जी
जन्म वर्ष व तिथि(DOB)4 अप्रैल 1889 
जन्म स्थानमध्य प्रदेश, होशंगाबाद
माता का नामसुंदरी बाई
पिता का नाम  नंद लाल चतुर्वेदी
पेशा लेखक,साहित्यकार,कवि,पत्रकार
मृत्यु –30 जनवरी 1968
सम्मान –साहित्य अकादमी पुरस्कार, पद्मभूषण आदि

माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय हिंदी में – Biography of Makhanlal Chaturvedi in Hindi

प्रारम्भिक जीवन (Birth and Early Life)

महान कवि माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल 1889 ईस्वी में मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबई नामक स्थान पर हुआ था। माखनलाल चतुर्वेदी की माता का नाम  सुंदरी बाई और उनके पिता का नाम नंद लाल चतुर्वेदी था।

माखनलाल चतुर्वेदी की शिक्षा

इनके पिता स्थानीय स्कूल में अध्यापन का कार्य करते थे। इनकी धर्मपत्नी का नाम ग्यारसी बाई थी। माखनलाल चतुर्वेदी जी की प्रारम्भिक शिक्षा गाँव के ही एक पाठशाला से हुई।

उसके बाद उन्होंने धर में ही रहते हुए संस्कृत, हिन्दी, बंगाली, और अंग्रेजी का ज्ञान प्राप्त किया। इस प्रकार आगे चलकर वे हिन्दी साहित्य के महान कवि हुए। 

कैरियर (Makhanlal Chaturvedi: Carrier)

महान कवि माखनलाल चतुर्वेदी बहुत ही कम उम्र से ही एक स्कूल में अध्यापन का कार्य करने लगे। इस दौरान ‘हिन्दी केसरी’ ने ‘राष्ट्रीय आंदोलन विषय पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया।

इस प्रतियोगिता में माखनलाल चतुर्वेदी ने भी भाग लिया। इसमें युवा अध्यापक माखनलाल चतुर्वेदी का निबंध प्रथम आया। बाद में जब मासिक पत्रिका ‘प्रभा’ का प्रकाशन आरंभ हुआ तब वे इसके संपादक बनाये गए।

भारत की आजादी के बाद उनके जीवन मध्यप्रदेश के प्रथम मुख्य मंत्री बनने का अवसर आया। लेकिन उन्होंने साहित्य को राजनीति से ऊपर समझा और मुख्यमंत्री पद लेने से मना कर दिया।

माखनलाल चतुर्वेदी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व

माखनलाल चतुर्वेदी एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। उनकी रचनाओं में देश प्रेम और प्रकृति प्रेम साफ दृष्टिगोचर होती है।

माखनलाल चतुर्वेदी का साहित्य में स्थान ( Makhanlal chaturvedi Contribution To Literature)

माखनलाल चतुर्वेदी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे तथा वे जैसा लिखते थे वैसा ही बोलते भी थे। उनके अंदर एक कवि, पत्रकार, निवनधकर और कुशल संपादक के गुण मौजूद थे।

इनकी रचनाओं में त्याग, बलिदान और देशभक्ति का अनूठा संगम देखने को मिलता है। उनकी साहित्यिक रचना में उनकी साहित्यिक प्रतिभा साफ प्रतिबिंबित होती है। उनकी रचनाओं में करुणा और जोश दोनों का समन्वय है।

उनकी काव्यमय भाषण की शैली से लोग मंत्रमुग्ध हो जाते थे। हिंदी साहित्य जगत में इन्हें भारतीय आत्मा के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने कई काव्य कृतियाँ की रचना की। उनकी प्रमुख रचनाओं निम्नलिखित हैं।

सम्पादन के क्षेत्र में योगदान

उन्होंने अपनी जीवन काल में की पत्र पत्रिका का सम्पादन किया। जब कानपुर से कानपुर से गणेश शंकर विद्यार्थी ने ‘प्रताप’ का संपादन शुरू किया था तब माखनलाल जी गणेश शंकर विद्यार्थी के देशप्रेम की भाव से अत्यंत ही प्रभावित हुए।

जब सन् 1924 ईस्वी में गणेश शंकर विद्यार्थी को गिरफ़्तार कर लिया गया। तब उन्होंने ‘प्रताप’ पत्रिका का सम्पादकीय कार्य की जिम्मेदारी अपने संभाली थी। बाद वे जबलपुर से प्रकाशित होने वाले राष्ट्रीय दैनिक ‘कर्मवीर’ के संपादक बने।  

माखनलाल चतुर्वेदी की प्रमुख रचनाएँ

माखनलाल चतुर्वेदी की कविताएं में प्रमुख नाम हैं : –

हिमकिरीटिनी, हिम तरंगिणी, समर्पण, मरण ज्वार, युग चरण,  माता, वेणु लो गूँजे धरा, बीजुरी काजल आँज आदि इनकी प्रसिद्ध काव्य कृतियाँ हैं।

इसके साथ ही एक तुम हो, लड्डू ले लो, दीप से दीप जले, मैं अपने से डरती हूँ सखि, कैदी और कोकिला, कुंज कुटीरे यमुना तीरे, गिरि पर चढ़ते धीरे-धीर, सिपाही, वायु, वरदान या अभिशाप,अमर राष्ट्र, उपालम्भ, मुझे रोने दो,

तुम मिले, बदरिया थम-थमकर झर री, यौवन का पागलपन, झूला झूलै री, तान की मरोर, पुष्प की अभिलाषा, तुम्हारा चित्र, दूबों के दरबार में, बसंत मनमाना, तुम मन्द चलो आदि प्रमुख है।

गद्यात्मक कृतियाँ – हिमतरंगिनी, समय के पाँव, माता, कृष्णार्जुन युद्ध, युगचरण, साहित्य के देवता, अमीर इरादे और गरीब इरादे आदि आपकी प्रसिद्ध रचनायें हैं।

माखनलाल चतुर्वेदी की भाषा शैली

माखनलाल चतुर्वेदी का प्रादुर्भाव उस बक्त हुआ था जब देश में आजादी की लड़ाई जोरो पर थी। चारों तरफ ब्रिटिश सरकार के प्रति असंतोष व्याप्त था।

उस बक्त माखनलाल जी ने अपनी रचनाओं से देश वासी के अंदर देश प्रेम की भावना को प्रवल करने के कार्य किया। इस कारण उनकी रचना बड़ी ही ओजपूर्ण थी। उन्होंने अपनी रचना में खड़ी बोली और सरल भाषा का प्रयोग किया है।

इनकी रचना में शृंगार और वीर रस दोनों की प्रधानता है। साथ ही उपमा, रुपक, उत्प्रेक्षा आदि अलंकारों का भी प्रयोग देखने को मिलता है।

गांधी जी मुलाकात और आजादी की लड़ाई में भाग  

वे आजादी की लड़ाई में सक्रिय रूप से भाग लिया। माखनलालजी बाल गंगाधर तिलक और महात्मा गांधी से बहुत से प्रभावित थे।

सन 1920 में असहयोग आन्दोलन और सन् 1930 में सविनय अवज्ञा आन्दोलन में भाग लेने के कारण उन्हें गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया गया। जेल से बाहर आने के बाद भी वे अपनी लेखनी से देश के युवाओं में देश प्रेम की भावना प्रबल करते रहे।

जब उन्होंने प्रथम मुख्यमंत्री का पद को ठुकराया

भारत जब आजाद हुआ तब उन्हें मध्य प्रदेश राज्य के प्रथम मुख्य मंत्री बनने का अवसर मिला। लोगों के द्वारा मुख्य मंत्री के रूप में उनका नाम प्रथम स्थान पर था। लेकिन उन्होंने विनम्रभाव से इसे मना कर दिया।

उनके मना करने के बाद रविशंकर शुक्ल को मध्य प्रदेश का प्रथम मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

माखनलाल चतुर्वेदी : सम्मान व पुरस्कार (Makhanlal Chaturvedi Awards)

अपने समय के प्रख्यात कवि लेखक और स्वतंरता सेनानी माखनलालजी को कई सम्मान व पुरस्कार प्राप्त हुए। सन 1943 में इन्हें हिंदी साहित्य सम्मलेन का अध्यक्ष चुना गया था।

  • उन्हें उस बक्त का हिन्दी साहित्य का सबसे बड़े सम्मान ‘देव पुरस्कार प्रदान किया गया। यह पुरस्कार उन्हें उनकी प्रसिद्ध रचना ‘हिम किरीटिनी’ के लिए प्रदान किया गया।
  • माखनलालजी को उनकी प्रसिद्ध रचना हिमतरंगिनी के लिए सन 1954 ईस्वी में साहित्य अकादमी पुरस्कार से अलंकृत किया गया।
  • सन 1959 में उन्हें सागर विश्वविद्यालय द्वारा डी.लिट्. की मानद उपाधि प्रदान की गई।
  • भारत सरकार ने 1963 माखनलालजी को देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्मभूषण से सुशोभित किया।
  • उनके स्मृति में ही भोपाल स्थति ‘माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय’ की स्थापना की गई है।

निधन (Death)

महान कवि माखनलाल चतुर्वेदी का 30 जनवरी 1968 को निधन गया।

माखनलाल चतुर्वेदी को एक भारतीय आत्मा क्यों कहा गया है?

माखनलाल चतुर्वेदी हिन्दी भाषा के अनूठे रचनाकर थे। उनकी रचना में भाषा की सरलता और ओजपूर्ण भाव देखने को मिलता है। आजादी की लड़ाई में उन्होंने अपनी लेखनी द्वारा युवाओं को जगाने का कार्य किया।  फलतः उन्हें  ‘एक भारतीय आत्मा’ उपनाम से संबोधित किया गया।

माखनलाल चतुर्वेदी की मृत्यु कब हुई ?

माखनलाल चतुर्वेदी की मृत्यु 30 जनवरी 1968 में हुई थी।

माखनलाल चतुर्वेदी की देशभक्ति कविता’ के कुछ अंध

कविता पुष्प की अभिलाषा

चाह नहीं मैं सुरबाला के, गहनों में गूथा जाऊँ

चाह नहीं प्रेमी माला में, बिंध प्यारी को ललचाऊँ

चाह नहीं सम्राटों के, शव पर हे हरि डाला जाऊँ

चाह नहीं देवों के सिर पर, चढूँ भाग्य पर इतराऊँ

मुझे तोड़ लेना बनमाली, उस पथ पर तुम देना फेंक

मातृभूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ जाएँ वीर अनेक

कविता – कैदी और कोकिला के कुछ अंश

(अंग्रेजों द्वारा स्वतंरता सेनानी को जेल में यातना देने पर लिखी गई कविता)

जीने को देते नहीं पेट भर खाना

और मरने भी नहीं देते तड़प रह जाना। …………

आपको माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय (Makhanlal Chaturvedi Biography Hindi) से जुड़ी संकलित जानकारी जरूर अच्छी लगी होगी, अपने सुझाव से जरूर अवगत करायें।  

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