सी वी रमन का जीवन परिचय | Sir CV Raman Biography in Hindi

सी वी रमन का जीवन परिचय | Sir CV Raman Biography in Hindi

डॉक्टर सी वी रमन के बारे में

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महान वैज्ञानिक सर सीवी रमन (C. V. Raman (Physicist)  की गिनती आधुनिक भारत के महान भौतिक वैज्ञानिक के रूप में होती है। साइंस का कोई ऐसा छात्र नहीं होगा जो भारत के महान वैज्ञानिक सी वी रमन का जीवन परिचय से अवगत न हो।

भारत के सबसे महान वैज्ञानिक डॉ सी.वी. रमन ने प्रकाश के प्रकीर्णन पर उल्लेखनीय कार्य किया। उन्होंने प्रकाश के प्रकीर्णन पर शोध करते हुए फोटोन कणों के वितरण के बारे में दुनियाँ को अवगत कराया।

सर सीवी रमन को ‘रामन प्रभाव’ (‘ रमन इफेक्ट ’) की खोज करने के लिए जाना जाता है। आज से करीब 100 साल पहले विज्ञान और टेकनेलॉजी उतनी उन्नत नहीं थी। उस दौर में सी वी रमन ने सीमित संसाधनों के द्वारा रमन प्रभाव को प्रयोगात्मक रूप में सिद्ध कर दुनियाँ को चकित कर दिया था।

उनकी यह खोज साइंस जगत में रमन प्रभाव के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इस खोज के परिणामस्वरूप भौतिक विज्ञान में क्रिस्टल की आंतरिक संरचना, आंतरिक अणु की संरचना आदि को समझने में काफी मदद मिली।

भौतिकी के क्षेत्र में उनके इस बहुमूल्य खोज के लिए सन 1930 ईस्वी में उन्हें विश्व प्रसिद्ध नोवेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ब्रिटिश सरकार ने 1929 में उन्हें इंगलेंड के सबसे बड़े सम्मान ‘सर’ की उपाधि से सम्मानित किया।

जब देश आजाद हुआ तब भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न  से सम्मानित किया। इसके अलावा उन्हें कई अन्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

प्रतिवर्ष 7 नवम्बर को सर सी वी रमन की जयंती के अवसर उन्हें बिशेष रूप से याद किया जाता है। उन्हीं की याद में प्रतिवर्ष भारत में “राष्टीय विज्ञान दिवस” मनाया जाता है।

आइये भारत के महान वैज्ञानिक सी वी रमन का जीवन परिचय शीर्षक वाले इस लेख में उनकी सम्पूर्ण जीवनी और खोज के बारें में विस्तारपूर्वक जानते हैं।

सी वी रमन का जीवन परिचय | Sir CV Raman Biography in Hindi
रमन प्रभाव के खोजकर्ता “सी वी रमन का जीवन परिचय”

नॉवेल पुरस्कार विजेता सी वी रमन का जीवन परिचय

पूरा नाम – सर चन्द्रशेखर वेंकट रमन (C.V. Raman in English)
जन्म (Date of birth ): – 7 नवम्बर 1888
जन्म स्थान – त्रिचनापल्ली (भारत)
माता का नाम– पार्वती अम्माल
पिता का नाम – चन्द्रशेखर अय्यर
प्रसिद्धि – रमन प्रभाव के खोज के लिए दुनियाँ में प्रसिद्ध
सम्मान व पुरस्कार – भारत रत्न, नोवेल पुरस्कार, लेनिन पुरस्कार
मृत्यु – 21 नवम्बर 1970,
मृत्यु का स्थान (Place of death )– बंगलौर (Bengaluru)
राष्ट्रीयता (Nationality)– भारत (India)
उपलब्धियां – प्रकाश के प्रकीर्णन और रमन प्रभाव की खोज

डॉक्टर सी वी रमन का प्रारंभिक जीवन (Sir CV Raman Biography in Hindi)

सी वी रमन का पूरा नाम चन्द्रशेखर वेंकट रामन था। सर सी वी रमन का जन्म 7  नवंबर 1888 ईस्वी में दक्षिण भारत में तत्कालीन तिरुचिरापल्ली नामक शहर में हुआ था। सी.वी. रमन के पिता का क्या नाम चन्द्रशेखर अय्यर और उनके माता जी का नाम पार्वती अम्माल थी।

उनके पिता चन्द्रशेखर अय्यर एक विद्वान आदमी थे तथा स्थानीय कॉलेज में भौतिकी के प्रोफेसर थे। फलतः घर में शिक्षा का माहौल उन्हें विरासत में मिला था। बालक सी वी रमन बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे।

सीवी रमन की शिक्षा-दीक्षा

सीवी रमन बचपन से पढ़ने लिखने में बहुत ही मेधावी थे। सर सी वी रमन के ऊपर अपने भौतिकशास्त्र के प्रोफेसर पिता का गहरा प्रभाव पड़ा।कहा जाता है मात्र 12 साल की उम्र में ही उन्होंने मेट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी।

मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण कर वे उच्च शिक्षा के लिए प्रेसिडेन्सी कॉलेज मद्रास चले गए। जहाँ उन्होंने सन् 1904 ईस्वी में में बी.एस सी की परीक्षा पास की।

तत्पश्चात वे वर्ष 1907 ईस्वी में भौतिक साइंस में एम.ए. की परीक्षा अच्छे अंकों से पास की। एम.ए.सी  की परीक्षा में वे पूरे विश्वविद्यालय में टॉपर रहे तथा उन्हें स्वर्ण पदक मिला।

पारिवारिक जीवन, पत्नी, बच्चे (C V Raman family)

सर सी.वी. रामन की शादी 6 मई 1907 ईस्वी में कृष्णस्वामी अय्यर की पुत्री त्रिलोक सुंदरी के साथ हुआ। उन्हें दो पुत्र थे जिनके नाम राधाकृष्णन और चंद्रशेखर था।

कैरियर (C V Raman career)

रमन साहब एम. ए. की डिग्री प्राप्त करने के बाद ब्रिटिश भारत सरकार के लेखा-विभाग की परीक्षा में बैठे। इस परीक्षा में उन्होंने प्रथम स्थान हासिल किया। इस प्रकार आप डिप्टी एकाउटेंट जनरल के रूप में कलकत्ता के एक सरकारी दफ्तर में अपना सेवा देने लगे।

लेकिन उनका मन इन कामों मे बिल्कुल भी नहीं लगता था। एक दिन उनकी मुलाकात इण्डियन एसोसिएशन फॉर कल्टीवेशन ऑफ साइन्स के सचिव डॉ आशुतोष मुखर्जी से हुई। डॉ आशुतोष मुखर्जी से मिलकर वे काफी प्रभावित हुए।

फलतः उन्होंने इण्डियन एसोसिएशन फॉर कल्टीवेशन ऑफ साइन्स की सदस्यता ग्रहण कर ली। इस प्रकार वे अपने खाली समय का सदुपयोग भौतिक विज्ञान के शोध के ऊपर करने लगे। धीरे-धीरे उन्हें अपने अनुसंधान में सफलता मिलने लगी।

सरकारी नौकरी से त्यागपत्र

अपने अनुसंधान में पूरा समय देने के लिए उन्होंने सरकारी नौकरी से वर्ष 1917 ईस्वी में त्याग पत्र दे दिया। वे डॉ मुखर्जी के सहयोग से कलकत्ता विश्वविद्यालय में भौतिकशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में अध्यापन और अनुसंधान कार्य करने लगे।

इस प्रकार कलकता उनकी कर्मभूमि रही जहाँ के प्रोफेसर के रूप में उन्होंने कई वर्षों तक कार्य किया। वहीं उनकी मुलाकात आशुतोष मुखर्जी से हुई जो उस बक्त वहाँ के कुलपति थे। उन्होंने सी वी रमन को अनुसंधान में कई मदद की।

इसी क्रम दौरान रमन के जीवन में एक नया मोड़ आया। उन्हें इंग्लैंड में आयोजित होने वाले विश्वविद्यालय कांग्रेस में भाग लेने के लिए चुना गया तथा वे 1921 में भारतीय प्रतिनिधि के रूप में लंदन गये।

लंदन जाते समय अपनी समुन्द्री यात्रा के दौरान उन्हें भूमध्य सागर तथा उसके ऊपर तैरते हुए बर्फ का नीला रंग बहुत प्रभावित किया। इस प्रकार वे समुन्द्र के पानी और उस पर तैरते बर्फ के नीले रंग की राज को जानने के लिए अनुसंधान करने लगे।

रोज सुबह वे अपने प्रयोगशाला में पहुँच जाते और कॉलेज की ड्यूटी के बाद रात दस बजे अपने शोध में व्यस्त रहते।

सी वी रमन की खोज – Invention of CV Raman in Hindi

कई वर्षों तक लगातार अपने शोध के बाद उन्होंने इसके कारण का पता लगा लिया। उन्होंने  पाया की पानी तथा बर्फ के नीलापन का राज इस पर पड़ने वाले सूर्य की किरणों के प्रकीर्णन की वजह से होता है।

अपने अनुसंधान में उन्होंने पाया की जब कोई एकवर्णी (single colour ) प्रकाश की किरण द्रवों और ठोसों से होकर गुजरती है, तब उसमें आपतित प्रकाश के अलावा अत्यल्प तीव्रता का कुछ अन्य वर्णों(colour ) का प्रकाश भी नजर आता है।

‘रमन प्रभाव’ के खोज से पहले यह ज्ञात नहीं था की प्रकाश की प्रकृति किस तरह की होती है। प्रकाश कणों की तरह होता है या लहरों की तरह किसी को पता नहीं था। रमन ने अपने अनुसंधान में यह सत्यापित कर दिखाया की असल में प्रकाश ‘फ़ोटॉन’ से बना होता है।

सी वी रमन का जीवन परिचय | Sir CV Raman Biography in Hindi

जब उन्होंने अपने शोध को सन 1928 ईस्वी में दुनियाँ को सिद्ध करदिखाया था। तब दुनियाँ के बड़े-बड़े वैज्ञानिक उनके इस शोध को देखकर दंग रह गये थे। उनका यह शोध 31 मार्च 1928 ईस्वी में ‘इन्डियन जर्नल ऑफ फिजिक्स’ में ‘प्रकाश का आणविक विकिरण ” के नाम से प्रकाशित हुआ था।

29 फरवरी 1928 को उनकी खोज रमन इफेक्ट को मान्यता मिली। रमण प्रभाव’ के खोज के कारण वस्तुओं की शुद्धता, उनकी मात्रा की प्रतिशत ज्ञात करने में आसानी हुई।

उनकी इस खोज ने पूरे दुनियाँ में उन्हें प्रसिद्ध कर दिया। इस प्रकार सी वी रमन की खोज ‘रमन प्रभाव के नाम से प्रसिद्ध हुआ। उनके इस महानतम खोज के लिए वर्ष 1930 में उन्हें विश्व के सर्वोच सम्मान से नॉवेल प्राइज से सम्मानित किया गया।

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सीवी रमन के महत्वपूर्ण कार्य (CV Raman And His Contribution)

वे बंगलुरु के इण्डियन इन्स्टीट्यूट ऑफ साइंस के निदेशक के पद पर करीव 10 साल तक आसीन रहे। इस पद पर रहते हुए उन्होंने सन् 1934 ईस्वी में ‘इण्डियन एकेडेमी ऑफ साइन्स’ की स्थापना की।

इसके अलावा बंगलुरु में भी ‘रामन रिसर्च इन्स्टीट्यूट‘ की नींव रखने का श्रेय भी रमन साहब को ही जाता है। वे पुष्पों के वर्णों (colour ) के संबंध में भी कई अनुसंधान किए और महत्त्वपूर्ण जानकारी साझा की।

इसके अलावा वे चुबकीय शक्ति, प्रकाश, ध्वनि, चितलियाँ, पक्षी, एक्स-रे, समुद्री व बर्फ वर्ण आदि विषय पर आजीवन शोध में लगे रहे। साथ ही उन्होंने तबला और मृदंग की ध्वनि की सुरीली प्रकृति की जाँच के लिए अनुसंधान किये।

पुरस्कार व सम्मान (Sir Chandrasekhara Venkata Raman Award)

  • कलकत्ता विश्वविद्यालय ने उन्हें डाक्टर ऑफ साइंस’ की उपाधि से बिभूषित किया।
  • सन 1923 ईस्वी में सी वी रमन को लंदन की ‘रॉयल सोसाइटी‘ ने अपने फेलो बनाया।
  • ब्रिटिश सरकार ने सन 1929 में उन्हें इंग्लैंड के सर्वोच्च सम्मान ‘सर’ ( नाइटहुड )की उपाधि से सम्मानित किया।
  • सर सी वी रमन को सन 1930 ईस्वी में भौतिकी के क्षेत्र में नॉवल पुरस्कार प्रदान किया गया।
  • भौतिकी की क्षेत्र में नोवेल पुरस्कार पाने वाले वे एसिया के पहले वैज्ञानिक हैं।
  • उन्हें सन 1941 ईस्वी में ‘फ़्रेंकलिन पुरस्कार’ प्रदान किया गया।
  • सन 1954 में भारत सरकार ने भारत रत्न से सम्मानित किया।
  • सन 1957 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा उन्हें लेनिन पुरस्कार प्रदान किया गया।
  • भारत सरकार के डाक विभाग ने उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया था।
  • वर्ष 1948 ईस्वी में दी अमेरिकन केमिकल सोसाइटी और इन्डियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ़ साइंस ने रमन की खोज के लिए भी पुरस्कृत किया।

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राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का आयोजन

सर सी वी रमन ने के महत्त्वपूर्ण कार्यों में रमन प्रभाव’ का दुनियाँ में विशिष्ट स्थान है। इस महत्वपूर्ण खोज के कारण ही उन्हें भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था।

उनकी इस खोज को दिनांक 29 फरवरी 1928 को विश्व स्तर पर मान्यता मिली। इस कारण प्रतिवर्ष 29 फरवरी को भारत में “राष्ट्रीय विज्ञान दिवस” के रूप में मनाया जाता है।

सर सी वी रमन की मृत्यु (CV Raman died)

आजीवन अपने शोध में लगे रहने वाले सर सी वी रमन ने अपना समस्त जीवन भौतिक विज्ञान को समर्पित कर दिया। महान वैज्ञानिक सर सी वी रमन की मृत्यु 82 वर्ष की उम्र में 21 नवंबर 1970 को कर्नाटक की राजधानी बंगलुरु में हुई।

सर रमन की पहली पुण्यतिथि पर भारत सरकार के भारतीय डाक सेवा विभाग ने एक स्मारक डाक टिकट जारी किया। जिस डाक टिकट पर की स्पेक्ट्रोस्कोपी और बैकग्राउंड में एक हीरा का इमेज था।

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सर सी वी रमन के बारें में कुछ रोचक जानकारी

डॉक्टर सी वी रमन तबला और मृदंगम जैसे भारतीय वाध्य-यंत्र की ध्वनि की सुरीली प्रकृति की जांच करने वाले पहले वैज्ञानिक थे।

डॉ रमन विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार पाने वाले एशिया के प्रथम व्यक्ति थे।

प्रोटॉन और एटोमिक न्यूक्लियस की खोज करने वाले महान वैज्ञानिक रदरफोर्ड ने भी 1929 में रॉयल सोसाइटी में दिए गए आने भाषण में रमन की स्पेक्ट्रोस्कोपी का जिक्र किया था।

उनकी महान खोज रमन प्रभाव ने उन्हें अमर कर दिया। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं की उनके इस खोज के पीछे उनके साथी वैज्ञानिक के एस कृष्णन का भी हाथ था।

कहा जाता है की कुछ प्रोफेशनल मतभेदों के चलते के एस कृष्णन ने नोबेल सम्मान साझा नहीं किया। लेकिन रमन साहब ने नोबेल स्वीकृति भाषण के दौरान अपनी महानता का परिचय देते हुए कृष्णन जी के योगदान का विशेष उल्लेख किया था।

उनकी खोज की स्मृति में भारत में प्रतिवर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने सूरी भगवंतम के साथ मिलकर फोटॉन क्वांटम की भी खोज की थी।

F.A.Q

  1. सी वी रमन का जन्म कब हुआ?

    डॉ सी.वी. रमन का जन्म 7 नवंबर 1888 ईस्वी मे भारत के तमिलाडु राज्य के तिरुचिरापल्ली में हुआ था।

  2. सी वी रमन का पूरा नाम क्या है?

    सी वी रमन का फुल फॉर्म चंद्रशेखर वेंकट रमन है।

  3. सीवी रमन ने किसकी खोज की?

    उनकी सबसे बड़ी खोज रमन प्रभाव (Raman Effect) था, जिसे 20 फरवरी 1928 को मान्यता मिली। भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में उनके इस खोज के लिए उन्हें नॉवेल पुरस्कार मिला।

  4. सीवी रमन को नोबेल पुरस्कार कब मिला था?

    उन्‍हें वर्ष 1930 ईस्वी में भौतिकी के क्षेत्र में ‘रमन प्रभाव’ की खोज के लिए नोबेल पुरस्‍कार से सम्मानित किया गया।

  5. सी वी रमन को भारत रत्न कब मिला?

    महान भौतिक वैज्ञानिक सी वी रमन को वर्ष 1954 ईस्वी में ‘भारत रत्न ’ प्रदान किया गया था।

  6. चंद्रशेखर वेंकट रमन की माता का क्या नाम था?

    चंद्रशेखर वेंकट रमन की माता का नाम पार्वती अम्माल था।

उपसंहार (Sir Chandrashekhar Venkatraman in Hindi)

हमने देखा की सर सी.वी. रामन का सम्पूर्ण जीवन किस तरह से विज्ञान को समर्पित रहा। आज भले ही वे हमारे बीच नहीं रहे लेकिन साइंस के क्षेत्र में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

हमारे देश में विज्ञान को नई ऊंचाईं प्रदान करने में सी वी रमन का बड़ा योगदान माना जाता है। उन्होंने गुलाम भारत में भी विज्ञान की शिक्षा और शोध को बहुत प्रोत्साहन प्रदान किया। डॉक्टर सी वी रमन का जीवन परिचय हिंदी में आपको जरूर अच्छा लगा होगा।

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