मानव कंप्यूटर शकुंतला देवी का जीवन परिचय, खोज और गणित में योगदान (Shakuntala Devi biography in Hindi)

मानव कंप्यूटर शकुंतला देवी की जीवनी - SHAKUNTALA DEVI BIOGRAPHY IN HINDI
मानव कंप्यूटर शकुंतला देवी की जीवनी - SHAKUNTALA DEVI BIOGRAPHY IN HINDI

शकुंतला देवी की गिनती भारत के एक प्रसिद्ध गणितीय और मानव कंप्युटर के रूप में होती है। उनका दिमाग कम्पुटर से भी तेज था तभी तो समूचा विश्व में उन्हें चलता फिरता कंप्युटर अर्थात “मानव कंप्यूटर” कहा जाता था।

मानव कम्प्यूटर शकुंतला देवीकठिन से कठिन मानसिक गणितीय गणना को अपने कंप्युटर जैसे तेज दिमाग से सेकंड में हल कर देती है। उन्होंने अपने प्रतिभा से दुनियाँ में एक अलग छाप छोड़ी तथा अपने देश भारत का मान बढ़ाया।

एक गरीब परिवार में जन्मी और पली बढ़ी शकुंतला देवी बचपन से ही अद्भुत प्रतिभा के धनी थी। जटिल गणितीय मानसिक गणनाएं पलक झपकते ही कर वे सबको आश्चर्य चकित कर देती थी।

कहते हैं की उनके पिता ने उनके विलक्षण प्रतिभा से परिचित होकर इधर उधर रोड शो में ले जाने लगे। जहाँ उन्होंने अपनी विलक्षण प्रतिभा का प्रदर्शन किया।

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लोग इस छोटी से बच्ची के विलक्षण मानसिक गणितीय गणना के कौशल को देखकर दांतों तले अंगुली दवा लेते। सबसे आश्चर्य की बात यह थी की एक निर्धन परिवार में जन्म लेने के कारण उनकी कोई औपचारिक स्कूली शिक्षा भी नहीं हुई।

उनके सुपर कंप्युटर जैसे तेज गणितीय गणना की चर्चा सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पश्चिमी देश तक फैल गई। उन्हें तब और विश्व प्रसिद्धि मिली। जब अमेरिका के एक प्रसिद्ध मनोविज्ञान के प्रोफेसर आर्थर जेन्सेन ने उनके बारें में  रिसर्च किया।

मानव कंप्यूटर शकुंतला देवी की जीवनी - SHAKUNTALA DEVI BIOGRAPHY IN HINDI
मानव कंप्यूटर शकुंतला देवी की जीवनी – SHAKUNTALA DEVI BIOGRAPHY IN HINDI

प्रोफेसर आर्थर जेन्सेन ने उनकी अद्भुत प्रतिभा का परीक्षण और अध्ययन कर पाने निष्कर्ष को अकादमिक पत्रिका ‘इंटेलिजेंस’ में प्रकाशित किया। सन 1982 मेनन शकुंतला देवी का नाम ‘द गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में दर्ज किया गया।

क्योंकि जिस सवाल के जबाव देने में कंप्युटर को एक मिनट का समय लिया उसे शकुंतला देवी ने मात्र 50 सेकंड में उत्तर देकर सबको विस्मित कर दिया। तभी से वह ‘ह्यूमन कंप्यूटर’  के नाम से प्रसिद्ध हो गई।

शकुंतला देवी ने अपने असाधारण प्रतिभा के द्वारा यह साबित कर दिया की महिलायें पुरुष से किसी भी मायने में कम नहीं है। आईए भारत के इस महान बेटी शकुंतला देवी की जीवनी को विस्तार से जानते हैं।

मानव कंप्यूटर शकुंतला देवी का गणित में योगदान – Shakuntala devi Biography in Hindi

पूरा नाम शकुंतला देवी
जन्म की तारीख 4 नवंबर 1929
शकुंतला देवी का जन्म स्थान बंगलुरु, भारत
शकुंतला देवी की शिक्षा औपचारिक शिक्षा से वंचित
प्रसिद्धि मानव कंप्यूटर के नाम से
निधन 21 अप्रैल 2013, बंगलुरु, भारत

शकुंतला देवी का जन्म व प्रारंभिक जीवन –

मानव कम्पुटर के रूप में विख्यात शकुंतला देवी का जन्म 4 नवंबर 1929 को कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में हुआ था। उनका परिवार एक कन्नड़ ब्राह्मण परिवार से आता था।

लेकिन उनके पिता अपने पारंपरिक पेशा से हटकर एक सर्कस कलाकार के रूप में काम करते थे। परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी, किसी तरह परिवार का गुजर बसर हो रहा था।

इस कारण शकुंतला देवी की पढ़ाई लिखाई भी नहीं हो पाई और उन्हें औपचारिक शिक्षा से वंचित रहना पड़ा।

ह्यूमन-कंप्यूटर शकुंतला देवी से जुड़ी एक कहानी

चूंकि उनके पिता सर्कस में काम करते थे। इस कारण वे अपने पिता के साथ अक्सर साथ रहती थी। कहते हैं की शकुंतला देवी ने मात्र तीन वर्ष की उम्र से पाने पिता के साथ ताश खेलना शुरू कर दिया थी।

अपनी छोटी से उम्र में ताश खेलने में हमेशा अपने पिता का हरा देती थी। उनके पिता को शक होने लगा की कहीं यह चिट तो नहीं कर रही है। उन्होंने ताश खेलने के दौरण अपनी बेटी पर नजर रखने लगी।

उनके पिता ने पाया की शकुंतला देवी ताश के 52 पत्तों के नंबरों और उनके अनुक्रम को अपने दिमाग में बैठा लेती थी। धीरे–धीरे उन्हें अपनी बेटी के अद्भुत प्रतिभा का पता चल गया।

उन्होंने पाया की शकुंतला देवी का दिमाग असाधारण और अत्यंत ही तीक्ष्ण है। उन्होंने अपने बेटी को विभिन्न शहरों और कस्बों में ले जाकर उनके विलक्षण प्रतिभा का प्रदर्शन करने लगा।

लोग शकुंतला देवी के तीक्ष्ण बुद्धि से काफी प्रभावित होने लगे। इस प्रकार शकुंतला देवी अपने पिता के लिए पैसा भी कमाने लगी। उनकी ख्याति स्कूलों और कालेजों तक पहुंची और उन्हें बिभिन्न स्कूलों और कालेजों से आमंत्रित कीये जाने लगा।

देश के बिभिन्न विश्वविद्यालय में प्रदर्शन

उनके पिता ने दक्षिण भारत के अनेकों विश्व विधालय में अपने बेटी को कौसल प्रदर्शन के लिए ले गए। मात्र 6 साल की उम्र से उन्होंने विश्वविद्यालय में जाकर प्रदर्शन करने लगी।

वे अपने पिता के साथ मैसूर विश्वविद्यालय, अन्नामलाई विश्वविद्यालय, उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद विश्वविद्यालय और विशाखापत्तनम विश्वविद्यालय के संकाय में अपने कौशल का प्रदर्शन किया। छात्र और प्रोफेसर उनके अद्भुत गणितीय गणना शक्ति को देखकर दंग रह जाते।

दुनियाँ के कई देशों में कौशल का प्रदर्शन

गणित के लिए उनके अंदर एक अदम्य प्रतिभा उपहार में मिली(God Gifted) थी। शकुंतला देवी ने पूरे विश्व की यात्रा की। जब लोगों को उनकी प्रतिभा का पता चला। उनकी पहचान के मानव कंप्यूटर के रूप में हो गई। समय के साथ शकुंतला देवी की पहचान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो गई।

उन्होंने अपने पिता के बाद इंग्लैंड, अमेरिका, हांगकांग, जापान, रूस, फ्रांस, स्पेन, मॉरीशस, इंडोनेशिया और मलेशिया, श्रीलंका, इटली, और कनाडा की यात्रा की। इन सभी देशों में शकुंतला देवी ने अपने अद्भुत कौशल का प्रदर्शन किया।

अमेरिकी यात्रा के दौरण 1977 में जब उन्हें दक्षिणी मेथोडिस्ट विश्वविद्यालय बुलाया गया। यहाँ पर उन्हें गणित से संबंधित 201 अंकों की संख्या की जटिल प्रश्न पुछा गया। जिसका उत्तर उन्होंने कंप्युटर से भी 10 सेकंड पहले दे दिया था।

पारिवारिक जीवन

उनकी शादी 1960 के दशक में कोलकाता के भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी के साथ सम्पन्न हुई। शकुंतला देवी के पति का नाम परितोष बनर्जी था। हालांकि शादी के 19 वर्ष बाद कुछ व्यक्तिगत कारणों से दोनों का तलाक हो गया था।

Shakuntala devi daughter का नाम अनुपमा बनर्जी है। अनुपमा बनर्जी भी एक प्रसिद्ध गणितज्ञ, लेखक और प्रोफेसर हैं। वे अपने परिवार के साथ लंदन में रहती है।

कहते हैं की उन्होंने अपनी माँ शकुंतला देवी पर बनी फिल्म (shakuntala devi movie) के लिए ढेर सारी सहयोग और जानकारी प्रदान की।

बीबीसी के शो में आमंत्रण

उनकी खयाती से प्रभावित होकर बीबीसी वालों ने अपने शो में आमंत्रण किया। इस शो को उस बक्त के बीबीसी के प्रसिद्ध एंकर लेस्ली मिशेल होस्ट कर रही थी। उस शो के दौरण शकुंतला देवी को गणित का कठिन और अत्यंत जटिल गणितीय गणना का हल पुछा गया।

जिसका उत्तर शकुंतला देवी ने कुछ ही सेकंडों में दे दिया। लेकिन होस्ट ने उनके उत्तर को गलत करार दे दिया। क्योंकि होस्ट के पास जो उत्तर था वह शकुंतला देवी द्वारा दिए गए उत्तर से एकदम अलग थी।

थोड़ी देर के लिए चारों तरफ सन्नाटा छा गया। लेकिन जब उत्तर को चेक किया गया तो पाया गया की शकुंतला देवी का उत्तर बिल्कुल सही था। यह खबर पूरी दुनियाँ में फैल गई तथा शकुंतला देवी की पहचान एक मानव कंप्युटर के रूप में होने लगी।

शकुंतला देवी की प्रमुख रचनाएं

शकुंतला देवी एक मानव कम्पुटर कहलाने के साथ-साथ एक अच्छी लेखिका भी थी साथ ही संगीत से भी उनका गहरा लगाव था। इसके अलावा उन्हें ज्योतिषी का भी अच्छा ज्ञान था। उन्होंने ज्योतिष और बच्चों के लिए गणितीय पहेली से संबंधित किताबें भी लिखीं।

इसके अलावा उन्होंने कुकबुक, उपन्यासों, लघु कथाएँ और मर्डर मिस्ट्री की रचना की। उनके द्वारा समलैंगिकता पर 1977 में लिखी गई पुस्तक काफी लोकप्रिय रही। उनकी कुछ प्रमुख रचनाओं के नाम हैं :-

  • फिगरिंग: द जॉय ऑफ नंबर्स’,
  • ‘एस्ट्रोलॉजी फॉर यू’,
  • ‘परफेक्ट मर्डर’
  • ‘द वर्ल्ड ऑफ होमोसेक्सुअल्स’

शकुंतला देवी का ‘गिनीज बुक में नाम

सन 1980 शकुंतला देवी को उस बुक में स्थान मिली जिसकी वह हकदार थी। 18 जून 1980 के दिन शकुंतला देवी को 13 अंकों वाली संख्या 7686369774870 को अन्य 13 अंकों वाली संख्या 246509745779 से गुना करने को कहा गया।

उन्होंने इस जटिल गुणन का उत्तर 18,947,668,177,995,426,462,773,730 मात्र 28 सेकंड में बता दिया। इस अद्भुत और अविस्मरणीय घटना का बाद उनका नाम ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में दर्ज हो गया।

समान व पुरस्कार

वर्ष 1969 में फिलीपींस विश्वविद्यालय ने उन्हें साल का सबसे विशिष्ट महिला’ के खिताब प्रदान किया। वर्ष 1982 में उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज हुआ।

वर्ष 1988 में उन्हें वाशिंगटन डी.सी. में विश्व प्रसिद्ध ‘रामानुजन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 2013 में उनके 84 वें जन्म दिवस के अवसर पर Google डूडल से सम्मानित किया गया।

वर्ष 2019 में उनके जीवन पर आधारित फिल्म Sony pictures networks productions के बैनर तले बनी। शकुंतला देवी नामक इस फिल्म में विध्या बालन ने मुख्य भूमिका निभाई।

शकुंतला देवी की खोज गणित में योगदान

शकुंतला देवी की योगदान की बाद की जाय तो वो खुद औपचारिक शिक्षा से वंचित रह गई थी। इस कारण शिक्षा के महत्व से वे भली भांति अवगत थी।

जीवन के अंतिम क्षण तक वे भारत में शिक्षा के प्रचार प्रसार और जागरूकता फैलाने में मदद करती रही। उन्होंने शकुंतला देवी एजुकेशन फाउंडेशन पब्लिक ट्रस्ट की स्थापना की।

ताकि वंचित व निर्धन पृष्ठभूमि के बच्चे भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकें।

शकुंतला देवी की मृत्यु

शकुंतला देवी का अंतिम समय कष्ट में बीता। जीवन के आखरी पड़ाव में वे कई शारीरिक व्याधियों से पीड़ित रहने लगी। अप्रैल 2013 में उनकी तबीयत ज्यादा बिगर गई। फलतः उन्हें बंगलुरु के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया।

हार्ट और किडनी की प्रॉब्लेम घिरे-धीरे बढ़ती गई और शकुंतला देवी का 21 अप्रेल 2013 को 83 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।

अंत में :-

शकुंतला देवी ने 1980 के दशक में मुंबई दक्षिण से और पूर्व प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के खिलाफ भी तत्कालीन आंध्र प्रदेश के मेडक से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव में भाग लिया।

आपको मानव कम्पुटर शकुंतला देवी की जीवनी ( Shakuntala Devi Biography in Hindi) से संबंधित संकलित जानकारी जरूर अच्छी लगी होगी, अपने सुझाव से अवगत करायें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. शकुंतला देवी की शिक्षा क्या थी?

    शकुंतला देवी अपनी औपचारिक शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाई थी। लेकिन अपने तिक्षण मानसिक गणितीय गणना जैसी प्रतिभा के कारण मानव कम्पुटर कहलायी।  

  2. शकुंतला देवी का जन्म कब और कहां हुआ?

    मानव कम्पुटर के नाम से पहचान रखने वाली शकुंतला देवी का जन्म 4 नवंबर 1929 को कर्नाटक राज्य की राजधानी बेंगलुरु में हुआ था।

  3. शकुंतला देवी का जन्म स्थान क्या है?

    शकुंतला देवी का जन्म स्थान भारत के कर्नाटक राज्य का प्रमुख शहर बंगलुरु है। 

  4. शकुंतला देवी की मृत्यु कब हुई?

    शकुंतला देवी की मृत्यु हृदय गति रुकने से 21 अप्रेल 2013 को 84 वर्ष के उम्र से बंगलुरु में हो गई।

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बाहरी कड़ियाँ (External links)

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