गणितज्ञ डॉ हरीश चंद्र का जीवन परिचय | Dr Harish Chandra Biography in Hindi

गणितज्ञ डॉ हरीश चंद्र का जीवन परिचय | Dr Harish Chandra Biography in Hindi

हरीश चन्द्र महरोत्रा भारत के महान भौतिक वैज्ञानिक और गणितज्ञ थे। जिस तरह रामानुजन ने गणित के क्षेत्र में भारत का नाम रोशन किया उसी प्रकार डॉ हरीश चन्द्र ने भी गणितज्ञों के बीच में बहुत नाम कमाया।

पहले उनकी रुचि भौतिक शास्त्र में ज्यादा थी। लेकिन बाद में उन्होंने गणित पर शोध किया। मॉडर्न मेथमेटिक्स के क्षेत्र में गणितज्ञ हरीश चन्द्र जी का उल्लेखनीय कार्य ने विश्व का ध्यान उनकी तरफ खिचा। उन्हें उन्नीसवीं शदाब्दी के महान गणितज्ञ माना जाता है।

गणितज्ञ डॉ हरीश चंद्र का जीवन परिचय | Dr Harish Chandra Biography in Hindi
गणितज्ञ डॉ हरीश चंद्र का जीवन परिचय – Dr Harish Chandra Biography in Hindi

भारत के प्रमुख गणितज्ञों में से एक प्रो हरीश चंद्र नें सैद्धांतिक भौतिकी विज्ञान और क्वांटम यांत्रिकी पर पॉल डिराक के विनिबंध का गहन अध्ययन किया था। वे महान गणितज्ञ हर्मन वेल और क्लाउड चेवेली से मिलकर बहुत प्रभावित थे। इस कारण से उन्हें बाद में भौतिक विज्ञान से अधिक गणित में रूचि हो गई।

भारत सरकार ने उनके योगदान को देखते हुए भारत का प्रसिद्ध नागरिक सम्मान पद्ध भूषण से अलंकृत किया। आइये गणितज्ञ डॉ हरीश चंद्र का जीवन परिचय शीर्षक वाला इस लेख में उनके जीवन के बारे में विस्तार से जानते हैं।

गणितज्ञ हरीश चंन्द्र की जीवनी संक्षेप में – Biography of Harish Chandra in Hindi

पूरा नाम डॉ हरीश चंद्र महरोत्रा(Harish-Chandra)
जन्म तिथि 11 अक्टूबर 1923
जन्म स्थान कानपुर, भारत
माता का नाम चंद्रा रानी (मूल नाम -सत्यागती सेठ)
पिता का नाम चंद्रकिशोर
प्रसिद्धि एक गणितज्ञ के रूप में
मृत्यु 16 अक्टूबर 1983। अमेरिका

गणितज्ञ डॉ हरीश चंद्र का जीवन परिचयDr Harish Chandra Biography in Hindi

डॉ हरीश चन्द्र महरोत्रा का जन्म 11 अक्तूबर सन् 1923 को उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध शहर कानपुर में हुआ था।  उनके पिता का नाम चंद्रकिशोर था, जो ब्रिटिश भारत में अंग्रेज सरकार के अंतर्गत सिविल इंजीनियर (सिंचाई अभियंता ) के पद पर कार्यरत थे।

वे महात्मा गांधी के परम अनुयायी थे और जाती प्रथा के विरोधी थे इस कारण उन्होंने अपने नाम के साथ उपनाम को नहीं जोड़ा।

उनके पिता चंद्रकिशोर को अक्सर देश के विभिन्न हिस्सों मे canals के निरक्षण हेतु जाना पड़ता था। इस कारण डॉ हरीश चंद्र का बचपन अपने नाना के पास बीता। वे चार भाई बहन थे, उन्हें डॉ भाई और एक बहन थी।

पारिवारिक जीवन

उनकी शादी एक प्रोफेसर की बेटी से हुई। डॉ हरीश चंद्र की पत्नी का नाम ललिता (Lalitha) था जिनसे 1952 में उनकी शादी हुई थी।

शिक्षा

हरीश चन्द्र बाल्यकाल से ही पढ़ने-लिखने में अत्यंत ही कुशाग्र बुद्धि के थे। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा कानपुर में ही हुई। कानपुर से हाईस्कूल तक की शिक्षा हासिल करने के बाद वे उच्च शिक्षा के लिए प्रयागराज (इलाहाबाद) चले गये।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय से इन्होंने 1941 में पोस्ट ग्रेजुएट किया और 1943 में मास्टर की डिग्री हासिल की। इसी दौरण उनका मुलाकात के एस कृष्णन से हुई। फलतः स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त करने के बाद वे सैद्धांतिक भौतिक विज्ञान में शोध करने के लिए बंगलोर चले गए।

प्रारंभ में इनका रुझान सैद्धांतिक भौतिकी शास्त्र की तरफ अधिक था। लेकिन आगे चलकर इनका रुझान विज्ञान से हटकर गणित की तरफ हो गया।

कार्य

बंगलुरु में उन्हें कई वैज्ञानिक से मिलने का मौका मिला। यहाँ इनकी मुलाकात डॉ भाभा और कृष्णन से हुई, जिनसे मिलकर वे बहुत प्रभावित हुए। डॉ हरिश्चंद्र को जहाँगीर भाभा और कृष्णन जैसे वैज्ञानिकों के द्वारा बहुत प्रोत्साहन मिला।

बैंगलोर के भारतीय विज्ञान संस्थान में उन्होंने होमी भाभा के निर्देशन में सैद्धांतिक भौतिकी में समस्याओं पर पीएचडी के लिए अनुसंधान किया। बाद में वे डॉ होमी जहांगीर भाभा के साथ इंगलेंड के कैम्ब्रिज चले गए। यहीं उनका ध्यान भौतिक विज्ञान से हटकर गणित की तरह हो गया।

वहाँ उन्होंने प्रोफेसर पॉल डिराक के मार्गदर्शन में अध्ययन किया और पी एच डी की डिग्री हासिल की। लंदन के कैम्ब्रिज में उन्होंने महान वैज्ञानिक पाउली के कार्य में एक गलती खोज निकाला था।

बाद में पाउली  डॉ हरीश-चन्द्र के गहरे दोस्त बन गए। इस दौरान वे महान गणितज्ञ हर्मन वेल तथा क्लाउड चेवेली से मुलाकात की। बाद में वे पॉल डिराक के साथ प्रिन्सटन विश्वविद्यालय चले गए, जहाँ उन्होंने उनके सहायक के रूप में इंस्टीटयूट फॉर एडवांस स्टडी पर कार्य किया।

उनके जीवन का करीब 13 वर्ष 1950 से 1963 तक का समय कोलम्बिया विश्व विद्यालय में बीता। इस दौरान वे अनवरत अपने शोध में लगे रहे। उसके बाद सन 1968 में उनकी आईबीएम वॉन न्यूमैन प्रोफेसर के रूप में नियुक्ती हुई।

योगदान

इसी दौरान उन्हें वैज्ञानिक आंड्रे विल और महान वैज्ञानिक अलबर्ट आइन्सटीन के साथ काम करने का मौका मिला। उन्होंने representations of semisimple Lie groups थ्योरी पर काम किया।

सम्मान व पुरस्कार

महान गणितज्ञ हरीश चंद्र को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए कई सम्मान व पुरस्कार प्राप्त हुए। उनके सम्मान में प्रयागराज (इलाहाबाद) के प्रसिद्ध संस्थान “मेहता रिसर्च इन्सटिट्यूट” का नाम परिवर्तित कर हरिश्चंद्र अनुसंधान संस्थान रखा गया है।

  • उन्हें लंदन के रॉयल सोसाइटी के फ़ेलो से सम्मानित किया गया, साथ ही वे नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के भी फेलो थे।
  • अमेरिका के प्रसिद्ध संस्था अमेरिकन मैथमैटिकल सोसाइटी द्वारा 1954 में उन्हें कोल पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया।
  • वर्ष 1974 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी द्वारा श्रीनिवास रामानुजन पदक से भी अलंकृत किया गया।

डॉ हरीश चंद्र की मृत्यु

सफलता के शिखर पर पहुँच कर भी उन्हें कभी अहम नहीं हुआ। जीवन के अंतिम क्षण तक हरीश चन्द्र गणित की सेवा में लगे रहे। अपने मृदु स्वभाव के कारण छात्र इनसे अत्यंत ही प्रभावित रहा करते थे।

हरीश चन्द्र की मृत्यु 16 अक्तूबर सन् 1983 को दिल का दौरा पड़ने के कारण हुई। जब वे अमेरिका के प्रिंस्टन, न्यू जर्सी में एक सम्मेलन में भाग ले रहे थे। महान वैज्ञानिक हरीश चंद्र को गणित के क्षेत्र में अमूल्य योगदान के लिए हमेशा याद रखा जायेगा।  

गणितज्ञ डॉ हरीश चंद्र का जीवन परिचय | Dr Harish Chandra Biography in Hindi

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F.A.Q (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

प्रश्न -हरीश चंद्र का गणित में क्या योगदान है?

उत्तर – प्रसिद्ध गणितज्ञ हरीश चंद्र महरोत्रा का गणित के क्वांटम थ्योरी में बड़ा योगदान माना जाता है।

हरीश के पिता क्या काम करते थे?

हरीश के पिता सिचाई बिभाग में अभियंता थे।

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