Dr Harish Chandra Biography in Hindi – हरीश चन्द्र महरोत्रा भारत के महान भौतिक वैज्ञानिक और गणितज्ञ थे। जिस तरह रामानुजन ने गणित के क्षेत्र में भारत का नाम रोशन किया उसी प्रकार हरीश चन्द्र ने भी गणितज्ञों के बीच में बहुत ही नाम कमाया। पहले उनकी रुचि भौतिक शास्त्र में ज्यादा थी।
लेकिन बाद में उन्होंने गणित पर शोध किया। मॉडर्न मेथमेटिक्स के क्षेत्र में गणितज्ञ हरीश चन्द्र (Mathematician Harish Chandra)उल्लेखनीय कार्य ने विश्व का ध्यान उनकी तरफ खिचा। उन्हें उन्नीसवीं शदाब्दी के महान गणितज्ञ माना जाता है।
भारत सरकार ने साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें पद्ध भूषण से अलंकृत किया। डॉ हरीश चंद्र का जीवन परिचय शीर्षक वाला इस लेख में उनके जीवन के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई है।
डॉ हरीश चंद्र का जीवन परिचय (Dr Harish Chandra Biography in Hindi )
हरीश चन्द्र महरोत्रा का जन्म 11 अक्तूबर सन् 1923 को उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध शहर कानपुर में हुआ था। उनके पिता का नाम चंद्रकिशोर ब्रिटिश भारत में अंग्रेज सरकार के अधीन सिविल इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे। बचपन से ही इनका स्वास्थ्य अक्सर खराव रहा करता था।
वे बाल्यकाल से ही पढ़ने-लिखने में अत्यंत ही कुशाग्र बुद्धि के थे। हरीश चन्द्र की प्रारम्भिक शिक्षा कानपुर में ही हुई। कानपुर से हाईस्कूल तक की शिक्षा हासिल करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए वे प्रयागराज (इलाहाबाद) चले गये।
उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएट किया। इलाहाबाद से स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त करने के बाद वे सैद्धांतिक भौतिक विज्ञान में शोध करने बंगलोर चले गए।
प्रारंभ में इनका रुझान भौतिक शास्त्र की तरफ अधिक था। लेकिन आगे चलकर इनका रुझान विज्ञान से हटकर गणित की तरफ हो गया।
कई महान वैज्ञानिक के साथ काम करने का मौका
बंगलुरु में वे डॉ होमी जहाँगीर भाभा से अत्यंत ही प्रभावित हुआ। जहाँगीर भाभा और कृष्णन जैसे वैज्ञानिकों के द्वारा भी उन्हें बहुत प्रोत्साहन मिला। वे डॉ होमी जहांगीर भाभा के साथ इंगलेंड के कैम्ब्रिज चले गए।
वहाँ उन्होंने प्रोफेसर पॉल डिराक के मार्गदर्शन में अध्ययन किया और पी एच डी की डिग्री हासिल की। लंदन के कैम्ब्रिज में वे महान वैज्ञानिक पाउली के कार्य में गलती को खोज निकाला। उसके बाद हरीश-चन्द्र और पाउली दोनों गहरे दोस्त बन गया।
इस दौरान वे महान गणितज्ञ हर्मन वेल तथा क्लाउड चेवेली से भी काफी प्रभावित हुए। इसी समय में वे आंड्रे विल के संपर्क में भी रहे। बाद में वे प्रिन्सटन विश्वविद्यालय चले गए। जहाँ इन्होंने इंस्टीटयूट फॉर एडवांस स्टडी में काम किया।
प्रिन्सटन में ही उन्हें महान वैज्ञानिक अलबर्ट आइन्सटीन के साथ काम करने का मौका मिला। इस दौरान उन्होंने सेमी-सिम्पल ली ग्रुप के निरूपण पर भी काम किया।
डॉ हरीश चंद्र की मृत्यु
सफलता के शिखर पर पहुँच कर भी उन्हें कभी अहम नहीं हुआ। जीवन के अंतिम क्षण तक हरीश चन्द्र गणित की सेवा में लगे रहे। अपने मृदु स्वभाव के कारण छात्र इनसे अत्यंत ही प्रभावित रहा करते थे।
हरीश चन्द्र की मृत्यु 16 अक्तूबर सन् 1983 को दिल का दौरा पड़ने के कारण हुई। जब वे अमेरिका के प्रिंस्टन, न्यू जर्सी में एक सम्मेलन में भाग ले रहे थे। महान वैज्ञानिक हरीश चंद्र को गणित के क्षेत्र में अमूल्य योगदान के लिए हमेशा याद रखा जायेगा।
हरीश चन्द्र महरोत्रा सम्मान व पुरस्कार
महान गणितज्ञ हरीश चंद्र को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए कई सम्मान व पुरस्कार प्राप्त हुए। वे लंदन के रॉयल सोसाइटी के फ़ेलो से सम्मानित किया गया। अमेरिका के गणित के प्रसिद्ध संस्था द्वारा उन्हें कोल पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया।
वर्ष 1974 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी द्वारा श्रीनिवास रामानुजन पदक से भी अलंकृत किया गया। प्रयागराज (इलाहाबाद) के प्रसिद्ध संस्थान “मेहता रिसर्च इन्सटिट्यूट” का नाम परिवर्तित कर अब उनके नाम पर ही हरिश्चंद्र अनुसंधान संस्थान रखा गया है।
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2 thoughts on “<strong>Dr Harish Chandra Biography in Hindi</strong> – डॉ हरीश चंद्र का जीवन परिचय”
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