Dr Meghnad Saha biography in Hindi | मेधनाद साहा का जीवन परिचय

Dr Meghnad Saha biography in Hindi | मेधनाद साहा का जीवन परिचय

मेधनाद साहा का जीवन परिचय (Dr Meghnad Saha biography in Hindi )

भारत के महान वैज्ञानिक मेघनाथ साहा (M.N. SAHA )जाने-माने खगोलशास्त्री थे। तारा भौतिकी ( astro physics) के क्षेत्र में उनकी खोज ने उन्हें विश्व के महान वैज्ञानिक की श्रेणि में लाकर खड़ा कर दिया। साहा समीकरण उनकी महत्वपूर्ण खोज मानी जाती है।

जिससे सूर्य और तारों के अध्ययन में आसानी हुई। आप Dr Meghnad Saha Biography in Hindi शीर्षक वाले लेख में मेघनाद साहा की जीवनी और भौतिकी विज्ञान के क्षेत्र में उनकी खोज के के बारे में विस्तार से जान सकेंगे।

प्राचीनकाल से विश्व के उत्थान में भारतीय वैज्ञानिकों का योगदान महत्वपूर्ण रहा है। डॉ साहा ने भौतिकी विज्ञान में ऊष्मा के क्षेत्र में उल्लेखनीय अनुसंधान कर विश्व पटल पर भारत को गौरान्वित किया।

उनके इस सिद्धांत को महान वैज्ञानिक आइन्स्टाइन ने भी सराहा था और उनके इस खोज को संसार के लिए महान उपलब्धि बताया। खगोल विज्ञान में अमूल्य योगदान के लिए उन्हें इंगलेंड के रॉयल सोसायटी ने अपना फ़ेलो बनाया।

रॉयल सोसायटी इंगलेंड के फेलो(सदस्य) चुने जाने वाले वे सबसे कम उम्र के भारतीय वैज्ञानिक थे। एक खगोलशास्त्री के अलावा मेघनाद साहा एक महान स्वतंत्रता सेनानी भी थे। मेघनाथ साहा सुभाष चंद्र बोस से काफी प्रभावित थे।

भारतीय कैलेंडर के क्षेत्र में उनके अहम योगदान को बड़ा ही सराहनीय माना जाता है। उन्होंने साहा समीकरण के अविस्कार द्वारा खगोल विज्ञान के अध्ययन में सहायता पहुचाईं। उनके नाम पर “साहा नाभिकीय भौतिकी संस्थान” कलकता में स्थित है।

Dr Meghnad Saha biography in Hindi |  मेधनाद साहा का जीवन परिचय
Dr Meghnad Saha biography in Hindi | मेधनाद साहा का जीवन परिचय

डॉ मेघनाद साहा जीवन परिचय संक्षेप में

पूरा नाम मेघनाद साहा
जन्म दिवस -6 अक्टूबर सन 1893
जन्म स्थान -ढाका के पास शाओराटोली नामक गांव
पिता का नाम -जगन्नाथ साहा
माता का नाम -भुवनेश्वरी देवी
पत्नी (wife)-राधा रानी राय
प्रसिद्धि – एक वैज्ञानिक के रूप में
देन – साहा समीकरण
निधन – 16 फरवरी 1956 हृदय गति रुकने से

मेघनाद साहा की जीवनी

प्रारम्भिक जीवन

भारत के इस महान वैज्ञानिक मेघनाद साहा का जन्म आधुनिक बांग्लादेश की राजधानी ढाका में हुआ था। आजादी के पहले यह क्षेत्र पूर्वी बंगाल के नाम से ब्रिटिश भारत का अभिन्न अंग था।

डॉ मेघनाद साहा का जन्म 6 अक्टूबर सन 1893 ईस्वी में ढाका के पास शाओराटोली नामक गांव में हुआ था। उनकी माता जी का नाम भुवनेश्वरी देवी था। डॉक्टर मेघनाद साहा के पिता का नाम जगन्नाथ साहा था।

साहा जी के पिताजी का गाँव में ही एक छोटी सी दुकान थी। उनके परिवार की आर्थिक दशा उतनी अच्छी नहीं थी। दुकानदारी से किसी तरह गुजर-बसर चल जाता था।

मेधनाथ साहा की शिक्षा

मेघनाद का अर्थ होता है मेघों की ध्वनि। बचपन से मेधनाथ साहा पढ़ने लिखने में अत्यंत ही मेधावी थे। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा गाँव के ही स्कूल में हुई। अपने क्लास रूम में साहा जी अपने शिक्षक को सबाल पूछ कर विस्मित कर देते थे।

उनकी प्रतिभा को देखकर उनके टीचर अत्यंत प्रभावित होते थे। उनकी प्राइमरी स्कूल की शिक्षा किसी तरह पूरी हुई। लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए उनके पिता के पास पैसे नहीं थे।

डॉ साहा के पिता चाहते थे की उनके पुत्र पढ़ाई के साथ-साथ उनके बिजनेस में उनका साथ दे। ताकि परिवार की स्थिति सुदृढ़ करने में थोड़ी मदद मिल सके।

लेकिन मेघनाद साहा की इच्छा कुछ अलग करने की थी। इसके लिए वे उच्च शिक्षा ग्रहण कर कुछ बनाना चाहते थे। इस काम में उनके टीचर ने उनका सहयोग किया।

क्लास टीचर के सहयोग से उनके आगे की पढ़ाई की व्यवस्था की गयी और डॉ.अनंत दास नामक एक सज्जन ने उनके पढ़ाई में सहयोग देने का भरोसा दिया।

इस प्रकार उनका दाखिला अंग्रेजी मीडियम के स्कूल में हुई। कहते हैं की अपनी लगन और कुशाग्र बुद्धि के कारण उन्होंने सिर्फ अपने क्लास में ही नहीं बल्कि पूरे जिले में टॉप रहे। इस कारण उन्हें छात्रवृति मिलनी शुरू हो गयी।

स्कूल से निकाला जाना

इसके बाद उनका नामांकन सरकारी हाई स्कूल में हो गया। बचपन से ही उनके अंदर देश भक्ति का जज्बा भरा हुआ था, वे एक सच्चे देश भक्त थे। जब सन 1905 में अंग्रेजों ने बंगाल का बिभाजन कर दिया तब उन्होंने इसका विरोध किया था।

उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर स्कूल में गर्वनर के दौरे का विरोध किया था। इस प्रकार आजादी की लड़ाई में भाग लेने के कारण उनका नाम स्कूल से काट दिया गया। उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया और उनकी छात्रवृति भी बंद कर दी गई।

इन सब के बावजूद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने बाद में ढाका के किशोरी लाल जुबली हाईस्कूल से इन्टर की परीक्षा पास की। इन्टर की परीक्षा अच्छे नंबर से पास होने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए वे कलकत्ता चले आये।

महान वैज्ञानिक ज्योति वसु से मुलाकात

वहाँ उनका नामांकन कलकत्ता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में हुआ। कलकत्ता के प्रेसिडेंसी कालेज में उन्होंने जगदीश चंद्र बसु तथा प्रफुल्ल चंद राय जैसे महान वैज्ञानिक से शिक्षा ग्रहण की। भारत के महान वैज्ञानिक ज्योति वसु से मिलकर वे बहुत प्रभावित हुए।

इस दौरान महान वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बसु भी उनके सहपाठी थे। डॉ साहा ने महान वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु से प्रेरणा पाकर भौतिक विज्ञान की तरफ कड़ी मेहनत करने लगे। वे अक्सर वसु साहब के साथ लैब में जाते और घंटों नए-नए अनुसंधान करते रहते।

इस तरह धीरे-धीरे उनका रुझान वैज्ञानिक खोजों की तरफ बढ़ता गया। अपनी कड़ी मेहनत और लग्न के बल पर उन्होंने स्नातक और भौतिकी में एम.एस.सी. की डिग्री अच्छे अंकों से हासिल की।

प्रवक्ता के पद पर नियुक्ति

https://youtu.be/zmN0R2ne4kY

एम.एस.सी. की डिग्री हासिल करने के बावजूद भी उन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिली। फलतः वे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगे। लेकिन साथ ही अपने अनुसंधान में भी लगे रहे। एक दिन उनकी नियुक्ति कलकत्ता विश्व-विध्यालय में विज्ञान के प्रवक्ता के पद पर हो गयी।

वहाँ उन्होंने कड़ी मेहनत करना नहीं छोड़ा। अक्सर वे अपने लैब में छात्रों से घिरे रहते और उन्हें शोध में मदद करते। वर्ष 1920 ईस्वी में उन्हें विदेश यात्रा का मौका मिला। इस दौरान उनकी मुलाकात कई प्रसिद्ध वैज्ञानिक से हुई।

वर्ष 1923 में भारत वापस आ गए और वापस आकार प्रयागराज विश्वविद्यालय में भौतिकशास्त्र विभाग के अध्यक्ष नियुक्त हुए। करीब 15 वर्षों तक प्रयागराज विश्वविद्यालय में सेवा करने के वाद वे सन 1938 में पुनः कलकत्ता वापस आ गये।

मेघनाद साहा की खोज (Meghnad Saha inventions in Hindi )

साहा समीकरण मेघनाद साहा की महत्वपूर्ण खोज मानी जाती है, जो उन्हें दुनियाँ में प्रसिद्ध कर दिया। इसके अलावा उन्होंने “आयोनाइजेशन फार्मूला” की भी खोज की।

दुनियाँ के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंसटीन के मूल शोधपत्र जर्मन भाषा में था। अल्बर्ट आइंसटीन के जर्मन भाषा में छपे मूल शोधपत्रों का मेघनाद साहा ने अंग्रेजी में अनुवाद किया।

कहते हैं की उन्होंने आइंसटीन के मूल शोधपत्र को केवल अनुबाद ही नहीं, बल्कि आसान शब्दों में समझाया भी। इस प्रकार आइंसटीन के द्वारा दिए गये सापेक्षिकतावाद और क्वांटम थ्योरी को उन्होंने छात्रों के लिए समझने में आसान बनाया।

मेघनाद साहा आविष्कार

उन्होंने खगोलीय भौतिकी के क्षेत्र में काम करते हुए सूर्य और तारों से सम्बद्ध कई अहम जानकारी प्रदान की। इन्होंने विदेशी वैज्ञानिकों के साथ काम करते हुए कई अनुसंधान किया। तारा भौतिकी के क्षेत्र में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

उनके द्वारा प्रदत्त साहा समीकरण और आयोनाइजेशन फार्मूला से खगोलशास्त्र के छात्रों को बड़ी मदद मिली। उनके द्वारा प्रतिपादित सूत्र के कारण सूर्य और अन्य तारों के आंतरिक तापमान और दबाव का ज्ञान हासिल करने में आसानी हुई।

अपने इस अविस्कार द्वारा उन्होंने विश्व पटल पर भारत को गौरान्वित किया। ऊष्मा भौतिकी पर उनके द्वारा लिखी गई किताब ‘ट्रीटाइज ऑन हीट‘ और ‘मॉडर्न फीजिक्स’ काफी लोकप्रिय मानी जाती है।

आजादी के बाद सांसद के रूप में योगदान

वे कलकत्ता लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनकर सांसद भवन पहुंचे। संसद में पहुंचकर उन्होंने भारतीय वैज्ञानिक और विज्ञान की समस्याओं से सरकार को बखूबी अवगत कराया और अनेक सुधार के काम किए।

विज्ञान के उत्थान से साथ-साथ वे देश की समस्याओं के प्रति भी सतत जागरूक रहे। बचपन में बाढ़ की विभीषिका को डॉ.मेघनाद साहा ने करीब से अनुभव किया था। उन्होंने दामोदर घाटी योजना सहित कई अन्य योजनाओं के पारुप तैयार करने में अहम भूमिका निभाई।

आजादी के बाद सन् 1953 ईस्वी में उन्हें इण्डियन साइंस एसोसिएशन का डाईरेक्टर बनाया गया। उन्होंने इस पद पर रहते हुए अपने दायित्वों को भली भांति निर्वहन किया।

कई संस्थानों की नींव

उन्होंने अपने समपूर्ण जीवन को विज्ञान के प्रति समर्पित करते हुए कई संस्थानों की नींव रखी। अंतरराष्ट्रीय खगोल विज्ञान संघ की स्थापना का श्रेय उन्ही को जाता है। उन्होंने प्रयागराज में नैशनल अकैडमी ऑफ साइंसेज की नींव रखी थी।

इसके अलावा डॉ साहा, ‘नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ साइंसेज ऑफ इंडिया’ तथा ‘इंडियन फिजिकल सोसायटी’ की स्थापना की। उनके कठोर प्रयास से साहा इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स नामक संस्थान की स्थापना हुई। उन्होंने ‘साइंस एण्ड क्लचर’ नाम से एक पत्रिका का भी प्रकाशन किया।

मेघनाथ साहा का निधन

अपना समस्त जीवन भौतिक विज्ञान और देश की सेवा में समर्पित कर देने वाले मेघनाथ साहा जब 16 फरवरी 1956 को सांसद भवन जा रहे थे। तभी रास्ते में अचानक वे बेहोस होकर गिर पड़े। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया लेकिन वे बच नहीं पाये।

इस प्रकार मेघनाथ साहा का निधन 16 फरवरी 1956 को नई दिल्ली में हो गया। डॉ साहा हमारे बीच नहीं रहे लेकिन विज्ञान के क्षेत्र में मेघनाथ साहा के अहम योगदान को हमेशा याद रखा जायेगा।

आपको मेधनाद साहा का जीवन परिचय (Dr Meghnad Saha biography in Hindi ) कैसी लगी अपने सुझाव से जरूर अवगत करायें।

मेघनाद साहा के बारें में F.A.Q

  1. प्रश्न- मेघनाथ शाह कौन थे?

    उत्तर – मेघनाथ शाह भारत के महान वैज्ञानिक और खगोल शास्त्री थे। भारतीय वैज्ञानिकों का योगदान की बात की जाय तो विज्ञान में मेघनाद साहा का कार्य सराहनीय रहा है।

  2. प्रश्न- मेघनाद साहा क्यों प्रसिद्ध है?

    उत्तर -मेघनाथ साहा खगोलविज्ञान में उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने साहा समीकरण की खोज की थी।

  3. प्रश्न- क्या मेघनाद साहा को नोबेल पुरस्कार मिला था?

    उत्तर -मेघनाद साहा को नोबेल पुरस्कार नहीं मिला था।

  4. प्रश्न- क्या मेघनाद साहा परमाणु ऊर्जा आयोग के सदस्य थे?

    उत्तर – नहीं

इन्हें भी पढ़ें –

रामानुजन का जीवन परिचय

महान वैज्ञानिक सी वी रमन की जीवन

भारत का आइंस्टीन नागार्जुन

Share This Article
Leave a comment