Fatehpur sikri history in Hindi – जानिये फतेहपुर सीकरी की इतिहासके बारें में विस्तार से,
इस लेख में फतेहपुर सीकरी के इतिहास (history of Fatehpur sikri in Hindi ) के बारें विस्तार से चर्चा की गयी है। फतेहपुर सीकरी किस राज्य में है, फतेहपुर सीकरी की स्थापना किसने की, फतेहपुर सीकरी की स्थापना कब हुई,
आगरा से फतेहपुर सीकरी कितनी दूर है? फतेहपुर सीकरी का किला में ऐसा क्या खास है जिस कारण लाखों लोगों हर वर्ष इसे देखने के लिए आते हैं। इन तमाम प्रश्नों का उत्तर इस लेख में वर्णित है। तो चलिये जानते हैं।
फतेहपुर सीकरी बादशाह अकबर द्वारा बसाया गया भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक एतिहासिक शहर है। आगरा से फतेहपुर सीकरी की दूरी करीब 40 कि मी है।
मैं जब आगरा से बस द्वारा फतेहपुर सीकरी पहुंचा और किले के पास जाकर देखा तो विस्मित रह गया। मेरे सामने विशाल ऊंचाईं वाला दरवाजा था जिसे लोग अपने सिर को उठाकर आश्चर्य के साथ निहार रहे थे।
इतना ऊँचा दरवाजा मैंने कभी सोचा भी नहीं था। मुझे समझते देर नहीं लगी की यही दुनियाँ का सबसे बड़ा दरवाजा है। जिसे बुलंद दरवाजा कहते हैं। उसके बाद हम फतेहपुर सीकरी का किला का पूरी तरह से भ्रमण किया।
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फतेहपुर सीकरी का इतिहास About Fatehpur Sikri History In Hindi
आगे हम यह जानेंगे की अकबर ने फतेहपुर सीकरी की स्थापना कब की? बादशाह अकबर ने सन 1569 में आगरा से 41 कि मि इस शहर की स्थापना की। लगभग 9 की मि के परिधि में फ़ैला यह शहर प्रतिवर्ष
लाखों पर्यटक को अपनी तरफ आकर्षित करती है। अपनी अद्भुत वास्तुकला, सुंदर नक्कासी, तराशे हुए गुंबद, अच्छी तरह डिजाइन किये गये मेहराव पर्यटक को विस्मित कर देता है।
फतेहपुर सीकरी करीब 14 वर्षों तक मुगल साम्राज्य की राजधानी रही। अकबर कला प्रेमी के साथ -साथ एक कुशल प्रशासक भी था।
अकबर ने फतेहपुर सीकरी को क्यों बसाया
history of fatehpur sikri in hindi में हम आगे जानेंगे की जिस बुलंद दरवाजा के बारें में इतिहास में पढ़ते हैं। वह दरअसल फतेहपुर सीकरी किले का प्रवेश-द्वार नहीं, बल्कि उस सूफी संत सलीम चिश्ती की दरगाह का दरवाजा है।
जिसके आशीर्वाद से सम्राट अकबर को पुत्र की प्राप्ति हुई। कहते हैं की अकबर को कोई संतान नहीं था। हर तरफ से निराश होने के बाद अकबर, शेख सलीम चिश्ती की शरण में आये। कहा जाता है की उनके आशीर्वाद से सम्राट अकबर को पुत्र की प्राप्ति हुई थी।
बादशाह अकबर की रानी जोधाबाई के गर्भ से 30 अगस्त, 1569 को फतेहपुर सीकरी में ही शिशु का जन्म हुआ। जिसका नाम अकबर ने शेख सलीम के ही नाम पर ‘सलीम’ रखा गया।
यही सलीम आगे चलकर सम्राट जहाँगीर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
ईरानी और भारतीय वास्तुकला का अनुपम संगम
क्योंकी इसी स्थान पर अकबर की पुत्र प्राप्ति की दुआ कबूल हुई। इस कारण अकबर ने खुश होकर फतेहपुर सीकरी को बसाने की योजना बनायी। बाद में इसे फतेहपुर सीकरी के नाम से जाना जाने लगा। बाहरी वैभव का रूप देना चाहा।
सम्राट अकबर ने आदेश दिया की इस स्थल को नगर में प्रवर्तित कर दिया जाय। फतेहपुर सीकरी किले के निर्माण के लिए दूर-दूर से कारीगर बुलाए गये। योजना के अनुसार हजारों मजदूर को इस कार्य में लगाया गया। इन कारीगरों में गौड़ प्रदेश के हिंदू कारीगर भी शामिल थे।
गौड़ प्रदेश के कारीगरों की उस समय में भवन-निर्माण कला में देशव्यापी प्रसिद्धि थी। सीकरी गाँव के चारों ओर इमारतें बनाई जाने लगी, आलीशान शाही महल और इमारतें बनने लगीं।
इन कारीगरों ने मिलकर कुछ ही वर्षों में इस स्थल पर एक खूबसूरत शहर का निर्माण कर दिया। यह अनुपम किला भारतीय और ईरानी वास्तुकला का अद्भुत मिश्रण है।
इस तरह दो वास्तुकला के संयोग से एक नए और अनोखे वास्तुशिल्प का जन्म हुआ। सीकरी के आस पास लाल पत्थर बहुत पाये जाते हैं। इस कारण इस नगर के बसने में भी लाल पत्थर का खूब उपयोग किया गया है।
आज भी अद्वितीय है फतेहपुर सीकरी – fatehpur sikri history in hindi language
इसे बनाने में लगभग 15 वर्ष का समय लगा। लाल पत्थर से निर्मित इस सुंदर नगरी को देखकर हर कोई विस्मित हो जाता है। ईरानी और भारतीय वास्तुशिल्प के मिश्रण से बना यह नगर जब बनकर तैयार हुआ।
तब लोग इसके अद्भुत सुंदरता को देखकर आश्चर्य चकित रह गये। अपनी अद्भुत वास्तुकला, तराशे हुए गुंबद, सुंदर नक्कासी, मेहराव का डिजाइन पर्यटक को सम्मोहित कर देता है।
अपनी अद्भुत सुंदरता और भव्यता के लिए प्रसिद्ध यह एतिहासिक स्थल आज भी अनुपम है। विन्सेंट स्मिथ इस नगर के वारें में लिखते हैं की – इस शहर जैसी कोई कृति उससे पूर्व न निर्मित हुई और न ही आगे हो सकेगी।
इसका नाम फतेहपुर सीकरी कैसे पड़ा know history of fatehpur sikri in hindi
फतेहपुर सीकरी सन 1571 से लेकर 1585 तक मुगल बंश की राजधानी रही। इससे पहले मुगल साम्राज्य की राजधानी आगरा थी। कहते हैं की अकबर ने अपने गुजरात पर फतह (विजय) के बाद सीकरी का नाम बदलकर फतेहाबाद रखा।
अकबर का पहला दरबार in fatehpur sikri history in hindi
फतेहपुर सीकरी के निर्माण के बाद पहली बार सन 1575 में सम्राट अकबर ने अपना पहला दरबार लगया था। यह स्थान सन 1771 से लेकर 1785 सम्राट अकबर की राजधानी रही।
अकबर के नवरत्नों में से एक राजकवि अबू-फजल ने भी इसका वर्णन किया है। लेकिन इतना सुंदर शहर के बसाने के बाद अकबर को अपनी राजधानी कुछ ही वर्षों में वापस आगरा लानी पड़ी।
इसका वजह यही बताया जा रहा है की शायद फतेहपुर सीकरी में पानी की किल्लत के कारण अकबर को वापस आगरा आना पड़ा। इन्हें भी पढ़ें – चित्तौड़गढ़ का इतिहास
फतेहपुर सीकरी के दर्शनीय स्थल – place to visit fatehpur sikri in hindi
दीवाने-खास : एक इमारत का मुगल साम्राज्य में सबसे विशिष्ट स्थान था। दो मंजिला यह इमारत दीवाने खास अपनी अद्भुत सुंदरता और भव्यता के कारण दर्शक का ध्यान आकर्षित करती है।
ख्वाबगाह : कहते हैं की यह महल अकबर का शयनकक्ष होता था। इसकी दीवारें उस समय के महान् चित्रकारों के कलाकृति से भरी पड़ी हैं। दीवारों पर कुछ जगह अबुल फजल की सूक्तियाँ सुनहरे अक्षरों में अंकित है। ‘
पंचमहल फतेहपुर सीकरी : यह महल पाँच मंजिला है जिस कारण यह पंचमहल के नाम से जाना जाता था। दूर से देखने पर यह बौद्ध विहार के समान दिखाई पड़ता है।
बीरबल भवन : यह भवन जोधाबाई भवन के ठीक उत्तर पश्चिमी दिशा में स्थित है। इस महल के अंदर और बाहर की दीवारों पर बनी नक्काशियों मनमोहक है। कहते हैं की बीरबल की गिनती सम्राट के नवरत्न में सबसे ऊपर था।
शेख सलीम चिश्ती की दरगाह : फतेहपुर सीकरी में बने लाल इमारतों के बीच सफेद रंग का फतेहपुर सीकरी दरगाह बड़ा ही आकर्षक लगता है। लाखों लोग हर साल अपनी इस मजार पर चादर चढ़ाने आते हैं।
बुलंद दरवाजा : आगे हम चर्चा करेंगे की बुलंद दरवाजा किसने बनवाया और क्यों? असल में यह भव्य इमारत शेख सलीम चिश्ती की दरगाह का प्रवेश द्वार है।
यह दुनियाँ का सबसे बड़ा दरवाजा का निर्माण सम्राट अकबर ने अपने गुजरात विजय के खुशी में बनवाया था।
इन्हें भी पढ़ें – बुलंद दरवाजा का इतिहास – Buland darwaza history in hindi
दोस्तों about history of Fatehpur sikri in Hindi शीर्षक वाले एक लेख में वर्णित फतेहपुर सीकरी का इतिहास आपको जरूर अच्छा लगा होगा।