महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हल्दीघाटी का युद्ध की जानकारी

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महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हल्दीघाटी का युद्ध (Battle Of Haldighati)-महाराणा प्रताप ने अनेकों युद्ध लड़े, लेकिन हल्दीघाटी का युद्ध महाराणा प्रताप और अकबर के बीच में लड़ा गया एक चर्चित युद्ध है।

भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले, करीब 4 घंटे तक चले इस युद्ध को महाभारत युद्ध की तरह ही विनाशकारी माना गया। हल्दीघाटी की लड़ाई भारत के इतिहास का सबसे विध्वंसक युद्ध माना जाता है।

इस युद्ध में हजारों लोग मारे गए थे। महाभारत के बाद इस युद्ध को सबसे विध्वंसक कहा जाता है। हल्दीघाटी का लड़ाई 18 जून 1576 ईस्वी में मेवाड़ के राणा महाराणा प्रताप सिंह और मुगल शासक अकबर के बीच लड़ा गया था।

इस युद्ध में मेवाड़ की सेनाओं का नेतृत्व महाराणा प्रताप कर रहे थे वहीं मुगल सेना का नेतृव अकबर के सेनापति मान सिंह कर रहे थे। महाराणा प्रताप और मुगल सम्राट अकबर की सेना के बीच यह युद्ध हल्दीघाटी में लड़ा गया था।

हल्दीघाटी भारत के राजस्थान में राजसमंद और पाली जिलों के मध्य स्थित अरावली पर्वतमाला की तराई में स्थित है। इस क्षेत्र की मिट्टी हल्दी के समान पीले रंग की है इस कारण से ही इसे हल्दी घाटी के नाम से जाना जाता है।

महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हल्दीघाटी का युद्ध
महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हल्दीघाटी का युद्ध

इतिहासकार के अनुसार माना जाता है की हल्दीघाटी के युद्ध में न तो अकबर की जीत कही जा सकती है और न ही महाराणा प्रताप की हार। क्योंकि मुगलों के पास अपार सैन्य शक्ति थी तो वहीं महाराणा प्रताप के पास अदम्य साहस और जुझारू शक्ति को कोई कमी नहीं थी।

हल्दीघाटी की लड़ाई पूरी जानकारी (Battle Of Halighati)

जब महाराणा प्रताप मेवाड़ की राजसिंहासन पर विराजमान हुए थे। उस बक्त मुगल शासक अकवर दिल्ली के गद्दी पर स्थित थे। उन्होंने मुगल साम्राज्य के विस्तार के लिए एक-एक कर राजपूत राजाओं पर चढ़ाई कर अपनी अधीनता स्वीकार करवाने लगे।

राजस्थान के कई राजा ने अकबर के भय से उनकी अधीनता स्वीकार कर ली। इसी क्रम में उन्होंने मेवाड़ को भी अपने अधीन करने और महाराणा प्रताप को अपनी अधीनता स्वीकार करवाने के लिए 6 बार दूत को भेज कर संदेश भेजा।

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अकबर चाहता था की मेवाड़ पर आधिपत्य के बाद उनका गुजरात अभियान का रास्ता सरल हो जायेगा। लेकिन महाराणा प्रताप अपने संकल्प के इतने पक्के थे की उन्हें अपनी मातृभूमि की अधीनता तनिक भी स्वीकार नहीं था।

फलतः अकबर अपने शक्ति के प्रदर्शन के लिए 1567 ईस्वी में चित्तौड़गढ़ को घेर लिया।

महाराणा प्रताप और अकबर का युद्ध

मुगलों ने करीब 80 हजार सैनिक के साथ चित्तौड़गढ़ की किले बंदी कर दी। उस बक्त महाराणा प्रताप के पास मात्र 20 हजार सैनिक थे। बादशाह अकबर और महाराणा प्रताप सिंह के बीच लड़े गए इस युद्ध में जहां महाराणा प्रताप की सेना का नेतृत्व हाकिम हकीम खां कर रहे थे।

वहीं अकबर की सेना का नेतृत्व अकबर के सेनापति मान सिंह कर रहा था। महाराणा  प्रताप और अकबर के मध्य राजस्थान के गोगुन्दा के पास अरावली की पहाड़ी में लड़े गए इस युद्ध की खासियत थी की इसमें सिर्फ राजपूतों के साथ-साथ ब्राह्मण, वैश्य आदि ने भी अपना बलिदान दिया था।

प्रसिद्ध इतिहासकार अल बदायूं ने अपनी रचना में महाराणा प्रताप के शोर्य और पराक्रम की पुरजोर तारीफ़ की हैं। महाराणा प्रताप हल्दीघाटी के मैदान में अपने घोड़े चेतक पर बैठकर अपने सेना का नेतृत्व कर रहे थे।

महाराणा प्रताप ने इस लड़ाई में अकबर के तुलना में कम सैनिक होने के बावजूद मुगल सेना की हालत खराव कर दी। महाराणा की सेना ने गुरिल्ला युद्ध पद्धति को अपनाकर अकबर की सेना में कोहराम मचा दी।

करीब चार घंटे तक चले इस युद्ध में दोनों तरफ से हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई। अंत में महाराणा प्रताप घायल हो गए लेकिन उन्होंने अकबर से सामने समर्पण नहीं किया और युद्द से निकल कर भाग गए। उधर मुगल सैनिक महाराणा प्रताप को खोज रहे थे।

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लेकिन महाराणा प्रताप को पकड़ने का उनका सपना अधूरा रह गया। कहा जाता है की उसके बाद महाराणा प्रताप अपने कुछ बहादुर सैनिकों और परिवार के साथ अरावली पहाड़ी के जंगल में छुप गए। उन्होंने जंगल में अपार कष्ट सहे लेकिन अकबर की अधीनता नहीं स्वीकारी।

हल्दीघाटी युद्ध के परिणाम (Result of Battle of Haldighati)

महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हल्दीघाटी का युद्ध भारत के इतिहास की महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। हल्दीघाटी की लड़ाई के बाद  मेवाड़, चित्तौड़गढ़ सहित राजस्थान के कई क्षेत्र अकबर के अधीन में आ गए थे।

इस युद्ध में राजपूतों राजाओं की एकता की पोल खोल कर रख दी। राजपूत राजाओं की शक्ति कमज़ोर हो गई। इस युद्ध के बाद मुगलों की ताकत और बढ़ गई।

हल्दीघाटी के युद्ध में जीत किसकी हुई? (Who Won The Battle of Haldighati)

लेकिन कई इतिहासकारों मानते हैं की इस युद्ध में न तो अकबर की जीत कही जा सकती है न ही महाराणा प्रताप की हार। करीब 400 साल के बाद इस पर बहस छिड़ी है की आखिरकार इस युद्ध में हार किसकी हुई।

महाराणा प्रातप ने अपनी कम सेना के बावजूद मुगलों को नाकों चना चबा दिया और अंत में घायल होने के बाद युद्ध से भाग गए। इसमें दोनों पक्षों ने जीत का दावा किया। इस युद्ध में कुछ विद्वान अकबर की जीत मानते हैं।

वहीं कुछ इतिहास मानते हैं की महाराणा प्रताप को न ही मुगल सेना बंदी बना सकी और न ही महाराणा प्रताप ने आत्मसमर्पण कर अकबर के अधीनता स्वीकार की। इस कारण से इस युद्ध में अकबर की जीत और महाराणा की पराजय नहीं कहा जा सकता है।

कुछ  इतिहासकार इस बात से सहमत होते हैं की प्रताप की सेना हल्दीघाटी की लड़ाई में कभी पीछे नहीं हटी फलतः इसे महाराणा की जीत कही जा सकती है।

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हल्दीघाटी का युद्ध क्यों हुआ था, जानें इसका कारण

भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून 1576 ईस्वी मे लड़ा गया। आइए हल्दीघाटी की लड़ाई के कारण से अवगत होते हैं।

असल में मुगल शासक अकबर मेवाड़ को अपने अधीन करना चाहते हैं। क्योंकि मेवाड़ को अकबर भूगोलीक दृष्टि से बेहद खास मानते थे। उस बक्त गुजरात से होकर ढेर सारा व्यपार हुआ करता है।

मेबाड़ जीतने के बाद उनके लिए गुजरात पहुचने का रास्ता सुगम हो जाता। साथ ही अकबर मेबाड़ गुजरात पर विजय प्राप्त करना चाहता था। इसके लिए पहले मेवाड़ को जितना जरूरी था।

फलतः अकबर ने 5-6 बार महाराणा प्रताप के पास संधि का प्रस्ताव भेजा और उन्हें अधीनता स्वीकार करने को कहा। अकबर ने महाराणा प्रताप को और भी कई तरह के प्रलोभन दिए।

लेकिन महाराणा प्रताप सिंह को अकबर का प्रस्ताव स्वीकार नहीं था। वे किसी भी कीमत पर अपने मातृभूमि का सौदा कर अधीनता स्वीकार नहीं करना चाहते थे।

F.A.Q

Q. हल्दीघाटी का प्रथम युद्ध कब हुआ?

Ans. हल्दीघाटी का युद्ध अकबर और महाराणा प्रताप के बीच हुआ थे। जिसमें महाराणा प्रताप ने अकबर से कभी हार नहीं मानी।

Q. अकबर और राणा प्रताप के बीच हल्दीघाटी का युद्ध कब हुआ?

Ans. भारत के इतिहास का सबसे चर्चित युद्ध अकबर और राणा प्रताप के बीच हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून 1576 ईस्वी को हुआ था।

Q. हल्दीघाटी का युद्ध कितने दिनों तक चला?

Ans. हल्दीघाटी का युद्ध करीब 4 घंटे तक चला। लेकिन इस युद्ध में हजारों लोगों ने अपनी प्राण गंवाई।

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Amit

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मैं अमित कुमार, “Hindi info world” वेबसाइट के सह-संस्थापक और लेखक हूँ। मैं एक स्नातकोत्तर हूँ. मुझे बहुमूल्य जानकारी लिखना और साझा करना पसंद है। आपका हमारी वेबसाइट https://nikhilbharat.com पर स्वागत है।

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