महाराणा प्रताप की मृत्यु कैसे हुई, जानें सम्पूर्ण जीवन परिचय

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महाराणा प्रताप की मृत्यु कैसे हुई, जानें सम्पूर्ण जीवन परिचय

इस लेख में आप महाराणा प्रताप की मृत्यु कैसे हुई, उनको किसने मारा, उनका जीवन परिचय और इतिहास के बारें में विस्तार से वर्णन है।  

महाराणा प्रताप कौन थे

महाराणा प्रताप का नाम भारत के महान प्रतापी राजा और बहादुर योद्धाओं में होती है। उन्हें भारत के इतिहास में सबसे वीर राजाओं में गिना जाता है।  जिन्होने विषम परिस्थितियों के बावजूद भी अपने संकल्प से नहीं डिगे।

साथ ही वे कभी मुगलों की अधीनता नहीं स्वीकार की। इस लेख में महाराणा प्रताप की मृत्यु कैसे हुई, उन्हें किसने मारा आदि प्रश्नों सहित उनके जीवनी के बारें में जानेंगे। वे महान राजा राणा कुंभा के पौत्र और उदय सिंह के पुत्र थे।

वही उदय सिंह जिन्होंने झीलों की नगरी उदयपुर की स्थापना की थी। वह 16वीं शताब्दी के दौरान भारत के राजस्थान में स्थित मेवाड़ के शासक थे। जिन्होंने मुगल साम्राज्य के खिलाफ निडर होकर प्रतिरोध किया और उनकी अधीनता कभी स्वीकार नहीं की।

महाराणा प्रताप की मृत्यु कैसे हुई
महाराणा प्रताप की मृत्यु कैसे हुई

इस लेख में हम इस महान योद्धा महाराणा प्रताप के जीवन परिचय और उनकी मृत्यु के बारें में विस्तार से जानेंगे। अगर आप महान शासक महाराणा प्रताप के बारे में अधिक जानने में रुचि रखते हैं, तो यह लेख आपको जरूर पढ़ना चाहिये।

महाराणा प्रताप के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी

जन्म दिवस– 09 मई 1540
जन्म स्थान– कुंभलगढ़ दुर्ग, राजस्थान, भारत
पिता का नाम– राज उदय सिंह
माता का नाम– रानी जीवत कंवर
लड़े गए प्रसिद्ध युद्ध– हल्दीघाटी (18 जून 1576)
मृत्यु– 29 जनवरी 1597

महाराणा प्रताप का जीवन परिचय – Maharana Pratap biography in Hindi

प्रारंभिक जीवन

महाराणा प्रताप का जन्म 1540 ईस्वी में उदयपुर के पास कुंभलगढ़ में हुआ था। महाराणा प्रताप के पिता का नाम उदय सिंह था। उनकी माता जी का नाम रानी जीवत कंवर थी। राजा उदय सिंह को 20 रानियाँ थी।

जिसमें 25 बेटे और 20 वेटियाँ मिलाकर कुल 45 संताने थी। महाराणा अपने पिता मेवाड़ के राजा उदय सिंह द्वितीय के सबसे बड़े पुत्र थे। महाराणा प्रताप का पूरा नाम महाराणा प्रताप सिंह सिसौदिया था। उन्हें बचपन में कीका के नाम से भी पुकारा जाता था।

कहा जाता है की महाराणा प्रताप अपने पिता से ज्यादा माता के करीब रहे। उनकी माता बेहद बहादुर और जांबाज महिला थी। उन्ही के सनिध्य में महाराणा प्रताप युद्ध कौशल और दृढ़ निश्चयी होने की शिक्षा पाई।

बचपन से ही महाराणा प्रताप को घुड़सवारी करना, शिकार और और सैन्य प्रशिक्षण में गहरी रुचि थी। किशोरावस्था तक आते आते महाराणा एक एक कुशल योद्धा बन गए थे।

महाराणा प्रताप की पत्नियां बच्चे

कहते हैं की महाराणा प्रताप सिंह को 14 पत्नियां, 17 बेटे तथा 5 बेटियां थी। उनकी प्रिय पत्नी का नाम अजबदे था।

उनके पत्नियों के नाम थे :-  1. अजब देपंवार, 2. अमोलक दे चौहान, 3. चंपा कंवर झाला, 4. फूल कंवर राठौड़ प्रथम, 5. रत्नकंवर पंवार, 6. फूल कंवर राठौड़ द्वितीय, 7. जसोदा चौहान, 8. रत्नकंवर राठौड़, 9. भगवत कंवर राठौड़, 10. प्यार कंवर सोलंकी, 11. शाहमेता हाड़ी, 12. माधो कंवर राठौड़, 13. आश कंवर खींचण, 14. रणकंवर राठौड़।

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महाराणा प्रताप के पुत्र का नाम – 1. अमर सिंह, 2. सहसमल, 3. गोपाल,  4. काचरा, 5. सांवलदास, 6. दुर्जनसिंह, 7. कल्याणदास, 8. चंदा, 9. शेखा, 10. पूर्णमल, 11. हाथी, 12. रामसिंह, 13. जसवंतसिंह, 14. माना, 15. नाथा, 16. रायभान 17. भगवानदास।

महाराणा प्रताप के पुत्री का नाम – 1. रखमावती, 2. रामकंवर, 3. कुसुमावती, 4. दुर्गावती, 5. सुक कंवर।

महाराणा प्रताप शारीरिक शक्ति

महाराणा प्रताप सही में एक अदम्य कद काठी के शूर वीर योद्धा थे। उनमें शारीरिक शक्ति गजब की थी। महाराणा प्रताप की उनकी ऊंचाई 7 फीट 5 इंच को देखकर दुश्मन भी थर्राते थे। लम्बी कद काठी वाले शरीर के साथ उनका वजन 110 किलो ग्राम थे।

कहा जाता है की महाराणा प्रताप युद्ध के मैदान में अपने 80 किलो वजन वाले भाले के साथ लड़ते थे। उनके शरीर पर 72 किलोग्राम का भरी कवच होता है।

उनकी तलवार का वजन भी 100 किलो के करीब माना जाता है। जिसे वे अपने दुश्मन को घोड़े सहित दो टुकड़े करने में सक्षम होते थे।

राज सिंहासन

महाराणा प्रताप कुल 24 भाई थे। प्रताप अपने भाई में सबसे बड़े थे। लेकिन मेवाड़ के राज ने उदय सिंह ने राजसिंहासन अपने बड़े बेटे महाराणा प्रताप को ने देकर अपने छोटे बेटे को देने का फैसला किया।

क्योंकि उदय सिंह की दूसरी पत्नी रानी धीरबाई अपने पुत्र कुंवर जगमाल को राज बनाना चाहती थी। जबकी अधिकांश जनता महाराणा प्रताप के पक्ष में थे। लेकिन 1 मार्च, 1573 को राजपुत्र सरदारों ने महाराणा प्रताप को राजगद्दी पर बैठाया।

जब वे मेवाड़ के सिंहासन पर आसीन हुए, उस बक्त दिल्ली में मुगल वादशाह अकबर का शासन था। अकबर अपने साम्राज्य का विस्तार करने में लगा थे। अपनी विशाल सेना के बल पर अकबर ने कई हिंदू राजा को अधीनता स्वीकार कारवाई।

कई ने अकबर से संधि-समझौता कर वैवाहिक संबंध स्थापित किये। लेकिन महाराणा प्रताप को किसी भी कीमत पर अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं थी।

हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप का युद्ध

भारत के इतिहास की प्रसिद्ध लड़ाई अकबर और महाराणा प्रताप के बीच हल्दीघाटी का युद्ध 1576 ईस्वी में लड़ा गया था। यह युद्ध मुगल सम्राट अकबर की सेना और महाराणा प्रताप के बीच हुआ था। हल्दीघाटी राजस्थान के पालि और राजसमंद जिले के सीमा पर स्थित है।

यहाँ की मिट्टी हल्दी रंग के दिखने के कारण ही इसे हल्दीघाटी कहा जाता है। हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप ने कम संख्या में सेना होने के बावजूद भी मुगलों का भीषण प्रतिरोध किया। कहा जाता है की यह युद्ध करीब 3 घंटे चला था जिसमें हजारों की संख्या में लाश बिछ गई।

यह युद्ध इतना भयानक था की इसे महाभारत की तरह ही सबसे विध्वंसक माना जाता है। महाराणा प्रताप ने मान सिंह से लड़ाई के बक्त अपने घोड़े के मदद से मान सिंह पर वार किया। इसी क्रम ने उनके घोड़े चेतक का पैर हाथी के मस्तक पर लगे सुरक्षा तलवार से बुरी तरह घायल हो गया।

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फिर युद्ध में महाराणा प्रताप भी घायल हो गए। मुगलों ने उन्हें पकड़ना चाहा लेकिन अपने घोड़े की मदद से भाग निकले। उसके लिए उनके घोड़े चेतक ने अपना अमर बलिदान दे दिया।

क्योंकि बुरी तरह घायल होने के बावजूद भी चेतक ने महाराणा प्रताप को सुरक्षित युद्ध भूमि से बाहर निकाल लिया। इस क्रम में भागते हुए एक लंबे नाले को कूदकर महाराणा प्रताप को बचा दिया लेकिन चेतक की मृत्यु हो गई।

हल्दीघाटी की लड़ाई में किसकी हुई थी जीत

इतिहासकार 18 जून 1576 को लड़े गए हल्दीघाटी की लड़ाई में न तो अकबर की जीत मानते हैं न ही महाराणा प्रताप की हार। इस युद्ध में महाराणा प्रताप की तरफ से आसफ खां और मुगल के तरफ से आमेर के राजा मानसिंह तरफ से युद्ध का नेतृत्व हुआ था।

माना जाता है कि हल्दीघाटी युद्ध में न तो अकबर की जीत कही जा सकती है। न ही महाराणा प्रताप को हारा हुआ माना जा सकता है, क्योंकि महाराणा ने अपने अल्प सैन्य शक्ति के द्वारा भी मुगल सेना को धूल चटा दी।

अकबर लाख कोशिस के बाद भी महाराणा प्रताप को न ही बंदी बना सका न ही अधीनता स्वीकार करा पाया।

जनिए महाराणा प्रताप की मृत्यु कैसे हुई

लगातार 12 वर्षों तक अपने सत्ता के लिए मुगलों से संधर्ष करने के बाद उन्होंने फिर से अपने राज्य को वापस पाया। तत्पश्चात महाराणा प्रताप फिर से अपने राज्य को समृद्ध बनाने तथा प्रजा की सुख-सुविधा में जुट गए।

उन्होंने अपनी राजधानी चावण्ड में बनाई। कहा जाता है की महाराणा प्रताप की मृत्यु चावंड में ही शिकार के दौरान दुर्घटना में लगी चोटों से हुई थी। माना जाता है की शिकार के दौरण जब वे धनुष की डोर खिच रहे थे तभी उन्हें पेट में चोट लग गई।

जिससे वे बुरी तरह आहात हो गए और काफी इलाज के बाद भी वे ठीक नहीं हुए। इस परकर महाराणा प्रताप की मात्र 57 वर्ष की आयु में ही अपनी नई राजधानी चावण्ड में 29 जनवरी 1597 ईस्वी में मृत्यु हो गई।

अकबर भी महाराणा प्रताप की मृत्यु पर रोया था

कहा जाता है की जब अकबर ने महाराणा प्रताप की मृत्यु की खवर सुनी तो उन्हें भी इस वीर योद्धा की मृत्यु पर दुख हुआ था। क्योंकि उनकी देशभक्ति का अकबर में कायल हो चुके थे।

अकबर के लाख प्रलोभन और आक्रमण के दवाव के बावजूद भी कभी अपना सर नहीं झुकाया। लेकिन बचपन से हमे महाराणा प्रताप के मातृभूमि के प्रति जज्बा, उनके दृढ़ संकल्प से अधिक अकबर की महानता के बारें में पढ़ाया जाता है।

निष्कर्ष (conclusion)

महाराणा प्रताप एक निडर योद्धा और एक महा प्रतापी राजा थे। उन्होंने शक्तिशाली मुगल शासक का निडर होकर सामना किया और कई प्रलोभन के बावजूद भी अपने निर्णय पर अडिग रहे।

वे हमेशा अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए लड़े और अधीनता को कभी स्वीकार नहीं किया। महाराणा प्रताप भारत के ऐसे योद्धा और राज थे, जो कभी मुगल शासक के सामने नहीं झुके। उनका त्याग और संघर्ष भारत के इतिहास में अमर है।

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कहा जाता है की दुश्मन भी उनकी युद्धकला की तारीफ़ करते थे। यह भी कहा जाता ही की महाराणा प्रताप की मृत्यु की खबर सुनकर मुगल बादशाह अकबर को भी दुख हुआ था। अपने मातृभूमि के प्रति उनकी अट्टू आस्था हमेशा से भारत के लोगों को प्रेरित करती रहेगी।

महाराणा प्रताप की जीवनी पर बनी फिल्म

कहा जाता है की सबसे पहले जयंत देसाई ने अपने निर्देशन में भारत के महान योद्धा महाराणा प्रताप के जीवन पर एक श्वेत-श्याम फिल्म का निर्माण किया था।

इनके जीवन गाथा को लेकर सोनी टीवी ने ‘भारत का वीर पुत्र – महाराणा प्रताप’ नामका टीवी सीरियल का भी प्रसारण किया था। जिसे दर्शकों ने बहुत पसंद किया था। इस धारावाहिक में महाराणा प्रताप का किरदार शरद मल्होत्रा द्वारा निभाया गया।

महाराणा प्रताप के कितने भाई थे

महाराणा प्रताप कुल 24 भाई थे। उनके नाम 1. कुंवर जगमाल, 2. शक्ति सिंह, 3. खान सिंह, 4. विरम देव, 5. जेत सिंह, 6. राय सिंह, 7. सगर, 8. अगर, 9 भाव सिंह, 10. पच्छन,  11. नारायण दास, 12. सुलतान, 13. लूणकरण, 14. महेश दास,

15. चांद सिंह, 16. सरदूल, 17. रुद्र सिंह, 18. भव सिंह,19.  नेतसी सिंह,20.  बेरिसाल, 21. मान सिंह, 22. साहेब खान, 23. नेत्र सिंह, 24. नागराज था।

महाराणा प्रताप की मृत्यु के बाद मेवाड़ का क्या हुआ

वर्ष 1597 ईस्वी में महाराणा प्रताप की मृत्यु के बाद मेवाड़ का शासक अमर सिंह बना। अमर सिंह, महाराणा प्रताप के सबसे बड़े बेटे थे।

महाराणा प्रताप को किसने मारा

महाराणा प्रताप को अकबर कई दशक से अपनी अधीनता स्वीकार करवाने के लिए घेरा बंदी की। लेकिन छापेमारी युद्ध के द्वारा हरबार उन्होंने अकबर की सेना को भरी नुकसान पहुंचाया।

लेकिन कभी अकबर उन्हें मारना तो दूर पकड़ भी नहीं सके। महाराणा प्रताप की मृत्यु एक शिकार में तीर चलाने के दौरण घायल होने के कारण हुआ था।

F.A.Q

Q.महाराणा प्रताप की पत्नी अजबदे की मृत्यु कैसे हुई?

Ans. कहा जाता ही हल्दीघाटी के युद्ध के बाद चोट के कारण महाराणा प्रताप की प्रिय पत्नी अजबदे की मृत्यु हुई थी। इनका पूरा नाम अजबदे पंवार था। महारानी अजबदे पंवार महाराणा प्रताप की प्रथम पत्नी और मेवाड़ की महारानी थी। उन्होंने बुरे बक्त में भी हमेशा महाराणा प्रताप के साथ रही।

Q.महाराणा प्रताप का भाला कितने किलो का था?

Ans. महाराणा प्रताप जिसे भाले से लड़ते थे वह भाला 80 किलो का था।

Q.महाराणा प्रताप का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?

Ans. महाराणा प्रताप का जन्म 09 मई 1540 ईस्वी में उदयपुर के पास प्रसिद्ध कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ था।

Q.महाराणा प्रताप की तलवार कितने किलो की थी?

Ans. कहा जाता है महाराणा के युद्ध के मैदान में दो तलवार लेकर चलते थे। महाराणा प्रताप की दोनों तलवार का वजन 208 किलो थी।

Q.महाराणा प्रताप की कितनी पत्नियां थी?

Ans. महाराणाप्रताप की कुल 14 पत्नियां थी 1700

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Amit

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मैं अमित कुमार, “Hindi info world” वेबसाइट के सह-संस्थापक और लेखक हूँ। मैं एक स्नातकोत्तर हूँ. मुझे बहुमूल्य जानकारी लिखना और साझा करना पसंद है। आपका हमारी वेबसाइट https://nikhilbharat.com पर स्वागत है।

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