सम्राट अशोक की मृत्यु कैसे हुई जानिये सम्राट अशोक का जीवन परिचय व कार्य

सम्राट अशोक की मृत्यु कैसे हुई जानिये सम्राट अशोक का जीवन परिचय व कार्य

Facebook
WhatsApp
Telegram

सम्राट अशोक की मृत्यु कैसे हुई, जानें सम्राट अशोक का जीवन परिचय (जीवनी, जयंती कब है, प्रेमिका, पत्नी, इतिहास, मौर्य साम्राज्य, कलिंग की लड़ाई, कल्याणकारी कार्य, कहानी ) (Biography, Story, Jayanti, Maurya Empire )

सम्राट अशोक कौन था ? (Samrat Ashok Maurya Empire)

सम्राट अशोक मौर्य राजवंश का सबसे शक्तिशाली तीसरे शासक थे। भारत के इतिहास में उन्हें एक शूर-वीर और महान शासक के रूप में गिना जाता है। सम्राट अशोक जिसे अशोक महान भी कहते हैं उनका शासनकाल 268 से 232 ईसा पूर्व माना जाता है।

सम्राट अशोक के समय में भारत एक ‘अखंड भारत’ था। उन्होंने पूरे भारत पर अखंड शासन किया और अपने राज्य को सुदूर तक फैलाया। उनके समय में मौर्य साम्राज्य का विस्तार वर्तमान परिदृश्य में देखें तो पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और ईरान तक फैला था।

उन्हें अपने देश में शिलालेखों, पिलरों और स्तंभों के निर्माण के लिए भी जाना जाता है। हमारे देश भारत का राष्ट्रीय चिन्ह में अशोक द्वारा निर्मित सारनाथ के स्तम्भ से लिया गया है। अशोक को अपनी सैन्य विजय के लिए जाना जाता है।

कलिंग युद्ध में अपने सैन्य अभियानों के कारण हुए रक्तपात और पीड़ा को देखकर उनका हृदय परिवर्तित हो गया। फलतः उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया और बौद्ध धर्म का प्रबल समर्थक बन गया। सम्राट अशोक के गुरु का नाम उपगुप्त एक प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु था।

बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए उन्होंने अपने पुत्र और बेटी को दूसरे देश तक भेजा। सम्राट अशोक अपने शिलालेख के कारण भी जाने जाते हैं। मौर्य सम्राज्य के इतिहास के संबंध में इस शिलालेखों से कई अहम जानकारी मिलती है।

सम्राट अशोक के शिलालेख में उसका नाम प्रियदर्शी राजा एवं सम्राट अशोक के रूप में जिक्र मिलता है। सम्राट अशोक द्वारा निर्मित अभिलेख और पिलर सम्पूर्ण भारतवर्ष के विभिन्न भागों में अभी भी देखे जा सकते हैं।

सम्राट अशोक के अधिकांश अभिलेख और पिलर पर जानकारी प्राकृत भाषा में अंकित है। उस बक्त प्राकृत भाषा आम लोगों की बोलचाल की भाषा हुआ करती थी। भारत के इस महान राजा प्रियदर्शी अशोक के जीवन पर की टीबी सीरियल और फिल्म भी बन चुका है।

आइए इस लेख में सम्राट अशोक की मृत्यु कैसे हुई उनके सम्पूर्ण जीवन परिचय तथा उनके द्वारा किए गए कल्याणकारी कार्य बारे में विस्तार से जानते हैं।

सम्राट अशोक की मृत्यु कैसे हुई - Samrat Ashok ka jivan parichay
सम्राट अशोक की मृत्यु कैसे हुई – Samrat Ashok ka jivan parichay

सम्राट अशोक की जीवनी संक्षेप मेंSamrat Ashok ka jivan parichay in Hindi

पूरा नाम – चक्रबर्ती सम्राट अशोक,
उपनाम – प्रियदर्शी, अशोक महान, देवानांप्रिय
पिता का नाम– बिन्दुसार
माता का नाम – शुभदाग्री
सम्राट अशोक का जन्म– 304 ई पूर्व (पाटलीपुत्र पटना में)
सम्राट अशोक का वंश – मौर्य वंश
सम्राट अशोक के गुरु का नाम– उपगुप्त
पुत्र का नाम – महेंद्र
पुत्री का नाम – संघमित्रा
पत्नी का नाम– शाक्य कुमारी
कितने भाई थे – 101
शासनकाल – 272 से 232 ईशा पूर्व तक
जयंती
निधन – 232 ई पूर्व


सम्राट अशोक का जीवन परिचय (Samrat Ashok Biography in Hindi)

चक्रवर्ती सम्राट अशोक जन्म एवं स्थान (Birthday and Birth Place)

READ  मालेराव होलकर की मृत्यु कैसे हुई, जानिये रोचक बातें

सम्राट अशोक का जन्म वर्तमान में बिहार के पटना के निकट प्राचीन शहर पाटलिपुत्र में हुआ था। मौर्य सम्राट बिंदुसार का पुत्र अशोक जन्म करीब 304 ई. पूर्व में माना जाता है।

अशोक की माता का नाम शुभदाग्री और पिता मौर्य सम्राट बिंदुसार थे। उनके पिता मौर्य सम्राट बिंदुसार एक सुयोग्य शासक थे। बिंदुसार की 16 पत्नी का जिक्र मिलता है।

अशोक 101 भाई थे इस बात का जिक्र बौद्ध ग्रन्थ दीपवंश में भी मिलता है। बचपन से ही अशोक अपने सभी भाइयों में सबसे तेज थे। उनके पिता बिन्दुसार ने अपने सभी पुत्रों को हर कला कौशल और युद्ध नीति में परांगत कर दिया था।

सम्राट अशोक भी अपने अन्य भाई की तुलना में अपने पिता राजा बिन्दुसार के उमीद पर खड़ा उतरा। यधपी अशोक के प्रारंभिक जीवन के बारें में कोई ठोस जानकारी नहीं मिलती लेकिन लेकिन कहा जाता है कि बचपन से ही वे एक कुशल योद्धा थे।

इस कारण से उनके पिता ने उज्जैन का कार्यभाल उन्हें सौंप दिया। वे प्रजा के सुख सुविधा का अत्यंत ध्यान रखते थे। प्रजा भी उनके कार्य से बहुत खुश थी और उनमें मौर्य साम्राज्य के भावी राजा के रूप में देखते थे।

सम्राट अशोक की प्रेमिका, पत्नी व बच्चे

सम्राट अशोक की प्रेमिका विदिसा की अत्यंत सुंदर राजकुमारी, शाक्य कुमारी था। कहा जाता है की आगे चलकर अशोक की शादी विदिशा की राजकुमारी शाक्य कुमारी के साथ हुआ।

उनके पुत्र का नाम महेंद्र और पुत्री का नाम संघमित्रा थी। यह भी माना जाता है की सम्राट अशोक को शाक्य कुमारी के अलावा और भी चार पत्नियाँ थी, जिनके नाम कारुवाकी, पद्मावती, देवी और तिष्यरक्षिता बताया जाता है।

अशोक सम्राट की कहानी (Samrat Ashok Story)

अशोक के पिता बिन्दुसार उनके प्रशासनिक सूझ बुझ से बड़े ही प्रभावित थे। जिसे उन्होंने तक्षशिला और उज्जैन में उन्होंने सिद्ध कर दिखाया था। जिस बक्त उनके पिता की मृत्यु हुई उस बक्त अशोक उज्जैन में सूबेदार थे।

अपने पिता के बीमार होने की खबर सुनकर वे पटलीपुत्र के लिए चल पड़े लेकिन उनके आने से पहले ही राजा बिन्दुसार की मौत हो गई। उनके मृत्यु के बाद मौर्य साम्राज्य के राजसिंहासन पाने के लिए भाइयों के बीच मतभेद हो गए।

मौर्य साम्राज्य के सत्ता को लेकर करीब दो वर्ष तक अशोक और उनके सौतेले भाइयों के लड़ाई जिसमें अशोक विजयी हुआ।

कविदंती है की अशोक ने अपने सभी सौतेले भाइयों को जान से मरवाकर पटलीपुत्र के एक कुएं में डलवा दिया। अगम कुआं के नाम से प्रसिद्ध वह कुओं आज भी पटना में देखा जा सकता है।

इस कुएं के बारे में कहा जाता है की इसकी गहराई का अता-पता ही नहीं है। इसी कारण अशोक कालीन इस कुएं को अगम कुआं कहा जाता है।

सम्राट अशोक का सही इतिहास (Samrat Ashok History in Hindi)

अपने भाई की हत्या के बाद अशोक का राज्याभिषेक 269 ई.पू. मौर्य साम्राज्य के सम्राट के रूप में हुआ। राजा बनते ही वे अपने गुरु और पिता के नक्से कदम पर चलना शुरू किया।

READ  राजा जयचंद्र कौन थे, क्या वे सचमुच गद्दारी कर पृथ्वीराज चौहान को मरबाया (Raja Jai Chandra Biography in Hindi)

वे अपने राज्य की सुव्यवस्था में और भी सुधार किये। नित्य दिन दुखी और ब्राह्नाणों को दान देना, प्रजा की समस्या को सुनना और उनका समाधान करना उनकी प्राथमिकता थी।

सम्राट अशोक का शासनकाल

अशोक जब 272 ईसा पूर्व में अपने पिता बिन्दुसार के निधन के बाद सिंहासन संभाला। उस बक्त मौर्य साम्राज्य दुनिया के सबसे बड़े और सबसे शक्तिशाली साम्राज्य कहलाता था।

सत्ता संभालने के बाद अशोक ने अपनी सैन्य ताकत बढ़ाया और युद्ध के माध्यम से अपने साम्राज्य को भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश भाग तक फैला दिया। उनके शासनकाल में राज्य में शांति और समृद्धि थी।

उन्होंने अखंड भारत का निर्माण कर करीब 30 साल तक शासन किया। उनके समय में पाकिस्तान, नेपाल बांगलादेश, म्यांमार उनके साम्राज्य का हिस्सा था।

इतना ही नहीं उन्होंने अपना साम्राज्य अफगानिस्तान, ईरान और इराक तक फैलाया। भारतीय इसिहस में उन्हें महानतम शासकों में गिना जाता है।

सम्राट अशोक का कलिंग पर चढ़ाई

कलिंग पर अशोक की चढ़ाई और नरसंहार अक्सर इतिहास में पढ़ने को मिलता है। क्यों इतने बड़े साम्राज्य का मालिक एक छोटे से राज्य कलिंग को जीत नहीं सका। क्यों अशोक का इस युद्ध के बाद युद्ध से मोह भंग हो गया।

सम्राट अशोक का मौर्य साम्राज्य में वर्तमान पाकिस्तान, अफगानिस्तान का कुछ भाग शामिल थे। लेकिन एक छोटा से देश कलिंग हमेशा से उन्हें आँखों की कीर किरी बनी हुई थी।

अशोक द्वारा कलिंग पर आक्रमण का 261 ई पू में हुआ था। इस युद्ध का उल्लेख उनके 13 वें अभिलेख में देखने को मिलता है। उन्होंने अपने सैन्य अभियानों के द्वारा पूर्वी भारत में स्थित कलिंग राज्य को अपने कब्जे में शामिल कर लिया।

सम्राट अशोक का हृदय परिवर्तन

कलिंग की लड़ाई में अशोक की सेना के द्वारा करीब 1 लाख से अधिक लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। चारों ओर चीख पुकार, दूर तक बिखरे लाशों की ढेर, रक्तपात को देखकर उनके दिमाग पर बड़ा ही गहरा प्रभाव पड़ा।

फलतः उन्होंने अहिंसा के व्रत पालन का संकल्प ले लिया। उन्होंने हिंसा छोड़ बौद्ध धर्म को अपना लिया तथा इसका कट्टर अनुयायी बन गया। उन्होंने प्रजा के बीच पशु बलि पर रोक और शाकाहार को बढ़ावा देने पर बल दिया और युद्ध छोड़ दिया।

बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार

कलिंग युद्ध के नरसंहार को देखकर अशोक विचलित हो गया। परिणाम स्वरूप उन्होंने शस्त्र त्याग कर बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया। बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार के लिए उन्होंने जगह जगह सतंभ का निर्माण करवाया।

इन शिलालेखों पर उनके संदेश धार्मिक शिक्षाओं के साथ खुदे रहते थे। अशोक के शिलालेखों को मौर्य साम्राज्य का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में देखा जाता है। उन्होंने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अपने पुत्र महेंद्र को श्रीलंका भेजा।

READ  सोमनाथ मंदिर को तोड़ने और लूटने वाले महमूद गजनवी की मृत्यु कैसे हुई। Mahmud Ghaznavi in Hindi

सम्राट अशोक के शिलालेख

अशोक के अभिलेख से मौर्य साम्राज्य के बारें में जानकारी प्राप्त होती है। उनेक अभिलेख पूरे साम्राज्य में कई स्थानों पर स्थापित था। अशोक का अधिकांश अभिलेख प्राकृत भाषा में लिखा हुआ है,

लेकिन कुछ अभिलेख में ब्राह्मी, खरोष्ठी और ग्रीक लिपियों का प्रयोग भी मिलता है। साथ ही अशोक नें भगवान बुद्ध के अवशेषों को संग्रह के उद्देश्य से करीब 84000 स्तूप का भी निर्माण करवाया। हमारे देश भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के मध्य में मौजूद अशोक चक्र उन्हीं के स्तंभों से लिया गया है।

सम्राट अशोक के कल्याणकारी कार्य

सम्राट अशोक ने प्रजाजन के कल्याण के लिए कई कार्य किए। उन्होंने प्रजा की सुख सुविधा को ध्यान रखते हुए सड़के बनवाई और उनके दोनों तरफ छायादार वृक्ष लगवाएं।

जनता के लिए उन्होंने कुएँ, धर्मशालाएँ और चिकित्सालय बनवाए। इस प्रकार उन्होंने अपनी प्रजा के भलाई और उनके जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में कई सामाजिक और राजनीतिक उत्थान के कर किए।

कहा जाता है की प्रजा के समस्या को सुनने और उनके त्वरित समाधान के लिए उनका दरवार हमेशा खुला था।

सम्राट अशोक की मृत्यु कैसे हुई

अशोक की मृत्यु 232 ईसा पूर्व में मानी जाती है। अशोक को भारत के इतिहास में एक सुदृढ़ और शक्तिशाली शासक के रूप में गिना जाता है। अशोक की मृत्यु के बाद उनका पुत्र जालौका मौर्य साम्राज्य का उत्तराधिकारी बना।

लेकिन उनके बाद मौर्य साम्राज्य का धीरे-धीरे पतन होने लगा। दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व तक आते आते इसका अपना अधिकांश क्षेत्र खत्म हो गया।

लेकिन उनके शीलालेख और स्तम्भ कुछ आज भी देखे जा सकते हैं। जो सम्राट अशोक के विशाल मौर्य साम्राज्य का जीता-जागता सबूत है।

सम्राट अशोक के शिलालेख की सूची

  • येर्रागुडी : कर्नूल, आंध्र प्रदेश।
  • दिल्ली : अमर कॉलोनी, दिल्ली।
  • गिरनार :- गुजरात राज्य में सौराष्ट्र व जूनागढ़ के पास
  • कालसी : देहरादून ज़िला, उत्तराखंड।
  • सोपारा : ठाणे ज़िला, महाराष्ट्र।
  • येर्रागुडी : कर्नूल ज़िला, आंध्र प्रदेश।
  • धौली : पुरी, ओडिसा
  • जौगड़ : गंजाम, ओडिसा
  • बैराट : जयपुर, राजस्थान
  • रूपनाथ: जबलपुर, मध्य प्रदेश।
  • पल्किगुंडु, गाधीमठ व मस्की : रायचूर, कर्नाटक।
  • गुजर्रा : दतिया, मध्य प्रदेश।
  • राजुलमंडगिरि : बेल्लारी, कर्नाटक।
  • सहसराम : शाहाबाद, बिहार।
  • सिद्धपुर, ब्रह्मगिरि : कर्नाटक।
  • जटिंगा रामेश्वर : चित्रदुर्ग, कर्नाटक।
  • अहरौरा : मिर्ज़ापुर, उत्तर प्रदेश।

सम्राट अशोक जयंती (Samrat Ashok Jayanti )

चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने पूरे भारत को एक सूत्र में पिरोने का काम किया था। उनका मौर्य साम्राज्य अफगानिस्तान तक फैला हुआ था। परिदर्शी सम्राट अशोक के यादगार में प्रतिवर्ष उनकी जयंती मनाई जाती है।

यदपि अशोक के जन्म की तारीख को लेकर कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है। लेकिन बिहार सरकार ने अप्रेल में उनकी जयंती मनाने के निर्णय किया है।

F.A.Q

  1. सम्राट अशोक का जन्म कब और कहां हुआ था?

    सम्राट अशोक का जन्म 302 ईस्वी पूर्व वर्तमान पटना के पास पटलीपुत्र में हुआ था। यदपि उनके जन्म वर्ष को लेकर विद्वानों में मतांतर भी देखने को मिलता है।

  2. सम्राट अशोक की राजधानी का क्या नाम था ?

    सम्राट अशोक की राजधानी का नाम पटलीपुत्र था।  

  3. सम्राट अशोक के कितने भाई थे?

    सम्राट अशोक के 101 भाई का जिक्र मिलता है।

  4. सम्राट अशोक के पिता का नाम क्या था?

    सम्राट अशोक के पिता का नाम बिन्दुसार था, जो मौर्य साम्राज्य के प्रसिद्ध राजा थे।

  5. सम्राट अशोक किस धर्म का अनुयायी था ?

    सम्राट अशोक ने कलिंगा युद्ध के बाद बौद्ध धर्म को स्वीकार कर बौद्ध धर्म के अनुयायी हो गए।

इन्हें भी पढ़ें

रानी अहिल्याबाई का जीवनी और इतिहास
मुहमद गजनवी का जीवन परिचय
पृथ्वीराज चौहान की जीवनी
वीर शिवाजी महाराज की जीवनी
रानी कर्णावती की जीवनी और इतिहास
दक्षिण की लक्ष्मीबाई रानी चेनम्मा की जीवनी
Amit

Amit

मैं अमित कुमार, “Hindi info world” वेबसाइट के सह-संस्थापक और लेखक हूँ। मैं एक स्नातकोत्तर हूँ. मुझे बहुमूल्य जानकारी लिखना और साझा करना पसंद है। आपका हमारी वेबसाइट https://nikhilbharat.com पर स्वागत है।

Leave a Comment

Trending Posts