बेगम हजरत महल का जीवन परिचय |10 lines on Begum Hazrat mahal in Hindi

बेगम हजरत महल का जीवन परिचय |10 lines on Begum Hazrat mahal in Hindi

10 lines on Begum Hazrat mahal in Hindi – बेगम हजरत महल को अंग्रेजी शासन के खिलाफ विद्रोह कर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में एक वीरांगना के रूप में याद किया जाता है।

जब-जब हम आजादी की जश्न मनाते हैं उन पलों को याद करते हैं तो सहसा ही उन देशभक्तों की याद आ जाती थी जिन्होंने अपने मातृभूमि को अंग्रेजों के दस्ता के चंगुल से निकलने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी।

आजादी के लड़ाई में उन महापुरुषों का नाम आता है जिनके जन्म इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षर में अंकित हो चुके हैं। क्योंकि हमारी आजादी की लड़ाई किसी खास मजहब, जाति अथवा संप्रदाय तक सीमित नहीं था।

इस लड़ाई में जितना पुरुषों ने योगदान दिया वहीं इसमें महिलाओं ने भी बढ़ चढ़कर भाग लिया। ऐसे ही महान वीरांगनाओं में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, झलकारी बाई, रानी चेनांमा, बेगम हजरत महल आदि का नाम सम्मिलित है।

आज हम बेगम हजरत महल के बारें में जानेंगे। उन्होंने अपने पति वाजिद अली शाह की अनुपस्थिति में अवध का कमान अपने हाथों में लिया और अंत समय तक अंगरजो से लड़ती रही।

बेगम हजरत महल का जीवन परिचय |10 lines on Begum Hazrat mahal in Hindi
बेगम हजरत महल का जीवन परिचय |10 lines on Begum Hazrat mahal in Hindi

बेगम हजरत महल कौन थी

बेगम हजरत महल 19वीं शताब्दी के दौरान भारतीय रियासत अवध की एक मुस्लिम शासिका थीं। 1857 में भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में ब्रिटीस सरकार के खिलाफ विद्रोह के लिए याद किया जाता है। आइये इस लेख में बेगम हजरत महल की जीवनी विस्तार से जानते हैं।

बेगम हजरत महल के बारे में हिंदी में – 10 lines on begum hazrat mahal in Hindi

पूरा नाम बेगम हजरत महल
वास्तविक नाममुहम्मदी खानम
जन्म वर्ष – 1840
जन्म स्थान -फैजाबाद
पति -अवध के नवाब वाजिद अली शाह
विद्रोह – अंग्रेजों के खिलाफ

बेगम हजरत महल का जीवन परिचय

मुस्लिम महिला स्वतंत्रता सेनानी में वेगम हजरत महल का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। बेगम हजरत महल का वास्तविक नाम अथवा असली नाम मुहम्मदी खानम था।

बेगम हजरत महल का जन्म 1820 में तत्कालीन उत्तरप्रदेश के फैजाबाद में हुआ था। हजरत महल अवध के अंतिम नाबाब वजीद अली शाह की दूसरी वेगम थी।

उन्होंने अपने पति के शासनकाल के दौरान राज्य के प्रशासनिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता, राजनीतिक कौशल और बहादुरी के वल पर अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे।

लखनऊ के नबाब का अंग्रेजों द्वारा बंदी

समय था 1857 की प्रथम सवधीनता संग्राम के ठीक पहले की। अवध के नवाब वाजिद अली शाह की सत्ता अंग्रेजों द्वारा छिन ली गयी।

नवाब वाजिद अली शाह को अंग्रेजों के द्वारा कैद कर लिया गया और बंदी बनाकर कलकता के मटिया बुर्ज में बंद कर दिया गया। वाजिद अली शाह के गिरफ़्तारी के बाद अंग्रेज समझ बैठे की अवध उनके अधीन हो गया।

जब रानी ने अवध की कमान अपने हाथ में ली

लेकिन अंग्रेजों का भ्रम उस बक्त टूट गया जब बेगम हज़रत महल ने वाजिद अली शाह के अनुपस्थिति में अवध की बागडोर अपने हाथ में ले ली। उन्होंने खूबसूरती से अवध सल्तनत का राजकाज संभाला।

उन्होंने फुट डालो और शासन करो की अंग्रेजों की नीति को समझ कर हिन्दू और मुस्लिम नेताओं को एक जुट किया। इस प्रकार उन्होंने अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया। ब्रिटिश आर्मी को लखनऊ में प्रवेश से रोक दिया।

दोनों ओर से जमकर लड़ाई हुई। बेगम हज़रत महल ने अपने सैनिकों का कुशल नेतृत्व इस प्रकार किया की अंग्रेजों को हार का सामना करना पड़ा। लखनऊ रेजिडेंसी से अंग्रेजों की शान का प्रतीक यूनियन जैक को नीचे गिरा दिया गया।

वहाँ फिर से अवध का झण्डा लगा दिया गया। बड़ी संख्या में अंग्रेजों और उनके बफदार की गिरफ़्तारी कर ली गयी। भारत में पहली बार इस बेगम से हारे थे अंग्रेज। जिन्होंने अपने सैन्य के नेतृत्व के बल पर अंग्रेजों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था।

बेगम हजरत महल का नेपाल पलायन

अंग्रेजों से 1857 में दूसरी बार लखनऊ पर चढ़ाई कर दी। दोनों तरफ से भयंकर युद्ध हुआ। रानी अपने आखरी दम तक लड़ी लेकिन प्रबल अंग्रेजों की विशाल फौज के सामने ज्यादा दिनों तक टिकना मुश्किल था।

अपने हार को निकट देखकर अंग्रेजों के गिरफ़्तारी से बचने के लिए वे अपने वेटे के साथ नेपाल जाकर शरण ले ली। कहते हैं की बेगम हजरत महल को नेपाल तक सुरक्षित पहुचने में तुलसीपुर की रानी राजेश्वरी ने मदद की।

नेपाल में बेगम हजरत महल ने अभावों और कठिनाई में जीवन बिताया लेकिन कभी अंग्रेजों के सामने समर्पण नहीं की।

बेगम हजरत महल की मृत्यु

भारत के मुस्लिम महिला स्वतंत्रता सेनानी बेगम हज़रत महल की नेपाल में ही 7 अप्रैल 1879 को मृत्यु हो गयी। लेकिन उन्होंने अंग्रेजों को संदेश दे दिया की देर सवेर उन्हें भारत छोड़ना ही पड़ेगा।

बेगम हजरत महल स्कॉलरशिप

उनके सम्मान में भारत सरकार अल्पसंख्यकों मेधावी छात्राओं को वित्तीय सहायता प्रदान कर प्रोत्साहित करती है। साथ ही इनके सम्मान में फुटबॉल के क्षेत्र में बेगम हजरत महल कप प्रदान किया जाता है।

बेगम हजरत महल का जन्म कब हुआ था?

महान स्वतंत्रता सेनानी बेगम हजरत महल का जन्म 1820 में तत्कालीन उत्तरप्रदेश के फैजाबाद में हुआ था।

बेगम हजरत महल का दूसरा नाम क्या था?

बेगम हजरत महल का दूसरा नाम मुहम्मदी खानम था।

बेगम हजरत महल ने विद्रोह का नेतृत्व कहां किया था?

बेगम हजरत महल ने विद्रोह का नेतृत्व लखनऊ में किया था।

बेगम हजरत महल कप किस खेल से संबंधित है?

बेगम हजरत महल कप फुटबॉल खेल से संबंधित है।


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