मल्हार राव होलकर की मृत्यु कैसे हुई जानिये सम्पूर्ण जीवनी

मल्हार राव होलकर की मृत्यु कैसे हुई

Malhar Rao Holkar – मल्हार राव होल्कर की मृत्यु एक सैन्य अभियान में भाग लेने जाते समय हुई थी। इस लेख में हम मल्हार राव होलकर की मृत्यु कैसे हुई उनके कारण के बारे में जानेंगे। मल्हार राव होलकर, रानी अहिल्या बाई होल्कर के ससुर थे।

उन्हें इंदौर के होल्कर राजवंश के प्रवर्तक कहा जाता है। उनके प्रयास के फलस्वरूप मराठा शासन को उत्तर भारत में फैलाने में मदद मिली। उन्होंने इंदौर और मालवा पर राज किया।

मल्हार राव होलकर की मृत्यु कैसे हुई

मल्हार राव होलकर की मृत्यु कैसे हुई (Malhar Rao Holkar ki mrityu kaise hui)

होल्कर वंश के संस्थापक मल्हारराव होलकर की मृत्यु के बारें में जानने से पहले उनका जीवन परिचय जानना जरूरी है। उनकी जीवनी बहुत ही दिलचस्प है।

एक चरवाहे परिवार में जन्म लेने के बावजूद कैसे वे अपने प्रतिभा के बल पर सत्ता के शिखर तक पहुंचे तथा मालवा और इंदौर पर शासन किया।

मल्हार राव होलकर का जीवन परिचय संक्षेप में Malhar Rao Holkar in Hindi

पूरा नाम – मल्हारराव होल्कर
जन्म तिथि – 16 मार्च 1993
जन्म स्थान – पुणे के पास होले गाँव
पिता का नाम – खंडूजी होल्कर
माता का नाम – गंगाबाई
बंश – होल्कर
निधन – 20 मई 1966
मृत्यु का स्थान – आलमपुर, मध्यप्रदेश

मल्हारराव होलकर की जीवनी  

उनका जन्म एक चरवाहा परिवार में 16 मार्च 1693 को पुणे के निकट एक होले गाँव में हुआ था। उनके जन्म तिथि के बारें में विद्वानों में मतांतर है। कहीं-कहीं उनका जन्म तिथि 16 अक्टूबर 1694 पढ़ने को मिलती है।

उनके पिता का नाम खंडूजी होल्कर तथा माता का गंगाबाई थी। मल्हारराव होलकर अपने माता पिता के एकलौते संतान थे। जब मल्हारराव होल्कर की उम्र महज 5 साल की थी तब उनके पिता इस दुनियाँ से चल बसे।

उनका पालन पोषण अपने मामा सरदार भोजराजराव बारगल के यहाँ हुआ। कहा जाता है की शुरुआत में उनके मामा के यहाँ उन्हें भेड़ बकड़ियों के चराने का काम दिया गया।

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मल्हारराव होलकर के जीवन से जुड़ी घटना

एक दिन की बात है प्रचंड गर्मी थी। भेड़ चराने के दौरान वे एक पेड़ की छाया में आराम कर रहे थे। कुछ देर के बाद उन्हें नींद आने लगी और वे वही लेट गए। जब वे सो रहे थे तभी जंगल से एक नाग सांप निकल कर अपने फन फैलाकर उसके सिर पर छाया देने लगा।

तभी उनके साथी चरवाहे वहाँ पहुँच गए। जब उन्होंने नाग को इस तरह से देखा वे आश्चर्य चकित रह गए। उधर सांप उनके लोगों को देखकर झाड़ी में चला गया। उनके दोस्तों में इसकी खबर पूरे गाँव में फैला दी।

जब यह खवर उनकी माँ और मामा तक पहुंची तब उन्होंने उसे भेड़ चराने के काम छुड़ा दिया। चूंकि उनके मामा गाँव के जमींदार थे। इस कारण कुछ दिनों के बाद उन्होंने किशोर मल्हार राव को सरदार कदम बंदे के सेवा में तैनात सेना की टुकड़ी में शामिल कर लिया गया।

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मल्हार राव होलकर का इतिहास

मल्हारराव होलकर मध्य भारत के मालवा के पहले सूबेदार थे। एक साधारण चरवाहा परिवार में पैदा होकर भी मल्हार राव ने शासक बनकर पंजाब तक अपने साम्राज्य का विस्तार किया।

उन्होंने कदम बंदे के बाद पेशवा बाजीराव प्रथम की सेना में अपनी सेवाएँ दी। इस दौरान उन्होंने पेशवा को कई अभियानों में विजय दिलाई। सन् 1746-47 में मल्हारराव ने कालिंजर, अजयगढ़ और जौनपुर के युद्धों में अपने आसाधारण वीरता का परिचय दिया।

इससे पेशवा इन पर  बहुत ही प्रसन्न हुए। उनकी वीरता को देखते हुए उन्हें जल्द ही घुड़सवार टुकड़ी का प्रमुख बना दिया गया। इस प्रकार उन्होने कई सैन्य अभियानों में भी भाग लेकर विजय पताका लहराया।

1736 में दिल्ली पर मराठों के जीत में वे प्रमुख कमांडर थे। पेशवा मल्हार राव होल्कर से प्रभावित होकर मालवा का कुछ इलाका इन्हें सौंप दिया। आगे चलकर इंदौर के रियासत मल्हारराव होलकर को सौंप दिया गया।

इस प्रकार वे इंदौर पर शासन करने वाले होलकर राजवंश के प्रथम शासक कहलाये।

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मल्हारराव होलकर परिवार Malhar Rao Holkar wife

उनके बहादुरी से प्रभावित होकर उनके मामा भोजराजराव ने मल्हारराव होलकर की शादी अपने पुत्री गोतमाबाई के साथ कर दिया। आगे चलकर इनकी तीन और रानियाँ हुई। जिसमें द्वारकाबाई मल्हारराव होलकर की दूसरी रानी थी।

गोतमाबाई से खंडेराव होल्कर का जन्म हुआ। वहीं द्वारकाबाई ने पुत्री को जन्म दिया। मल्हारराव होलकर की बेटी का नाम सीता बाई होल्कर थी। गुणाजी राव होलकर, मल्हारराव होलकर के दामाद थे।

द्वारकाबाई, मल्हारराव होलकर के बाद अपने दामाद को सत्ता पर आसीन देखना चाहती थी। मल्हार राव को एक मात्र पुत्र खंडेराव होल्कर था। उन्होंने अपने पुत्र खंडेराव होल्कर की शादी अहिल्याबाई के साथ किया।

अहिल्या बाई एक बहादुर और बहुत न्यायप्रिय महिला थी। एक बारे उन्होंने अपने पुत्र को भी मृत्यु दंड सुना दिया था।

कलिंजर की लड़ाई

कलिंजर के युद्ध के दौरान मल्हारराव होलकर के पुत्र खंडेराव होल्कर अपने पिता के साथ मोर्चा संभाले हुए थे। उन्होंने महाराजा सुरजमल के खिलाफ कुमहेर किले की चारों तरह से किले बंदी कर दी थी। दोनों तरह से लड़ाई जारी थी।

एक दिन खंडेराव होल्कर पालकी में बैठकर अपने सेना का निरीक्षण कर रहे थे। तभी दुश्मन के तोप के एक गोला खंडेराव होल्कर को लगा और उनकी मृत्यु हो गया। अपने पुत्र के मृत्यु के मल्हारराव होलकर पागल सा हो गए।

उन्होंने कुमहेर किले को नाश्तेनाबूत करने की ठान ली। लेकिन बाद में सुरजमल और मराठों के बीच संधि हुई। महाराजा सुरजमल में खंडेराव होल्कर के सम्मान में उनके मृत्यु के स्थान पर छत्री का निर्माण करवाया।

खंडेराव होल्कर की मृत्यु के बाद मल्हारराव होलकर ने अपने बहु अहिल्या बाई को सती होने से रोक लिया।

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मल्हार राव होलकर की मृत्यु कैसे हुई थी (How did Malhar Rao Holkar died in Hindi)

कलिंजर के युद्ध में अपने एकलौते पुत्र खंडेराव होल्कर को खोने के बाद मल्हारराव होलकर पुत्र शोक में डूब सा गए। पुत्र शोक के कारण वे बीमार रहने लगे। उधर मांगरोल युद्ध में घायल होने के बाद उनका पुराना घाव भी तकलीफ देना शुरू कर दिया था ।

सन 1766 की बात है सभी मराठा सरदारों नें पेशवा रघुनाथ राव के साथ मिलकर धौलपुर-गोहद के राजाओं पर चढ़ाई की योजना बनाई। इसी क्रम वे सामूहिक रूप से अपनी टुकड़ी के साथ झांसी से आगे बढ़ रहे थे।

वहीं रास्ते में ही वृद्ध मल्हार राव की तकलीफें बहुत बढ़ गई। अचानक स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण उन्हें बेरूवा-खेरा (आलमपुर) में उपचार हेतु लाया गया। लेकिन किसी भी उपचार का उनपर असर नहीं हुआ।

फलतः 20 मई 1766 को आलमपुर में उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के बाद उनके पौत्र ने गद्दी संभाला लेकिन उनकी भी मृत्यु के बाद खुद अहिल्याबाई ने सत्ता की बागडोर अपने हाथ में ले ली।

उनकी बहु अहिल्याबाई ने 1767 से लेकर 1795 तक इंदौर का राज संभाला। मल्हारराव होलकर की जहां मृत्यु हुई वहाँ उनकी समाधि स्थल (छत्री) आज भी मध्य प्रदेश के भिंड जिले के आलमपुर में देखी जा सकती है।

F.A.Q

  1. मल्हार राव होलकर की मृत्यु कब और कैसे हुई?

    पुत्र शोक के अलावा उन्हें पिछले युद्ध में घायल हो जाने के कारण पुराने घाव अक्सर परेशान करती रहती थी। एक दिन वे मराठा सरदारों के साथ मिलकर एक सैन्य अभियान में हिस्सा लेने जा रहे थे। तभी रास्ते मे ही अचानक उनकी तवीयत बिगड़ गई। इस प्रकार मल्हारराव होलकर की मृत्यु 20 मई 1766 को आलमपुर में हुई।  

  2. मल्हार राव होलकर की कितनी पत्नी थी

    होलकर वंश के संस्थापक मल्हारराव होलकर की चार रानियां थी। उनकी पहली पत्नी का नाम  गौतमाबाई थी। इसके अलावा उनके अन्य रानियों के नाम हरकूबाई, द्वारकाबाई और बानाबाई थी। 

  3. अंतिम होलकर राजा कौन था?

    इंदौर की होलकर रियासत के अंतिम राजा यशवंत राव होलकर हुए। उन्होंने महज 17 साल की उम्र में ही शासन की बागड़ोर संभाली थी।

  4. मल्हार राव होलकर की समाधि कहाँ है?

    मध्यप्रदेश के भिंड जिले के आलमपुर में मल्हार राव की समाधि अवस्थित है।

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