खंडेराव होलकर की जीवनी | Khanderao Holkar History in Hindi

खंडेराव होलकर की जीवनी | Khanderao Holkar History in Hindi

खंडेराव होलकर की जीवनी, युद्ध, मृत्यु और बच्चे – Khanderao Holkar History in Hindi

खंडेराव होलकर की जीवनी, जीवन परिचय, इतिहास, मौत के कारण, उनके द्वारा लड़े गए युद् (Khanderao Holkar History in Hindi, Biography, Death, Age, 10 Wives name),

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खंडेराव होल्कर कौन थे? Khanderao Holkar in Hindi

खंडेराव होल्कर का नाम मराठा साम्राज्य के प्रसिद्ध वीर योद्धा में गिना जाता है। वे महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत रही प्रसिद्ध महारानी अहिल्या बाई होल्कर की पति थे। खंडेराव होल्कर का नाम मराठा साम्राज्य के इतिहास में एक अति वीर योद्धा में प्रसिद्ध है।

कहते हैं की अपने शासन काल में उन्होंने अनेकों लड़ाई में विजय प्राप्त कर अपने नाम का डंका बजाय। उन्होंने बचपन मे  ही अपने पिता होल्कर वंश के संस्थापक मल्हार राव होल्कर से युद्ध कौशल का प्रशिक्षण प्राप्त कितया था। 

मात्र 31 के आयु में अपने निधन तक उन्होंने काफी नाम और शोहरत हासिल की। कहा जाता है की एक बार उनके दिल्ली पहुचने की खबर से मुगल बादशाह भी खौफ में आ गए थे।

खंडेराव होलकर की जीवनी | Khanderao Holkar History in Hindi
खंडेराव होलकर की जीवनी – Khanderao Holkar

आईए इस लेख में खंडेराव होल्कर की जीवनी, मृत्यु और परिवार के बारें में विस्तार से जानते हैं।

खंडेराव होलकर संक्षिप्त जीवन परिचय – KHANDERAO HOLKAR IN HINDI

नामखंडेराव होलकर
जन्म दिवसज्ञात नहीं
खंडेराव होलकर का जन्म1723
माता का नामगौतम बाई
पिता का नाममल्हार राव होल्कर
खंडेराव होलकर की कितनी पत्नियांरानी अहिल्याबाई, कहीं कहीं उनेक 10 पत्नी का जिक्र भी मिलता है।
बच्चे का नामपुत्र मालेराव और पुत्री मुक्ताबाई
खंडेराव होलकर की मृत्यु1754
साम्राज्य मराठा

खंडेराव होलकर का जीवन परिचय – Khanderao Holkar jivan prichay in Hindi

प्रारंभिक जीवन – Khanderao Holkar Early life

मराठा साम्राज्य के इस प्रसिद्ध राजा खंडेराव होलकर का जन्म 1723 ईस्वी में हुआ था। जैसा की जानते हैं की उनके पिता का नाम मल्हार राव होल्कर तथा माता का नाम गौतम बाई थी।

खंडेराव होलकर अपने माता पिता के इकलौते पुत्र थे। बचपन से वे जिद्दी स्वभाव के थे, जिस काम को वे ठान लेते, पूरा कर के दम लेते थे। बचपन मे ही वे युद्ध कौशल में महारत हासिल कर ली थी।

वे छोटे से उम्र से ही अपने पिता के साथ लड़ाई में भाग लेने लगे थे। कहते हैं की उन्हें गुस्सा बहुत जल्दी आता था, लेकिन उनके अंदर अदम्य का साहस और बहादुरी भरा था।

परिवरिक जीवन, पत्नी, और बच्चे (Khanderao Holkar Wife, children)

खंडेराव होलकर का विवाह सन् 1735 ईo में मात्र 13 साल की उम्र में हुआ था। खंडेराव होलकर की पत्नी का नाम देवी अहिल्याबाई थी। कहते है की जिस बक्त अहिल्याबाई होल्कर परिवार के बहु बनकर आई थी, उस बक्त उनकी उम्र महज 9 साल की थी।

कहा जाता है की अहिल्याबाई के प्रभाव से धीरे-धीरे खांडेराव होल्कर के सोच में बदलाव आया। यही कारण रहा की खांडेराव राज काज में सक्रिय होकर भाग लेकर अपने पिता का हाथ बाटने लगे थे।

खंडेराव होलकर को अहिल्याबाई से एक पुत्र और एक पुत्री प्राप्त हुआ। उनका बेटा का नाम मलेराव और बेटी का नाम मुक्ताबाई थी। कहते हैं की खंडेराव होलकर को 10 रानियाँ थी, चलिए इसके बारें में जानते हैं।

खंडेराव होलकर 10 पत्नियों के नाम

अव खंडेराव होलकर की पत्नियों के नाम के बारें में जानते हैं। कहा यह भी जाता है की खंडेराव होलकर की अहिल्याबाई के अलावा 9 और रानियाँ थी। लेकिन इनके दस रानियाँ का नाम नहीं मिलता है। कहीं कहीं खंडेराव होलकर की चार पत्नियां का जिक्र मिलता है।

जिसमें अहिल्याबाई, पाराबाई, पीताबाई और सुरताबाई का नाम लिया जाता है। लेकिन कुछ विद्वान इस बात से इत्तफाक नहीं रखते हैं। उनके पीछे तर्क दिया जाता है की मात्र 30 – 31 साल की उम्र में खंडेराव होलकर को दस पत्नियाँ का जिक्र निराधार लगता है।

क्योंकि अगर रानी अहिल्या बाई से उन्हें दो संतान थे। तो बांकी नौ रानियों के संतान का जिक्र क्यों नहीं मिलता।

खंडेराव होलकर को युद्ध कौशल की शिक्षा

जैसा की हम जान चुके हैं की खंडेराव होलकर को युद्ध कौशल की शिक्षा पाने पिता मल्हारराव से प्राप्त हुई। जब राजा मल्हारराव को अपने पुत्र खंडेराव के युद्ध कौशल और वीरता पर पूर्ण विश्वास हो गया।

तब वे उन्हें अपने साथ राज्य के सुप्रबंध के निरीक्षण के लिये ले जाने लगे। साथ ही खंडेराव होलकर अपने पिता के साथ युद्ध में भी भाग लेने लगे। साथ ही उन्हें अपने पत्नी अहिल्या बाई से भी ढेर सारी नीतिगत बातें सीखने को मिला था। 

खंडेराव होलकर इतिहास तथा लड़े गए युद्ध

अब खंडेराव होलकर का इतिहास तथा लड़े गए युद्ध की कहानी जानते हैं। जैसा का हम जानते हैं की खंडेराव होलकर बचपन से युद्ध कौशल में प्रवीण थे। तथा अपने पिता से युद्ध कला की शिक्षा पाकर वे उनके साथ युद्ध में भाग लिया करते थे।

बाद में स्वतंत्र होकर भी लड़ाई में भाग लेने लगे। उन्होंने अपने जीवन में अनेकों लड़ाई लड़ी और अपने जीत का परचम पहराया। चाहें 1737 में निजाम के साथ युद्ध हो या 1739 मे पूर्तगलियों के साथ अथवा जाटों के साथ युद्ध हो।

हर युद्ध में उन्होंने अपने शूर वीरता का अदम्य परिचय दिया। 1737 में मराठा और निजाम के साथ युद्ध हुआ था। इस युद्ध में उन्होंने अपने सैनिकों का मार्गदर्शन करते हुए मीरमानी खान को युद्ध में मार गिराया।

इस प्रकार उन्होंने अपने बेहतरीन युद्ध कौशल के द्वारा निजाम पर विजय प्राप्त की। साथ ही 1739 में मराठों का पुर्गालियों के साथ जब घमासान युद्ध हुआ। इस युद्ध में भी इन्होंने पूर्तगलियों को पराजित किया।

इसके अलावा उन्होंने देवली एवं बगरू युद्ध, जाटों के साथ युद्ध प्रमुख हैं। इन युद्धों में उन्होंने जाट महाराजा सूरज मल को अपने कम सैनिकों के वल पर भी हारने में कामयाब रहे थे। 

खंडेराव होलकर डेथ (Khanderao holkar death in Hindi)

खंडेराव होलकर की मौत 1754 में भरतपुर राज्य के कुम्हेर किले पर कब्जा करने के दौरान हुई। सन 1754 में मुगल बादशाह अहमद शाह बहादुर के मीर बख्शी इमाद-उल-मुल्क से संधि के बाद खांडेराव ने भरतपुर राज्य के जाट महाराज सूरज मल के कुम्हेर किले पर चढ़ाई कर दि।

क्योंकि भरतपुर राज्य के जाट महाराज सूरज मल ने मुगल बादशाह के विरोधी सफदर जंग का साथ दिया था। इस युद्ध में जाट सेना के बीच उनकी भयंकर लड़ाई हुई। इसी युद्ध में खंडेराव होलकर की मौत हो गई।

खंडेराव होलकर मौत कारण Khanderao holkar death reason in Hindi

आइये जानते हैं खंडेराव होलकर की मौत कैसे और किस कारण से हुई,

भरतपुर राज्य के कुम्हेर किले पर कब्जा के दौरन मराठा और जाट सेना के बीच भयंकर लड़ाई हुई। इस युद्ध में जाटों की सेना की तरफ से भी करारा जवाब मिल रहा था। मराठा सेना ने किले के पास ही डेरा डाल कर बैठी थी।

कहा जाता है की यह लड़ाई करीब चार माह तक चली थी। एक दिन की बात है खंडेराव होलकर एक तरफ और उनके पिता मल्हारराव ने दूसरी तरफ मोर्चे संभाले हुए थे। युद्ध निर्णायक मोड़ पर पहुँच चुका था तथा कुम्हेर का किला लगभग मराठों के कब्जे में आ चुका था।

खंडेराव होल्कर को किसने मारा who killed khanderao holkar

खंडेराव घोड़े पर सवार होकर लड़ते हुए अपने सैनिकों का हौसला बढ़ा रहे थे। उसी दौरान वे विरोधी सेना की तोप के गोले के निशाने पर आ गए। गोले लगने से वे घायल होकर घोड़े से गिर पड़े और तत्क्षण उनकी मृत्यु हो गई।

कुछ इतिहासकारों का कहना है की वे पालकी पर बैठकर अपने सेना का निरक्षण कर रहे थे। तभी किले की तरफ से दागे गए गोले की चपेट में आने से उनकी मृत्यु हो गई।

उनकी मौत की खवर से मराठा सेना में हाहाकार और भगदड़ मचने लगी। इस दृश्य को देखकर मल्हारराव को आश्चर्य हो रहा था की उनकी बहादुर मराठा सेना तो काल से लड़ने में भी पीछे नहीं हटती है।

ऐसी क्या बात हो गई है की उनकी सेना इस तरह तितर वितर क्यों रही है। तभी उनके एक सिपाही ने खंडेराव होलकर के मौत का दुखद समाचार सुनाया। अपने एकलौते पुत्र की मौत की खवर सुनते ही मल्हारराव अचेत सा हो गए।

उधर इस बात की खवर जब उनके दुश्मनों की सेना को मिली तब वे और भी हमलावर हो गए। तभी मल्हारराव के सेनापति नें बड़ी ही सूझ बुझ से काम लिया। उन्होंने खंडेराव होलकर के मृत शरीर को अपने कब्जे में लिया।

सबसे पहले उन्होंने अचेत मल्हारराव को होश में लाया और उनके पुत्र खंडेराव होलकर के मृत शरीर को सुरक्षित स्थान पर पहुचा। बेटे की मौत से तिलमिलाकर मल्हार राव ने कसम खाई की वे महाराजा सूरजमल का सर काट कर और किले को नेस्तनाबूत कर यमुना में बहा देंगे।

लेकिन स्थिति को देखते हुए उनके सेनापति ने उनको समझाया। फलतः संधि का झंडा ऊंचा कर किया गया। इस प्रकार मराठों को राजा सुराजमल से समझौता करना पड़ा। बाद में महाराजा सूरजमल ने भी राजकुमार खंडेराव के सम्मान में उनकी मौत की जगह पर एक छत्र बनवाया।

खंडेराव होल्कर की मृत्यु के बाद क्या हुआ

खंडेराव होलकर साम्राज्य उनकी मृत्यु के बाद रानी अहिल्या के पास या गई। कहते हैं की खंडेराव होल्कर की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी अहिल्या बाई सती होने लगी। लेकिन उनके ससुर मल्हारराव ने अहिल्या बाई को सती होने से रोक लिया।

पुत्र शोक में मल्हारराव की हालत मानसिक तौर पर अच्छी नहीं थी। वे अपने एकलौते पुत्र शोक से उबर नहीं पा रहे थे। इस कारण शासन की बागडोर परोक्ष रूप से अहिल्याबाई के कंधों पर आ गई। अपने पुत्र खंडेराव के मौत के करीब 12 साल बाद 1766 में मल्हार राव की भी मृत्यु हो गई।

उसके बाद सत्ता की बागडोर सीधे तौर पर अहिल्या बाई के हाथ में आ गई और वे इंदौर की शासिका बन गई। करीव 27 सालों तक उन्होंने राज्य किया। उन्होंने एक कुशल शासिका के साथ-साथ दानशीलता की मिसाल पेश की।

खंडेराव होलकर प्रतिमा और छत्री का निर्माण

अहिल्याबाई अपने शासनकाल में दानशीलता की मिसाल कायम की थी। उन्होंने अपने पति के यादगार में उनकी प्रतिमा और छत्री का निर्माण करवाया। साथ ही उन्होंने भारत के कई प्रसिद्ध मंदिरों का भी जीर्णोद्धार भी करवाया।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न – F.A.Q

खंडेराव होलकर का जन्म कब हुआ?

खंडेराव होलकर का जन्म 1723 ईस्वी में होल्कर वंश में हुआ था।

खंडेराव होलकर की कितनी पत्नियां थीं?

कहा जाता है खंडेराव होल्कर की केवल एक रानी अहिल्याबाई होल्कर थी। लेकिन कही-कहीं उनकी दस रानियों का जिक्र भी मिलता है। लेकिन इस मत के समर्थन में पुख्ता सबूत का अभाव है।

खंडेराव होल्कर के कितने बच्चे थे?

खंडेराव होल्कर को दो बच्चे थे। उनके पुत्र का नाम मालेराव और पुत्री का नाम मुक्ताबाई थी।

खंडेराव होल्कर की मृत्यु कब और कैसे हुई?

खंडेराव होल्कर की मृत्यु सन 1754 में कुम्हेर किले पर चढ़ाई के दौरण हुई। इस किले पर चढ़ाई के दौरन वे अपने सैनिकों का हौसला बढ़ा रहे थे। तभी विपक्षी जाट सेना के तोप के गोले के शिकार हो गए।

श्रीमंत खंडेराव होल्कर का निधन किस उम्र में हुआ था?

श्रीमंत खंडेराव होल्कर की 1754 में मात्र 30-31 वर्ष की आयु में मृत्यु हुई। हालांकि उनकी जन्म की तारीख और मृत्यु की तारीख के बारें में सही-सही जानकारी का अभाव है।


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 खंडेराव होल्कर और मल्हारराव का स्वर्गवास्


अंतिम संशोधन तिथि : 01-12-2022

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