Ram prasad Bismil biography in Hindi | राम प्रसाद बिस्मिल जी का जीवन परिचय

Ram prasad Bismil biography in Hindi | राम प्रसाद बिस्मिल जी का जीवन परिचय

Ram prasad Bismil biography in Hindi – भारत के स्वतंरता के इतिहास में अनेकों क्रांतिकारी वीरों ने देश की आजादी के लिए हँसते हँसते फांसी के फंदे को अपने गले में लगा लिया। वैसे ही महान क्रांतिकारी में राम प्रसाद बिस्मिल का नाम लिया जाता है।

पंडित राम प्रसाद बिस्मिल एक महान क्रांतिकारी, देशभक्त, कवि और लेखक थे। उसके नाम के साथ ‘बिस्मिल’ जुड़ा हुआ है जो उनका उर्दू उपनाम था, जिसका हिन्दी में मतलब होता है ‘आत्मिक रूप से आहत’।

राम प्रसाद बिस्मिल के द्वारा रची गई यह पंकित आपने जरूर सुनी होगी।

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है जोर कितना बाजू-ए-कातिल में है।
वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमां,
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है।

‘राम प्रसाद बिस्मिल ‘

उनकी इन पंकित ने आजादी के मतवालों के अंदर अतिरिक्त उत्साह भरने का कम किया। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने बढ़-चढ़ भाग लिया। उन्हें 1918 की मैनपुरी साजिश और 1925 की काकोरी एक्सन (कांड) का मुख्य अभियुक्त बनाया गया।

फलतः भारत के इस महान देशभक्त को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर फांसी की सजा दे दी। जब 19 दिसंबर 1927 में उन्हें गोरखपुर जेल में फांसी दी गई तब उनकी उम्र महज 30 साल की थी।

अपने छोटी से क्रांतिकारी जीवन में उन्होंने अंग्रेजों को रात की नीद उड़ा दी। उन्होंने आजादी से संबंधित कई रचनाएं भी लिखी। उनकी अधिकांश रचनाओं को ब्रिटिश सरकार ने जप्त कर लिया था।

Ram prasad Bismil biography in Hindi | राम प्रसाद बिस्मिल जी का जीवन परिचय
राम प्रसाद बिस्मिल जी

राम प्रसाद बिस्मिल की जीवनी Ram prasad Bismil biography in Hindi

पूरा नाम – राम प्रसाद ‘बिस्मिल’
उपनाम – बिस्मिल, राम, अज्ञात
जन्मतिथि – 11 जून 1897
जन्मस्थान – शाहजहाँपुर, ब्रिटिश भारत
गृहनगर– शाहजहाँपुर, उत्तर प्रदेश
पिता का नाम – मुरलीधर
माता का नाम – मूलमती
धर्म – हिन्दू
जाती – ब्राह्मण
फांसी की तिथि – 19 दिसंबर 1927
फांसी के समय आयु – 30 वर्ष
फांसी स्थल – गोरखपुर जेल, ब्रिटिश भारत
समाधि स्थल – देवरिया, उत्तर प्रदेश,
प्रसिद्धि – एक स्वतंत्रता सेनानी, और कवि के रूप में

राम प्रसाद बिस्मिल का जीवन परिचय

प्रारंभिक जीवन, माता पिता

पंडित राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म 11 जून 1897 ईस्वी में भारत के उत्तरप्रदेश राज्य में शाहजहाँपुर में हुआ था। बिस्मिल जी के पिता का नाम मुरलीधर और उनके माता जी का नाम मूलमती था।

राम प्रसाद बिस्मिल का असली नाम रामप्रसाद था। वे अपने माता-पिता के दूसरे संतान थे। उनके पिता राम के परम भक्त थे। इस कारण से उन्होंने इनका नाम राम प्रसाद रखा। घर के सदस्य प्यार से उन्हें राम कहकर बुलाते थे।

उनके पिता शाहजहाँपुर में ही नगरपालिका में एक कर्मचारी थे। कहा जाता है की उनके दादा जी के पैतृक गाँव ग्वालियर के पास बरबई था जो वर्तमान में मुरैना जिला में आता है।

बाद में इनके दादा जी परिवार सहित यूपी के शाहजहाँपुर आ गए। उनके दादा जी के गाँव बरबई में मध्यप्रदेश सरकार ने बिस्मिल की प्रतिमा स्थापित की है।

राम प्रसाद बिस्मिल जयंती

उत्‍तर प्रदेश के शाहजहांपुर में 11 जून 1897 में जन्‍मे राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ को 19 दिसम्‍बर 1927 को फांसी दे दी गई थी। मात्र 30 वर्ष की छोटी सी उम्र में देश की आजादी के लिए वे कुर्बान हो गए।

हर वर्ष 11 जून कोराम प्रसाद बिस्मिल की जयंती मनाकर उन्हें याद किया जाता है।

शिक्षा दीक्षा

उनकी आरंभिक शिक्षा घर पर ही हुई। बचपन से ही राम प्रसाद बिस्मिल तेज थे। लेकिन कहते हैं की जब पढ़ाई में उनका दिल नहीं तब उनकी पिटाई भी होती थी। उनके पिता उर्दू सीखने के लिए एक मौलवी जी के पास भेजा करते थे।

कहा जाता ही की शुरुआती दिनों में वे क्लास में अव्वल रहे। लेकिन में कुछ गलत संगति के कारण पढ़ाई से उनका ध्यान भटक गया। फलतः उर्दू मिडिल परीक्षा में वे एक नहीं दो बार असफल रहे।

आगे चलकर वे स्वामी सोमदेव के संपर्क में आने के बाद आर्यसमज से जुड़ गए। आर्यसमाज में जुडने के बाद उनके जीवन की दिशा और दशा दोनों बदल गई।

अपने स्कूल जीवनकाल से ही वे अंग्रेजों द्वारा भारतीय पर किए जा रहे जुर्म से बेहद आहत होते थे। फलतः उन्होंने पहले वे अपने कलम के माध्यम से और बाद में खुद क्रांतिकारि बनकर देख की आजादी के लिए किए जा रहे संघर्ष में कूद पड़े।

हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन

उन्होंने हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) की स्थापना की। मैनपुरी कांड और काकोरी एक्सन के बाद वे सुर्खियों में आ गये। उन्होंने अपने संगठन हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) का नेतृत्व करते हुए उत्तरप्रदेश के काकोरी में ट्रेन लूट को अंजाम दिया था।

काकोरी ट्रेन एक्सन में उनके सहयोगी में चंद्रशेखर आजाद, अशफाकउल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी, सचिंद्र बख्शी, केशब चक्रवर्ती, मनमथनाथ गुप्ता, मुरारी लाल गुप्ता, मुकुंदी लाल और बनवारी लाल थे।

उन्होंने लखनऊ के पास काकोरी रेलवे स्टेशन पर सरकारी खजाने ले जाती ट्रेन को रोककर लूट लिया। इस एक्सन में जर्मनी निर्मित माउज़र पिस्टल के सहारे उन्होंने लूट का अंजाम दिया।

ताकि क्रांतिकारी गतिविधि के लिए रकम जुटाया जा सके। इसमें कुछ लोग मारे भी गए थे। इस घटना के लिए हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के करीब 40 सदस्य को नामजद किया गया।

काकोरी कांड के बाद ब्रिटीस सरकार हाथ धोकर उनके पीछे पड़ गई। राम प्रसाद बिस्मिल सहित उनके कई साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया। जहां राम प्रसाद बिस्मिल को फांसी की सजा सुनाई गई।

क्रांतिकारी के साथ एक अच्छे लेखक भी

उनमें सिर्फ एक देशप्रेमी क्रांतिकारी का ही नहीं बल्कि एक अच्छे लेखक के गुण भी मौजूद थे। उन्होंने देशभक्ति से ओतपोत अपनी पहली कविता ‘मेरा जन्म’ शीर्षक से लिखी थी।

राम प्रसाद बिस्मिल को फांसी कहां दी गई

काकोरी ट्रेन एक्सन के वे मुख्य अभियुक्त बनाये गए। उन्होंने गोरखपुर जेल में बंद कर दिया गया। उन पर मुकदमा चल और अदालत ने उनके कुछ साथी को काले पानी की सजा दी। लेकिन राम प्रसाद बिस्मिल को फांसी की सजा सुनाई गई।

उन्हें बचाने के लिए ब्रिटीस सरकार के पास मदन मोहन मालवीय जी ने ब्रिटीस सरकार के पास अर्जी भी लगाई। लेकिन उनकी दया याचिका ठुकरा दी गई। फलतः राम प्रसाद बिस्मिल को मात्र 30 साल की उम्र में गोरखपुर के सेन्ट्रलजेल में 1927 ईस्वी में फांसी दी गई।

राम प्रसाद बिस्मिल पुण्यतिथि

महान क्रांतिकारी राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ को मात्र 30 साल में 19 दिसम्‍बर 1927 को फांसी दे दी गई थी। इस महानायक की याद में प्रतिवर्ष 19 दिसंबर को उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें विशेष याद किया जाता है।

राम प्रसाद बिस्मिल के सम्मान में

उनके सम्मान में भारत सरकार के डाक विभाग द्वारा डाक टिकट जारी किया गया। उनके सम्मान में भारतीय रेलवे ने एक रेलवे स्टेशन का नाम दिया। उनके जीवन पर एक फिल्म भी बनी।

F.A.Q

राम प्रसाद बिस्मिल का असली नाम क्या था?

राम प्रसाद बिस्मिल का असली नाम राम प्रसाद था। उनके उपनाम में राम, अज्ञात और बिस्मिल हैं।

राम प्रसाद बिस्मिल के गुरु का नाम क्या था?

राम प्रसाद बिस्मिल के गुरु का नाम स्वामी सोमदेव था

कौन सी पुस्तक पढ़कर राम प्रसाद के जीवन का नया अध्याय शुरू हुआ ?

जब वे आर्यसमज से जुड़ गए तब उन्हें आर्य समाज के सम्बन्ध में कई बातें जानने को मिली। उन्हें स्वामी दयानन्द सरस्वती की पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश पढ़कर जीवन में एक नया अध्याय शुरू हुआ।

राम प्रसाद बिस्मिल को फांसी कहां दी गई थी ?

राम प्रसाद बिस्मिल को फांसी 19 दिसम्बर 1927 को सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर गोरखपुर सेंट्रल जेल में दी गई थी।

राम प्रसाद बिस्मिल और उनके साथियों को कब फाँसी हुई ?

राम प्रसाद बिस्मिल और उनके साथी को काकोरी ट्रेन एक्सन के करीब 18 महीने बाद सजा सुनाई गई। फलतः राम प्रसाद बिस्मिल और उनके साथी अशफाकउल्ला खान, रोशन सिंह और राजेंद्र नाथ लाहिड़ी को 19 दिसम्बर 1927 को फाँसी हुई।

राम प्रसाद बिस्मिल को फांसी क्यों दी गई?

राम प्रसाद बिस्मिल काकोरी ट्रेन एक्सन के मुख्य अभियुक्त थे। अपने फैसले में विशेष सेशन जज ने लिखा की इसे साधारण ट्रेन डकैती नहीं थी बल्कि ब्रिटिश साम्राज्य को हिलाने वाली एक सोची समझी साजिश थी। फलतः 6 अप्रैल 1927 विशेष सेशन जज ए० हैमिल्टन ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई।

आपको राम प्रसाद बिस्मिल के बारे में 10 लाइन की जानकारी जरूर अच्छी लगी होगी। अपने कमेंट्स से अवगत कराये।

इन्हें भी पढ़ें :

बाहरी कड़ियाँ

राम प्रसाद बिस्मिल – कविता कोष

Share This Article
Leave a comment