आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की जीवनी | Biography of Hazari Prasad Dwivedi in Hindi

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आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की जीवनी – Biography of Hazari Prasad Dwivedi in Hindi

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी कौन थे

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का नाम हिन्दी साहित्य के एक मौलिक निबन्धकार, उत्कृष्ट समालोचक और उपन्यासकार थे।अपने जीवनकाल में हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने अनेकों उपन्यास और निबंध की रचना की।

इसके अलावा उन्होंने अनेकों कविताएँ भी लिखी। उनके द्वारा रचित उपन्यास ‘बाणभट्ट की आत्मकथा’, ‘अनामदास का पोथा’, और ‘चारु चन्द्र लेखा’ उत्कृष्ट कृति मानी जाती है।

हिन्दी साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए लखनऊ विश्व विध्यालय ने उन्हें “डी लिट” की उपाधि से सम्मानित किया। उनके सम्मान के बात करें तो भारत सरकार ने देश का सबसे प्रसिद्ध नागरिक सम्मान ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया।

इसके साथ ही उन्हें हिन्दी साहित्य का सबसे बड़ा सम्मान साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया गया। अपने जीवन काल में वे करीब दस वर्षों तक शांतिनिकेतन में अध्यापन का कार्य किया। उसके बाद उन्होंने कासी और पंजाब विश्व विध्यालय में भी उन्होंने कई वर्षों तक अपनी सेवा दी।

इस महान लेखक का 19 मई 1979 को ब्रेन ट्यूमर से दिल्ली में निधन हो गया। डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी अपने जीवन के अंतिम समय तक उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ के उपाध्यक्ष पद पर बने रहे। अगर आप हजारी प्रसाद से जुड़ी निम्न जानकारी सर्च कर रहे हैं तो यह लेख काफी मदद कर सकता है।

Table of Contents

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Biography of Hazari Prasad Dwivedi in Hindi
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की जीवनी – Biography of Hazari Prasad Dwivedi in Hindi

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जीवन परिचय संक्षेप में

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म– 19 अगस्त 1907
हजारी प्रसाद द्विवेदी के बचपन का नाम – वैद्यनाथ
हजारी प्रसाद द्विवेदी की माता का नाम – ज्योतिष्‍मति देवी
हजारी प्रसाद के पिता का नाम – अनमोल द्विवेदी
पत्नी का नाम (wife’s name)– भगवती देवी
हजारी प्रसाद द्विवेदी जी की मृत्‍यु– 19 मई 1979 दिल्ली

डॉ आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय – Acharya Hazari Prasad Dwivedi ka jeevan parichay

प्रारम्भिक जीवन :

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प्रसिद्ध लेखक आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी का जन्म 19 अगस्त 1907 (श्रावण शुक्ल एकादशी संवत् 1964) में उत्तरप्रदेश के वर्तमान बलिया जिले में हुआ था। ब्राह्मण परिवार में जन्में द्विवेदी जी का घर वर्तमान बलिया जिले के छपरा नामक गाँव में हुआ था।

हजारी प्रसाद द्विवेदी जी के बचपन का नाम वैद्यनाथ द्विवेदी था। डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी जी के माताजी का नाम ज्योतिष्‍मति देवी था। उनके पिताजी का नाम अनमोल द्विवेदी जो संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे।

उनका परिवार अपने पुश्तैनी पेशा ज्योतिष विधा से जुड़े हुए थे। प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी द्विवेदी जी बचपन से स्वभाव के सरल और उदार थे।

शिक्षा दीक्षा :

डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी की आरंभिक शिक्षा अपने गांव के ही पाठशाला से हुई। उनके बाद उनकी आगे की पढ़ाई कासी के संस्कृत महाविध्यालय से पूरी हुई। जहाँ से उन्होंने संस्कृत में शास्त्री और बाद में आचार्य तक की पढ़ाई पूरी की।

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी रवींद्र नाथ टैगोर द्वारा स्थापित प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान ‘शांति निकेतन’ से जुड़ गए। यहाँ उन्होंने हिन्दी विभाग से जुड़कर कर अध्यापन का कार्य करने लगे। इसी दौरन इनकी शादी भगवती देवी के साथ सम्पन्न हुआ।

करियर :

शांति निकेतन से जुड़कर वे रवींद्रनाथ टैगोर और आचार्य क्षितिमोहन सेन से अत्यंत ही प्रभावित हुए। फलतः वे अध्यापन के साथ साथ विभिन्न हिन्दी साहित्य का गहन अध्ययन और लेखन में रुचि लेने लगे। शांति निकेतन में डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी ने 1930 से लेकर 1950 तक अध्यापन का कार्य किया।

सन 1950 के बाद वे बंगाल से कासी आ गये। यहाँ पर वे कासी हिन्दू विश्वविध्यालय में 1950 से 1960 तक हिन्दी के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष नियुक्त हुए। उसके बाद वे चंडीगढ़ चले गए जहाँ उन्होंने पंजाब विश्वविध्यालय में हिन्दी के विभागाध्यक्ष के रूप में 1960 से 1967 तक सेवा दी।

इस दौरान उनकी साहित्यिक रचना की सफर अनवरत चलता रहा। लेकिन द्विवेदी साहब 1967 तक चंडीगढ़ स्थित पंजाब विश्व विद्यालय में सेवा देने के बाद फिर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय लौटे आए।

जहाँ उन्होंने 1970 तक अपनी सेवा देते हुए रिटायरमेंट ले लिए। तत्पश्चात हजारी प्रसाद द्विवेदी आजीवन रूप से उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ के उपाध्यक्ष के पद पर बने रहे।

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उपलब्धियाँ तथा पुरस्कार :

साहित्य जगत में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले हज़ारी प्रसाद द्विवेदी को कई सम्मान व पुरस्कार से सम्मानित किया गया। लखनऊ विश्वविद्यालय ने डॉ द्विवेदी को डी.लिट. की उपाधि (Doctor of Literature) से सम्मानित किया। उनके साहित्यिक योगदान के लिए उन्हें निम्नलिखित सम्मान व पुरस्कार प्राप्त हुए।

  • वर्ष 1957 – भारत का बड़ा नागरिक सम्मान ‘पद्म भूषण’ से अलंकृत किया।
  • वर्ष 1973 – प्रसिद्ध रचना ‘आलोक पर्व’ के लिए ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’

इसके अलावा हजारी प्रसाद द्विवेदी कई वर्षों तक काशी नागरी प्रचारिणी सभा के उपसभापति और ‘नागरी प्रचारिणी नामक पत्रिका’ के सम्पादन कार्य भी किये।

हजारी प्रसाद द्विवेदी भाषा-शैली

हजारी प्रसाद द्विवेदी जी की साहित्यिक भाषा परिमार्जित खड़ी बोली है। क्योंकि उनकी रचनाओं में खड़ी बोली का अधिक प्रयोग दिखाई पड़ता है। उनकी रचनाओं में भाव और विषय के अनुसार भाषा का चयन साफ दिखाई पड़ता है।

साथ ही उनकी रचनाओं में खासकर निबंधों में उर्दू और अंग्रेज़ी के शब्दों का प्रयोग दिखलाई पड़ते हैं। वहीं उनके द्वारा रचित उपन्यास में संस्कृतनिष्ठ शास्त्रीय भाषा का भी प्रयोग मिलता है। इस प्रकार उनकी रचनाओं में गवेषणात्मक शैली, व्यंग्यात्मक शैली, व्यास शैली और वर्णनात्मक शैली साफ दृष्टिगोचर होता है।

हजारीप्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय व रचनाएं

डॉ द्विवेदी को हिंदी साहित्य के साथ-साथ संस्कृत, बंगाली, पंजाबी, गुजराती, पाली, प्राकृत, आदि भाषाओं पर भी अच्छी पकड़ थी। अपनी लेखनी से उन्होंने हिन्दी साहित्य में उत्कृष्ट योगदान दिया।

उन्होंने शांतिनिकेतन में रहते हुए हिन्दी का गहन अध्ययन किया। हजारी प्रसाद द्विवेदी की रचना में ये बातें साफ झलकती है। इतना ही नहीं विश्व-भारती के सम्पादन के द्वारा उन्होंने संपादन के क्षेत्र में भी अपना लोग मनवाया।

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का साहित्यिक परिचय

द्विवेदी जी को भक्तिकालीन साहित्य का अच्छा ज्ञान था। उन्होंने निबंध, उपन्यास और कहानियों की रचना की जिसमें खड़ीबोली की प्राथमिकता मिलती है। द्विवेदी जी आलोचनात्मक रचनाओं के लिए भी जाने जाते हैं।

हजारी प्रसाद द्विवेदी की कहानियाँ :

द्विवेदी जी ने अनेकों कहानियाँ लिखी। उनके कहानियों में प्रमुख हैं : –

  1. भगवान महाकाल का कुंथानृत्य,
  2. महात्मा के महा परायण के बाद,
  3. ठाकुर जी की वटूर,
  4. संस्कृतियों का संगम,
  5. समालोचक की डाक,
  6. माहिलों की लिखी कहानियाँ,
  7. आम फिर बौरा गए,
  8. ब्रह्मांड का विस्तार,
  9. आन्तरिक सुनिश्चिता भी आवश्यक है,
  10. समस्याओं का सबसे बड़ा हल, आदि।

हजारी प्रसाद द्विवेदी के निबंध की विशेषता

हज़ारी प्रसाद द्विवेदी की गिनती हिन्दी साहित्य के प्रतिष्ठित निबंधकार के रूप में की जाती है। द्विवेदी जी के निबंधों में वह सभी विशेषताएँ मौजूद हैं जो पाठक को अंत में बांधे रखती है। ऐसे की उनके निबंध आलोक पर्व के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा रचित कुछ उत्कृष्ट निबंध के नाम हैं: –

  1. कुटज,
  2. कल्पलता,
  3. आलोक पर्व
  4. विचार प्रवाह,
  5. अशोक के फूल,
  6. विचार और वितर्क,
  7. नाखून क्यों बढ़ते हैं,
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इतिहास पर उनकी रचनाएं

  1. सुर-साहित्य,
  2. साहित्य संचार,
  3. कालीदास की लालित्य योजना

हजारी प्रसाद द्विवेदी के उपन्यास का नाम लिखिए

  1. बाणभट्ट की आत्‍मकथा (1946)
  2. चारु चंद्रलेख(1963)
  3. पुनर्नवा(1973)
  4. अनामदास का पोथा(1976)

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की आलोचना दृष्टि

हजारी प्रसाद द्विवेदी ने रचनात्मक और आलोचनात्मक साहित्यिक लेखन में महत्वपूर्ण कार्य किया है। द्विवेदी जी की दो प्रमुख रचना ‘साहित्य की भूमिका’ और ‘हिन्दी साहित्य का आदिकाल’ हिन्दी के आलोचन के इतिहास को नया आयाम प्रदान करती है।

इनका हिंदी निबंध लेखन तथा आलोचनात्मक रचना के क्षेत्र में उल्लेखनीय स्थान प्राप्त है। उनकी गिनीत अपने समय के उच्च कोटि के निबंधकार और आलोचक के रूप में रही है। उन्होंने सूरदास, कबीरदास, तुलसीदास जी पर भी विद्वत्तापूर्ण आलोचनाओं को लिखा।

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी की आलोचनात्मक रचनाएं –

द्विवेदी जी की आलोचनात्मक रचनाएं में उन्होंने अपने बिचार खुलकर रखें हैं। उनकी प्रमखु आलोचनात्मक रचनाओं में प्रमख नाम हैं : –

  1. कबीर
  2. सुर साहित्य
  3. साहित्य का मर्म
  4. हिंदी साहित्य की भूमिका

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की मृत्यु :

डॉ हज़ारी प्रसाद द्विवेदी जी की मृत्यु 19 मई 1979 को दिल्ली में ब्रेन टुमर से हो गई। हिन्दी साहित्य में हजारी प्रसाद द्विवेदी के महत्वपूर्ण योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा। आपको आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी का जीवन परिचय शीर्षक वाला यह लेख लेख जरूर अच्छा लगा होगा, इसमें सुधार के लिए आपका सहयोग अपेक्षित है।

लेख से जुड़े सवाल (F.A.Q)

हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म कब और कहां हुआ था

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी का जन्म 19 अगस्त 1907 में उत्तरप्रदेश के वर्तमान बलिया जिले के छपरा नामक गाँव में हुआ था।

हिंदी साहित्य की भूमिका किसकी रचना है

‘हिंदी साहित्य की भूमिका’ प्रसिद्ध लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी की रचना है।

कल्पलता के लेखक का नाम क्या है?

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी हिन्दी के एक प्रसिद्ध लेखक,आलोचक और उपन्यासकार थे। ‘कल्पलता’ निबंध विधा की उनकी प्रसिद्ध रचना में से एक है।

हजारी प्रसाद की मृत्यु कब हुई?

प्रसिद्ध लेखक डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी की मृत्यु 19 मई 1979 को दिल्ली में हुई?

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Amit

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मैं अमित कुमार, “Hindi info world” वेबसाइट के सह-संस्थापक और लेखक हूँ। मैं एक स्नातकोत्तर हूँ. मुझे बहुमूल्य जानकारी लिखना और साझा करना पसंद है। आपका हमारी वेबसाइट https://nikhilbharat.com पर स्वागत है।

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