रानी कर्णावती कौन थी Rani karnavati kaun thi
Rani Karnavati and Humayun story in Hindi – रानी कर्णावती राजस्थान के मेवाड़ की महारानी थी। रानी कर्णावती चित्तौड़ के राजा राणा सांगा की विधवा थीं। जब राजमाता कर्णावती को यह पता चला की गुजरात के शासक बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया है।
तब रानी कर्णावती हुमायूँ को राखी भेजकर मेवाड़ की रक्षा के लिए मदद मांगी। जिसे मुगल सम्राट हुमायूँ ने स्वीकार कर रानी कर्णावती को मदद की थी।
रानी कर्णावती का जीवन परिचय
राजमाता कर्णावती मेवाड़ की महारानी थी। रानी कर्णावती के पति का नाम राणा सांगा था। उन्हें दो पुत्र थे। उनके एक पुत्र का नाम राणा उदयसिंह और दूसरे का नाम राणा विक्रमादित्य था।
आगे चलकर उदयसिंह ने राजस्थान के प्रसिद्ध शहर उदयपुर की स्थापना की।
रानी कर्णावती और हुमायूं की कहानी – Rani Karnavati and Humayun story in Hindi
हुमायूं और रानी कर्णावती की कहानी इतिहास में चर्चित रही है। 1533 ईस्वी के दौरान एक तरफ दिल्ली में जहाँ मुगल हुमायूँ का बोलबाला था।
वहीं दूसरी तरफ गुजरात का शासक बहादुर शाह अपने राज्य के विस्तार और शक्ति बढ़ाने में लगा हुआ था। जब चित्तौड़ के राजा राणा सांगा की मृत्यु हो गई तब सत्ता की बागडोर राणा सांगा की विधवा रानी कर्णावती पर आ गई।
सन 1553 की बात है मौका पाकर गुजरात के शासक बहादुर शाह ने चित्तौड़गढ़ पर हमला कर दिया। लेकिन रानी ने साहस से काम लिया। क्योंकि रानी जानती थी की इस बक्त बहादुर शाह से मुकाबला करना आसान नहीं होगा।
वह अत्यंत ही चिंतित हो गई और उन्हें लगा की इस समय में अगर कोई गुजरात के शासक बहादुर शाह से मुकाबला कर सकता है तो वह दिल्ली का मजबूत मुगल शासक ही हो सकता है। उन्होंने दिल्ली के शासक हुमायूँ के पास संदेश भेजा।
क्या दिया था संदेश
इस प्रकार रानी ने राजनीतिक दूरदर्शिता का परिचय देते हुए हुमायूँ के पास अपने दूत को राखी के साथ भेजा। ताकि परस्पर संधि कर बहादुर शाह का मिलकर सामना किया जाय।
इस उद्देश्य से रानी कर्णावती हुमायूँ को राखी भेजकर मदद की गुहार लगाती है। हुमायूं ने मुस्लिम होने के बावजूद भी उनके द्वारा भेजी गई राखी को कुबूल किया। उन्होंने राखी की लाज रखते हुए ढेर सारी उपहार के साथ दूत को वापस भेजा और मदद का वचन दिया।
हुमायूँ का मेबाड़ की तरफ कूच करना
महारानी कर्णावती का इतिहास में हुमायूं और रानी कर्णावती की कहानी बहुत फेमस है। जब मेबाड़ पर गुजरात के बादशाह बहादुर शाह ने चढ़ाई की थी।
उस बक्त चितौड़ की गद्दी पर रानी कर्णावती का बेटा था। उस बक्त मेबाड़ के फौज के पास इतनी ताकत नहीं थी की वे अपने राज्य का किसी बड़े हमले से रक्षा कर सके।
राणा संग्राम सिंह उर्फ राणा सांगा की विधवा रानी कर्णवती का संदेश पाकर मुगल शासक ने अपनी सेना के साथ मेवाड़ की तरफ कूच किया। सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय कर वे अपने सेना के साथ मेबाड़ पहुंचा।
रानी कर्णावती का जौहर
जब तक मुगल शासक हुमायूं मेबाड़ तक पहुंचा तब तक बहुत देर हो चुकी थी। गुजरात के बादशाह बहादुर शाह ने तब तक मेबाड़ पर चढ़ाई पर उसे अपने कब्जे में कर लिया था।
मेबाड़ की फौज बड़ी ही बहादुरी से लड़ी अंतोगत्वा मेबाड़ को हार का सामना करना पड़ा। राणा संग्राम सिंह उर्फ राणा सांगा की विधवा रानी कर्णवती ने अपनी लाज बचाने के लिए जौहर कर अपनी जान दे दी थी।
जब हुमायूं चितौड़ की हिफाज़त के लिए अपनी फौज के साथ चितौड़ पहुंचा। तब उन्हें पता चला की चितौड़ पर बहादुर शाह का कब्ज़ा हो गया है और रानी कर्णवती ने जौहर कर जान दे दी है।
क्या देर से पहुंची राखी
जब हुमायूँ के पास दिल्ली राखी भेजी गई उस बक्त हुमायूं का पड़ाव ग्वालियर में था। कहा जाता है की इस कारण से राखी पहुचने में देर हो गई। जब तक हुमायूं सेना लेकर चित्तौड़ पहुंचा तब तक रानी जौहर कर चुकी थी।
जब हुमायूँ ने राखी की लाज रखी
यह खवर पाकर उन्हें बहुत गुस्सा आया। उन्होंने चित्तौड़ पर चढ़ाई कर दी। हुमायूं और बहादुर शाह के बीच घमासान लड़ाई हुई। अंत में मुगल शासक हुमायूं ने बहादुर शाह को युद्ध में हराया और रानी कर्णावती के बेटे को फिर से गद्दी वापस दिलाई।
उसी बक्त से यह कहानी भारत के इतिहास में दर्ज हो गई। हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक इस कहानी और मज़हबों की दीवार से ऊपर उठकर बने भाई-बहन के इस रिश्ते का आज भी मिसाल दी जाती है।
F.A.Q
रानी कर्णावती किसकी पत्नी थी?
रानी कर्णवती ने राणा संग्राम सिंह उर्फ राणा सांगा की विधवा थी।
रानी कर्णावती कहां की रानी थी ?
रानी कर्णावती मेबाड़ की महारानी थी।
रानी कर्णावती ने हुमायूँ को राखी क्यों भेजी ?
जब 1553 में गुजरात के शासक बहादुर शाह ने मेबाड़ पर हमला कर दिया। उस बक्त राणा सांगा की विधवा पत्नी रानी कर्णावती ने हुमायूँ को राखी भेजकर मदद की गुहार लगाई। जिसे हुमायूँ ने स्वीकार किया।
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