वैसाखी का त्योहार से जुड़ी रोचक बातें – information about baisakhi festival in hindi
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सिक्ख धर्म के लिए वैसाखी का त्योहार धार्मिक और सांस्कृतिक दोनो दृश्टिकोण से महत्वपूर्ण त्योहार है। अन्य त्योहार कि भांति बैसाखी एक विशुद्ध भारतीय महोत्सव में से एक माना जाता है। असम के बीहू कि तरह ही वैसाखी का त्योहार को फसल से जोड़कर देखा जाता है।
इस् उत्सव को खालसा पंथ तथा किसानों से जोड़ कर क्यों देखा जाता है। मकर संक्रांति कि तरह ही वैसाखी का त्योहार एक नियत तारीख को ही क्यों मनाते हैं। बैसाख मे ही सिख समुदाय 10वें व अंतिम गुरु श्री गुरूगोबिंद सिंह जी महाराज ने ‘खालसा पंथ’ की स्थापना की थी।
बैसाखी का त्योहार हिंदी में – Essay On Baisakhi Festival In Hindi Language
वैसाखी का त्योहार पंजाबियों के लिए बहुत ही मायने रखती है। इसी दिन से पंजाबी नवबर्ष की शुरुआत होती है। यह त्योहार सिक्ख समुदाय के लिए सबसे मस्ती तथा आनंदमय उत्सवों में से एक है।
इसे ‘पंजाबी नववर्ष’ या ‘वैसाखी‘ के नाम से जाना जाता है। सिक्ख कैलेंडर के अनुसार बैसाख, पंजाबी नवबर्ष का पहला महिना होता है। इस प्रकार इस् त्योहार के माध्यम से नव-बर्ष का स्वागत किया जाता है।
इसे बैसाखी का त्योहार क्यों कहते हैं?
वैसाखी का त्योहार हर साल बैसाख महीने के पहले दिन को मनाया जाता है। यह समय विशाखा नक्षत्र का काल होता है। बैसाख के महीने मे मनाये जाने के कारण ही, इसे बैसाखी नाम से जाना जाता है।
उत्तर भारत में खासकर पंजाब और हरियाणा में यह सबसे लोकप्रिय त्योहार है। सिख समुदाय के अलावा अन्य समुदाय के लोग भी इस् त्योहार में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं।
बैसाखी का त्यौहार कब है – Baisakhi festival 2022
Baisakhi festival हर साल अप्रैल माह में मनाया जाता है। पारंपरिक रूप से बैसाखी हर बर्ष 13 अप्रैल को मनाया जाता है, लेकिन काल गणना के आधार कभी-कभी इसकी तिथि अलग हो सकती है।
यह त्योहार तव मनाई जाती है जव वसंत ऋतु और ग्रीष्म ऋतु का संधि काल होता है। वाताबरण में गर्मी व्याप्त होनी शुरू हो जाती है। किसान इस् समय खेतों में लहलहाते पके फसल को देखकर फुले नहीं समाते हैं।
ज्योतिषीय गणना के आधार पर इस् दिन मेष संक्रांति का शुभ दिन होता है। इसी दिन सूर्य, मीन राशि को छोड़कर, मेष राशि में प्रवेश करती है। चूंकि सूर्य का मेष राशि में गमन करने कि घटना, प्रति बर्ष अप्रैल के महीने में घटित होती है।
इसीलिए अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार वैसाखी का त्योहार आमतौर पर हर साल 13 अप्रैल को मनाई जाती है। सूर्य के घूर्णन गति में बदलाव के कारण इसके मनाने कि तिथि में परिवर्तन भी होते रहता है।
फलतः एक निश्चित समय के बाद इसकी तिथि एक दिन आगे हो जाती है। इसीलिए किसी-किसी वर्ष ज्योतिषीय गणना के आधार पर बैसाखी 14 अप्रैल को भी मनाया जा सकता है।
बैसाखी त्योहार कहाँ मनाया जाता है
बैसाखी या वैसाखी का त्यौहार भारत में मनाये जाने वाला सिक्ख धर्म का सबसे प्रसिद्ध त्यौहार है. इसे फसल से भी जोड़कर देखा जाता है तथ देश के लोकप्रिय फसल त्योहारों में शामिल है।
बैसाखी त्योहार मुख्य रूप से भारत के पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है. सिक्ख समुदाय में इस दिन को को नए वर्ष की शुरुआत का मना जाता है।
बैसाखी का त्योहार क्यों मनाई जाती है – why baisakhi is celebrated in hindi
वैसाखी का त्योहार क्यों मनाई जाती है इसके पीछे दो मुख्य कारण दिखाई पड़ते हैं। पहला, भारत एक कृषि प्रधान देश है। इसीलिए किसानों के लिए यह त्योहार कृषि उत्सव के रूप में जाना जाता है।
इस महीने रवी कि फसलें पूरी तरह से पकने के वाद कटाई की समाप्ति पर होती है। इस् प्रकार किसान इस् त्योहार को, रवी फसल पकने की खुशी में मनाते हैं।
दूसरा, धार्मिक दृष्टिकोण से सिक्ख समुदाय के लिए यह त्योहार बेहद ही खास होता है। वैसाखी का त्योहार सिक्ख समुदाय के लिए दोहरी खुशी लेकर आता है।
एक तो, इस् समय उनकी रवी कि फसल पककर और कुछ कटकर भी, तैयार हो जाती है। दूसरा इस् दिन को खालसा पंथ कि स्थापना दिवस के रूप में भी याद किया जाता है।
फलतः सिक्ख समुदाय के लोगों यह उत्सव खालसा पंथ की स्थापना और फसल तैयार होने कि खुशी में मनाते हैं। वैसाखी के दिन सिख धर्म के लोग अपने दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह को श्रद्धांजलि अर्पण करते हैं।
बैसाखी त्यौहार का महत्व – importance of baisakhi festival in hindi
सिख समुदाय के लिए, यह उनके दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह का जन्मदिन भी है। बैसाखी के दिन ही गुरु गोविंद सिंह द्वारा खालसा पंथ कि स्थापना 13 अप्रैल 1699 को हुई थी।
सिक्खों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंहजी महाराज ने आज ही के दिन आनंदपुर साहिब में ‘इस पंथ की नींव रखी थी। खालसा का मतलव होता है-अति पावन, जो खालिस शब्द से वना है।
खालसा पंथ के द्वारा गुरु गोबिन्द सिंह जी ने लोगों को जाति व धर्म से ऊपर उठकर मानवीय मूल्यों को समझने पर जोर दिया। दरअसल खालसा-पंथ की स्थापना के पीछे उनकी मनसा लोगों के जीवन को हर दृष्टिकोण से श्रेष्ठ बनाना था।
ताकि लोग श्रेष्ठ धार्मिक जीवन जीने के साथ-साथ मुगलों के अत्याचारों का भी डटकर मुकाबला कर सके। गुरु गोविंद सिंह जी महाराज ने गुरुओं के बंशवली के परंपरा को खत्म कर दिया। आगे से उन्होंने ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ को अपना पथ परदर्शक के रूप मे अपनाने का उपदेश दिया।
कहते हैं कि इसी दिन से ही सिक्ख समुदाय के लोगों ने अपना नाम के साथ सिंह (Lion) को लगाना शुरू किया। इस् प्रकार सिख समुदाय के लिए बैसाखी, सिक्ख धर्म के स्थापना के खुशी का प्रतीक माना जाता है। तभी से प्रति बर्ष बैसाख मास में इस् त्योहार को मनाने कि परंपरा चली आ रही है।
बैसाखी का त्यौहार कैसे मनाया जाता है
बैसाखी त्योहार के दौरान सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारों में जाते हैं और माथा टेकते हैं। इस् अवसर पर गुरुद्वारा में सिक्खों के पवित्र ग्रंथ ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ का पाठ किया जाता है।
सभी लोग बैठकर श्रद्धापूर्वक पाठ का श्रवण करते हैं। अरदास(प्रार्थना) के बाद प्रसाद के रूप में, सूजी का मीठा हलवा लोगों के बीच वितरित किया जाता है। इस् प्रसाद को बड़ी श्रद्धापूर्वक ग्रहण किया जाता है।
इस् दिन गुरुद्वारा में विशेष पारंपरिक लंगर का भी आयोजन किया जाता है। गुरुद्वारे में जाति और धर्म के आधार पर किसी प्रकार का भेद-भाव नहीं किया जाता है। लंगर मे सब के लिए प्रसाद कि ब्यवस्था होती है।
युवा और बूढ़े सभी एक साथ लंगर में अपना सेवा देकर पुण्य अर्जित करते हैं। इस् दौरान स्वयंसेवकों द्वारा कि गई सेवा भी सराहनीय और प्रेरणादायक होती है।
किसानों के लिए खुशी का त्योहार
जैसा कि हम जानते हैं कि बैसाखी दरअसल फसल पकने के खुशी के रूप में भी मनाई जाती है। इसीलिए यह कृषक समुदाय के लिए बड़ा ही उमंग और उत्साह का त्योहार होता है।
इस् समय रवी कि फसल पूर्ण रूप से पककर तैयार हो जाने के कारण कटाई भी शुरू हो जाती है। कटाई के साथ-साथ किसानों, अनाज भंडारण की शुरुआत भी कर देते हैं।
बैसाखी के दिन किसान भरपूर पैदावार के लिए भगवान को धन्यवाद देते हैं। इस् अवसर पर कई स्थानों पर विशेष भांगड़ा और गिद्दा नृत्य का आयोजन कर खुशी प्रकट किया जाता है।
विशेष भांगड़ा और गिद्दा नृत्य का आयोजन
Baisakhi Festival In Hindi Language
इस् दौरान सिक्ख समुदाय के लोग रंगीन सलवार, कमीज और रंगीन लुंगी पहनते हैं। वे माथे पर रंगीन पगड़ी के साथ बेहद आकर्षक दिखते हैं। इन सजीले परिधान मे लोग नृत्य के माध्यम से इस् त्योहार का आनंद लेते हैं।
ढोल और ढोल की थाप के साथ “जट्ट ऐ बैसाखी ” के गीतों से सारा वातावरण गुंजायमान हो उठता है। वे अपने आनंद और खुशी को व्यक्त करने के लिए “भांगड़ा” और ‘गिद्दा’ नृत्य करते हैं।
ढोल-नगाड़ों की थाप के साथ सभी वैसाखी के त्योहार का स्वागत करते हुए नाचते गाते हैं। इस् दौरान लजीज पकवान के साथ साग और मक्की की रोटी भी बनाई और खाई जाती है।
बैसाखी के अवसर पर जुलूस का आयोजन
जगह-जगह वैसाखी के दिन, पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब के साथ एक जुलूस यात्रा निकाली जाती है। जुलूस कि अगुआई पंज प्यारे करते हैं। वे शहर के प्रमुख इलाकों से गुजरते हैं।
आस्था और उत्साह के साथ हजारों पुरुष, महिलाएं और बच्चे इन जुलूसों में शामिल होते हैं। जुलूस के दौरान भी भांगड़ा और गिद्दा नृत्य किया जाता है।
लोग जुलूसों मे चलते हुए जोर से बोलते हैं ‘बोले सो निहाल’, ‘सत श्री अकाल’। लोग ढोल- नागारों के बीच ‘सत नाम’ और ‘वाहे गुरु’ के लयबद्ध उच्चारण करते आगे बढ़ते रहते हैं।
बैसाखी का मेला हिंदी में लेख – Essay On Baisakhi festival In Hindi
वैसाखी त्योहार के अवसर पर बैसाखी मेला का आयोजन बेहद रोमांचक होता हैं। पंजाव में जगह-जगह इस् मेले का आयोजन किया जाता है। अपने परिवार और दोस्तों के साथ दूर-दूर से लोग मेला स्थल पर जाते हैं।
इन मेलों में भांगड़ा, गिद्दा नृत्य, और गायन का विशेष प्रोग्राम होता है। इसके साथ ही इस् मेले में दौड़, कलाबाजी और कुश्ती का रोमांचक मुकाबला देखने को मिलता है।
बैसाखी कब और क्यों मनाई जाती है?
वैशाखी का त्यौहार हर साल हिंदी माह के बैशाख के पूर्णिमा मनाया जाता है. यह दिन सिक्ख समुदाय के लिए बेहद खास होता है. इस दिन से सिक्ख धर्म के ने साल की शरुआत मणि जाती है।
वैसाखी के दिन 13 अप्रैल सन् 1699 को सिख धर्म के अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंहजी महाराज ने मुगलों के अत्याचारों से लड़ने हेतु खालसा पंथ की स्थापना की थी।
बैसाखी का त्योहार कौन सी फसल तैयार होने की खुशी में मनाया जाता है?
भारत के कई राज्यों में बैसाखी का त्योहार रवी फसल पकने और कटने की खुसी में मनाया जाता है। यह दिन सिख धर्म की स्थापना के प्रतिकस्वरूप भी मनाया जाता है। इस माह में रवी फसलें पूरी तरह पककर तैयार हो जाती है।
बैसाखी किसका त्यौहार है?
भारत के खासकर पंजाब, हरियाणा सहित कई राज्यों में मनाये जाने वाले यह त्योहार सिक्ख समुदाय का सबसे प्रसिद्ध त्यौहार है।
उपसंहार
बैसाखी न केवल उतर भारत के राज्यों खासकर पंजाब और हरियाणा में रबी की अच्छी फसल को चिह्नित करता है, बल्कि सिख धर्म में खालसा के स्थापना का स्मरण भी कराती है।
आपको वैसाखी के जुड़ी जानकारी (information about baisakhi festival in hindi) जरूर अच्छी लगी होगी, आपका सुझाव सादर आमंत्रित है।