Delhi ka lal kila kisne banwaya tha – दिल्ली का लाल किला किसने बनवाया था, महाराजा अनंगपाल द्वितीय अथवा शाहजहाँ नें जानें 20 रोचक बातें।

Delhi ka lal kila kisne banwaya tha : दिल्ली का लाल किला(Red Fort ) एक इतिहासिक धरोहर व भारत की पहचान है। दिल्ली का लाल किला किसने बनवाया था इसके उत्तर में अधिकांश लोग मुगल बादशाह शाहजहाँ का नाम लेते हैं।

लेकिन कुछ इतिहासकार मानते हैं की मुगलकाल से पहले भी वहाँ पर किला था जिसे लाल हवेली के नाम से जाना जाता था। जिसे महाराजा अनंगपाल द्वितीय से जोड़ कर देखा जाता है।

इस लेख में दिल्ली का लाल किला किसने बनवाया था इसके संबंध में विस्तार से जानने की कोशिस करेंगे। कहते हैं की शाहजहाँ ने जब अपनी राजधानी आगरा से दिल्ली शिफ्ट किया उसी क्रम में उन्होंने दिल्ली में लाल किले का निर्माण करबाया था।

लाल किला अब भारत की धरोहर और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक स्मारक बन चुका है। आजादी के बाद हर साल जहां 15 अगस्त को भारत के प्रधानमंत्री द्वारा तिरंगा फहराकर राष्ट को संबोधित किया जाता है।

विश्व प्रसिद्ध संस्था यूनेस्को ने 2007 में लाल किले को विश्व विरासत की सूची में शामिल किया। आइए दिल्ली का लाल किला किसने बनवाया था और कब इसके बारें ए विस्तार से जानते हैं।

दिल्ली का लाल किला किसने बनवाया था जानें इससे जुड़ी रोचक तथ्य (Delhi ka lal kila kisne banwaya tha)

  • दिल्ली के लाल किला का इतिहास बहुत पुराना है। इसका निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने 1648 में बनवाया था। जिसे बनवाने में लगभग 10 वर्षों का समय लगा। कहते हैं की इस किले के निर्माण में उस बक्त 1 करोड़ रुपया खर्च हुआ था जो उस बक्त का बहुत बड़ा रकम था।
  • दिल्ली में यमुना नदी के तट पर इस भव्य किले का निर्माण उस बक्त के प्रसिद्ध वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी द्वारा किया गया था। जिसका नाम किला-ए-मुबारक रखा गया था। आगरा में ताजमहल का भी निर्माण भी वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी ने ही करवाया।
  • किले के भव्य दीवारों और सुंदर नक्काकासी के अलावा इसके अंदर के कई भव्य महल जैसे दीवान-ए-आम, खास महल, रंग महल, मुमताज महल, दीवान-ए-खास, नौबत खाना, मोती मस्जिद आदि देखने योग्य है।
  • ऐसा माना जाता है कि मुगल काल से पहले यह, लाल किले के बजाय लाल हवेली के नाम से जाना जाता था। कुछ इतिहासकारों के अनुसार वहाँ पुराना लालकोट महल और किला था जिस पर शाहजहाँ ने नया महल का निर्माण करवाया।
  • कहते हैं की शाहजहाँ ने अपनी राजधानी आगरा से दिल्ली शिफ्ट करने के दौरान एक पुराने किले की जगह पर 1638 में लाल किले का निर्माण शुरू करवाया जो 1648 में बनकर तैयार हुआ।
  • 1648 में लाल किले का उदघाटन के समय इसके मूख्य कमरों को सजाने के लिए कीमती पर्दा के कपड़े तुर्की और चीन से मंगवाया गया था।
  • एक अनुमान के अनुसार कहा जाता है की उस बक्त लाल किले और इसके महलों के निर्माण में करीब एक करोड़ रूपए खर्च हुआ था जो उस बक्त के हिसाब से एक बड़ी रकम थी।
  • कुछ विद्वानों का मानना है की लाल किला के दीवारों और प्राचीर में लाल बलुआ पत्थर का भरपूर इस्तेमाल हुआ है। इस कारण से इसका नाम लाल किला पड़ा।
  • लाल किले की दीवारें मोटी और लंम्बाई करीब 2.5 किलोमीटर है। इसके दिवारो की यमुना नदी की तरफ से 18 मीटर ऊंचा और शहर की ओर 33 मीटर ऊंची है।
  • इसके चारों तरफ गहरी खाई बनी हुई है जिसमें यमुना नदी से पानी भरा जाता था। लाल किले में दो प्रवेश द्वार हैं। जिसमें एक को लाहौरी दरवाजा और दूसरा दिल्ली दरवाजा के नाम से जाना जाता है। इसमें से लाहौर गेट आम जन के लिए तथा दिल्ली गेट गण्यमान्य व्यक्ति के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
  • कहते हैं की लाल किले का पुराना नाम लाल कोट जिसका निर्माण “महाराज अनंगपाल तोमर द्वितीय” ने शाहजहाँ के जन्म से सैकड़ों वर्ष पहले करवाया था। मुगल शासक ने इसका नाम बदलकर लालकोट की जगह शाहजहानाबाद रखा।
  • बाद में पृथ्वीराज चौहान ने 12वीं शताब्दी के उत्तरार्ध के दौरान लालकोट को अपनी राजधानी बनाया। जहाँ पहले से लाल कोट अथवा लाल रंग का किला अवस्थित था। इसी कारण से इसे लाल हवेली या लालकोट किला कहा जाता था।
  • जब पृथ्वी राज चौहान ने बारहवीं शताब्दी में गद्दी संभाली, तो उन्होंने इस शहर और किले को, किला राय पिथौरा नाम दिया था। जिसका अवशेष आज भी दिल्ली और उसके आसपास साकेत, महरौली, किशनगढ़ और वसंत कुंज में देखे जा सकते हैं।
  • लाल किला के बारें में पुख्ता सबूत तारीख़े फ़िरोज़शाही में मिलता है, जिसके अनुसार जब 1296 ईस्वी में एक बार अलाउद्दीन खिलजी अपनी सेना के साथ दिल्ली पहुंचे, तो वहाँ उन्होंने कुश्क-ए-लाल, या लाल महल की ओर बढ़े, और वहीं पर विश्राम किया।
  • कई भारतीय विद्वान शाहजहाँ के लाल किले को लाल कोट का ही संशोधित रूप मानते हैं। हालांकि लाल किले में कई ऐसी ऐतिहासिक विशेषताएं देखने को मिलती है जो इस बात की तरफ इशारा भी करती है।
  • किले में हिन्दू रीति-रिवाजों के अनुरूप कई विशेषतायें देखने को मिलती है। जैसे की अष्टकोणीय किले की प्राचीर, प्रवेश द्वार, हाथी, खंभे और अन्य कई चीज शामिल हैं।
  • किले के दीवाने खास में केसर कुंड के नाम से प्रसिद्ध तालाब के फर्श पर कमल के फूल और इसके मंडप डिजाइन राजस्थान के हिन्दू राजाओं के अंबर महल की भीतरी संरचना से मेल खाती है।
  • लाल किले से थोड़ी दूरी पर राजपूत राजाओं द्वारा निर्मित लाल जैन मंदिर और गौरीशंकर मंदिर अवस्थित हैं। जिसे राजपूत राजाओं द्वारा शाहजहाँ से कई शताब्दियों पहले निर्मित माना जाता है।
  • लाल किले के एक द्वार के बाहर एक हाथी की मूर्ति खड़ी है, यह निशान अक्सर राजपूत राजा का शान और हाथियों के प्रति उनके स्नेह के लिए प्रसिद्ध था। इस प्रकार कई बातें इस बात की तरफ इशारा करता है की लाल किला कभी हिंदू शैली में निर्मित महल रहा होगा।
  • इतिहासकारों का कहना है की अगर इस किले को शाहजहाँ या मुगलों ने बनवाया होता, तो वे इसका नाम लाल किला कभी भी नहीं रखते, बल्कि फारसी भाषा के नाम पर कुछ और रखते।
  • हालांकि यह भी कहा जाता है की लाल किले का पुराना नाम किला-ए-मुबारक है। जिसे शाहजहाँ ने इसके निर्माण के बाद रखा था। लेकिन बाद में यह लाल किले के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
  • लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का मानना है की इस इमारत के कई हिस्से का निर्माण चूना पत्थर से मिलकर हुआ था। इस कारण पहले इसका रंग सफेद था।
  • लेकिन 1857 में जब इस पर अंग्रेजों का आधिपत्य हो गया और यह खराब होकर गिरने लगा अंग्रेजी शासन काल में इसे लाल रंग करा दिया। इसी कारण से इसे ‘लाल किला’ कहा जाने लगा।।

लाल किला को इंग्लिश में क्या कहते हैं

लाल किला को इंग्लिश में रेड फोर्ट के नाम से जाना जाता है। यह दिल्ली में यमुना नदी के किनारे स्थित है।

लाल किला कितने साल पुराना है

लाल किला करीब 375 साल पुराना है। इसका निर्माण शाहजहाँ ने 1648 ईस्वी में करवाया था।

दिल्ली का लाल किला किसने बनवाया था और कब

दिल्ली का लाल किला पाँचवे मुगल बादशाह शाहजहाँ ने 1648 ईस्वी में बनवाया था।

लाल किला किसने बनवाया था और क्यों

दिल्ली में यमुना किनारे स्थित लाल किला को शाहजहाँ ने अपने राजधानी आगरा से दिल्ली स्थानतरण के दौरान 1648 में बनवाया था।

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