दिल्ली का छतरपुर मंदिर इतिहास और सम्पूर्ण जानकारी – Chattarpur Mandir Delhi In Hindi
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दिल्ली का छतरपुर मंदिर जिसे श्री आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर मूल रूप से देवी कात्यायनी (माता दुर्गा का अन्य नाम) को समर्पित है। यह मंदिर, दक्षिण-पशिचम् दिल्ली के महरौली मार्ग पर स्थित कुतुबमीनार से महज चंद किलोमीटर की दूरी पर है।
पहले इस मंदिर की गिनती दिल्ली के सबसे बड़े और भव्य मंदिर में की जाती थी। लेकिन दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर के निर्माण के बाद अब यह मंदिर, दिल्ली का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है। अगर आप दिल्ली टूर पर हैं और दिल्ली में छतरपुर मंदिर का दर्शन करना चाहते हैं तो यह जानकारी आपके लिए उपयोगी हो सकती है।
दिल्ली छतरपुर मंदिर का इतिहास – shree adya katyayani shaktipeeth mandir
इस मंदिर में माता दुर्गा अपने छठे रूप में विराजमान हैं। यह मंदिर आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मंदिर (shree adya katyayani shaktipeeth mandir )के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं की दिल्ली के छतरपुर मंदिर की स्थापना बाबा संत नागपाल ने 1974 ईस्वी में की थी।
कहा जाता है की पहले यहॉं सिर्फ बाबा नागपाल की कुटिया थी। लेकिन मंदिर बनने के बाद यह विस्तृत भु-भाग पर फैल गया। बाबा नागपाल का का 1998 में निधन के बाद मंदिर परिसर में ही बाबा की समाधि विध्यमान है।
इस मंदिर परिसर में बाबा नागपाल की मोम की प्रतिमा, विशाल त्रिशूल और बहुत ही विशाल हनुमान जी की मूर्ति बनी हुई है। जो दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है।
छतरपुर मंदिर दिल्ली बनावट और संरचना – about Chattarpur mandir Delhi in Hindi
दक्षिण भारतीय शैली में बना यह मंदिर अपने अद्भुत वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। इस प्रकार की वास्तुकला को वेसरा वास्तुकला के नाम से जाना जाता है।
मंदिर पर की गयी सुंदर नक्काशी बेहद ही मनमोहक और अद्भुत है। मंदिर के निर्माण में सफेद संगमरमर का प्रयोग विशेष रूप से किया गया है। ऑर्किटेक्चर के दृष्टि कोण से यह मंदिर बेहद ही अनुपम मानी जाती है।
संगमरमर पर बनी महीन जालीदार नक्काशी बेहद ही आकर्षक है। यह मंदिर परिसर विस्तृत भु-भाग पर फ़ैला हुआ है। जिसमें कई खूबसूरत बाग और लॉन स्थित हैं।
लगभग 70 एकड़ के विस्तृत भु-भाग में फैला यह मंदिर परिसर दिल्ली का पहला और भारत का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर परिसर माना जाता था। इस मंदिर परिसर में माँ कात्यायनी के मंदिर के अलावा अन्य छोटे बड़े 20 से ज्यादा मंदिर स्थित हैं।
नवरात्रि में खास आयोजन –
इस मंदिर में मां दुर्गा अपने छठे रूप माता कात्यायनी के रौद्र रूप में विराजमान हैं। इस मंदिर में स्थित माँ कात्यायनी की सोने की बनी प्रतिमा पर्यटक के आकर्षण का केंद्र है।
माता कात्यायनी एक हाथ में चण्ड-मुण्ड का सिर तथा दूसरे हाथ में खड्ग घारण की हुई हैं। मंदिर में नवरात्रि, महाशिवरात्रि और जन्माष्टमी के अवसर पर हजारों भक्तों की भीड़ जमा होती है।
जैसा की हम सब जानते हैं इस मंदिर की स्थापना कर्णाटक के एक महान संत बाबा नागपाल ने की थी। नवरात्रि के अवसर पर दिल्ली में छत्तरपुर स्थित ‘आद्या कात्यायनी शक्ति पीठ’ में विशेष रौनक होता है।
इस अवसर पर माता कात्यायनी का स्वरूप विशेष मनोहारी लगती है। कहते हैं की इस दौरान माता की प्रतिमा को खास तरह की फूलों की माला से सजाया जाता है। यह माला दक्षिण भारत से हवाई जहाज के द्वारा विशेष रूप से मंगाए जाते हैं।
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इस मंदिर के प्रवेश द्वार के ठीक सामने एक पुराना पेड़ है। जिस पेड़ पर लोग अपनी इच्छा पूर्ति हेतु चुनरी, धागा और चूड़ियाँ बांधते हैं। ऐसी मान्यता है की ऐसा करने से उनकी मनोकामना पुर्ण होती है।
नवरात्रि के मौके पर भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए इस पेड़ पर विशेष रूप से चुनरी और धागा लपेटते हैं।
भारत के धार्मिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता, इस मंदिर परिसर में मां कात्यायनी मंदिर के अलावा राम सीता मंदिर, शिव मंदिर, मां अष्टभुजी मंदिर, नागेश्वर मंदिर, 101 फुट ऊँचा हनुमान प्रतिमा, विशाल त्रिशूल दर्शकों को विशेष रूप से आकर्षित करता है।
इस मंदिर परिसर में भंडारे के आयोजन के लिए एक विशाल भवन भी मौजूद है। जिसमें समय-समय पर भंडारे का आयोजन होता रहता है।
माता कात्यायनी से जुड़ी अद्भुत कथा
माता कात्यायनी से जुड़ी एक बहुत ही रोचक कहानी प्रसिद्ध है। पौराणिक कथा के अनुसार, कात्यायन नामक एक ऋषि ने माँ दुर्गा देवी की कठोर तपस्या की थी। माँ दुर्गा उस ऋषि के कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर दर्शन दि।
माता दुर्गा ने उस ऋषि को वरदान मांगने को कहा। कात्यायन ऋषि ने देवी से कहा कि मेरी इच्छा है की मुझे आपका पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हो। आप मेरे घर पुत्री के रूप में अवतार लें।
इस प्रकार माता दुर्गा नें कात्यायन ऋषि के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। उसी माँ कात्यायनी के नाम पर इस मंदिर का नाम कात्यायनी देवी का छतरपुर मंदिर रखा गया है।
इस मंदिर में माँ कात्यायनी की एक सुंदर मूर्ति स्थापित है। सोने से बनी देवी कात्यायनी की मूर्ति को सुंदर कपड़े, सोने और चाँदी के बने गहनों से सुशोभित किया गया है।
छतरपुर मंदिर तक कैसे पहुँचें?- how to reach chattarpur temple
भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित छतरपुर मंदिर तक जाने के लिए देश-विदेश के हर कोने से सुविधा उपलब्ध है। इसके निकटतम स्टेशन निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन है। इसके अलावा इसके निकटतम मेट्रो स्टेशन छतरपुर है।
छतरपुर मंदिर नई दिल्ली, दिल्ली रेलवे स्टेशन से भी बस द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। अंतर्राष्ट्रीय इंदिरा गांधी हवाई अड्डा’ से छतरपुर मंदिर की दूरी करीव 12 किलोमीटर है। यहाँ से भी टैक्सी द्वारा मंदिर पहुँच सकते हैं।
छतरपुर मंदिर खुलने का समय – chattarpur mandir timing
खास परिस्थिति को छोड़कर, यह मंदिर प्रतिदिन प्रातः 6 बजे से रात्री के 9 बजे तक खुलता है। नवरात्रि के अवसर पर यह मंदिर 24 घंटे खुला रहता है। कहते हैं की यह मंदिर ग्रहण के दिन भी खोला जाता है।
प्रश्न – छतरपुर मंदिर कहां पर है?
उत्तर – छतरपुर मंदिर दिल्ली रेलवे स्टेशन से करीब 20 किलोमीटर दूर है। यह दक्षिण दिल्ली में अवस्थित प्राचीन मंदिर है।
इस मंदिर में प्रवेश के लिए धर्म का कोई बंधन नहीं है। यह मंदिर हर धर्म के लिए खुला है। आपको दिल्ली का छतरपुर मंदिर इतिहास और जानकारी (Chattarpur Mandir Delhi In Hindi ) शीर्षक वाला यह लेख जरूर अच्छा लगा होगा अपने सुझाव से अवगत करायें।
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