छतरपुर मंदिर दिल्ली, खुलने का समय, का इतिहास, किसने बनवाया था, कहां स्थित है, टाइमिंग, सम्पूर्ण जानकारी, [Chattarpur Mandir Delhi In Hindi ] (chattarpur mandir, nearest metro, timings, contact number, guruji, Chhatarpur Temple History,
Chattarpur mandir Delhi in Hindi – छतरपुर मंदिर दिल्ली जिसे श्री आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर मूल रूप से देवी कात्यायनी (माता दुर्गा का अन्य नाम) को समर्पित है।
दिल्ली के इस मंदिर में देवी दुर्गा अपने छठे रूप माता कात्यायनी के रौद्र रूप में विधमन हैं। जिनके एक हाथ में चण्ड-मुण्ड और दूसरे में खड्ग है।
यह मंदिर, दक्षिण-पशिचम् दिल्ली के महरौली मार्ग पर स्थित कुतुबमीनार से महज चंद किलोमीटर की दूरी पर है। पहले इस मंदिर की गिनती दिल्ली के सबसे बड़े और भव्य मंदिर में की जाती थी।
लेकिन दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर के निर्माण के बाद अब यह मंदिर, दिल्ली का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है। सफेद संगमरमर से निर्मित इस मंदिर की वास्तुकला बहुत ही आकर्षक है। दक्षिण भारतीय शैली में निर्मित यह मंदिर विशाल परिसर में फैला है।
करीब 70 एकड़ विशाल क्षेत्र मे फैले दिल्ली का प्रसिद्ध आध्यात्मिक स्थान में से एक इस मंदिर का विशेष आकर्षण नवरात्रि के अवसर पर भव्य मेला और 101 फीट हनुमान जी मूर्ति है।
अगर आप दिल्ली टूर पर हैं और दिल्ली का छतरपुर मंदिर का दर्शन करना चाहते हैं तो यह जानकारी आपके लिए उपयोगी हो सकती है।
छतरपुर मंदिर दिल्ली के बारें में
पूरा नाम | श्री आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मन्दिर |
समर्पित | माता दुर्गा |
स्थापना वर्ष | 1974 |
स्थापना कर्ता | कर्नाटक के बाबा नागपाल |
पता | Dr Ambedkar Colony, Chhattarpur New Delhi |
नजदीकी मेट्रो | छत्तरपुर |
वेबसाइट | http://www.chhattarpurmandir.org |
छतरपुर मंदिर नई दिल्ली दिल्ली का इतिहास
इस मंदिर में माता दुर्गा अपने छठे रूप में विराजमान हैं। यह मंदिर आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मंदिर (Shri Adhya Katyayani Shaktipith Mandir )के नाम से भी जाना जाता है।
कहते हैं की दिल्ली का छतरपुर मंदिर कर्नाटक के बाबा नागपाल द्वारा 1974 ईस्वी में स्थापित की गई। कहा जाता है की पहले यहॉं सिर्फ बाबा नागपाल की कुटिया थी। लेकिन मंदिर बनने के बाद यह विस्तृत भु-भाग पर फैल गया।
बाबा नागपाल का का 1998 में निधन के बाद मंदिर परिसर में ही बाबा की समाधि विध्यमान है। इस मंदिर परिसर में बाबा नागपाल की मोम की प्रतिमा, विशाल त्रिशूल और बहुत ही विशाल हनुमान जी की मूर्ति बनी हुई है।
जो दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है।
छतरपुर मंदिर दिल्ली बनावट और संरचना
दक्षिण भारतीय शैली में बना यह मंदिर अपने अद्भुत वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। इस प्रकार की वास्तुकला को वेसरा वास्तुकला के नाम से जाना जाता है।
मंदिर पर की गयी सुंदर नक्काशी बेहद ही मनमोहक और अद्भुत है। मंदिर के निर्माण में सफेद संगमरमर का प्रयोग विशेष रूप से किया गया है। ऑर्किटेक्चर के दृष्टि कोण से यह मंदिर बेहद ही अनुपम मानी जाती है।
संगमरमर पर बनी महीन जालीदार नक्काशी बेहद ही आकर्षक है। यह मंदिर परिसर विस्तृत भु-भाग पर फ़ैला हुआ है। जिसमें कई खूबसूरत बाग और लॉन स्थित हैं।
लगभग 70 एकड़ के विस्तृत भु-भाग में फैला यह मंदिर परिसर दिल्ली का पहला और भारत का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर परिसर माना जाता था। इस मंदिर परिसर में माँ कात्यायनी के मंदिर के अलावा अन्य छोटे बड़े 20 से ज्यादा मंदिर स्थित हैं।
नवरात्रि में छतरपुर मंदिर उत्सव
इस मंदिर में मां दुर्गा अपने छठे रूप माता कात्यायनी के रौद्र रूप में विराजमान हैं। इस मंदिर में स्थित माँ कात्यायनी की सोने की बनी प्रतिमा पर्यटक के आकर्षण का केंद्र है।
माता कात्यायनी एक हाथ में चण्ड-मुण्ड का सिर तथा दूसरे हाथ में खड्ग घारण की हुई हैं। मंदिर में नवरात्रि, महाशिवरात्रि और जन्माष्टमी के अवसर पर हजारों भक्तों की भीड़ जमा होती है।
जैसा की हम सब जानते हैं इस मंदिर की स्थापना कर्णाटक के एक महान संत बाबा नागपाल ने की थी। नवरात्रि के अवसर पर दिल्ली में छत्तरपुर स्थित ‘आद्या कात्यायनी शक्ति पीठ’ में विशेष रौनक होता है।
इस अवसर पर माता कात्यायनी का स्वरूप विशेष मनोहारी लगती है। कहते हैं की इस दौरान माता की प्रतिमा को खास तरह की फूलों की माला से सजाया जाता है।
नवरात्र के अवसर पर दिल्ली के छत्तरपुर शक्तिपीठ मंदिर में माता के पूजा अर्चना के के लिए भारी संख्या में भक्तजन आते हैं। यहां माता का स्वरूप देखते ही बनता है।
कहा जाता है इस अवसर पर रोजाना मां कात्यायनी के श्रृंगार के लिए दक्षिण भारत से खास हर रंगों के फूलों से बनी माला प्रयोग किया जाता है। यह माला दक्षिण भारत से हवाई जहाज के द्वारा विशेष रूप से मंगाए जाते हैं।
आद्या कात्यायिनी मंदिर का महत्व
इस मंदिर के प्रवेश द्वार के ठीक सामने एक पुराना पेड़ है। जिस पेड़ पर लोग अपनी इच्छा पूर्ति हेतु चुनरी, धागा और चूड़ियाँ बांधते हैं। ऐसी मान्यता है की ऐसा करने से भक्तजन की मनोकामना पुर्ण होती है।
नवरात्रि के मौके पर भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए इस पेड़ पर विशेष रूप से चुनरी और धागा लपेटते हैं। इस मंदिर की विशेषता है कि यह मंदिर ग्रहण में भी बंद नहीं होता।
भारत के धार्मिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता, इस मंदिर परिसर में मां कात्यायनी मंदिर के अलावा राम सीता मंदिर, शिव मंदिर, मां अष्टभुजी मंदिर, नागेश्वर मंदिर, 101 फुट ऊँचा हनुमान प्रतिमा, विशाल त्रिशूल दर्शकों को विशेष रूप से आकर्षित करता है।
इस मंदिर परिसर में भंडारे के आयोजन के लिए एक विशाल भवन भी मौजूद है। जिसमें समय-समय पर भंडारे का आयोजन होता रहता है। इस मंदिर परिसर में माता के दरबार के साथ-साथ बाबा नागपाल का भी भव्य कक्ष मौजूद है।
यहाँ पर बाबा की भी प्रतिदिन पूजा-अर्चना की जाती है। यहां पर बाबा के शयनकक्ष, मोम से बनी उनकी प्रतिमूर्ति दर्शक का ध्यान अपनी ओर खींचती है।
माता कात्यायनी से जुड़ी अद्भुत कथा
माता कात्यायनी से जुड़ी एक बहुत ही रोचक कहानी प्रसिद्ध है। पौराणिक कथा के अनुसार, कात्यायन नामक एक ऋषि ने माँ दुर्गा देवी की कठोर तपस्या की थी। माँ दुर्गा उस ऋषि के कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर दर्शन दि।
माता दुर्गा ने उस ऋषि को वरदान मांगने को कहा। कात्यायन ऋषि ने देवी से कहा कि मेरी इच्छा है की मुझे आपका पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हो। आप मेरे घर पुत्री के रूप में अवतार लें।
इस प्रकार माता दुर्गा नें कात्यायन ऋषि के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। उसी माँ कात्यायनी के नाम पर इस मंदिर का नाम कात्यायनी देवी का छतरपुर मंदिर रखा गया है।
इस मंदिर में माँ कात्यायनी की एक सुंदर मूर्ति स्थापित है। सोने से बनी देवी कात्यायनी की मूर्ति को सुंदर कपड़े, सोने और चाँदी के बने गहनों से सुशोभित किया गया है।
छतरपुर मंदिर तक कैसे पहुँचें?- how to reach chattarpur temple
भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित छतरपुर मंदिर तक जाने के लिए देश-विदेश के हर कोने से सुविधा उपलब्ध है। छतरपुर मंदिर नई दिल्ली, दिल्ली रेलवे स्टेशन से भी बस द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय इंदिरा गांधी हवाई अड्डा’ से इस मंदिर की दूरी करीव 12 किलोमीटर है। यहाँ से भी टैक्सी द्वारा मंदिर पहुँच सकते हैं।
निकटतम मेट्रो स्टेशन chattarpur mandir nearest metro
इसके अलावा इसके निकटतम मेट्रो स्टेशन छतरपुर है। इसके निकटतम स्टेशन निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन है।
छतरपुर मंदिर खुलने का समय – Chattarpur mandir timing
खास परिस्थिति को छोड़कर, यह मंदिर प्रतिदिन प्रातः 6 बजे से रात्री के 9 बजे तक खुलता है। नवरात्रि के अवसर पर यह मंदिर 24 घंटे खुला रहता है। कहते हैं की यह मंदिर ग्रहण के दिन भी खोला जाता है।
F.A.Q
प्रश्न – छतरपुर मंदिर कहां स्थित है?
उत्तर – छतरपुर मंदिर दिल्ली रेलवे स्टेशन से करीब 20 किलोमीटर दूर है। यह दक्षिण दिल्ली में अवस्थित प्राचीन मंदिर है।
प्रश्न – छतरपुर मंदिर किसने बनवाया था?
उत्तर – दिल्ली के छतरपुर मंदिर को बाबा संत नागपाल ने 1974 ईस्वी में बनवाया था।
प्रश्न – छतरपुर मंदिर में क्या क्या है?
उत्तर – यह मंदिर मूल रूप से देवी दुर्गा को समर्पित है। लेकिन इसके अलावा यहां हनुमान जी बड़ी मूर्ति, भगवान शिव, विष्णु, देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश और राम आदि देवी-देवताओं के दर्शन किए जा सकते हैं।
प्रश्न-छतरपुर मंदिर कितने बजे खुलता है?
उत्तर – छतरपुर मंदिर श्रद्धालुओं के लिए रोज सुबह 6:00 बजे खुलता है तथा रात के 9 बजे तक खुला रहता है।
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इस मंदिर में प्रवेश के लिए धर्म का कोई बंधन नहीं है। यह मंदिर हर धर्म के लिए खुला है। आपको छतरपुर मंदिर दिल्ली क्यों प्रसिद्ध है ( Chattarpur mandir Delhi in Hindi ) शीर्षक वाला यह लेख जरूर अच्छा लगा होगा।
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आद्या कात्यायिनी मंदिर, दिल्ली – विकिपीडिया (chattarpur mandir delhi wikipedia in hindi)
2 thoughts on “छतरपुर मंदिर दिल्ली सम्पूर्ण जानकारी | Chattarpur Mandir Delhi in Hindi”
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