पटना स्थित बड़ी पटन देवी मंदिर जो है 51 शक्तिपीठों में से एक, जहां होती सभी मनोकामना पूरी
Badi Patan Devi Mandir Patna Bihar in hindi – बिहार के एतिहासिक नगरी पटना में स्थित बड़ी पटन देवी मंदिर शक्ति उपासना का प्रमुख स्थल है। Badi Patan Devi Mandir Patna Bihar की राजधानी पटना स्टेशन से कुछ किलोमीटर दूर सादिकपुर इलाके में स्थित है।
एतिहासिक शहर पटना के इस मंदिर को ‘पटनेश्वरी या पटन देवी के नाम से जाना जाता है। कहते हैं की पटना का नाम मां पाटन देवी मंदिरों के कारण ही रखा गया है। इस मंदिर की वजह से ही मिला है पटना शहर को इसका नाम।
इस मंदिर का अपना ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यता है। मगध साम्राज्य के बक्त भी इस मंदिर का अस्तित्व था। कहते हैं की 1912 में पटन देवी मंदिर के नाम पर ही बिहार की राजधानी का नाम पटना रखा गया था।
51 शक्ति स्थल में से एक कहा जाता है की इस स्थान पर माँ सती के दाहिने जांघ गिरा था। इस कारण पटना का यह स्थल अति प्राचीन मन्दिर में गिना जाता है। इस मंदिर में समस्त भारत से लोग अपनी मनोकामना पूर्ति हेतु आते हैं।
Badi Patan Devi Mandir Patna Bihar के शीर्षक वाले इस लेख में नीचे दोनो पटन देवी मंदिर के बारें में विस्तर से वर्णन किया गया है। नवरात्रि के अवसर पर यहाँ विशेष रौनक देखने को मिलती है।
शक्ति उपासना का प्रमुख केंद्र – Badi Patan Devi Mandir Patna Bihar in Hindi
पटना की पहचान बन चुकी यह शक्तिपीठ, भारत के प्रसिद्ध 51 शक्तिपीठों में से एक है। शक्ति स्थल होने के कारण इस मंदिर की ख्याति सिर्फ पटना तक ही सीमित नहीं है।
क्योंकि यहाँ पर सती की दाहिनी जांघ गिरा था। शिवपुराण के अनुसार सती दक्ष प्रजापति की पुत्री और भगवान शंकर की पत्नी थी। उनके अवतरण, विवाह और अंत की कथा पुराणों में वर्णित है।
सती ने अपने पिता के इच्छा के विरूद्ध भगवान शंकर से शादी की थी। एक बार सती के पिता प्रजापति दक्ष ने एक यज्ञ किया था। इस यज्ञ में भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया गया।
इस यज्ञ में सती ने अपने पिता द्वारा शिव जी का अपमान के कारण यज्ञ की अग्नि में कूद कर जान दे दी। इस कारण भगवान शंकर गुस्से में आ गये तथा सती के शरीर को उठाकर तांडव करने लगे।
इस प्रकार सती के शरीर के भाग 51 खंडों में खंडित होकर विभिन्न स्थान पर गिरे। सती के शरीर के भाग जहां-जहां गिरा, कलांतर में वह स्थान शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध हुआ। कहते हैं की बड़ी पटन देवी मंदिर स्थल पर सती के दाहिने जांघ का भाग गिरा था।
बड़ी और छोटी पटन देवी मंदिर – chhoti patan devi temple bihar
पटना के इस एतिहासिक शहर में पटन देवी के दो मंदिर हैं- छोटी पटन देवी तथा बड़ी पटन देवी। पटना शहर की नगर रक्षिका भगवती पटनेश्वरी को छोटी पटन देवी के नाम से जाना जाता है।
यह दोनों मंदिर पटना में अलग अलग स्थान पर हैं। पटना का वह स्थान जहाँ सती के दाहिने जांघ गिरा था शक्ति पीठ के रूप में पूज्य बड़ी पटन देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है।
बड़ी पाटन देवी मंदिर की तुलना में, छोटी पाटन देवी मंदिर का आकर छोटा है। लेकिन भक्त के लिए दोनों मंदिरों में आस्था समान है। बड़ी पटन देवी से छोटी पाटन देवी मंदिर की दूरी लगभग 5 की मी है
मंदिर के गर्भ-गृह
इस मंदिर के गर्भ-गृह में माता अपने तीनों रूपों में अर्थात महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के रूप में विराजमान हैं। बड़ी पटन देवी मंदिर में विराजमान यह तीनों प्रतिमा काले पत्थर की बनी हैं।
मंदिर में इन प्रतिमा के अलाबा भैरावनाथ की प्रतिमा भी स्थापित है। प्रतिमा को बिशेष आभूषण व स्वर्णछत्र से सजाया गया है। कहते हैं की शक्तिपीठ में स्थापित यह प्रतिमा अति प्राचीन है।
‘पटनदेवी खंदा’
बड़ी पटन देवी मंदिर के पीछे की तरफ एक बड़ा सा गड्ढा है। इस गड्ढे को ही पटनदेवी खंदा’ के नाम से जाना जाता है। इस पटनदेवी खंदा’ का संबंध इस मंदिर के साथ जोड़ कर देखा जाता है।
कहते हैं की मंदिर के अंदर जो तीनों मूर्तियां महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के रूप में विराजमान है। वह इसी पटनदेवी खंदा’ से निकाल कर स्थापित की गयी थी। इस मंदिर की एक और बिशेषता है की मंदिर परिसर एक कुंड स्थित हैं जिसे योनिकुंड कहते हैं।
मान्यता है इस कुंड का संबंध भूगर्भ से है। इस कारण पूजन व हवन के दौरान डाले जाने वाली सामग्री भूगर्भ में चली जाती है। इस मंदिर में देवी को हररोज दिन में कच्ची और रात में पक्की भोजन का भोग लगाया जाता है। सदियाँ से चली या रही पशु वली को आज भी नवरात्रि और अन्य कई मौकों पर देखा जा सकता है।
नवरात्रि पर बिशेष पूजा
नवरात्रि के मौके पर मंदिर को विशेष रूप से सुशोभित किया जाता है। इस अवसर पर मंदिर की छटा देखते ही बनती है। नवरात्रि के अवसर पर यहॉं विशेष प्रकार की पूजा अर्चना होती है।
नवरात्रि के अवसर पर लाखों भक्त अपने मनोकामना के साथ इस शक्ति पीठ में मन्नतें मांगने आते हैं। जैसा की हम जानते हैं की शक्ति स्थल होने के कारण इस मंदिर में वैदिक और तांत्रिक दोनो रीति से पूजा होती है।
माता को नित्य दिन में कच्ची तथा रात के समय में पक्की खाद्य सामग्री द्वारा भोग लगाया जाता है। कहते हैं की सच्चे मन से जो भक्त माता की आराधना करता है माँ उनकी हर मनोकामना पूर्ण करती है।
बड़ी पटन देवी मंदिर के परिसर के नजदीक कई दुकानें आपको पूजन सामग्री और प्रसाद बेचने के लिए लगे हैं। यहाँ से पूजन समाग्री खरीद कर माता को चढ़ाया जा सकता है।
कैसे पहुंचे – How to reach badi patan devi mandir
अगर आप पटना आते हैं तो इस एतिहासिक मंदिर का दर्शन जरूर करना चाहिए। प्रतिदिन हजारों भक्त पटना के इस बड़ी पटन देवी मंदिर में दर्शन हेतु आते हैं।
यह मंदीर पटना जंक्शन से करीब 8 की मी की दूरी पर सादिकपुर के पास स्थित है। आप टैक्सी या सिटी बस के द्वारा मंदिर परिसर तक आसानी से पहुँच सकते हैं।
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