बिहार का गौरवशाली इतिहास (History of Bihar in Hindi) बहुत ही वृहद और रोचक मानी जाती है। बिहार का उल्लेख बौद्ध और हिन्दू धर्मशस्त्रों में भी मिलता है। बिहार राज्य का नामांकरण ‘विहार’ शब्द से हुआ है और बिहार का अर्थ होता था बौद्ध भिक्षुओं के आराम करने की जगह।
जिसे कालांतर में विहार से बिहार कहा जाने लगा। बिहार की धरती पर अनेक महान् बिभूतियों, धर्मों, साम्राज्यों और संस्कृतियों का जन्म हुआ है। यह स्थान भगवान बुध और भगवान महावीर स्वामी की कर्मभूमि रही है।
भगवान गौतम बुध और महावीर को बिहार में ही दिव्य ज्ञान की प्राप्ती हुई। यह भूमि है महान अर्थशास्त्री चाणक्य की, यह भूमि है कालिदास और पाणिनी की। यह भूमि है आर्यभट्ट की, जिसने दुनियाँ को शून्य का ज्ञान दिया। जिसने सबसे पहले बताया की धरती अपने अक्ष पर चारों तरफ घूमती है।
यह भूमि है लिच्छवि गणराज्य की जहाँ विश्व में सर्वप्रथम लोकतंत्र की शुरुआत हुई। यह भूमि है जरासंध की जिसने भगवान कृष्ण को भी रन भूमि छोड़ने पर मजबूर कर दिया था।
यह धरती हैं अजातशत्रु और सम्राट अशोक की, जिसका मगध राज्य भारत के सबसे शक्तिशाली साम्राज्य में से था। यह कर्म भूमि है शेरशाह सूरी की जिसने मात्र 5 साल के शासन काल में सुधार के अनेकों काम किया।
जिसने कलकत्ता से पेशावर (पाकिस्तान) तक ग्रांड ट्रंक रोड का निर्माण कराया। बिहार जन्म भूमि है माता सीता की। बिहार वह पावन भूमि है जिसने देश को पहला राष्ट्रपति दिया। यह भूमि है दानवीर कर्ण की जहां आज भी अंगिका ही बोली जाती है।
विहार वह भूमि है जहां दुनियाँ भर से छात्र पढ़ने आया करते थे। यहाँ नालंदा और विक्रमशील प्रमुख शिक्षा का केंद्र था। जिसे विदेशी आक्रान्ताओं ने नष्ट कर दिया जिसका अवशेष आज भी मौजूद हैं।
इस प्रकार देखा जाय तो भारत के इतिहास में बिहार की गौरव-गाथा स्वर्णिम अक्षर में अंकित है। बिहार की राजधानी पटना, गंगा नदी के तट पर बसा एक सुंदर एतिहासिक शहर है।
बिहार का गौरवशाली इतिहास – Bihar ka history in Hindi
बिहार का इतिहास अतीत काल से ही बहुत ही गौरवशाली रहा है। बिहार के इतिहास को तीन काल खंडों में बाँट कर देखा जा सकता हैं। बिहार का प्राचीन इतिहास, मध्यकालीन इतिहास और आधुनिक इतिहास।
बिहार का प्राचीन इतिहास – Ancient History of Bihar in Hindi
इसके अंतर्गत हम बिहार के इतिहास के बारें में पौराणिक कथा के आधार पर जानने की कोशिस करेंगे। रामायण, महाभारत, वेदों और पुराणों में भी बिहार का वर्णन मिलता हैं। जैन धर्म व बौद्ध धर्म के धर्म ग्रंथों में भी बिहार का जिक्र किया गया है।
माँ सीता की जन्मभूमि
पौराणिक हिन्दू धर्म-शस्त्र के आधार पर प्रभु श्रीराम की पत्नी सीता बिहार के ही विदेह के राजा जनक की बेटी थी। माता सीता का जन्म स्थल बिहार के सीतामढ़ी जिला में अवस्थित माना गया है।
राजा जनक की राजधानी जनकपुर में भगवान श्रीराम ने शिव धनुष तोड़ कर सीता जी को वरन किया था। कहते हैं की रामायण के रचियाता महर्षि बाल्मीकि का जन्म स्थल बिहार के पश्चिम चंपारण में माना जाता है।
महाभारत काल में बिहार
महाभारत में वर्णित अंगराज कर्ण को भी बिहार से जोड़कर देखा जाता है। कहते हैं की अंगराज कर्ण बिहार में ही स्थित अंग देश के राजा थे। भागलपुर, बांका मुंगेर, खगड़िया, बेगूसराय व उसके आस-पास का जिला अंगदेश का हिस्सा था।
मुंगेर का कर्णचौड़ा बहुत ही प्रसिद्ध स्थल है, मान्यता है की अंगराज कर्ण गंगा स्नान के बाद यही से नित्य दान किया करते थे। आज भी बिहार के इस भु-भाग की भाषा अंगिका हैं। इस क्षेत्र के लोग बोलचाल में अंगिका का ही प्रयोग करते हैं।
बौद्ध धर्म और बिहार का उद्भव
बौद्ध धर्म की शुरुआत बिहार से ही मानी जाती हैं। भगवान बुद्ध को कठोर तप के बाद बिहार के गया में पीपल वृक्ष के नीचे दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। बर्तमान में यह वृक्ष बोधिवृक्ष के नाम से जाना जाता है। मौर्य वंश के महान सम्राट प्रियदर्शी अशोक ने बौद्ध धर्म का श्रीलंका का प्रचार किया था।
बिहार का बौद्ध गया इस समुदाय के लोगों का सबसे पावन धाम माना जाता है। जैन धर्म और बिहार – जैन धर्म के 24 वें तीर्थकर भगवान महावीर का जन्म बिहार के वैशाली के निकट कुंडलपुर ग्राम में हुआ था। उन्होंने बिहार में ही दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई। बिहार का पावापुरी जैन धर्म का पवित्र धार्मिक स्थल माना जाता है।
मध्यकालीन बिहार का इतिहास – Medieval history of Bihar in Bindi
लोकतंत्र का जनक
बिहार ने दुनियाँ को लोकतंत्र की शिक्षा दी। आप लिच्छवि गणराज्य के बारें में जरूर पढ़ें होंगे। विश्व को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने वाला राज्य बिहार ही है। महान खगोल शास्त्री आर्यभट्ट ने दुनियाँ को पहली बार बताया की धरती अपनी धुरी पर घूमती है।
उन्होंने दुनियाँ को 0 (शून्य) से अवगत कराया। उन्होंने आर्कमडीज से भी सटीक पाई (π ) का मान बताया था। महान अर्थशास्त्री चाणक्य ने इस बिहार की धरती पर अपने नीति से दुनियाँ को प्रभावित किया था।
सम्राट अशोक की भूमि
हजारों साल पहले यह मौर्यवंश के राजाओं की राजधानी थी फिर अजातशत्रु की राजधानी बनी। जिन्होंने अपने पिता बिंबसार को जेल में डाल कर मगध का सम्राट बन गया। आजतशत्रु के बाद सम्राट प्रियदर्शी अशोक ने पाटलीपुत्र को अपनी राजधानी बनाकर राज्य का संचालन किया था।
जिन्होंने काबुल से कर्नाटक तक अपने अपने साम्राज्य का बिस्तार किया। आगे चलकर अशोक ने बौद्ध धर्म को अपना लिया। हमारे देश भारत का राष्ट्रचिन्ह आशोक द्वारा निर्मित सारनाथ के सिंह स्तम्भ से ही लिया गया है। सिंह स्तम्भ में बने धर्म चक्र को हमारे राष्ट्रीय झंडा तिरंगा में शामिल किया गया।
मौर्य वंश के बाद बिहार में गुप्त वंश का शासन रहा। कहते हैं की उस काल में बिहार बहुत ही समृद्ध व विकसित था। गुप्त साम्राज्य के काल में बिहार विज्ञान, गणित, खगोल, कला, साहित्य और दर्शन के क्षेत्र में बहुत उन्नत था।
उस समय के बिहार के विद्वान आर्यभट्ट, वराहमिहिर, भास्कर, कालिदास, विष्णुशर्मा, वात्स्यायन आदि ने बिहार का नाम रोशन किया।
शिक्षा का सबसे बड़ा केंद
मध्यकाल में बिहार का नालंदा और विक्रमशीला शिक्षा का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध केंद था। नालंदा विश्व-विद्यालय को दुनियाँ का सबसे पुराना विश्व-विद्यालय माना जाता है। जहां देश-विदेश से छात्र शिक्षा प्राप्त करने के लिए बिहार आते थे। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय में ही शिक्षा ग्रहण की थी।
सिखों के अंतिम गुरु की जनस्थली
सिख समुदाय के दसवें और अंतिम गुरु, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म बिहार के पटना में हुआ था। गुरु गोबिंद सिंह जी यादगार में पटना साहिब में स्थित एक अनुपम गुरुद्वारा, तखत श्री हरमंदिर जी साहिब निर्मित है।
यह स्थल सिखों के पांच तखत में से एक है। प्रतिवर्ष श्रद्धालु इस गुरुद्वारा में माथा टेकने जाते हैं।
आधुनिक बिहार का इतिहास – Modern History of Bihar in Hindi
शेरशाह सूरी ने हुमायुं को पराजित करने के बाद पटना शहर की स्थापना की थी। उस बक्त के गौरवशाली इतिहास के अवशेष आज भी इस शहर में मौजूद हैं। बिहार के रोहतास जिले का मुख्यालय सासाराम में शेरशाह का मुख्यालय उन्होंने अनेक सुधार के काम किए।
सन 1574 ईस्वी में मुगल बादशाह अकबर ने बिहार को अपने अधीन कर लिया। बक्सर की लड़ाई के बाद इस पर अंग्रेजों का कब्जा हो गया। ब्रिटिश भारत के समय सन 1911 से पहले यह बंगाल प्रेसिडेंसी के अंतर्गत अंग्रेजों के द्वारा शासित था।
1911 में बंगाल बिभाजन के बाद इसे बंगाल से अलग कर दिया गया। सन 1936 में बिहार एक अलग राज्य के रूप में सामने आया। सन 1956 में एक बार फिर बिहार की सीमा का भाषा के आधार पर पुनर्गठन हुआ। इस प्रकार जिला पुरुलिया बिहार से अलग हो कर बंगाल में शामिल हो गया।
80 साल की उम्र में बाबू वीर कुंबर सिंह ने अंग्रेजों की फौज से लोहा लिया। महात्मा गाँधी की बिहार के चंपराण से ही सत्याग्रह की शुरुआत की। जब 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ तब स्वतंत्र भारत के शीर्ष पदों पर बिहार के डा राजेन्द्र प्रसाद आसीन हुए।
विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला बिहार में ही लगता है। जिसे एसिया का सबसे बड़ा पशु मेला भी कहा जाता है। सिल्क सिटी भागलपुर की बात करें या मधुबनी पेंटिंग की हमेशा से ही बिहार का नाम को रोशन किया है। इस प्रकार अतीत से बर्तमान तक बिहार का इतिहास बहुत ही गौरवशाली और समृद्ध रहा है।
बिहार का नाम बिहार क्यों पड़ा ?
अति प्राचीन काल से ही बिहार कई साम्राज्यों, धर्मों और विश्व प्रसिद्ध शिक्षा का केंद्र रहा है। बिहार नाम बिहार यहाँ बौद्ध सन्यासियों के ठहरने के स्थान विहार शब्द से हुआ है। विहार शव्द का ही परिवर्तित रूप बिहार है।
आपको बिहार का गौरवशाली इतिहास (History of Bihar in Hindi ) शीर्षक वाला यह लेख जरूर अच्छा लगा होगा, अपने सुझाव से जरूर अवगत करायें।
इन्हें भी पढ़ें –