जानिये बिहार के बक्सर का इतिहास जहां भगवान ने भी शिक्षा पायी (Buxar ka itihas in Hindi)

जानिये बिहार के बक्सर का इतिहास जहां भगवान ने भी शिक्षा पायी (Buxar ka itihas in Hindi)

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बक्सर का इतिहास और जानकारी( Buxar history in Hindi )- बक्सर बिहार राज्य के पश्चिम भाग में स्थित एक इतिहासिक शहर है। इतिहासकारों के अनुसार बक्सर का इतिहास अति प्राचीन माना जाता है।

इसमें आप पढ़ेंगे।

बक्सर का इतिहास और जानकारी – Information about Buxar in Hindi

प्राचीन समय में बक्सर को ‘व्याघ्रसर’ के नाम से जाना जाता था। कहते हैं की उस समय इस स्थान पर बाघों का निवास हुआ करता था। मोहनजोदरों तथा हड़प्पा का भी इस स्थल से संबंध के बारें में पता चलता है। यह बातें यहाँ की खुदाई से प्राप्त अवशेष से ज्ञात होता है।

इस स्थल पर उत्खनन के फलस्वरूप मौर्यकाल की मूर्तियां मिली है। इस मूर्ति को पटना संग्रहालय में प्रदर्शन हेतु रखा है। इस क्षेत्र का वर्णन हमारे धर्म ग्रंथ रामायण में भी मिलता है। कहा जाता है की इस स्थल पर गंगा नदी के तट पर महर्षि विश्वामित्र का आश्रम था।

इस आश्रम का संबंध प्रभु श्री राम के प्रारम्भिक जीवन से जुड़ा माना जाता है। इसी आश्रम में रहकर भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण संग आरंभिक शिक्षा ग्रहण किये। इसी दौरन उन्होंने यहाँ पर ताड़िका राक्षसी का संहार किया था।

बक्सर का इतिहास और जानकारी - Information about Buxar in Hindi
बक्सर का इतिहास और जानकारी – Information about Buxar in Hindi

कहा जाता है की बक्सर से करीब छः किलोमीटर दूर यह स्थल वर्तमान में अहिरौली के नाम से जाना जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण से बक्सर का बहुत बड़ा महत्व माना जाता है। हिन्दू धर्म के पवित्र ग्रंथ रामायण के अनुसार गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या थी।

यहीं पर अहिल्या गौतम ऋषि के शाप के कारण शीला बन गई थी। चौदह बर्ष के वनवास के क्रम में जब भगवान राम के चरणों का का स्पर्श शीला बनी अहिल्या से हुआ। तब वह शाप से मुक्त होकर फिर से नारी स्वरूप में आ गई। इस प्रकार प्रभु श्री राम ने अहिल्या का उद्धार किया।

इस स्थल का महत्व वराह और ब्रह्म पुराण में भी देखने को मिलता है। यहाँ कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर प्रतिवर्ष बहुत बड़ा मेला का आयोजन किया जाता है। इस मेले को देखने देश के कोने-कोने से लोग बक्सर आते हैं।

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पंचकोश परिक्रमा मेला

बक्सर पंचकोश परिक्रमा मेला के लिए भी प्रसिद्ध है। बक्सर में लगने वाला पंचकोश परिक्रमा मेला का अपना अलग आध्यात्मिक महत्व माना जाता है। कहते हैं की भगवान श्रीराम का यहां दो बार आगमन हुआ था। एक बार वे ऋषि विश्वामित्र के साथ आए थे

जब उन्होंने तारका का वध किया था। दूसरी बार वे रावण के मारने के बाद यहां आए थे और गंगा में स्नान किए थे। कहते हैं की राम रेखा घाट पर गंगा में स्नान करने से ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिल जाती है।

आज भी उनके नाम पर रामरेखा घाट प्रसिद्ध है। जहाँ पर प्रसिद्ध रामेश्वर नाथ मंदिर स्थित है। माना जाता है की बक्सर के गंगा घाट तट के स्थित मंदिर में भगवान राम का पदचिह्नं और विश्वामित्र का हवन कुंड मौजूद हैं।

इसके अलावा भी यहाँ अनेकों मंदिर मौजूद हैं जिसमें भगवान वामन का मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर, गौरीशंकर मंदिर, नौलखा मंदिर, डुमरेजिन माई मंदिर,पंचमुखी शिव मंदिर, राम-जानकी मंदिर, नाथ बाबा मंदिर, ब्रह्मेश्वर धाम आदि प्रसिद्ध हैं।

प्राचीन बक्सर का इतिहास Buxar ka itihas

प्राचीन काल मे बक्सर को देवताओं के युद्धक्षेत्र, तड़का नामक राक्षसी का वध, अहिल्या के उद्धार और ऋषि विश्वामित्र से जोड़कर देखा जाता है। बक्सर के आधुनिक इतिहास के बात करें तो यह क्षेत्र बक्सर के लड़ाई के लिए भी जाना जाता है।

यहाँ के पुरातात्विक खुदाई से प्राप्त अवशेष से पता चलता है की यहाँ के प्राचीन संस्कृतियों का मोहंजोदरो और हड़प्पा के साथ संबंध था। प्राचीन काल में बक्सर “सिद्धाश्रम”,“वेदगर्भापुरी”, “करुष”, “तपोवन”, “चैत्रथ“, “व्याघ्रसर”, के नाम से जाना जाता रहा है।

यहाँ पर एक तलाव है जिसका नाम व्याघ्रसर है। उस तलाव के बारें में कहा जाता है की ऋषि दुर्वासा के शाप के कारण जब ऋषि वेदशीरा का चेहरा बाघ के चेहरे की तरह हो गया था।

तब उन्होंने एक पवित्र कुंड में स्नान किया जिससे उनका चेहरा पूर्ववत हो गया। तभी से इस तलाव को व्याघ्रसर के नाम से जाना जाता है।

बक्सर का पुराना नाम क्या है (Buxar ka purana naam kya hai)

बक्सर का नाम बक्सर क्यों पड़ा इसके बारें मे कई कविदंती प्रचलित है। कहा जाता है की इस क्षेत्र में बाघ अधिक संख्या में पायी जाती थी। इसी कारण से बक्सर को प्राचीन समय में व्याग्रसर के नाम से जाना जाता था।

लेकिन पौराणिक कथाओं के आधार पर कहा जाता है की ऋषि दुर्वासा के शाप से ऋषि वेदशीरा का चेहरा बाघ का हो गया था। उन्होंने यहाँ के एक पवित्र सरोवर में स्नान के बाद अपने पहले वाले रूप को प्राप्त किया।

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इसी कारण ही इसका नाम व्याग्रसर हो गया। बक्सर का पुराना नाम व्याग्रसर के अलावा वेदगर्भपुरी, सिद्धाश्रम, तपोवन, चैत्रथ आदि भी प्रमुख है। इतिहास में अपनी अलग पहचान रखता है बक्सर, कई युद्ध और आंदोलनों का रहा है गवाह।

बक्सर की लड़ाई का इतिहासBuxar history in Hindi

बक्सर शुजाउद्दौला और कासिम अली खां की लड़ाई के लिए भी प्रसिद्ध है। यहीं पर 1764 में बक्सर का प्रसिद्ध लड़ाई लड़ी गई थी। बक्सर के लड़ाई मेजर मुनेरों के अगुआई में अंग्रेजों की सेना और बंगाल के नबाब के बीच लड़ी गई थी।

इस युद्ध में बंगाल के नवाब को कासिम अली खां का साथ मिला। लेकिन इस युद्ध में अंग्रेजों की जीत हुई। इसी युद्ध के फलस्वरूप बक्सर सहित बंगाल ब्रिटिश शासन के अधीन हो गया। बक्सर का इतिहासिक युद्ध मैदान आज कतकौली के नाम से जाना जाता है।

अंग्रेजों ने अपने जीत के बाद यहाँ एक स्मारक का निर्माण कराया। जिसे आज भी देखा जा सकता है। मुगल बादशाह हुमायूँ और शेरशाह सूरी के बीच इसी स्थल एक प्रसिद्ध युद्ध लड़ा गया। सन 1539 में लड़ा गया यह युद्ध इतिहास में चौसा का युद्ध के नाम से प्रसिद्ध है।

बक्सर जिले का इतिहास

बक्सर जिले की स्थापना 1991 में हुई थी। बक्सर में इस जिले का मुख्यालय भी स्थित है। बिहार के इस जिले की चौधड़डी की बात करें तो यह रोहतास और भोजपुर जिले से के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के बलिया और गाजीपुर जिले से सटा है।

बक्सर जिले में दो अनुमंगल और 11 प्रखण्ड हैं। यहाँ के लोगों के आजीविका का मुख्य साधन खेती है। बक्सर की अधिकांश आवादी कृषि कार्य में लगी रहती है। बक्सर जिले की मुख्य फसल में गेहूँ, चावल, चना शामिल हैं।

खनिज संसाधन की दृष्टि बक्सर जिला उन्नत नहीं है। जिले में लघु और कुटीर उधोग देखने को मिलते हैं। इस जिले का प्रसिद्ध बाजार बक्सर और डुमरांव है।

बक्सर जिले की संक्षित जानकारी

जिले का स्थापना वर्ष 1991
बक्सर की कुल जनसंख्या24,73,959 (2011 के अनुसार )
बक्सर में अनुमंडल की संख्या 02
जिले में प्रखण्ड की कुल संख्या 11

बिहार के ऐतिहासिक शहर बक्सर में खूबसूरत स्थान

  • कतकौली का मैदान,
  • बिहारी जी मंदिर,
  • चौसा का युद्ध मैदान,
  • ब्रह्मपुर में ब्रह्मेश्वर मंदिर
  • बक्सर का किला
  • नौलखा मंदिर बक्सर
  • सीता-राम उपाध्याय म्यूजियम
  • कटौली का मैदान

कार्तिक पूर्णिमा पर लगता है बड़ा मेला

इतिहासिक स्थल बक्सर बिहार की राजधानी पटना से करीब 175 किमी पश्चिम है। बक्सर में बिहार का एक प्रमुख कारागृह स्थित है। जिसमें अपराधी लोग कपड़ा व अन्य उद्योगों में लगे रहते हैं।

कहा जाता है की अपराधी को फांसी देने के लिए रस्सी भी यहाँ के कैदियों के द्वारा ही तैयार की जाती है। बक्सर में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर बहुत बड़ा मेला लगता है। जिसे देखने देश भर से लोग बक्सर आते हैं।

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बक्सर कहां है

बक्सर बिहार का एक प्रसिद्ध जिला है। बक्सर पटना से करीब 119 किलो मीटर की दूरी पर पटना और दिन दयाल उपध्याय (मुगलसराय) के बीच स्थित है।

बिभिन्न शहरों से बक्सर की दूरी

  • पटना से बक्सर – 119 किलोमीटर
  • वाराणसी से बक्सर – 132 किलोमीटर
  • लखनऊ से बक्सर – 409 किलोमीटर
  • कोलकाता से बक्सर – 633 किलोमीटर
  • कानपुर से बक्सर – 462 किलोमीटर
  • दिल्ली से बक्सर – 952 किलोमीटर

बक्सर कैसे पहुंचे – How to reach Buxar

पर्यटन के दृष्टि से बक्सर खास है। बक्सर पटना से करीब सौ किलोमीटर की दूरी पर है। रेल और सड़क मार्ग से बक्सर भारत के कोने-कोने से सम्बद्ध है। हवाई जहाज के द्वारा भी बक्सर आसानी से पहुंचा जा सकता है।

इसके सबसे नजदीक का हवाई अड्डा पटना में है। पटना से रेल, बस और टैक्सी के माध्यम से बक्सर आसानी से पहुंचा जा सकता है।

बक्सर के बारें में रोचक बातें

बक्सर के बारें में एक बात और प्रचलित है, कहा जाता है की विहार का सबसे बड़ा जेल बक्सर में ही स्थित है, भारत में अपराधी को फांसी देने के लिए जिस रस्सी का उपयोग किया जाता है। वह रस्सी बक्सर जेल में बंद कैदियों के द्वारा ही बनाया जाता है।

  • प्राचीन बक्सर के क्षेत्र का जिक्र हिन्दू धर्म ग्रंथों में भी मिलता है।
  • यहीं पर भगवान राम ने विश्वामित्र के आश्रम में शिक्षा ग्रहण की थी।
  • इसी क्षेत्र में भगवान राम ने तड़का का वध किया था।
  • भगवान राम ने बक्सर में ही शीला बनी अहिल्या का उद्धार किया था।
  • कार्तिक मास में बक्सर में एक बहुत बड़ा मेला लगता है।

जानने योग्य बातें (F.A.Q)

  1. बक्सर जिला कब बना?

    बक्सर जिला 1991 में बना।

  2. बक्सर का युद्ध किसके बीच हुआ

    बक्सर का युद्ध अंग्रेजों की सेना ने मेजर मुनेरों के अगुआई में बंगाल के नबाब के बीच लड़ी थी जिसमें बंगाल के नबाब की हार हुई थी।

  3. बक्सर जिला में सबसे बड़ा गाँव कौन सा है?

    1764 में बक्सर की लड़ाई के कारण और परिणाम क्या थे?

  4. बक्सर जिले में कुल कितने अनुमंडल है?

    बक्सर जिले में कुल 02 अनुमंडल और 11 प्रखण्ड हैं।

  5. बक्सर की लडाई कब लडी गई?

    बक्सर की लडाई 1764 ईस्वी में अंग्रेजों के सेना और बंगाल के नवाब के बीच लड़ी गई।

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Amit

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मैं अमित कुमार, “Hindi info world” वेबसाइट के सह-संस्थापक और लेखक हूँ। मैं एक स्नातकोत्तर हूँ. मुझे बहुमूल्य जानकारी लिखना और साझा करना पसंद है। आपका हमारी वेबसाइट https://nikhilbharat.com पर स्वागत है।

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