भागलपुर का इतिहास और सम्पूर्ण जानकारी – Information about Bhagalpur in Hindi

एशिया का सबसे बड़ा सोनपुर पशु मेला का इतिहास | Sonpur mela history in hindi
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भागलपुर का इतिहास और सम्पूर्ण जानकारी ( Information about Bhagalpur in Hindi)

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भागलपुर का इतिहास और सम्पूर्ण जानकारी ( Information about Bhagalpur in Hindi)भागलपुर शहर का इतिहास – History of Bhagalpur in Hindiसिल्क सिटी भागलपुर भागलपुर जिले का आध्यात्मिक इतिहासभागलपुर का पौराणिक इतिहास – Bhagalpur historyअंगराज कर्ण की भूमिभागलपुर जिले का इतिहास हिन्दी मेंभागलपुर जिले की भौगोलिक स्थितिप्रशासनिक दृष्टि से भागलपुरभागलपुर का इतिहास और उददोग धंधे शिक्षा का प्राचीन केंद्र भागलपुरभागलपुर डॉल्फिन अभ्यारण्य के लिए प्रसिद्धभागलपुर के लोगों की वेशभूषा व खानपानभागलपुर का इतिहास और पर्यटन स्थल – Bhagalpur famous forखनकाह ए शाहबजियामंदार पर्वतभागलपुर के प्रमुख व्यक्तिभागलपुर का पिन कोड (Bhagalpur pin code) –भागलपुर पृष्टभूमि पर बनी फिल्मभागलपुर कैसे पहुचें – How to reach Bhagalpurअक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)भागलपुर का पुराना नाम क्या है?भागलपुर क्यों प्रसिद्ध है?भागलपुर जिला कब बना था?भागलपुर जिले में कितने प्रखण्ड है?भागलपुर में कितने अनुमंडल है?

बिहार स्थित भागलपुर का इतिहास अति प्राचीन माना जाता है। भागलपुर बिहार राज्य का एक पौराणिक और इतिहासिक शहर है। गंगा के तट पर स्थित के शहर की चर्चा धार्मिक ग्रंथों में भी मिलती है।

पुराणों और महाभारत में इस क्षेत्र को अंग देश के नाम से जाना जाता थे। यह भू-भाग कभी बौद्धधर्म का प्रमुख केंद्र हुआ करता था। प्राचीन काल में भारत में तीन विश्वविध्यालय नालंदा, तक्षशिला और विक्रमशीला थे।

उनमें से विक्रमशीला विश्वविध्यालय इसी भूभाग पर स्थति था। चीनी यात्री फ़ाहियान और हुनसांग ने भी अपनी पुस्तक में इस स्थल का जिक्र किया है। भागलपुर की गिनती बिहार के सबसे ऐतिहासिक और प्राचीन शहर में की जाती है।

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कुछ विद्वान इसका संबंध महाभारत काल में राजा कर्ण के अंगदेश के रूप में करते हैं। भागलपुर का एक और नाम चंपानगरी भी था। झारखंड और बंगाल से सटा भागलपुर सदियों से रेशम का प्रमुख उत्पादक रहा है।

भारत के रेशम उत्पादक शहरों में भागलपुर का नाम अग्रणी है। इस कारण से भागलपुर को ‘सिल्क सिटी’ के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही भागलपुर डॉल्फिन अभयारण्य, जरदालू आम और विशेष खुसबू वाला कतरनी चावल के लिए भी भारत भर में प्रसिद्ध है।

भागलपुर का इतिहास - Information about Bhagalpur in Hindi

यह भूमि है अमर सेनानी तिलक मांझी की जिन्होंने हँसते हँसते फांसी के फंदे को अपने गले से लगा लिया था। उनके सम्मान में Tilka Manjhi Bhagalpur university का नामांकरण हुआ है।

इस प्रकार भागलपुर राजनीतिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। आइये इस लेख में भागलपुर का पूरा इतिहास को जानते हैं।

भागलपुर शहर का इतिहास – History of Bhagalpur in Hindi

गंगा के दक्षिणी छोड़ पर बसा भागलपुर बिहार का एक इतिहास और धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत प्रसिद्ध शहर है। चाहें सिल्क सिटी की बात हो अथवा शिक्षा की, उत्तरवाहिनी गंगा की बात हो अथवा प्रसिद्ध संत महर्षि मेही के आश्रम की।

हर दृष्टिकोण से भागलपुर प्रसिद्ध है। वर्तमान मे bhagalpur smart city बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर है। सड़कों और नालों का काम तेजी से चल रहा है। रोड चौड़ी की जा रही हैं। आईए इस शहर के बारें में कुछ रोचक बातें जानते हैं :-

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सिल्क सिटी भागलपुर 

वर्षों से यह शहर सिल्क सिटी के नाम से जाना जाता है। क्योंकि भागलपुर सिल्क उदोग के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध है। भागलपुरी सिल्क कोमलता और टिकाऊ के लिए पूरे देश में जाना जाता है।

सैकड़ों वर्षों से भागलपुर अपने खास तरह के रेशम (तसर रेशम) के लिए प्रसिद्ध है। बिहार के दक्षिण पूर्वी भाग में स्थित यह जिला आस्था के दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

भागलपुर जिले का आध्यात्मिक इतिहास

भागलपुर गंगा के दक्षिणी तट पर बसा आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। भागलपुर में गंगा नदी उत्तर की ओर बहने के कारण यह स्थल “उत्तरवाहिनी गंगा” के लिए भी प्रसिद्ध हैं।

जहाँ विशेष अवसर पर लाखों लोग “उत्तरवाहिनी गंगा में स्नान के लिए भागलपुर आते हैं। भागलपुर से पश्चिम में स्थित सुलतानगंज भी आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है।

कहा जाता है भगवान राम ने सुलतानगंज से जल भरकर बैजनाथ धाम में भगवान शिव को चढ़ाया था। सावन के महीने में लाखों कवाड़िया सुलतानगंज में गंगा से जल भरकर बैजनाथ धाम जाते हैं। सुलतानगंज में गंगा नदी के तट पर अजगैविनाथ का मंदिर भी दर्शनीय है।

भागलपुर का पौराणिक इतिहास – Bhagalpur history

भागलपुर का संबंध वैदिक काल से भी जोड़कर देखा जाता है। आपने समुन्द्र मंथन का नाम जरूर सुना होगा। समुन्द्र मंथन के दौरान जिस मंदार पर्वत की चर्चा मिलती है। जिसका मथनी बनाकर समुन्द्र मंथन के दौरान इस्तेमाल किया गया था।

वह मंदार पर्वत भागलपुर के दक्षिण में स्थित माना जाता है। कहा जाता है की इसी मंदार पर्वत को वासुकि नामक नाग की सहायता से मथनी के रूप में इस्तेमाल कर अमृत की प्राप्ति की गई थी।

इसी अमृत को पाने को लेकर असुर और देवगण में संधर्ष हुआ। देव और असुर की इस इस लड़ाई में जहाँ-जहाँ धरती पर अमृत की बुँदे छलकी वहाँ पर आज कुम्भ का मेला लगता है। 

अंगराज कर्ण की भूमि

इस स्थल की चर्चा महाभारत और पुराणों में भी मिलती है। भागलपुर को महाभारत काल में अंग क्षेत्र के रूप में जाना जाता था। इसे महाभारत के पात्र कर्ण से जोड़ कर भी देखा जाता है।

कर्ण से इस स्थल का संबंध होने के कारण इसका पौराणिक महत्व है। अंगदेश की भाषा अंगिका आज भी इस क्षेत्र में बोली जाती है। लेकिन कुछ विद्वान इस विषय पर मतांतर रखते हैं। उनके अनुसार कर्ण का संबंध हरियाणा का करनाल से था।

भागलपुर जिले का इतिहास हिन्दी में

बिहार के भागलपुर जिले की गिनती बड़े और सबसे पुराने जिलों में भी की जाती है। बिहार का भागलपुर जिला राज्य के पूर्वी भाग स्थित है। मुगलकालीन इतिहास में भी इस स्थल का जिक्र मिलता है।

उस बक्त यह इस सल्तनत के दक्षिण- पूर्वी सूबे का हिस्सा हुआ करता था। उसके बाद यह ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन आई। उस बक्त मुंगेर से यहाँ पर शासन होने लगा।

लेकिन बाद में भागलपुर और मुंगेर को अलग कर दिया गया। कलांतर मे संथाल परगना और बांका जिले का गठन भागलपुर से ही पृथक कर किया गया।

भागलपुर जिले की भौगोलिक स्थिति

इसकी भौगोलिक स्थिति की बात की जाय तो यह गंगा के दक्षणी और उत्तरी दोनों तरफ फैला है। इस जिले के उत्तर के तरफ से कोसी नदी बहती है जो अपनी बाढ़ की कहर जान जीवन को बहुत प्रभावित करती थी।

लेकिन इनके बाढ़ के कारण गंगा और कोसी नदी मैदानी भूभाग बहुत ही उपजाऊ भी रहता है। भागलपुर कुल 2569 वर्ग किलोमीटर की एरिया में फैला है।

भागलपुर के पड़ोसी जिले अर्थात इसकी चौहद्दी में उत्तर में कटिहार, पूर्णिया और मधेपुरा, दक्षिण में बांका स्थित है। इसके पूर्व में साहिबगंज और गोड्डा तथा पश्चिम में खगड़िया, और मुंगेर स्थित है।

प्रशासनिक दृष्टि से भागलपुर

भागलपुर शहर मे इस जिले का मुख्यालय स्थित है। प्रशासनिक दृष्टि से शासन को सुचारु रूप से चलाने के लिए भागलपुर कुल तीन अनुमंडल में विभक्त है, सादर भागलपुर, नवगछिया और कहलगांव।

उसमें से भागलपुर और कहलगांव गंगा के दक्षिण में और नवगछिया अनुमंडल गंगा के उत्तर में स्थित है। नवगछिया अनुमंडल गंगा पर बने एक लंबे पुल द्वारा भागलपुर से जुड़ा है। भागलपुर के कुल 03 अनुमंडल में 16 प्रखंड हैं।

भागलपुर में पंचायतों की संख्या: 242 है जिसमें 1515 गाँव हैं। 2011 की जनगणना के आधार पर भागलपुर जिले की कुल जनसंख्या 3,037,766 है। भागलपुर में एक सेंट्रल जेल स्थित है। भागलपुर की अधिकांश आबादी हिन्दू की है। भागलपुर में मुस्लिम आबादी यहाँ दूसरे नंबर पर है।

भागलपुर का इतिहास और उददोग धंधे 

गंगा नदी के तट पर स्थति भागलपुर सदियों से व्यापार का बहुत बड़ा केंद्र रहा है। अंग्रेजों के जमाने में भी व्यापार के लिए जहाज कानपुर से चलकर इलाहाबाद, वराणसी, पटना होते हुए भागलपुर के रास्ते कलकत्ता तक जाती थी।

यह सिल्क उधयोग के लिए पूरे भारत में जाना जाता है। कहा जाता है की भागलपुर का तसर सिल्क का कारोबार अरबों रुपए का है। गंगा और कोसी नदी नदी का मैदानी भाग होने के कारण यहां की मिट्टी बहुत उपजाऊ।

यहाँ की लोगों का मुख्य आजीविका का साधन खेती है। यहां मक्का, धान और और गेहूं की खूब पैदावार होती है। साथ ही यह जिला केले, लीची और आम के पैदावार के लिए भी पूरे बिहार में प्रसिद्ध है। भागलपुर का जर्दालु आम पूरे भारत में प्रसिद्ध है।

भागलपुर का कतरनी चावल अपनी विशेष खुशबू के लिए प्रसिद्ध है। जिसका निर्यात पूरे भारत में किया जाता है। भागलपुर के कहलगांव में स्थित एक मात्र थर्मल पवार से विजली का उत्पादन कर बिहार के अलाबा अन्य राज्य में भी विजली आपूर्ति की जाती है।

शिक्षा का प्राचीन केंद्र भागलपुर

भागलपुर प्राचीन काल से ही शिक्षा का प्रमुख केंद्र रहा है। अभी भी प्राचीन विक्रमशीला विश्वविध्यालय के अवशेष भागलपुर के कहलगाँव के पास देखे जा सकते हैं।

भागलपुर के प्राचीन विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना 9 वीं ईस्वी के करीव मानी जाती है। इस विश्वविद्यालय की शुरुआत पाल वंश के राजा धर्मपाल ने की थी। कभी नालंदा, तक्षशिला की तरह विक्रमशिला विश्वविद्यालय भी दुनियाँ में प्रसिद्ध और सम्मानित शिक्षा केंद्रों में से एक था।

कभी इस विश्व विध्यालय में देश-विदेश से छात्र पढ़ने आते थे। विक्रमशिला विश्वविद्यालय को भी नालंदा विश्व विध्यालय के ही तरह सनकी बख्तियार खिलजी ने 13 वीं शताब्दी के आसपास नष्ट कर दिया।

यहाँ की खुदाई से उस बक्त के कई बातों का पता चला है। इस विश्व विध्यालय के अवशेष को हजारों लोग देखने आते हैं। वर्तमान में भी भागलपुर शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी है।

आज भी बिहार के अधिकांश छात्र पटना के बाद भागलपुर में ही शिक्षा ग्रहण करना पसंद करते हैं। यहाँ की प्रमुख शिक्षण संस्थान में कृषि महाविद्यालय, भागलपुर मेडिकल कॉलेज, टी एन बी कॉलेज और मदन अहिल्या कॉलेज प्रमुख हैं।

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भागलपुर डॉल्फिन अभ्यारण्य के लिए प्रसिद्ध

भागलपुर का कहलगांव से लेकर सुल्तानगंज तक का गंगा का एरिया डॉल्फिन अभ्यारण्य के रूप से संरक्षित किया गया है। क्योंकि इस क्षेत्र में डॉल्फिन बहुत संख्या में पायी जाती है। इसके अलावा भी इस क्षेत्र में अन्य जीव जन्तु भी संरक्षित हैं।

white and black killer whale on blue pool
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भागलपुर के लोगों की वेशभूषा व खानपान

धान, मक्का और गेहूं की अधिक पैदावार होने के कारण यहाँ के लोग अपने भोजन में दिन में चावल और रात में रोटी खाना पसंद करते हैं। कोसी और गंगा के तट पर बसे होने के कारण यहाँ मछली भी बहुतायत रूप में मिल जाती है।

इस जिले के लोगों की वेशभूषा की बात की जाय तो यहाँ के लोग भी बिहार के अन्य जिलों के तरह ही पुरुष धोती, कुर्ता और युवा पीढ़ी फूल पेंट, जीन्स, टी-शर्ट, कमीज धारण करते हैं।

यहाँ की महिलाएं साड़ी और लड़कियां सलवार कुर्ती पहनना पसंद करती हैं। यहाँ की अधिकांश आबादी अंगिका बोलते हैं।

भागलपुर का इतिहास और पर्यटन स्थलBhagalpur famous for

भागलपुर के घूमने के लिए कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल हैं। भागलपुर जिले के दर्शनीय स्थल में प्राचीन विक्रमशीला विश्व विध्यालय का अवशेष, मंदार पर्वत, सुलतानगंज, अजगबीनाथ धाम आदि नाम शामिल हैं।

इसके साथ ही भागलपुर में गंगा तट पर स्थित बाबा बूढानाथ मंदिर, बटेश्वरनाथ धाम मन्दिर भी प्रसिद्ध है। शहर के नाथनगर स्थित जैन मंदिर, जैन समुदाय के आस्था का प्रमुख केंद्र है। इसके अलावा भी और भी पर्यटन स्थल हैं जिसका अपना महत्व है। आईए जानते हैं।

कुप्पा घाट – संत महर्षि मेही दास बिहार के महान संत थे। उनका आश्रम भागलपुर में गंगा नदी के किनारे कुप्पा घाट में ही था। कुप्पा घाट के एक गुफा में महर्षि मेही दास जी साधना करते थे।

वर्तमान में इस स्थल को भागलपुर शहर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर दिया गया है। कहा जाता है की कुप्पा घाट गुफा में कई अंदर गुप्त मार्ग हैं।

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर प्रतिवर्ष लाखों भक्त इस कुप्पा घाट में महर्षि मेही की कुटिया का दर्शन करने भागलपुर आते हैं।

विक्रमशिला –

भागलपुर के पास स्थित प्राचीन विक्रमशिला विश्व विध्यालय पाल साम्राज्य के समय में शिक्षा का बहुत बड़ा केंद्र था। कभी यह बौद्ध धर्म से संबंधित शिक्षा का प्रमुख केंद्र था। नालंदा की तरह ही विक्रमशीला विश्व विध्यालय का भी दुनियाँ में बड़ा नाम था।

इस शिक्षा केंद्र को भी बख्तियार खिलजी ने नष्ट कर दिया था। आज भी इसके अवशेष मौजूद हैं। कहा जाता है की इस शिक्षा केंद्र की स्थापना पाल राजा धर्मपाल ने 8वीं और 9वीं शताब्दी के मध्य किया था।

खनकाह ए शाहबजिया

कहते हैं की इस विशाल मसजिद का निर्माण औरंजेब के शासनकाल में हुआ था। यहाँ हर जाति और धर्म के लोग आते हैं। हर गुरुवार के दिन यहाँ श्रद्धालु की अपार भीड़ लगती है।

यहाँ भारत के अलावा बांग्लादेश और नेपाल के लोगों में भी दर्शन के लिए आते हैं। यहाँ पर स्थित तलाब का भी बड़ा महत्व माना गया है। कहा जाता है की इस तालाब के जल में कई विमारी के दूर करने वाले औषधीय गुण मौजूद है।

मंदार पर्वत

भागलपुर के दक्षिण में करीब 48 किलोमीटर दूर मंदरा पर्वत का संबंध समुन्द्र मंथन से जोड़कर देखा जाता है। पौराणिक कथाओं के आधार पर माना जाता है की इस इसी मंदार पर्वत की मथनी बनाकर देव और दानव ने मिलकर समुन्द्र मंथन किया था।

जिसे में बिष और अमृत सहित कुल 14 रत्न मिले थे। महाकवि कालिदास की रचना कुमारसंभव का जिक्र मिलता है। कहा जाता है की मंदरा पर्वत पर भगवान विष्णु के पैरों के निशान हैं।

हिन्दू धर्म के लोगों के साथ साथ जैनियों के लिए भी मंदार पर्वत पूजनीय है। कहा जाता है की जैन धर्म के 12 वें तीर्थंकर वासुपूज्य ने मंदार की चोटी पर ही निर्वाण को प्राप्त किया था।

भागलपुर के प्रमुख व्यक्ति

बिहार के भागलपुर में अनेकों प्रसिद्ध व्यक्ति हैं। जिन्होंने सिर्फ भागलपुर का ही नहीं बिहार सहित देश का मान बढ़ाया है। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद, वैज्ञानिक सीसीर कुमार मित्रा, केन्द्रीय मंत्री अश्वनी कुमार चौवे, प्रसिद्ध स्वतंत्रा सेनानी तिलक मांझी आदि।

तिलका मांझी – अमर सेनानी तिलक मांझी के स्मृति में स्थापित तिलका मांझी चौंक भागलपुर की पहचान है। तिलका मांझी एक आदिवासी समुदाय के नेता थे। जिन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ 1780 ईस्वी में सशस्त्र विरोध का नेतृव किया था।

इस विद्रोह में अंग्रेज अफसर क्लीवलैंड मारा गया। अंत में तिलक मांझी को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर भागलपुर शहर में एक पेड़ से लटकाकर फांसी दे दि थी। कहते हैं की जिस स्थान पर उन्हें फांसी प्रदान की गई वह आज तिलका मांझी चौंक के नाम से भागलपुर में प्रसिद्ध है।

महान स्वतंरता सेनानी तिलक मांझी का जन्म 1750 ईस्वी में तिलकपुर में हुआ था। इस अमर शहीद तिलक मांझी के सम्मान में तिलका मांझी चौंक पर इनकी प्रतिमा स्थापित है।

इनके सम्मान में भागलपुर विश्वविद्यालय का नाम भी बदलकर तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (Tilka Manjhi Bhagalpur University )किया गया।

भागलपुर का पिन कोड (Bhagalpur pin code)

भागलपुर जिले में स्थित विभिन्न पोस्ट ऑफिस का पिन कोड – 812001, 812002, 812003, 812004, 812005, 812006, 812007, 813210 है।

भागलपुर पृष्टभूमि पर बनी फिल्म

अंखफोड़वा कांड – आज से करीब 40 साल पहले 1979-80 के दौरन बिहार के भागलपुर में दिल दहला देने वाली घटना हुई थी। जिसमें दर्जनों लोगों के की रोशनी आँख में तेजाब डालने से चली गई।

यह कांड भागलपुर का ‘अंखफोड़वा कांड’ (Ankhfodwa Kand) के नाम से जाना जाता है। भागलपुर के आंखफोड़वा कांड पर बनी फिल्म प्रकाश झा द्वारा निर्देशित फिल्म “गंगाजल” है। जिसमें अजय देवगन और ग्रेसी सिंह ने मुख्य भूमिका निभाई है।

भागलपुर दंगा कांड – भागलपुर शहर में 24 अक्टूबर 1989 हुए दंगा कांड, भागलपुर के इतिहास में एक बदनुमा दाग है। कहा जाता है की इस दंगा में एक हजार से अधिक लोगों की जान चली गई थी।

भागलपुर कैसे पहुचें – How to reach Bhagalpur

भागलपुर देश के कोने-कोने से रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। यहाँ स्थित Bhagalpur railway station से आप देश की किसी भी महानगर में रेल मार्ग से सीधे पहुँच सकते हैं।

भागलपुर का इतिहास और सम्पूर्ण जानकारी - Information about Bhagalpur in Hindi
भागलपुर रेलवे स्टेशन

हालांकि भागलपुर में भी हवाई अड्डा है लेकिन अभी चालू नहीं है। पटना या बागडोगरा हवाई अड्डे पर उतरकर आसानी से भागलपुर पहुंचा जा सकता है। भागलपुर में ठहरने के लिए होटल और लॉज आसानी से उपलब्ध हैं।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

भागलपुर का पुराना नाम क्या है?

भागलपुर का नाम वर्तमान में भागलपुर ही है। लेकिन कहा जाता है की 5 वी सदी पूर्व इस स्थान को चम्पापुरी अथवा चंपवाती के नाम से जाना जाता था।

भागलपुर क्यों प्रसिद्ध है?

भागलपुर अपने सांस्कृतिक और इतिहासिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। विश्व प्रसिद्ध प्राचीन शिक्षा का केंद्र विक्रमशीला यहीं पर स्थित था। भागलपुर सिल्क उद्धोग और डॉल्फिन अभयारण्य के लिए भी प्रसिद्ध है।

भागलपुर जिला कब बना था?

कहा जाता है की भागलपुर जिला कब बना इसको लेकर काफी शोध किया गया। एक अध्ययन और पश्चिम बंगाल के अभिलेखागार में मौजूद कुछ दस्तावेज के अनुसार भागलपुर 4 मई 1773 को यह ही जिला जिला बना था।

भागलपुर जिले में कितने प्रखण्ड है?

भागलपुर जिले में कुल 16 प्रखंड हैं – गोरडीह, जगदीशपुर, नाथनगर, सबौर, शाहकुंड, सुल्तानगंज, कहलगांव, पिरपैंती, सनहोला, बिहपुर, गोपालपुर, इसमाइलपुर, खरीक, नारायणपुर, नवगछिया, रंगरा चौक

भागलपुर में कितने अनुमंडल है?

भागलपुर में तीन अनुमंडल हैं। कहलगाँव, सदर भागलपुर और नवगछिया

Q. भागलपुर कौन सा स्टेट में है? उत्तर – भागलपुर भारत के बिहार राज्य में अवस्थित है।

Q. बिहार में कितने जिले हैं नाम बताएं? उत्तर – बिहार में कुल 38 जिले हैं। बिहार के सभी 38 जिले के बारें में जानने के लिए लिंक पर जाएं

Q. भागलपुर में कितने गांव हैं। उत्तर – एक आँकडे के अनुसार वर्तमान में भागलपुर मे 1515 गाँव हैं।

Q. भागलपुर में कितने विधानसभा है? उत्तर भागलपुर में कुल 7 विधानसभा सीट हैं, बिहपुर, गोपालपुर, पीरपैंती(अ०जा०), कहलगांव, भागलपुर, सुल्तानगंज, नाथनगर।

Q. इंडिया में कुल कितने जिले हैं? उत्तर – एक आकडे के अनुसार वर्तमान में भारत में कुल 726 जिले हैं। जबकि वर्ष 2001 भारत में 593 और वर्ष 2011 में 640 जिले थे।

Q. भागलपुर जिला में कितना थाना है? उत्तर – भागलपुर जिले के कुल 16 प्रखंड मिलकर करीब 150 थाने हैं।

Q. भागलपुर के राजा कौन थे? उत्तर – कहा जाता है की भागलपुर अंगदेश की राजधानी थी। कुछ विद्वान अंगदेश के राजा दानवीर कर्ण को मानते हैं। कलांतर में इस क्षेत्र पर मुगल बादशाह और अंग्रेजों का शासन रहा।

Q. भागलपुर का SP कौन है? उत्तर – भागलपुर के वर्तमान SP के नाम और अन्य कई महत्वपूर्ण जानकारी भागलपुर जिले पोर्टल से प्राप्त किया जा सकता है। वहाँ बिहार भागलपुर का नक्शा, इतिहास, पर्यटन सहित अनेकों लैटस्ट जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

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बाहरी कड़ियाँ (External links)

अंतिम संशोधन तिथि – 24 नबम्बर 2022

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