जूनागढ़ गुजरात का इतिहास और भारत में विलय की कहानी – History of Junagarh Gujarat in Hindi

जूनागढ़ गुजरात का इतिहास और भारत में विलय की कहानी - History of Junagarh Gujarat in Hindi

जूनागढ़ गुजरात का इतिहास और भारत में विलय की कहानी – History of Junagarh Gujarat in Hindi

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जूनागढ़ रियासत की गिनती आजादी से पहले भारत के एक प्रसिद्ध रियासत में हुआ करती थी। यह रियासत गुजरात के दक्षिण-पश्चिम में स्थित था जिसकी अधिकांश आबादी हिंदू थी। आजादी के समय यह रियासत उस बक्त और भी सुर्खियों में आया।

जूनागढ़ गुजरात का इतिहास और भारत में विलय की कहानी - History of Junagarh Gujarat in Hindi
जूनागढ़ गुजरात का इतिहास और भारत में विलय की कहानी – History of Junagarh Gujarat in Hindi

जब जूनागढ़ के नबाब महावत खान ने जूनागढ़ को भारत के बजाय पाकिस्तान में विलय की घोषणा कर दी। उन्होंने जूनागढ़ के 80% हिन्दू आबादी की इच्छा की तनिक परवाह नहीं की। उन्होंने जूनागढ़ की जनता और माउंटबेटन की सलाह को दरकिनार कर पाकिस्तान में सम्मिलित होने का फैसला ले लिया।

जूनागढ़ भारत का हिस्सा कैसे बना इसे जानने से पहले हम जूनागढ़ के इतिहास को समझते हैं। जूनागढ़ का इतिहास अपने अंदर कई आयाम को सँजोये बैठा है। जूनागढ़ का इतिहास बताता है की यह कभी चन्द्रगुप्त मौर्य से लेकर सम्राट अशोक के अधीन रहा।

जूनागढ़ गुजरात का प्राचीन इतिहास

सन 1947 तक जूनागढ़ वर्तमान गुजरात राज्य के सौराष्ट्र इलाके में स्थित एक रियासत था। गिरनार पर्वत की तराई में वसा यह नगर भारत के इतिहास में अपना एक अहम स्थान रखता है।

जूनागढ़ का मतलब होता है पुराना किला। गिरनार पहाड़ी पर स्थित जूनागढ़ शहर का नाम भी जूनागढ़ के किले के नाम पर ही रखा गया है। अपने नाम के अनुसार ही जूनागढ़ का इतिहास हजारों साल पुरानी मानी जाती है।

जूनागढ़ पूर्व हड़प्पा कालीन स्थलों की खुदाई के लिए भी जाना जाता है। जूनागढ़ अपने अंदर खूबसूरती और इतिहास के अनेकों पलों को अपने में सँजोये हुए है। जूनागढ़ कभी मगध साम्राज्य के अधीन रहा।

यह कभी पर चन्द्रगुप्त मौर्य, सम्राट अशोक, रुद्रदामन, स्कंदगुप्त के अधीन रह। यहाँ के शिलालेखों से इस बात का प्रमाण मिलता है। यहाँ पर सम्राट अशोक के 14 शिलालेख पाए गये हैं जिस पर आशोक द्वारा जारी राजकीय आदेश और नियम खुदे हुए हैं।

क्लांतकर में जूनागढ़ पर राजपूतों का कब्जा रहा। यह स्थान चूड़ासम राजपूतों की कई वर्षों तक राजधानी भी रही। बाद में जूनागढ़ पर महमूद बेगढ़ा का शासन हो गया। उन्होंने उस बक्त जूनागढ़ का नाम मुस्तफाबाद रख दिया।

जूनागढ़ का भारत में विलय की कहानी

जूनागढ़ भारत की आजादी के इतिहास में एक अलग पन्ना है। जब हमारा देश आजाद हुआ तब भारत के सैकड़ों देशी रियासतों ने भारत में विलय की घोषणा कर दी। लेकिन कुछ रियासत ऐसे थे जो भारत में विलय को मंजूर नहीं किया।

बल्कि वे विभाजन के बाद पाकिस्तान का हिस्सा बनना चाहा। इसी रियासत में नाम आता है गुजरात के जूनागढ़ का। जब भारत का विभाजन हुआ उस बक्त जूनागढ़ के नबाब महावत खान थे। जूनागढ़ में हिंदुओं की संख्या मुस्लिमों से बहुत अधिक थी।

लेकिन फिर भी जूनागढ़ के नबाब ने इसे भारत में विलय से इनकार कर दिया उन्होंने जूनागढ़ को पाकिस्तान का हिस्सा बनाना चाहा। कहते हैं की मुस्लिम लीग के इसारे पर जूनागढ़ के नबाब ने वहाँ के तत्कालीन दीवान को पद से हटा दिया था।

उनके जगह पर उन्होंने बेनजीर भुट्टो के दादा शाहनवाज भुट्टो को जूनागढ़ का दीवान बना दिया। इस कारण से जूनागढ़ के जनता का अपने नबाब के प्रति गुस्सा था। जूनागढ़ की अधिकांश जनता चाहती थी की जूनागढ़ का विलय भारत में हो।

लेकिन इन सब बातों को दरकिनार करते हुए 14 अगस्त 1947 को जूनागढ़ के नबाब महावत खान ने जूनागढ़ रियासत का पाकिस्तान में विलय की घोषणा कर दी। परिणाम स्वरूप जूनागढ़ की जनता में नबाब के प्रति विद्रोह हो गया और हिंसा भड़क गई।

लेकिन तत्कालीन गृह मंत्री लौहपुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल ने बड़ी ही सूझबूझ से काम लिया। जूनागढ़ में उन्होंने सेना भेज कर कारवाई कर दि। भारत सरकार की करबाई से घबराकर जूनागढ़ के नबाब महावत खान अपनी जान बचाकर पाकिस्तान भाग गया।

कहा जाता है की भारत के इस फैसले से अंतिम गवर्नर जनरल लॉर्ड माउण्टबेटन नाखुश हुए थे। बाद में जूनागढ़ में जनमत संग्रह कराया गया जिसमें जूनागढ़ के 99% जनता ने भारत में विलय की सहमति दी।

कहते हैं की पाकिस्तान के पक्ष में मात्र 91 वोट ही पड़े थे। इस प्रकार सन 25 फरवरी 1948 को जूनागढ़ का भारत में विलय का आधिकारिक रूप से घोषणा कर दी गई।

जूनागढ़ का इतिहास और दर्शनीय स्थल की जानकारी

कहा जाता हैं की अगर आप गुजरात घूमने की सोच रहें हैं तो जुनगाढ़ आपको जरूर जाना चाहिये। गिरनार पहाड़ी की तलहटी में बसा जूनागढ़ में 800 से ज्यादा हिन्दू और बौद्ध मंदिर अवस्थित हैं।

जूनागढ़ की बौद्ध गुफाएं और मंदिर वास्तुकला की दृष्टि से बड़ा ही लाजबाब है। यहाँ की पहाड़ी पर बौद्ध और हिन्दू धर्म के सैकड़ों मंदिर में लाखों लोग दर्शन करने आते हैं। साथ ही यहाँ के पर्वत पर कई जैन मंदिर भी दर्शनीय हैं।

गिरनार हिल्स

जूनागढ़ शहर से चंद किलोमीटर में स्थित गिरनार हिल्स पर्यटक के लिए देखने लायक है। पाँच पहाड़ियों का समूह गिरनार पर्वत के बारे में कई रोचक बातें प्रसिद्ध है। इस पाँच पहाड़ी में सबसे ऊंची चोटी गोरखनाथ की है।

जहाँ से प्रकृति का अद्भुत नजर देखा जा सकता है। कहा जाता है की गिरनार हिल्स की उत्पत्ति वैदिककालीन है। इस पहाड़ी पर बने सैकड़ों बौद्ध और हिन्दी मंदिर यहाँ के एटिहासिक और धार्मिक विरासत की कहानी कहती नजर आती है।

गिरबन –

गुजरात के जूनागढ़ के पास ही गिर वन नामक भारत का प्रसिद्ध नैशनल पार्क है। यह नैशनल पार्क शेर के लिए प्रसिद्ध है।

अपरकोट किला

जूनागढ़ शहर के मध्य में स्थित इस किले के बारे में कहा जाता है की यह किला 2000 बर्ष से भी पुरानी है। कहते हैं की इस किले का निर्माण 319 ईसा पूर्व में चन्द्रगुप्त मौर्य ने किया था। यहाँ की दीवारों पर लगी तोप देखने योग्य है।

इसके अलाबा यहाँ के दर्शनीय स्थल में भवनाथ मंदिर, कालिका मंदिर, बौद्ध गुफा, दत्त हिल्स, महबत मकवरा, प्राचीन कुएं, जूनागढ़ संग्रहालय आदि प्रसिद्ध है। अहमदाबाद और राजकोट से बस और रेल के माध्यम से जूनागढ़ आसानी से पहुँचा जा सकता है।

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जूनागढ़ का अंतिम नवाब कौन था 1947 में उन्होंने अपने राज्य के लिए क्या निर्णय लिया?

जूनागढ़ का अंतिम नवाब महावत खान था, उन्होंने जूनागढ़ की जनता के इच्छा के विरुद्ध पाकिस्तान में विलय का निर्णय ले लिया था।

जूनागढ़ का विलय किस प्रकार हुआ?

जूनागढ़ का विलय एक जनमत संग्रह के परिणाम के आधार पर हुआ। जूनागढ़ की 99% लोगों में भारत में ही रहने के पक्ष में सहमति दि।

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