Kanwar Lake in Begusarai: एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील काबर झील बिहार में स्थित है। जैसा की हम जानते हैं की बिहार प्राचीन समय से ही पर्यटन की दृष्टि से बिहार बहुत ही खास है। यहाँ एक से बढ़कर एक एतिहासिक और दर्शनीय स्थान हैं।
इन खूबसूरत पर्यटन स्थल को देखने लाखों लोग आते हैं,। आज के इस लेख में हम एसिया का सबसे बड़ा मीठे पानी काबर झील की बात करंगे। बिहार के बेगूसराय जिले में स्थित काबर झील लाखों प्रवासी पक्षियों का घर है।
लोग यहाँ झील में पक्षियों को देखने और और पिकनिक का इन्जॉय लेने आते हैं। कांवर झील बिहार की उथली मीठे पानी की झीलों में सबसे प्रसिद्ध झील है। इसे स्थानीय लोग काबर झील, कंवर ताल या कंवर ताल के नाम से भी जानते हैं।
कांवर झील और इसके आसपास की आर्द्रभूमि को बिहार में पक्षी अभयारण्य के रूप में जाना जाता है। सर्दियों के मौसम में इस झील में देश-विदेशी के लाखों प्रवासी पक्षियों को देखने को मिलता है। काबर झील बिहार के बेगुसराय जिला मुख्यालय से उत्तर में स्थित में है।
प्रतिवर्ष हजारों लोग इस झील के पास घूमने और पिकनिक मनाने जाते हैं। कावर झील के पास एक प्रसिद्ध मंदिर भी है जिसे ‘जय मंगला घर’ के नाम से जाना जाता है। इसके बारे में मान्यता है की इसका निर्माण पाल वंश के काल में ही हुआ था।
Kanwar Lake in Begusarai एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी का झील
करीब 63.11 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली बेगूसराय के काबर झील को एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी का झील माना जाता है। इस झील का निर्माण बूढ़ी गंडक नदी के कटाव से बना है।
इस झील का आकार बरसात के मौसम में बहुत बढ़ जाता है। लेकिन गर्मी के दिनों में करीब हजार एकड़ तक सिमट कर रह जाता है।
काबर झील का निर्माण
बेगूसराय जिले के जयमंगला गढ़ में स्थति काबर झील का निर्माण बूढ़ी गंडक की प्रवाह में बदलाव के कारण बना है। बरसात के दिनों में इसका क्षेत्रफल बढ़ जाता है तो गर्मी में यह महज दो-चार हजार एकड़ में सिमट जाती है। जाड़े के दिनों में झील में देश-विदेश से असंख्य प्रवासी परिंदे आश्रय लेते हैं।
यहाँ आती है 59 प्रजातियों के लाखों पक्षी
बिहार का यह प्रसिद्ध स्थान पक्षी अभयारण्य के लिए भी जाना जाता है। ठंढ के मौसम में कावर झील प्रवासी पक्षियों से भर जाता है। उस बक्त इस झील की सुंदरता और भी बढ़ जाती है।
इस झील की विशेषता है की जाड़े के दिनों में इस झील में विदेशों की 59 प्रजातियों और 107 देशी पक्षियों की प्रजातियों आती है। इस दौरान सिर्फ बिहार ही नहीं भारत के कई हिस्सों से लोग यहाँ घूमने आते हैं।
जैसे -जैसे सर्दियाँ बढ़नी सुरू होती है। प्रवासी पक्षियों की संख्या बढ़ने लगती है। काबर झील में विश्व के कई देश जैसे रूस, जर्मनी, निदरलेन्ड, अफ्रीका, साइबेरियाई, अलास्का और मंगोलिया के लाखों पक्षी पहुँचते हैं।
इस प्रवासी पक्षियों में सरैर, करण, डुमरी, अधांगी, लालसर, दिधौंच, बोडैन और कोइरा पक्षी के नाम प्रमुख हैं। इस झील में प्रवासी पक्षियों का प्रवास काल दिसंबर से मार्च के बीच रहता है। ठंड के मौसम की शुरुआत दिसंबर में यहाँ पक्षियाँ का आना शुरू होता और मार्च के अंत तक वापस चले जाते हैं।
कावर झील को 1987 में मिल पक्षी विहार का दर्जा
कावर झील को बर्ष 1987 में बिहार सरकार ने पक्षी विहार की दर्जा प्रदान किया था। अगर आप नए साल के अवसर पर इस झील का भ्रमण करने की योजना बना रहे हैं तो बेगूसराय का काबर पक्षी अभयारण्य बहुत ही उम्दा स्थान रहेगा।
नौका विहार की सुविधा
यहाँ पर कश्मीर के डल झील व अन्य राज्यों में स्थित झील की तरह ही नौका विहार की सुविधा उपलबद्ध है। आप अपने परिवार के साथ बोटिंग का आनद ले सकते हैं। बोटिंग के दौरान आपको नदजीक से हजारों पक्षियों को निहारने का मौका मिलेगा।
देश के 100 झीलों में शामिल
कावर झील हमारे देश की अनोखी झीलों में से एक माना जाता है। यहाँ लाखों की संख्या में विदेशी पक्षियों का कलरब देखा जा सकता है। अव राज्य और केंद्र सरकार दोनों मिलकर इस झील के संरक्षण पर ध्यान दे रही है।
वर्ष 2019 में केंद्र सरकार ने जलीय इको सिस्टम संरक्षण के तहत इस झील को देश की 100 झीलों की सूची में सम्मिलित किया। कावर झील को अब रामसर नेटवर्क से जोड़कर इसे अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि के रूप में मान्यता दी गई है।
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काबर झील कैसे पहुंचे (How to reach Kanwar Lake)
यह झील पटना से करीब 100 किलोमीटर पूरब में बेगूसराय जिले में स्थित है। काबर झील बेगूसराय जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर उत्तर दिशा में अवस्थित है। आप बेसुसराय अथवा बरौनी से टैक्सी के द्वारा आसानी से काबर झील तक पहुच सकते हैं।