Happy New Year 2024: भारत में पांच बार मनाया जाता है नया साल, बहुतों को नहीं पता, जानें कब और क्यों

By Amit
भारत में पांच बार मनाया जाता है नया साल

Happy New Year 2024: हमारा भारत एकता में विविधता वाला देश है। हमारे देश भारत में पांच बार मनाया जाता है नया साल। इस देश में कई धर्मों और संप्रदाय के लोग एक साथ मिलजुल कर रहते हैं। सभी एक दूसरे के त्योहारों को मनाने में साथ देते और एक दूसरे को शुभकामनाएं भी देते हैं।

इस तरह की मिसाल आपको शायद ही किसी अन्य देश में देखने को मिले। हमारे देश की यही विशेषता पूरे विश्व में सबसे अलग बनाता है। हम सभी लोग अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक हर साल एक जनवरी को न्यू ईयर मानते हैं।

सभी लोग नए साल के स्वागत में जश्न में डूब जाते हैं। पूरे देश के लोग एक दूसरे को नए साल की बधाई देते हैं। इस दिन लोग अपने दोस्तों व नजदीकियों से मिलकर बधाई देते हैं और उपहार व मिठाइयां आदान प्रदान करते हैं।

लेकिन हमारे देश में सिर्फ 1 जनवरी को ही न्यू ईयर मनाया जाता है ऐसे नहीं है। जैसे की जानते हैं भारत विविधता में एकता वाला देश है। यहाँ रहने वाले अलग अलग समुदाय के लोग भी अपने धर्म और संप्रदाय के अनुसार नव वर्ष मानते हैं।

इस प्रकार देखे तो हमारे देश में एक नहीं साल में पांच बार नया साल मनाया जाता है। यह बात शायद सभी को नहीं पता लेकिन यह बिल्कुल सच है।

क्योंकि ये नव वर्ष लोग अलग-अलग धर्म और संप्रदाय की आस्था के अनुसार मनाते हैं। आइए इस लेख में जानेंगे की कौन से धर्म के लोग किस तिथि को नव वर्ष मानते हैं।

भारत में पांच बार मनाया जाता है नया साल – Happy New Year 2024

हिंदू नववर्ष

हिन्दू भारत में सबसे अधिक संख्या में रहते हैं। हिंदू समुदाय के अनुसार नव वर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाते हैं। हिन्दू मान्यता के अनुसार ब्रह्मा जी ने इसी दिन से सृष्टि की रचना की शुरूआत की थी।

कहा जाता है की इस कारण से इस दिन को नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन से विक्रम संवत के नए साल की शुरुआत भी होती है।

भारत में हजारों सालों से हिन्दू समुदाय द्वारा विक्रम संवत पर आधारित कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को नए साल की शुरुआत के रूप में मनाया जा रहा है।

ईसाई नव वर्ष

ईसाई धर्म के लोग ग्रेगोरियन कैलेंडर के आधार पर 1 जनवरी को अपना नया साल मनाते हैं। इस धर्म के अनुसार नया साल 15 अक्टूबर 1582 से शुरू हुआ था। रोमन शासक जूलियस सीजर ने पहली बार 1 जनवरी को नए साल के रूप में मनाया।

लेकिन आगे चलकर पोप ग्रेगरी ने इसमें कुछ संशोधन किए और अपने सर्वश्रेष्ठ धार्मिक नेता से परामर्श के बाद लीप वर्ष जोड़कर एक नया ग्रेगोरियन कैलेंडर बनाया।

लेकिन इसमें भी नया साल 1 जनवरी को ही मनाया गया था। तब से लेकर आज तक नया साल ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार ही पूरी दुनिया में 1 जनवरी को मनाया जाता है।

पंजाबी नव वर्ष

सिख धर्म की स्थापना 15वीं शताब्दी में गुरु नानक देव जी ने की थी। पुरुषों और महिलाओं की समानता की सिख देने वाला यह भारत का प्रमुख धर्म है।

सिख धर्म के लोग अपना नया साल नानकशाही कैलेंडर के अनुसार वैसाखी के दिन मनाते हैं। वैसाखी त्योहार हर साल अप्रैल के महीने में फसल कटने की खुसी में भी मनाया जाता है।

जैन धर्म नव वर्ष

जैन धर्म भी भारत के प्राचीन धर्म और दर्शन है। जैन धर्म की उत्पत्ति ईसा पूर्व छठी शताब्दी में भगवान महावीर ने की थी। भगवान महावीर का जन्म बिहार के लूमबानी में हुआ था।

जैन समुदाय के लोग दिवाली के अगले दिन से अपना नया साल मनाते हैं, जो वीर निर्वाण संवत के नम से भी जाना जाता है।

पारसी नव वर्ष

पारसी धर्म दुनिया को दुनियाँ का का सबसे पुराना धर्म माना जाता है। इस धर्म के संस्थापक जरथुस्त्र ने की थी। कहा जाता है की इस्लाम के आगमन से पहले ईरान में पारसी धर्म प्रचलित था। हमारे देश में भी पारसी समुदाय के लोगों की काफी संख्या है।

पारसी लोग 19 अगस्त को अपने नए साल को नवरोज के रूप में मनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इसे 3000 साल पहले शाह जमशेदजी ने पहली बार मनाया था।

तभी से भारत में रहने वाले पारसी धर्म के लोग अपने नए साल को 19 अगस्त को नवरोज त्योहार के रूप में मनाते आ रहे हैं।

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