धनतेरस क्यों मनाया जाता है यह बात हममें से बहुत लोग यह नहीं जानते हैं। हम लोग धनतेरस के अवसर पर जमकर खरीदारी करते हैं। इस दिन आभूषण व वर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। लेकिन अधिकांश लोग धनतेरस मनाने का कारण नहीं जानते।
इस वर्ष धनतेरस 10 नवंबर को है। इस अवसर पर शाम को घर के प्रवेश द्वार पर तीन दीपक जलाने की विधान है। साहूकार जहां इस दिन को धन्य धान की परिपूर्णता के लिए पूजन करते हैं वहीं वैद्य समुदाय के लिए भी यह दिन बेहद खास होता है। इस दिन को वे धन्वंतरि जयंती के रूप में मानते हैं।
धनतेरस दो शब्दों के मेल से बना है धन और तेरह जिसका अर्थ होता है “तेरह गुना धन” । इस लेख में भगवान धन्वंतरि कौन थे, धनतेरस क्यों मनाई जाती है, धनतेरस की पूजा कैसे करें, जाने धनतेरस का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि विस्तार से जानेंगे।
धनतेरस क्यों मनाया जाता है
धनतेरस भगवान धन्वंतरि को समर्पित त्योहार है। क्यों मनाया जाता है धनतेरस का त्योहार इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। जब देवताओं और दानव ने मिलकर अमृत प्राप्ति के लिए समुन्द्र मंथन किया। तब उस समुद्र मंथन के दौरान नव रत्न निकलें।
इसमें से एक चीज भगवान धन्वंतरि का अवतरण भी था, जो भगवान विष्णु के अंशावतार माने जाते हैं। समुन्द्र मंथन के दौरान हाथों से अमृत कलश भगवान धन्वंतरि का अवतरण हुआ। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से आरोग्य सुख प्राप्त होता है।
मान्यता है की दुनियाँ में चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी कार्य के लिए भगवान विष्णु ने धन्वंतरि के रूप में अवतरण लिया था। चूंकि उस दिन कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी थी।
इसी कारण से दीपावली के दो दिन पहले कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का त्योहार बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। साथ ही इस दिन कुछ खास चीजों की खरीदारी करना भी शुभ माना जाता है।
तो आइए विस्तार से जानते हैं की धनतेरस क्यों मनाया जाता है क्या है इसकी कथा और पूजा विधि।
धनतेरस से जुड़ी कहानी
धनतेरस से जुड़ी एक पौराणिक कथा प्रचलित है। कहा जाता है की कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष त्रयोदशी के दिन भगवान विष्णु ने दैत्य गुरु शुक्राचार्य को देवताओं के कार्य में बाधा डालने के कारण एक आँख फोड़ दिया था।
पुरानो में वर्णित कथा के अनुसार देवगण, दनवराज राजा बलि के पराक्रम से भयभीत थे। सभी देवताओं ने राजा वली के भय से मुक्ति के लिए भगवान विष्णु के पास गये। तब विष्णु भगवान ने उनके भय से मुक्त कराने के लिए वामन अवतार लिए।
राजा वली को अपने शौर्य और अपार वैभव को बहुत घमंड था। विष्णु भगवान वामन अवतार लेकर राजा बलि के पास पहुंचे। उन्होंने राजा वली से कुछ चीज मांगी और कहा की अगर नहीं दे सकते तो आप अस्वीकार कर दें।
इसी बीच में दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने भगवान विष्णु को वामन के रूप में पहचान लिया। उन्होंने राजा बलि को वामन द्वारा मांगी गई किसी भी चीज़ों को स्वीकार करने से मना किया।
शुक्राचार्य ने राजा वली से कहा की वामन रूप में खुद भगवान विष्णु देवताओं को मदद करने के लिए आए हैं। इस कारण से वामन की बात को स्वीकार नहीं करें। लेकिन वली ने अपने गुर शुक्राचार्य की बात की अनसुनी कर दी।
तब वामन रूप में भगवान विष्णु ने राजा वली से तीन पग भूमि दान करने को लेकर संकल्प करने को कहा। राजा वली अपने कमंडल से संकल्प लेने के लिए जल लेने लगे।
लेकिन उससे पहले ही शुक्राचार्य ने लधु रूप में कमंडल में प्रवेश कर कमंडल का मुख अवरुद्ध कर दिया ताकि जल नहीं निकले। इस बात को भगवान वामन समझ चुके थे उन्होंने जल निकालने के लिए कमंडल के मुख में कुश को घुसा दिया।
फलतः शुक्राचार्य छट-पटाकर कमंडल से बाहर निकल गए। तब जाकर कमंडल से जल निकला और राजा बलि ने वामन को तीन पग भूमि दान करने के लिए संकल्प लिया। तब भगवान वामन ने एक पैर से पूरा धरती और दूसरे पैर से आकाश को नाप लिया।
फिर वामन बोले राजा बलि तीसरा पग कहाँ रखू। तब तक राजा वली भी सब कुछ समझ चुके थे की यह कोई साधारण मानव नहीं है। राजा वली ने वामन रूपी भगवान विष्णु के तीसरे पग के लिए अपना सिर भगवान वामन के चरणों में रख दिया।
क्योंकि उसके पास तीसरा कदम रखने के लिए जगह नहीं थी। इस प्रकार से भगवान विष्णु ने देवताओं को वली के भय से मुक्ति प्रदान की।
वली ने जो धन संपत्ति देवताओं से छीनी थी उससे कहीं अधिक धन देवताओं को प्राप्त हुआ। यही कारण है की इस अवसर पर धनतेरस त्योहार मनाया जाता है।
धनतेरस कितनी तारीख की है
वर्ष 2023 में इस पर्व को मनाने का शुभ काल 10 नवंबर को है। शास्त्रों में प्रदोष काल का समय धनतेरस की पूजा के लिए सबसे उत्तम माना गया है।
धनतेरस का मुहूर्त कब है
इस साल धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05:47 से लेकर 07:43 तक रहेगा।
धनतेरस पूजा विधि इन हिंदी
धनतेरस पूजन से पहले आप Dhanteras Puja Samagri को पहले से बजार से खरीद कर रख लें। यह त्योहार भारत भर में बेहद खास और धूम-धाम से मनाया जाता है।
जानिए धनतेरस पूजा सामग्री लिस्ट – धनतेरस पूजन सामग्री में कुछ प्रमुख चीज इस प्रकार हैं।
- 13 मिट्टी के दीपक और बाती
- सरसों का तेल
- कौड़ी, सुपारी, पान व अक्षत
- कलश व पूजा की थाली
- कुबेर यंत्र
- मौली या कलावा
- रोली या अबीर या गुलाल
- गुड़ या शक्कर
- चंदन, कुमकुम और हल्दी
- गंगाजल
- कुछ फल व मिष्ठान्न
- धुप-अगरबत्ती, कपूर
- कुछ लाल और पीले पुष्प व पुष्प माला,
- चौकी व उस पर बिछाने के लिए लाल वस्त्र
- स्वस्तिक या अल्पना बनाने के लिए अक्षत या आटा
- माता लक्ष्मी, भगवान कुबेर, धन्वंतरि और यमराज की तस्वीर
पूजा विधि
पूजन से पहल प्रातः स्नान कर आसन पर बैठ जाएं। फिर अपने बाएं हाथ में गंगाजल लेकर खुद पर व आसपास छिड़ककर शुद्धिकरण करें। उसके बाद चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर कुबेर यंत्र स्थापित करें।
आप सामने कुबेर देव, माता लक्ष्मी, और भगवान धन्वंतरि की तस्वीर भी चौकी के पास लगाये। तत्पश्चात कुमकुम से लाल कपड़े पर स्वास्तिक का निशान बनाकर उस पर अक्षत, फूल और फल अर्पित करें।
उसके बाद कुबेर जी को मोली यानी कि कलावा वस्त्र के रूप में चढ़ाते हुए आभूषण अथवा नारियल अर्पित करें। कुबेर को कमल के पुष्प या कमलगट्टा अर्पित करते हुए धूप, दीप, नैवेद्य से पूजन करें।
इसके बाद भोग लगते हुए, अंत में कुबेर जी के मंत्रों का जाप करते हुए आरती उतारें और प्रसाद वितरित कर करें।
इनसे जुड़ी जानने की बात (F.A.Q)
धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदना चाहिए या नहीं
धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदना शुभ माना जाता है। क्योंकि इससे घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
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अंत में आपको और आपके परिवार को धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं। आपको यह लेख जरूर अच्छा लगा होगा पाने दोस्तों से शेयर करें।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां प्रिन्ट व सोशल मीडिया, पत्र-पत्रिकाओं, धार्मिक और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। हमारी वेबसाईट nikhilbharat.com इस बात की सत्यता की किसी भी तरह से पुष्टि नहीं करता।)