15 जनवरी को मकर संक्रांति 2024 में मनाया जा रहा है क्यों, जानिए इनसे जुड़ी रोचक बातें

15 जनवरी को मकर संक्रांति 2024

मकर संक्रांति का त्योहार 15 जनवरी 2024 को पूरे देश में बड़ी धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाएगा। 15 जनवरी को सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव की राशि मकर राशि में प्रवेश करेंगे। पंचांग के गणना के अनुसार सूर्य भगवान 15 जनवरी को सुबह 02:43 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे।

इस साल मकर संक्रांति सोमवार के दिन पड़ रहा है, विद्वानों के अनुसार ऐसा संयोग 5 साल बाद हो रहा है। दूसरी तरह इस बार मकर संक्रांति के अवसर पर 77 साल बादवरियान योग का संयोग बन रहा है।

जो आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान और पुण्य विशेष फलदायी माना गया है।

15 जनवरी को मकर संक्रांति 2024 में मनाया जा रहा है क्यों

हमारे देश भारत में हर त्यौहार कि कुछ खास पहचान है। मकर संक्रांति भी उन खास त्योहारों में आता है जिनकी अपनी अलग पहचान है। यह भारत का एक मात्र त्यौहार है जिसकी तिथि हर वर्ष पहले से निर्धारित होती है।

अमूमन मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है। लेकिन ग्रह गति के के अनुसार इस बार मकर संक्रांति 14 के बदले 15 जनवरी को मनाया जायेगा। यह त्योहार पूरी तरह से सूर्य की घूर्णन गति पर निर्भर करती है।

उसी के अनुसार इसकी तिथि निर्धारित होती है। प्रतिवर्ष सूर्य का मकर राशि में प्रवेश कुछ मिनट के देरी से होता है। इसलिए इसका समय थोड़ा थोड़ा आगे बढ़ता रहता है। फलतः एक निश्चित समय अंतराल अर्थात करीब 72 साल के बाद इस त्योहार की तिथि एक दिन आगे बढ़ जाती है।

विद्वानों के अनुसार आज से करीब 1500 साल पहले यह त्योहार 22 दिसंबर को मनाई जाती थी। आने वाले समय में यह त्योहार पूरी तरह 15 और फिर 16 जनवरी को मनायी जा सकती है।

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दक्षिणायन एबं उत्तरायण काल

मकर संक्रांति के दिन  सूर्य दक्षिणायन को छोड़ कर उत्तरायण में प्रवेश करता है। यही कारण है कि मकर संक्रांति को गुजरात में उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है। सूर्य जब छः महीने दक्षिणायन में होती है तो उस कालखंड को देवताओं की रात्री का समय होता है।

उसी प्रकार जब सूर्य उतरायण में छ: माह रहता है वह काल देवताओं का दिन कहा जाता है। चूँकि मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उतरायण में प्रवेश करती है। 

इस कारण शास्त्रों के अनुसार देवताओं के दिनों की गणना इसी दिन से ही शुरू होती है। कहते हैं की इस दिन स्वर्ग का द्वार खुल जाता है यही कारण है की इच्छा मृत्यु प्राप्त भीष्म पितामह ने मकर संक्रांति के दिन को अपने मृत्यु के लिए चुना।

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  • उत्तरायण का  समय काल  – 14   जनबरी से लेकर   13  जुलाई तक होती है।
  • दक्षिणायन का समय काल  – 14   जुलाई से लेकर    13 जनवरी तक होती है।

मकर संक्रांति के राशियों के बारे में

जैसा की हम जानते है की कुल बारह राशियाँ होती है। ज्योतिष्य गणना और चन्द्रमा की घूर्णन गति के आधार पर महीने को दो भाग में बाँट कर देखा जाता है  शुक्ल पक्ष एबं कृष्ण पक्ष।

ठीक उसी प्रकार सूर्य की वार्षिक गति को भी दो भाग में बाँट कर देखा जाता है। दक्षिणायन एबं उत्तरायण।  सूर्य छः माह दक्षिणी गोलार्ध में रहती है जिसे दक्षिणायन और छः  माह उत्तरी गोलार्ध में जिसे उत्तरायण कहते है। 

सूर्य जब पृथ्बी के दक्षिणी गोलार्ध में होती है तब यह क्रमशः कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृशिचक और धनु राशि से होकर गुजरती है।  ठीक उसी प्रकार सूर्य जब पृथ्बी के उत्तरी गोलार्ध में होती है तब यह मकर, कुम्भ, मीन मेष, वृषभ और धनु राशि से होकर गुजरती है।

इस प्रकार हर महीने किसी एक राशि की संक्रांति होती है। आइये हम हर महीने की संक्रांति के बारें में जानते हैं  कि किस महीने में कौन सी संक्रांति पड़ती है।

  • जनवरी  –  मकर संक्रांति,   सूर्य जब धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करती है
  • फरवरी – कुम्भ संक्रांति, सूर्य जब मकर राशि से कुंभ में प्रवेश करती है
  • मार्च- मीन संक्रांति,   कुम्भ राशि से जब सूर्य मीन राशि में प्रवेश करती है
  • अप्रेल- मेष Sankranti,    सूर्य का मीन राशि से मेष राशि में जब संक्रमण होता है। 
  • मई-   वृषभ संक्रांति,   सूर्य जब मेष राशि से बृषभ राशि में प्रवेश करती है। 
  • जून-   मिथुन संक्रांति, सूर्य का वृषभ से मिथुन राशि में प्रवेश करने पर  
  • जुलाई- कर्क संक्रांति,  सूर्य का मिथुन से कर्क राशि में प्रवेश करने पर होता है
  • अगस्त- सिंह संक्रांति,   सूर्य कर्क राशि से सिंह राशि में संक्रमण करती है।
  • सितम्बर  -कन्या संक्रांति, सूर्य जब सिंह राशि से कन्या राशि में प्रवेश करती है।
  • अक्टूबर – तुला Sankranti,   सूर्य जब कन्या राशि से तुला राशि में प्रवेश करती है।
  • नबम्बर – वृश्चिक संक्रांति,   सूर्य जब तुला राशि से वृश्चिक राशि में प्रवेश करती है 

संक्रांति का यह चक्र जनवरी से दिसम्बर तक चलते रहता है। ऊपर बर्णित सूर्य की कुल 12 संक्रांति में सिर्फ चार संक्रांति मेष, तुला, कर्क और मकर राशी कि संक्रांति सबसे महत्वपूर्ण मानी गई है।

इसीलिए 14 यह कभी 15 जनवरी को मानते हैं मकर संक्रांति

यह कोई जरूरी नहीं है की हर बर्ष मकर संक्रांति 14 तारीख को ही मनाया जायेगा। इसकी तिथि में परिवर्तन हो सकता है। क्योंकि यह त्योहार भारतीय कलेंडर के अनुसार सूर्य की घूर्णन गति के आधार पर मनाई जाती है।

कहा जाता है की कई दशक पहले यह 13 जनवरी को मनाई जाती थी। करीब 72 साल के बाद इसमें एक दिन का पूरी तरह से बदलाव होकर एक तारीख आगे बढ़ जाती है। अब कुछ दशक से यह 14 जनवरी को मनाई जाती आ रही है।

लेकिन काल गणना के आधार पर आने वाले समय में यह 15 जनवरी को मनाई जा सकती है। उपयुक्त बातों से आपको पता चल गया होगा की मकर संक्रांति जनवरी में 14 यह 15 की तारीख को ही क्यों मनाई जाती है।

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