स्वामी विवेकानंद के 9 अनमोल वचन हमेशा से युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत रहें हैं। वे भारत के महान युवा सन्यासी थे। जिन्होंने सनातन धर्म का परचम पूरे दुनियाँ में फहराया और विश्व को वेदान्त का पाठ पढ़ाया।
स्वामी विवेकानंद के जीवन परिचय से पता चलता है की उनमें अपने राष्ट्र के प्रति समर्पण और स्वाभिमान की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। उनका जन्म जन्म 12 जनवरी 1863 में पश्चिम बंगाल के कोलकाता के पास हुआ था।
महज 39 साल की उम्र में उन्होंने दुनियाँ को जो कुछ दे गया वह अमूल्य था। उन्होंने मात्र 25 साल की उम्र में अपने कॉलेज की पढ़ाई छोड़ सन्यासी बन गए। विवेकानंद 11 सितंबर 1893 में अमेरिका के शिकागों में आयोजित सर्व धर्म सम्मेलन में भाग लिया।
विश्व-धर्म सम्मेलन में दिया गया उनका भाषण इतिहासिक माना जाता है। उन्हने 1898 में उन्होंने बेलूर मठ की स्थापना की। मात्र 39 वर्ष की अवस्था में 4 जुलाई 1902 को वे हमेशा के लिए ब्रह्मलीन लीन हो गए। आज भी उनके अनमोल वचन प्रेरणादायी हैं।
युवाओं के प्रोत्साहन के लिए कही गई बातें आज भी स्मरण किया जाता है। इस कारण से युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत रहे स्वामी विवेकानंद जी की जयंती 12 जनवरी को प्रतिवर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इसमें आप पढ़ेंगे।
स्वामी विवेकानंद के 9 अनमोल वचन – Swami Vivekananda quotes in Hindi
1. हे पृथ्वी के प्रमृत पुत्रो ! तुम भला पापी ? मनुष्य को पापी कहना ही पाप है; यह कथन मानवस्वरूप पर एक लांछन है । ऐ सिंहो ! आओ और अपने आपको भेड़-बकरी होने का भ्रम दूर फेंक दो।
2. तुम अमर आत्मा हो, शुद्ध-बुद्धमुक्त स्वभाव, शाश्वत और मंगलमय हो, तुम जड़ नहीं हो, तुम शरीर नहीं हो; जड़ तुम्हारा दास है, तुम उसके नहीं। प्रत्येक आत्मा अव्यक्त ब्रह्म है।
3. उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक तुम्हें अपने लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए। अपने आप में विश्वास करो, उस पर स्थिर रहो और शक्तिशाली बनो।
4. जब तक तुम खुद पर भरोसा नहीं कर सकते तब तक खुदा या भगवान पर भरोसा नहीं कर सकते। यदि अपने आप में विश्वास नहीं करते, तो तुम्हारी मुक्ति नहीं हो सकती। नास्तिक वह है, जो अपने आप में विश्वास नहीं करता।
5. अपने आप में विश्वास भीतर के ब्रह्मभाव को बाहर प्रकट कर देता है। तुम सब कुछ कर सकते हो। तुम असफल तब होते हो, जब अनन्त शक्ति को व्यक्त करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं करते।
6. सफल होने के लिए एक विचार लो। उस विचार को अपना जीवन बना लो – उसके बारे में सोचो उसके सपने देखो, उस विचार को जियो। अपने मस्तिष्क, मांसपेशियों और नसों शरीर के हर हिस्से को उस विचार में डूब जाने दो। यही सफल होने का मूलमंत्र है।
7. क्या धर्म सचमुच में कुछ कर सकता है ? हाँ, कर सकता है। वह मनुष्य को शाश्वत जीवन प्रदान करता है। मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं, जिसने विश्व को सहनशीलता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ सिखाया है।
8. हम सिर्फ सार्वभौमिक सहनशीलता में ही विश्वास नहीं रखते, बल्कि हम दुनियाँ के सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार भी करते हैं। समस्त धर्मों का, समस्त सम्प्रदायों का आदर्श एक ही है।
9. यदि हम ईश्वर को इंसान और स्वयं में नहीं देख पाने में सक्षम हैं तो हम उसे ढ़ूढ़ने कहां जा सकते हैं। क्या ये सभी दरिद्र, पीड़ित और दुर्बल लोग ईश्वर नहीं हैं? पहले उनकी पूजा क्यों नहीं करते? गंगा के तीर पर कुआँ खोदने क्यों जाते हो?
युवाओं के लिए स्वामी विवेकानंद के विचार
स्वामी विवेकानंद के मूल मंत्र हमेशा से युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत रहे हैं। उन्होंने अपनी ओजस्वी वाणी और मूल मंत्र के द्वारा युवाओं को सतत आने कर्तव्य पथ पर बिना डिगे चलने का आह्वान किया। आइए युवाओं के लिए स्वामी विवेकानंद के विचार से अवगत होते हैं।
- यह दुनियाँ कायरों के लिए नहीं है, आप का संघर्ष जितना बड़ा होगा जीत भी उतनी बड़ी होगी।
- जिस दिन आपके मार्ग में कोई समस्या ना आए, समझ लेना आप गलत रास्ते पर चल रहे हो।
- जैसा तुम सोचते हो वैसे ही बन जाओगे। खुद को निर्बल मानोगे तो निर्बल और सबल मानोगे तो सबल ही बन जाओगे।
- एक समय में एक काम करो और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।
- दिन में आप एक बार स्वयं से बात करे, अन्यथा आप एक बेहतरीन इंसान से मिलने का मौका चूक जाएंगे।
- ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। हम अपनी आँखों पर हाथ रखे हुए हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार है।
- सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा।
कुछ और स्वामी विवेकानंद जी के अनमोल वचन
हमारा कर्तव्य है कि हर संघर्ष करने वाले को प्रोत्साहित करना है ताकि वह सपने को सच कर सके और उसे जी सके। जितना हम दूसरों की मदद के लिए सामने आते हैं और मदद करते हैं उतना ही हमारा दिल निर्मल होता है. ऐसे ही लोगों में ईश्वर होता है।
स्वामी विवेकानंद के आध्यात्मिक विचार
प्रत्येक जीव एक-एक तारा है और ये सारे तारे ईश्वररूपी शाश्वत आकाश के नीले वितान में जड़े हुए हैं। वहीं पर सबकी जड़ें समायी हुई हैं, सबकी सत्ता और सबका यथार्थ व्यक्तित्व वास्तव में वहीं पर है।
स्वामी विवेकानंद के शैक्षिक विचार
स्वामी विवेकानंद का कथन था, जिस अभ्यास से मनुष्य की इच्छाशक्ति संयमित होकर फलदाई बने, उसी का नाम शिक्षा है। पढ़ने के लिए जरूरी है एकाग्रता, एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान, ध्यान से ही हम इन्द्रियों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते है।
तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुमको सब कुछ खुद अंदर से सीखना हैं। आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नही हैं। खुद को कमजोर समझना भी सबसे बड़ा पाप हैं।
ज्योंही कोई मनुष्य या राष्ट्र अपने आप में विश्वास खो बैठता है, त्योंही मृत्यु आ जाती है। पहले अपने में विश्वास करो, और फिर ईश्वर में। जो सत्य है उसे साहसपूर्वक निर्भीक होकर लोगों से कहो–उससे किसी को कष्ट होता है या नहीं इस ओर ध्यान मत दो।
स्वामी विवेकानंद के प्रेरणादायक विचार
दुर्बलता को कभी प्रश्रय मत दो। सत्य की ज्योति ‘बुद्धिमान’ मनुष्यों के लिए यदि अत्यधिक मात्रा में प्रखर प्रतीत होती है और उन्हें बहा ले जाती है तो ले जाने दो वे जितना शीघ्र बह जाएँ उतना अच्छा ही हैं।
स्वामी विवेकानंद के 9 अनमोल वचन in English
1. “The bigger the struggle, the better the win will be“
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2. “Arise, awake and stop not till the goal is reached”
3. “Learning to be consistent is life, and stop is death”
4. “Knowledge is present in itself, man only invents it”
5. “The one who makes the most mistakes, he learns the most in life”
6. “Meditating on the senses can we attain concentration by meditating”
7. “The secret of life is not enjoyment but education through experience”
8. “The greatest religion is to be true to your own nature. Have faith in yourselves”
9. “It is important to read concentration, concentration is necessary for meditation”
Swami Vivekanand
निष्कर्ष (conclusion)
स्वामी विवेकानंद के 9 अलमोल वचन सममूच में युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उनके विचार हमारे जीवन में अमूल्य परिवर्तन लाने की क्षमता रखता है।
अक्सर गूगल पर सर्च होने वाले सवाल (F.A.Q)
स्वामी विवेकानंद का अनमोल वचन क्या है?
स्वामी विवेकानंद ने युवाओं को आह्वान करते हुए कहा की “उठो जागो और तब तक मत रुको, जब तक तुम्हें अपने लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए” अपने आप में विश्वास करना सीखो, उस पर स्थिर रहो और शक्तिशाली बनो।
स्वामी विवेकानंद के जीवन की सच्ची घटना
डिसक्लेमर (Disclaimer) :
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