रामनवमी क्यों मनाई जाती है जानिये रामनवमी का महत्व – information about ram navami in hindi
रामनवमी का उत्सव हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस कारण हिंदू धर्मशास्त्रों में चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि अत्यंत ही महत्वपूर्ण मानी गयी है। इसी दिन चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी अर्थात रामनवमी के दिन भगवान राम का जन्म हुआ था।
भगवान राम के जन्म पर्व के कारण ही इसे रामनवमी कहते हैं। भगवान श्री राम को श्री हरी अर्थात विष्णु के सातवें अवतार के रूप में जाना जाता है। इसिलिए भगवान श्री राम के जन्मोत्सव को रामनवमी के रूप में बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है।
भारत के साथ-साथ नेपाल में भी यह त्योहार पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। आज Essay On Ram Navami In Hindi – श्री रामनवमी का महत्व शीर्षक वाले इस लेख में भगवान राम के जन्मोत्सव के बारें में विस्तार से चर्चा की गयी है।
रामनवमी क्यों मनाई जाती है
क्योंकि इसी दिन धर्म स्थापना के लिए भगवान श्री राम का अवतरण इस धरा पर अवतरण हुआ था। भगवान विष्णु के सातवें अवतार के रूप में भगवान राम को माना जाता है। त्रेतायुग में धर्म की स्थापना के लिये श्री राम ने, विष्णु जी के सातवें अवतार के रूप में इसी दिन जन्म लिए थे।
ताकि इस घरती से रावण जैसे अत्याचारियों का संहार किया जा सके। उनके पिता राजा दशरथ अयोध्या के प्रतापी राजा थे। उनकी माता का नाम कौशल्या थी तथा वे चार भाई थे।
श्री रामनवमी का महत्व – Essay On RAMNAVAMI In Hindi
रामनवमी हिन्दू समुदाय के प्रमुख उत्सवों में खास माना जाता है। हिन्दू समुदाय के लोगों के जुबां पर सवसे पहले अगर किसी देवता का नाम आता है, वह है राम का नाम। राम का नाम भारत के जन -जन के जुबां पर वसा है।
जय श्री राम जिसका नाम काफी है।
राम का नाम भारत की संस्कृति के कण-कण में विराजमान है। हिन्दू समुदाय के लोग रात में सोने से पहले और सुबह विस्तर छोड़ने के पहले राम का नाम लेते हैं। हिन्दू धर्म में अंतिम यात्रा के समय भी राम का ही नाम लिया जाता है।
इस वात से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है, कि राम के नाम में कितनी सकती है। राम जिसके नाम का जाप ही भवसागर पार लगाने के लिए काफी है।
जिसके जपने से ही लोग जन्म-जन्मांतर के बंधन से मुक्त हो सकता है। इसीलिए राम नवमी हिन्दू समुदाय में लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
राम कथा से कभी मन नहीं ऊबता
भगवान राम की कथा जितनी बार सुनो हर बार नयी लगती है। राम की कथा कभी boaring और पुरानी नहीं लगती है। भारत में बच्चे रामायण की कहानियां सुनना वेहद पसंद करते हैं।
इस दिन श्रद्धालु अपने घरों या मंदिरों में विशेष पूजा पाठ का आयोजन भी करते हैं। वहीं लोग रामायण गोष्ठी में भाग लेकर, रामायण के पाठ के द्वारा पुण्य अर्जित करते हैं।
बच्चे तथा बड़े सभी भगवान राम के जीवन के दिलचस्प प्रसंगों को दिल से याद रखते हैं।
रामनवमी पर हनुमान की पूजा क्यों की जाती है।
हनुमान जी भगवान श्री राम के परम भक्त थे। उन्होंने बनवास के दौरान प्रभु श्री राम का भरपूर साथ दिया। और सीता माता को लंका से वापस लाने में मदद की।
यही कारण है कि रामनवमी के अवसर पर प्रभु श्रीराम के पूजा के साथ हनुमान जी की भी पूजा होती है। रामनवमी के अवसर पर धवजा रोहन भी किया जाता है। धवजा रोहन भगवान राम के परम भक्त हनुमान को समर्पित है।
वैष्णव संप्रदायों के खास
भगवान राम को मर्यादा पुरुसोत्तम के नाम से भी जाना जाता है। रामनवमी एक लोकप्रिय हिंदू त्योहार है। जो अंग्रेजी महीने के मार्च और अप्रैल के दौरान पड़ता है।
राम नवमी हिंदुओं के वैष्णव संप्रदायों के लिए बेहद खास होता है। वे इसे नौ दिनों तक ‘वसंत नवरात्रि’ के रूप में भी मनाते हैं।
रामनवमी का इतिहास हिंदी में
राम अपने चारों भाइयों में सवसे जेष्ठ थे। उनके भाई का नाम भरत ,लक्ष्मण ,और शत्रुघन था। उनकी शादी जनकपुर में सीता के संग हुआ था।
14 वर्ष का वनवास
कैकयी ने महाराजा दशरथ से राम को 14 बर्षो के लिए वनवास भेजने का वरदान मांग लिया। अपनी बचनबद्धता के कारण महाराज दशरथ ने श्री राम को 14 साल का वनवास दिया।
पिता-वचन मानकर, भगवान श्रीराम ने प्रसन्नतापूर्वक वनवास को स्वीकार किया। राजमहल छोड़कर वनवास जाते समय भगवान श्रीराम के साथ माता सीता और अनुज लक्ष्मण भी उनके साथ गए।
प्रभु श्री राम ने 14 वर्षों के अपने वनवास के दौरान कई दानवों का वध किया।
रावण का बध
वनवास की 14 साल अवधि के दौरान उनकी पत्नी सीता और उनके भाई लक्ष्मण सदा उसके साथ थे। एक दिन पंचवटी में छलपूर्वक रावण द्वारा सीता का अपहरण कर लिया गया।
जिसके परिणामस्वरूप राम और रावण के बीच भयंकर युद्ध हुआ था। अंत में, बंदरों की सेना कि मदद से राम ने रावण को मार डाला।
इसमें हनुमान जी ने भगवान राम का हमेशा साथ दिया। भग्वान राम अपने १४ साल की वनवास की अवधि पूरी करने के बाद अयोध्या लौट आए।
जिस दिन राम अयोध्या लौटे उस दिन पुरे अयोध्या में दीप जलाकर खुशियाँ मनाई गयी थी। तभी से प्रति वर्ष दीपावली के अवसर पर घर-घर में दिप जलाया जाता है।
सभी हिंदू त्योहारों की तरह, राम नवमी को उच्च धार्मिक भावनाओं के साथ पूर्ण श्रद्धा से मनाया जाता है।
अयोध्या के राम मंदिर में रामनवमी
अयोध्या में राम मंदिरों में के अवसर पर उत्सव का माहौल सर्वव्यापी है। मंदिरों में रेशमी और चमकदार कपड़े, कीमती पत्थरों, गहनों और फूलों से सजी राम, लक्ष्मण और सीता की मूर्तियाँ स्थापित है।
रामनवमी के अवसर पर यहाँ भक्तों की भीड़ रहती हैं। मंदिरों को इस अवसर पर विशेष रूप से रंगीन रोशनी से सजाया जाता है। सभी मिलकर प्रभु श्री राम का जन्म दिन उत्साह के साथ मनाते हैं।
मंदिरों में विशेष आयजन
इस दिन भगवान श्री राम की पुरे विधि विधान से पूजा की जाती है। लोग इस दिन अपने घरों और मंदिरों में रामायण गोष्ठी का आयोजन करते हैं। जहॉं लोग सामूहिक रूप से रामचरित मानस का पाठ करते हैं।
रामनवमी के एक रात पहले से ही भक्त, भक्ति गीत गाते रहते हैं। सभी भगवान राम के जन्म की मुर्हत का इंतजार करते हैं। वे मंदिरों में मिठाई, फूल और फल चढ़ाते हैं। रामनवमी रामनवमीका शाही उत्सव दोपहर में शुरू होता है।
यहाँ राम के जन्म का समय आरती और भजन गए जाते है। प्रार्थना के अंत में पुजारी सभी श्रद्धालु पर पवित्र जल का छींटे मारता है। उसके बाद फल और मिठाई प्रसाद के रूप में भक्तोँ के बीच वितरित किया जाता है।
रामनवमी के अवसर पर व्रत व उपवास
रामनवमी के अवसर पर कुछ रीती-रिवाज और परम्परायें प्रचलित हैं, जिनका इस दिन पालन करना आवश्यक माना गया है। कुछ लोग रामनवमी के नौ दिनों तक विशेष ‘राम नवमी’ व्रत रखते हैं।
वे सभी प्रकार के उत्तेजक और महक वाले खाद्य पदार्थों जैसे लहसुन, प्याज, हल्दी या प्याज से परहेज करते हैं। रामनवमी के दिन भगवान राम के जन्म दिवस के शुभ मुर्हुत के साथ पुणे व्रत का उद्यापन करते हैं।
घरों को इस दिन विशेष रूप से साफ सुथरा किया जाता है। तत्पश्चात घरों को सजाकर पवित्र की कलश स्थापना की जाती है। इस दिन भगवन श्री राम के पूजन के साथ ही जगह-जगह भजन-कीर्तन का आयोजन भी किया जाता है।
इस दिन भगवान श्री राम के साथ माता जानकी और उनके परम भक्त हनुमान की भी पूजा की जाती है।
रामनवमी और महानवमी में क्या अंतर है
रामनवमी का प्रसिद्ध त्यौहार हर वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। हिंदू धर्म ग्रंथ के अनुसार चैत्र मास के नवमी के दिन मर्यादा-पुरूषोत्तम भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ था।
इस कारण रामनवमी का त्योहार चैत्र मास में भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। जबकि नवरात्रि में माँ दुर्गा की आराधना की जाती है। इस दिन रामनवमी के साथ-साथ चैत्र नवरात्रि का भी समापन का दिन होता है।
उपसंहार – conclusion
जब-जब इस धरा पर रावण जैसे दुराचारियों का जन्म हुआ और धर्म की हानी हुई है। तब तब हरी ने श्री राम, श्री कृष्ण के रूप में अवतार लेकर दुराचारियों का संहार किया है। रामनवमी के अवसर पर हमें भगवान राम के जीवन से सन्मार्ग पर चलने की सीख लेनी चाहिए।
आप सभी को रामनवमी की ढेरों सारी शुभकामनायें। Happy Ram Navami. अगर Essay On Ram Navami In Hindi – श्री रामनवमी का महत्व पर मेरा लेख के बारें में कमेंट्स कर बतायें।
रामनवमी में हनुमान जी की पूजा क्यों होती है?
हनुमान जी अपने प्रभु श्री राम के अनन्य भक्त थे। हर बक्त हनुमान जी भगवान राम के साथ साया बनकर साथ रहे। यही कारण है की रामनवमी के अवसर पर राम के साथ-साथ हनुमान जी की भी विशेष पूजा