बसंत पंचमी के दिन सरस्‍वती पूजा क्‍यों मनाई जाती है, जानिये वसंत पंचमी का महत्व : Basant Panchmi 2023

बसंत पंचमी के दिन सरस्‍वती पूजा क्‍यों मनाई जाती है, जानिये वसंत पंचमी का महत्व

बसंत पंचमी के दिन सरस्‍वती पूजा क्‍यों मनाई जाती है, जानिये वसंत पंचमी का महत्व

बसंत पंचमी के दिन सरस्‍वती पूजा क्‍यों मनाई जाती है – वसंत पंचमी, ऋतुराज वसंत के आगमन का संदेश देता है।इन दिनों शरद ऋतु की विदाई और वसंत के आरंभ से पेड़-पौधों और प्राणियों में नई चेतना का संचार होने लगता है।

Basant Panchmi 2022 : बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा क्यों मनाई जाती है, जानिये वसंत पंचमी का महत्व
Basant Panchmi 2023 : बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा क्यों मनाई जाती है, जानिये वसंत पंचमी का महत्व

पेड़ों में नई नई कपोलें फूटने लगती है। रंग-बिरंगे सुंदर और मनमोहक फूलों से बागों की क्यारियों भर जाती है। आमों के मँजारियों से निकलती भीनी महक, पक्षियों के कलरव, फूलों पर भंवरों की गुंजाहट कर्ण प्रिय लगते हैं।

कोयलों की कुक से पूरा वातावरण मनमोहक और मादकतापूर्ण हो जाता है। बसंत के आगमन के साथ ही प्रकृति नवयौवना की भांति पूर्ण श्रृंगार कर  इठलानें लगती है। बसंत पंचमी उत्तर भारत सहित देश के कई राज्यों में मनाया जाता है।

इस दिन स्कूलों और कालेजों में विशेष महोत्सव का आयोजन किया जाता है। लेकिन क्योंकी इस दिन ज्ञान की देवी माता सरस्वती की पूजा की जाती है। बसंत पंचमी का वैज्ञानिक आधार जानने हेतु आपको बसंत पंचमी के दिन सरस्‍वती पूजा क्‍यों मनाई जाती है, आपको जरूर पढ़ना चाहिए।

वसंत पंचमी क्या है, बसंत पंचमी कब मनाते हैं? – about basant panchmi in hindi

हिन्दू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी का उत्सव माघ महीने के शुक्ल पक्ष पंचमी को मनाया जाता है। यह जाड़े की ऋतु की समाप्ति और वसंत ऋतु के शुरुआत का काल होता है। भारत के 6 ऋतुओं में बसंत को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

इसी दिन सृष्टि कर्ता ब्रह्माजी द्वारा लोक कल्याण हेतु बुद्धि, ज्ञान और विवेक की जननी मां सरस्वती का प्राकट्य किया गया था। तभी से इस दिन से बसंत पंचमी का त्योहार मानने की परंपरा चली आ रही है।

बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा क्यों मनाई जाती है? – saraswati puja kyu manaya jata hai

सरस्वती पूजा का उत्सव ज्ञान की देवी की उपासना हैं। शिक्षा जगत से जुड़े, खास कर विद्यार्थी वर्ग सरस्वती पूजा को बहुत ही उमंग और उत्साह के साथ मनाते हैं। इस दिन वे बिद्या की देवी माँ शारदे से ढेर सारे ज्ञान और जीवन में सफलता की कामना करते हैं।

सरस्वती पूजा को बसंत पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है की वसंत पंचमी के दिन ही ज्ञान की देवी माता सरस्वती का अवतरण हुआ था। हिन्दू धर्म के पवित्र धर्मग्रंथ पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु ने एक बार देवी सरस्वती को प्रसन्न होकर वरदान दिया था।

उन्होंने वरदान में कहा था की वसंत पंचमी के दिन जो तुम्हारी पूजा अर्चना करेगा, उसे बिशेष ज्ञान की प्राप्ति होगी। कहा जाता है की तभी से हमारे देश में माँ सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में यह त्योहार मनाया जाता है।

देवी सरस्वती कौन हैं?

हिंदू धर्म ग्रंथों और पौराणिक कथाओं के आधार पर पता चलता है की हर देवी-देवता किसी खास चीज की अधिष्ठात्री हैं। जैसे की धन की अधिष्ठात्री देवी माता लक्ष्मी और वर्षा के लिए इन्द्र देव, शक्ति की अधिष्ठात्री माता दुर्गा मानी जाती है।

उसी तरह देवी सरस्वती ज्ञान की अधिष्ठात्री मानी जाती है। इसी कारण ज्ञान प्राप्ति के लिए देवी सरस्वती की पूरी भक्तिभाव से पूजा की जाती है। देवी सरस्वती को बुद्धि और ज्ञान की देवी कहा गया है।

कहते है की वह जगत के सृष्टिकर्ता ब्रह्माजी की पत्नी हैं। वह मनुष्य को बिद्या और बुद्धि प्रदान करती है। तस्वीर में माँ शारदा को चार हाथों वाली दिखाया जाता है।

सफेद साड़ी में माँ सरस्वती हंस पर आरूढ़ होती हैं जिनके एक हाथ में किताब होती हैं। उन्हें हंस पर सवार वीणा बजाते हुए दिखया जाता है। वसंत पंचमी का त्योहार उन्ही की आराधना में मनाई जाती है।

सरस्वती पूजा बसंत पंचमी का महत्व

हिन्दू समुदाय में बसंत पंचमी का महत्व काफी माना गया है। मां सरस्वती को ज्ञान, वाणी, बुद्धि और वि​वेक की अधिष्ठात्री मानी गई है। फलतः वसंत पंचमी को इन सभी कलाओं की अधिष्ठात्री मां सरस्वती की पूजा हाती है।

हिन्दू पंचांग के अनुसार सरवती पूजा का आयोजन माघ मास के शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को होती है। इस उत्सव को कई नामों से जाना जाता है। इसे वसंत पंचमी के अलावा ज्ञान पंचमी और श्री पंचमी, ऋषि पंचमी, वागीश्वरी जयंती और मदनोत्सव भी कहते हैं।

हिन्दू पौर्णिक शस्त्रों के आधार पर मान्यता है की माघ माह के शुक्ल पंचमी के दिन ही माँ सरस्वती का अवतरण हुआ था। यही कारण है की इस दिन पूरे धूम-धाम से प्रतिवर्ष सरस्वती पूजा मनाई जाती है।

यह शुभ दिन होता है जब लोग अपने बच्चे के हाथ में किताब और कलम पकड़ाते हियाँ। बच्चों के शिक्षा प्रारंभ कराने का यह महत्वपूर्ण दिवस है। कहा जाता है की वसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा करने से वे शीघ्र प्रसन्न होती हैं।

इस दिन विद्या की देवी माता सरस्वती की पूरे विधि विधान के साथ पूजन किया जाता है। इस दिन छात्र माता सरस्वती से परीक्षा में अच्छे अंक की प्राप्ति की कामना करते हैं।

बसंत पंचमी का वैज्ञानिक आधार –

आध्यात्मिक महत्व के साथ-साथ बसंत पंचमी का वैज्ञानिक महत्व को भी कम करके नहीं आँका जा सकता। इस बक्त सर्दी कम होना शुरू हो जाता है। मौसम में धीरे-धीरे गर्माहट शुरू हो जाती है।

पेड़ में नए-ने कपोलें फूटने लगती है। फुलवारी रंग विरंगी फूलों से भरना आरंभ हो जाता है। आम के पेड़ के मंजर से भीनी -भीनी खुसबू से हवा मदमस्त हो जाता है।

ऐसे बक्त पर ही यह त्योहार मनाया जाता है। इस प्रकार त्योहार बसंत के स्वागत में मनाया जाता है। इस कारण से यह उत्सव बसंत पंचमी के नाम से जाना जाता है। बसंत पंचमी के दिन ही सरस्वती पूजा को भी मनाने का रिवाज है।

सरस्वती पूजा कैसे मनाई जाती है?

‘सरस्वती पूजा’ का त्योहार पूरे भारत वर्ष में बड़े ही खुसी के साथ मानते हैं। इस दिन शिक्षण संस्थानों में अवकाश होता है। स्कूलों और अन्य शिक्षण संस्थानों में कई प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इस दिन विद्यार्थी में खास उत्साह देखने को मिलता है।

इस दिन ज्ञान की देवी माता सरस्वती की पूरे विधि विधान के साथ पूजन अर्चन किया जाता है। इस दिन छात्र माँ सरस्वती से परीक्षा में अच्छे अंक की प्राप्ति की कामना करते हैं।

बसंत पंचमी का आध्यात्मिक महत्व

इस दिन माँ बाप अपने छोटे बच्चों को पढ़ने और लिखने की शुरूआत कारवाते हैं। क्योंकि विध्या आरंभ तथा अन्य किसी शुभ कार्यों के शुरुआत का यह शुभ दिन माना जाता है।

इस दिन माँ सरस्वती के विशेष कृपा की प्राप्ति के लिए छात्र उनके प्रतिमा के समीप अपना कुछ पुस्तक भी रखते हैं। वसंत पंचमी के अगले दिन माँ सरस्वती की प्रतिमा को बड़ी धूम-घाम और श्रद्धा के साथ पवित्र जल में विसर्जित कर दिया जाता है।

बसंत पंचमी के दिन क्या करना चाहिए

वसंत पंचमी के दिन स्नान आदि के पश्चात सफेद या पीले वस्त्र धारणकर माँ सरस्वती की पूजा करनी चाहिए। माता सरस्वती की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करने के बाद उनकी आरती उतरी जाती है।

अंत में छात्र माँ सरस्वती से अपने परीक्षा में सफलता और स्वर्णिम भविष्य के लिए आशीर्वाद मांगते हैं। उसके बाद प्रसाद का वितरण किया जाता है। वसंत पंचमी

सरस्वती पूजा मंत्र

माँ सरस्वती के पूजन के दौरान इस मंत्र का जाप करते हुए आशीर्वाद की कामना करना चाहिए।

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

सरस्वती पूजा (Basant Panchmi) कब है 2023 में

  • basant panchmi 2023 में सरस्वती पूजा की तारीख – 26 जनवरी गुरुवार के दिन
  • basant panchmi 2024 में सरस्वती पूजा कब है – 14 फरवरी बुधवार के दिन
  • सरस्वती पूजा (basant panchmi) कब है 2025 में – 02 फरवरी रविवार को

बसंत पंचमी के बारे में कुछ जानकारी –

  • यह वही दिन होता है जिस दिन से वसंत ऋतु की शुरुआत होती है। साथ ही इसी दिन से होली उत्सव की भी शुरुआत हो जाती है। इस दिन से गाँव में होली के गीत (फाग गायन) कान में गूंजने लगती है।
  • ऐसी मान्यता है की वसंत पंचमी के दिन ही मां सरस्वती प्रकट हुई थी। तभी से इस दिन सरस्वती पूजन की परंपरा चली आ रही है।
  • माँ सरस्वती को वीणापानी, भगवती, शारदा, वीणावादनी,हँसवाहिनी और वाग्देवी सहित कई नामों से जाता है। ये विद्या और बुद्धि के साथ-साथ संगीत की देवी भी हैं।
  •  हिन्दू धर्म में छोटे बच्चों के पढ़ाई की शरुआत वसांतपञ्चमी के दिन से शुभ माना गया है।
  • कहते हैं की पंडित मदन मोहन मालवीय जी द्वारा द्वारा कासी हिन्दू विश्वविद्यालय का शुभारम्भ भी वसंत पंचमी के दिन हुआ था।
  • वर दे, वीणावादिनि वर दे!; प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव, भारत में भर दे!” के रचनाकार सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ का जन्म दिन वसंत पंचमी ही है।
  • वसंत पंचमी का इतना महत्व है की शास्त्रीय संगीत के छः रागों में वसंत के नाम पर भी एक राग है जो “वसंत राग” कहलाता है।
  • शस्त्रों में विद्या आरंभ, गृह-प्रवेश और मांगलिक आदि कार्यों के लिए यह दिन शुभ माना गया है।
  • मान्यता है की भगवान राम, सीता माता को ढूँढने के क्रम में वसंत पंचमी के दिन ही शबरी की कुटिया में पहुंचे कर उनका उद्दार किया।
  • पृथ्वीराज चौहान के बलिदान दिवस भी वसंत पंचमी का दिन माना जाता है। जहाँ वे मुहमद गौरी के कैद में रहते हुए अपने कवि चंदबरदाई की सहायता से मुहमद गौरी के सीने में तीर मारा था।  
  • वसंत पंचमी के दिन ही गुरु गोविन्द सिंह के शिष्य बन्दा बैरागी तथा शिवाजी महाराज के महान सेनापति तन्हाजी मालसुरे शहीद हुए थे।
  • कहते हैं की पौराणिक कालीन माँ शारदा का मंदिर पाक अधिकृत कश्मीर के मुज़्ज़फ़राबाद में कृष्णा नदी के किनारे स्थित है। इस मंदिर को ब्रह्मा जी द्वारा स्थापित माना जाता है। कहा जाता है की आदि गुरु शंकराचार्य को इसी शारदा पीठ में मां सरस्वती ने दर्शन दिये थे।  

इन्हें भी पढ़ें –

सरस्वती पूजा के दिन पढ़ना चाहिए या नहीं?

जरूर पढ़ना चाहिए। बल्कि और ज्यादा पढ़ना चाहिए। क्योंकि यह ज्ञान प्राप्ति का सबसे शुभ दिन माना जाता है। इसी दिन से माता-पिता अपने छोटे बच्चे को विद्या आरंभ करवाते हैं।

बसंत पंचमी के दिन किस कवि का जन्मदिन मनाया जाता है?

बसंत पंचमी (Basant Panchmi )के दिन महान कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्मदिन मनाया जाता है।

हमें आशा है बसंत पंचमी के दिन सरस्‍वती पूजा क्‍यों मनाई जाती है इस प्रश्न का उत्तर इस लेख में जरूर मिल गया होगा। अगर यह जानकारी अच्छी लगी हो अथवा सुधार और त्रुटि को दूर करने में मदद के लिए कमेंट्स करें।

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