Makar Sankranti 2024: भारत के अलग-अलग राज्यों में मकर संक्रांति के अलग-अलग नाम से कैसे मनायी जाती है। हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक मकर संक्रांति इस वर्ष 14 जनवरी के बजाय 15 जनवरी को मनाया जा रहा है। क्योंकि यह त्योहार पूरी तरह सूर्य के घूर्णन पर निर्भर करती है।
15 जनवरी के दिन सूर्य धनु राशि से निकालकर मकर राशि में प्रवेश कर रहा है। इसीलिए यह त्योहार मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। यह त्यौहार भारत के करीब सभी राज्यों में अलग-अलग नाम और तरीके से मनाया जाता है।
भारत के किसी राज्य में यह दही चुरा, कहीं पोंगल और बिहू तो कहीं खिचड़ी, माघी के नाम से जाना जाता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे की भारत के किस राज्य में मकर संक्रांति को किस नाम तथा किस तरह से मनाया जाता है।
मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदी में स्नान करने के बाद दान करने और खिचड़ी खाने का महत्व है। इस त्यौहार की सबसे अनोखी बात यह है कि पूरे भारत में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। आइए इस लेख में मकर संक्रांति को देश के किस राज्य में किस नाम से जाना जाता है विस्तार से जानते हैं।
जाने भारत के अलग-अलग राज्यों में मकर संक्रांति के अलग-अलग नाम से कैसे मनायी जाती है
उत्तर प्रदेश:
उत्तर प्रदेश में इस त्योहार को खिचड़ी त्योहार के रूप में जाना जाता है। इस दिन खिचड़ी खाने और दान करने की बहुत महत्व माना जाता है। लोग मकर संक्रांति के दिन पवित्र गंगा में स्नान और दान कर पुण्य अर्जित करते हैं।
क्योंकि दान पुण्य करना मकर संक्रांति के अवसर पर पुण्यदाई माना गया है। इसी कारण उत्तर प्रदेश में इस पर्व को दान का पर्व भी कहा जाता है। इस दिन से प्रयागराज में गंगा, जमुना और सरस्वती के संगम पर एक विशाल माघ मेला आयोजित किया जाता है।
बिहार
बिहार और झारखंड में इस त्योहार को मकर संक्रांति और दही चूड़ा का पर्व के नाम से जाना जाता है। इस दिन विहार और झारखंड के लोग सुबह गंगा जैसी पवित्र नदियों में डुबकी लगाकर इस त्योहार की शुरुआत करते हैं।
इसके बाद सूर्य भगवान को अर्ध्य प्रदान कर उनकी पूजा की जाती है। इस दिन यहां के लोग स्नान आदि के बाद दही चूड़ा और तिल की मिठाई खाते हैं। कुछ स्थानों पर लोग इसे खिचड़ी त्योहार कहते हैं और इस दिन खिचड़ी सेवन का भी रिवाज है।
पश्चिम बंगाल-
पश्चिम बंगाल में इस त्योहार को पौष संक्रांति या पौष पर्व के रूप में जाना जाता है। पौष के त्योहार पर विशेष व्यंजन भी तैयार किए जाते हैं, जैसे पुली पिठा, खीर पुली पिठा आदि।
इस त्योहार के अवसर पर पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद तिल दान करने की परंपरा है। इस अवसर पर कलकता के पास पश्चिम बंगाल के 24 दक्षिण परगना जिले में सागर द्वीप जहाँ गंगा नदी समुद्र से मिलती है विशाल मेले का आयोजन होता है।
यह सठन गंगासागर के नाम से प्रसिद्ध है जहाँ हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर भारत सहित दुनियाँ के अन्य देशों से लाखों भक्त गंगासागर में स्नान करते हैं। मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन गंगासागर में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति आसान हो जाती है।
पंजाब और हरियाणा:
पंजाब और हरियाणा में मकर संक्रांति को माघी के नाम से जाना जाता है। मकर संक्रांति से ठीक एक दिन पहले यहां लोहड़ी ‘ मनाई जाती है। सभी लोग लोहड़ी की शाम घर के बाहर लकड़ी एकत्र कर जलाते हैं।
उसके बाद सभी अग्नि के चारों ओर घूमते हैं और पूजा करते हैं। इस दौरान लोग भांगड़ा और गिद्दा नृत्य भी करते हुए आनंद लेते हैं।
गुजरात: –
मकर संक्रांति के दिन सूर्य की गति दक्षिणायन से उत्तरायण की तरफ शुरू होती है। इस कारण से मकर संक्रांति का त्योहार गुजरात में उत्तरायण के नाम से जाना जाता है।
इस दिन गुजरात के लोगों के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन बच्चों और बड़े सभी में विशेष उत्साह देखा जाता है। बच्चे इस दिन पतंग उड़ाने का मजा लेने से नहीं चूकते।
महाराष्ट्र में मकर संक्रांति:
भारत के महाराष्ट्र में भी इस पर्व का विशेष महत्व है। महाराष्ट्र में भी इस त्योहार को बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। महाराष्ट्र में इस दिन महिलाएं आपस में तिल और गुड़ का वितरण करती हैं और “तीळ गुळ घ्या, गोड़ गोड़ बोला कहती हैं।
जिसका अर्थ है तिल का गुड़ लें और गुड़ की तरह मीठा बोलें, ताकि रिश्तों में मिठास बनी रहे । इसके साथ ही महाराष्ट्र में इस दिन एक विशेष प्रकार का हलवा खाने और वितरित करने की भी परंपरा है।
महाराष्ट्र में मकर संक्रांति के दिन सभी विवाहित महिलाएं आगंतुक को कपास, तेल, नमक, गुड़, तिल, रोली आदि चीजों का दान करती हैं। अपने विवाह के पहले मकर संक्रांति को महिलाएं एक-दूसरे को मिट्टी के छोटे से बर्तन में चने के होले, तिल-गुड़ के लड्डू, मूंग, चावल, गाजर आदि देती हैं।
इसके अलावा इस दिन नव विवाहित महिलाएं एक-दूसरे को हल्दी कुमकुम का टीका लगाती है। उसके बाद तिल से बनी मिठाई खिलाती है ‘तीळ गुळ घ्या, गोड़ गोड़ बोला’ कहकर सभी एक-दूसरे को मकर संक्रांति की शुभकामनाएं देती हैं।
तमिलनाडु में मकर संक्रांति:
मकर संक्रांति को दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में पोंगल के नाम से जाना जाता है। यह तयोहार सूर्य देव को धन्य और समृद्धि प्रदान करने वाला देवता माना जाता है। इस अवसर पर अच्छी फसल के लिए सूर्य देव का आभार व्यक्त किया जाता है।
इस दौरान यह यह त्योहार चार दिनों तक मनाया जाता है। पोंगल के हर दिन के अलग-अलग नाम होते हैं।
पहला दिन – भोगी पोंगल-जो भगवान इंद्र को समर्पित है।
दूसरा दिन – सूर्य पोंगल – इस पोंगल दिवस पर, महिलाएं खुले आंगन में मिट्टी के बर्तनों में एक विशेष प्रकार की खीर तैयार करती हैं। उसके बाद खीर को सूर्य देव को चढ़ाया जाता है और प्रसाद के रूप में खाया जाता है।
तीसरा दिन– इस दिन यह मट्टू पोंगल के नाम से जाना जाता हो। मान्यता के अनुसार भगवान भोले शंकर के बैल का नाम मट्टू है। जिसे भोले शंकर ने मानव कल्याण के लिए धरती पर भेजा है। इस दिन बैल को खूब सजाया जाता है और पूजा की जाती है ।
चौथा दिन-कन्या पोंगल – इस दिन घर को साफ सुथरा और खूब सजाया जाता है। महिलाएं घर के मुख्य द्वार पर सुंदर रंगोली बनाती हैं। तमिलनाडु में इस दिन जलू कट्टू का खेल का भी आयोजन किया जाता है। जलू कट्टू एक बहुत प्रसिद्ध खेल है।
इस खेल में मनुष्यों को सांडों से लड़ाया जाता है। यह एक बहुत ही साहसिक और जोखिम भरा खेल है। इस खेल की परंपरा 2000 साल पुरानी मानी जाती है।